बहुत कुछ याद आता है बस तेरी एक याद आने से...
हम तो खैरियत से है आपने धुंधली सी शहर में दोस्त,तू अपने शहर में अपनी हिफाजत रखना इस क़हरे दौर का...कभी यादे, कभी बाते, कभी पिछली मुलाकाते,बहुत कुछ याद आता है बस तेरी एक याद आने से दोस्त...लोगो की बात करने का तरीके बया कर देते हैं, की रिश्तों में गहराई कितनी है औऱ अपनापन कितना है दोस्त...अच्छे चेहरे की इम्प्रेशन तो बस कुछ टाइम के लिए है न दोस्त, परंतु एक अच्छे सोंच औऱ एक अच्छा मन जीवन भर के लिए रहता है...ज्यादा कुछ नही बदलता उम्र के साथ दोस्त,बस बचपन की जिद समझवतो में बदल जाती है...समुन्द्र के बीच पहुंच कर फरेब क्या तुमने दोस्त,तुम कहते तो सही हम किनारे पर ही डूब जाते...कँहा मिला कोई इस जिंदिगी में समझने वाला, जो भी मिला वो समझा के चला गया दोस्त...बहुत मुश्किल होता है उस सक्स को भूल पाना, जिससे प्यार भी बेशुमार हो और नफरत भी बेहिसाब हो दोस्त...प्रेम तो सिर्फ प्रेम ही होता है,यदि वो वजह है फिर तो वो पसंद बन जाता है दोस्त...बीते कुछ सालों की लम्हो को जरा संभाल कर रखना ए दोस्त, हम याद तो आएंगे पर अब वापस कभी लौट कर नही आएंगे...अफ़सोस तो है तुम्हरे दिल के बादल जाने का,मगर तुम्हारी कुछ प्यार भरे बोल अकेले जीना सीखा दिया दोस्त...तुम्हारी और हमारी रात बस यही फर्क है दोस्त, तू सो कर गुजरती है और हम रो कर दोस्त...एक फायदा तो था तेरी यादों से गुफ्तगू करने का,कुछ पल बड़ी हसरत से दिल मुस्कुरा लेता दोस्त...तेरी खामोशी जला देती है इस दिल को,बाकी सारे इशारे अच्छे लगते हैं तेरी हर एक तस्वीरों में...भरोसा नही है क्या मुझ पर यार, न जाने कितनों ने ये कहकर धोखा दिया दोस्त...ख्वाहिसे जिंदिगी बस इतनी सी थी दोस्त, की साथ तुम्हरा हो और जिन्दगी कभी खत्म न हो...सारी दुनिया के रुठ जाने का डर नही था मुझे, बस एक तेरी खामोशी मेरा सब कुछ छीन लिया दोस्त...वक़्त बदलने से शायद उतनी तकलीफ नहीं होती, जितना कि किसी अपने के बदल जाने से होती दोस्त...Raj
वेरी गुड नाईट फ्रेंड्स...