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Tuesday, November 8, 2022

IAS), आईपीएस(IPS), आईएफएस(IFS)

IAS), आईपीएस(IPS), आईएफएस(IFS)

यूपीएससी की सिविल सर्विस सर्विसेज परीक्षा में प्री, मेंस और इंटरव्यू पास करने के बाद आईएएस (IAS), आईपीएस (IPS), आईएफएस (IFS) अधिकारी चुने जाते हैं. हालांकि कई लोगों को इन अधिकारियों के काम, वेतन आदि के बारे में पता नहीं होता है और इनकी भूमिकाओं को लेकर कंफ्यूज रहते हैं. आज हम आपको आईएएस, आईपीएस अधिकारियों में अंतर बता रहे हैं, जिनके बारे में लोग कंफ्यूज रहते हैं.

आईएएस और आईपीएस का पद विशेष अधिकार वाला होता है. इन्हें लोक सेवा अधिकारियों के तौर पर जाना जाता है और ये भारतीय लोकतंत्र के ध्वजवाहक कहलाते हैं. इनकी अलग- अलग भूमिकाएं होती है और इनकी सैलरी में भी बहुत अंतर होता है. यह सभी अधिकारी संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद चयनित किए जाते हैं.

IAS (इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस) - सिविल सेवा परीक्षा में टॉप रैंक हासिल करने वाले उम्मीदवारों को आईएएस बनाया जाता है. आईएएस अधिकारी संसद में बनने वाले कानून को अपने इलाकों में लागू करवाते हैं. साथ ही नई नीतियां या कानून बनाने में भी अहम योगदान निभाते हैं. आईएएस अधिकारी कैबिनट सेकेट्री, अंडर सेकेट्री आदि भी बन सकते हैं.

IPS (इंडियन पुलिस सर्विस)- आईपीएस अधिकारी अपने कार्यक्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने का काम करता है और आईपीएस एसपी से लेकर आईजी, डेप्यूटी आईजी, डीजीपी तक बनाए जाते हैं. आईपीएस फियरलेस और इक्वेलिटी को साथ लेकर चलते हैं. आईएएस सही तौर पर कानून को लागू करने का काम करते हैं.

IFS (इंडियन फॉरेस्ट सर्विस) - आईएफएस विदेशी मामलों को लेकर काम करते हैं और विदेश मंत्रालय में अपनी सेवाएं देते हैं. आईएफएस अधिकारी यूपीएससी क्लियर करने के तीन साल की ट्रेनिंग के बाद आईएफएस ऑफिसर बनते हैं. आईएफएस अधिकारी डिप्लोमेसी से जुड़े मामलों में काम करते हैं और द्विपक्षीय मामलों को हैंडल करते हैं.

आईएएस अधिकारी की सैलरी: आईएएस अधिकारी के वेतन की बात करें तो ये विभिन्न संरचनाओं के आधार पर होता है, जैसे कि जूनियर स्केल, सीनियर स्केल, सुपर टाइम स्केल. वेतनमानों में अलग-अलग वेतन बैंड होते हैं. आईएएस अधिकारी भी एचआरए (मूल या आधिकारिक आवास का 40 प्रतिशत) के हकदार होता है. साथ ही उन्हें डीए, टीए भी मिलता है. इसमें कैबिनेट सेकेट्री, अपेक्स, सुपर टाइम स्केल के आधार पर सैलरी बढ़ती जाती है.

आईपीएस अधिकारी की सैलरी: आईपीएस अधिकारियों को भी पीएफ, ग्रैच्युटी, हेल्थकेयर सर्विसेज, आजीवन पेंशन, निवास, सर्विस क्वार्टर, परिवहन, घरेलू कर्मचारियों, अध्ययन की छुट्टियां और कई अन्य सेवानिवृत्ति सुविधाएं दी जाती हैं. इसमें आईजी, डीआईजी, एडीजी, एसपी के आधार पर सैलरी मिलती है.


Thursday, October 29, 2020

इंटरव्यू या साक्षात्कार में ध्यान देने योग्य बाते

Iटरव्यू या साक्षात्कार में ध्यान देने योग्य बाते... 


1. बिना पूछे इंटरव्यू या साक्षात्कार रूम में न घुसे.
2. अपने बायोडाटा या रिज्यूमे को विनम्र तरीके से इंटरव्यूर को दे.
3. इंटरव्यूर के सामने आपने आँख को नीचे न करे (नीचे की तरफ न देखे). आपका अच्छा Eye Contact होना चाहिए.
4. इंटरव्यूर के सामने घबराए नही. आराम से बैठे.
5. यदि इंटरव्यूर आपसे हाथ मिलता हैं तो अच्छी तरह मिलाये. ढीले तरीके से हाथ न मिलाए.
6. चमचमापन, भड़कीला दिखने वाला और बहुत ज्यादा आकर्षक दिखने वाला कपड़ा न पहने. साधारण और सिंपल कपड़े पहने जिसमे आप आरामदायक महसूस करते हैं.
7. इंटरव्यूर के सामने आराम से बैठे और आराम से बाते करे. कुर्सी पर बीच में आराम से बैठे.
8. अपने जीभ से अपने होटो को बार-बार न चाटें.
9. हाथ घड़ी को बार-बार न देखे.
10. मोबाइल को साइलेंट रखे या बंद करके रखे.
11. इंटरव्यूर के प्रश्नों के उत्तर कम-से-कम शब्दों में दे और उचित उत्तर दे.
12. प्रश्नों के उत्तर घुमा-फिरा कर न दे.
13. गलत उत्तर न दे.
14. विचार करके और तार्किक विचारों को पेश करें.
15. प्रश्न को अच्छी तरह सुने और उसके बाद समझे फिर उत्तर दे. उत्तर देने में जल्दबाजी न करे.
16. इंटरव्यू देने से पहले, अपने कम्युनिकेशन स्किल (Communication Skill) को बेहतर बनाए. शीशे के सामने अपने इंटरव्यू की जरूर तयारी करे. अपने आवाज को रिकॉर्ड करके भी देख सकते हैं कि जब आप उत्तर दे रहे हैं तो वह कितना प्रभावी हैं.
17. शिष्टता और आत्मविश्वास बनाए रखें.
18. इंटरव्यू में आप जिस विषय (Topics) पर बात कर रहे हैं उसे तथ्यों और वास्तविक जीवन के उदाहरण (Real-life Example) से जोड़ें.
19. इंटरव्यूर के द्वारा पूछा गया प्रश्न समझ में नही आया तो प्रश्न को विनम्रता पूर्वक दुबारा पूछे.
20. जिस भाषा में आपसे प्रश्न किया जाय, उसी भाषा में उत्तर देने की कोशिश करे. यदि आपकी उस भाषा पर अच्छी पकड़ नही हैं तो जिस भाषा को आप जानते हैं इंटरव्यूर से इजाजत लेकर उस भाषा में उत्तर दे सकते हैं. उदाहरण के लिए अधिकत्तर टेक्निकल प्रश्न इंग्लिश में पूछे जाते हैं परन्तु आप इंग्लिश में अच्छी तरह एक्सप्लेन (Explain) नही कर सकते तो, हिंदी का प्रयोग कर सकते हैं क्योकि यहाँ पर आपकी टेक्निकल स्किल्स (Technical Skills) को देखा जाता हैं. समय की अनुसार निर्णय ले.
21. यदि आप प्राइवेट जॉब इंटरव्यू (Private Job Interview) दे रहे हैं और फ्रेशर (Fresher) हैं तो इंटरव्यू के अंत में अपना फीडबैक (Feedback) जरूर ले. इसे विनम्रता पूर्वक पूछे. इससे आप अपने इंटरव्यू की कमियों के बारे में पता चलेगा.


यूपीएससी परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स की तैयारी कैसे करें... 


*जैसा कि हम जानते हैं कि आईएएस तैयारी के सभी तीन चरणों (प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा व साक्षात्कार या व्यक्तित्व परीक्षण) में वर्तमान मामलों की समझ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हाल के वर्षों में आईएएस परीक्षा में वर्तमान मामलों का महत्व में वृद्धि हुई है, जिसमें आनुपातिक रूप से प्रश्नों के विश्लेषणात्मक रुझान के साथ-साथ कुछ विषय जैसे पर्यावरण और अर्थव्यवस्था से जुड़ी घटनाओं आदि का विशेष महत्व भी बढ़ा है।*


*अब प्रश्न यह उठता है कि आईएएस परीक्षा के लिए वर्तमान मामलों को कैसे तैयार किया जाए?* यूपीएससी प्रिलिम्स के पाठ्यक्रम में काफी स्पष्ट रूप से *"राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की वर्तमान घटनाओं"* का उल्लेख है जिसे हम करेंट अफेयर्स या समसामयिकी के रूप में समझते हैं। आयोग ने परीक्षा में वर्तमान मामलों को बहुत ही कुशलता से शामिल किया है, लेकिन प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा दोनों के पाठ्यक्रम में इस भाग को परिभाषित नहीं किया गया है। एक उम्मीदवार को हर दिन यूपीएससी परीक्षा के स्तर के आधार पर समाचार पत्रों के माध्यम से महत्वपूर्ण वर्तमान मामलों से संबंधित सभी प्रमुख समाचारों को पढ़ना और उनसे नोट्स बनाने की कला का विकास करना चाहिये।
*Note*- *अगर आप समाचार पत्र को नहीं पढ़ते हैं तो कोई बात लेकिन आप उस दिन के वे तथ्य जो परीक्षा के दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं उसको जरूर पढें और अगर आप   समाचार पत्र पढ़ते भी हैं तो उसमें ध्यान रखें कि जो उसमें दिया है उसको पढ़ के उसके बारे में विस्तृत जानकरी रखें तभी पढ़ना सार्थक हो पायेगा।।*

*समाचार पत्र पढ़ने से पहले आपको पूरा विषय वस्तु ध्यान से पढ़ लें ताकि जो भी आप पढें उसको आप अपने विषय से जोड़ लें,,अगर आप न्यूज़पेपर नहीं पढ़ते हैं तो _हमारे ग्रुप_ में जो समाचार बताया जाता है उसको लिखें और उससे बहुत सारी जानकारियां इकट्ठा करें!!*


आईएएस परीक्षा में मौजूदा मामलों से पूछे जाने वाले प्रश्नों का कोई विशेष ट्रेंड नहीं है। यदि हम पिछले वर्ष के पेपर का अध्ययन करें तो हम यह समझ सकते हैं कि कई मौजूदा घटनाओं से कई प्रश्नों को सीधे-सीधे पूछा गया था। वर्तमान मामलों में विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल किया गया जाता है और ये प्रमुख विषयों जैसे कि भूगोल, नीति, अर्थशास्त्र, इतिहास, पर्यावरण एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ ओवरलैप करते हैं। इस तरह से हम यह समझते हैं कि करेंट अफेयर्स की तैयारी के लिये किसी विशिष्ट विषय के तहत प्रश्नों को वर्गीकृत करना कठिन है।


*दैनिक समसामयिकी में कवर किये जाने वाले टापिक्स।*


सरकार के पहलुओं / नीतियों, भारत की नीतियां जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हैं जैसे - पूर्व की ओर देखो नीति (Act East policy), अंतर्राष्ट्रीय संस्थान - अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council), अंतर्राष्ट्रीय समझौते - गैर-प्रसार संधि (एनपीटी), वासेनार व्यवस्था, स्टार्ट संधि, राइट्स इश्यू, सोशल सेक्टर की पहल (Social Sector Initiatives), सस्टेनेबल डेवलपमेंट (Sustainable Development) पर सरकार द्वारा उठाए गए अच्छे उपाय इत्यादि।

आप आसानी से *समाचार पत्रों के महत्व* को समझ सकते हैं। सभी स्थैतिक (Static Portion) भाग जैसे भूगोल, इतिहास, अर्थशास्त्र, राजनीति, विज्ञान और तकनीक या पर्यावरण इत्यादि दैनिक समाचारों का एक नियमित हिस्सा है। इसके अलावा, यूपीएससी के प्रश्नों के उत्तर देने के लिये हमें समकालीन मुद्दों का स्थैतिक पहलू से संबंध तथा उसके विश्लेषण आदि की समझ में निपुणता प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। जब आप समकालीन विकास व घटनाओं से अवगत होते हैं, तो इसकी तैयारी मुश्किल नहीं होती है।


*आईएएस परीक्षा में वर्तमान मामलों का क्या महत्व है।

*सिविल सेवा परीक्षा में वर्तमान घटनाओं या सीधे उससे जुड़े प्रश्न पूछे जा सकते हैं। आप वर्तमान घटनाओं का उपयोग उदाहरणों के लिए कर सकते हैं जो आपके उत्तर में आपके द्वारा उठाए गए रुख को स्पष्ट कर सके।*

करेंट अफेयर्स का वर्गीकरण:

♦सरकारी योजनाएं और नीतियां
♦विज्ञान और तकनीक
♦भारत के अंतरिक्ष मिशन और रक्षा प्रणाली
♦अंतर्राष्ट्रीय संस्थान जैसे विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन, आईएमएफ, संयुक्त राष्ट्र आदि।
♦अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ
♦अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक और पर्यावरण संबंधी पहल
तथा वर्तमान राष्ट्रीय समाचार||

*यूपीएससी सिविल सेवाओं की परीक्षा में वर्तमान मामलों के लिए विषय-आधारित नोट तैयार करने और अध्ययन करने से संबंधित खबरों का अध्ययन करने के सुझावों के लिए नीचे दिये गये सुझाव व स्रोत पढ़ें:*

*भूगोल*: हिमशैल पिघल

ने, एल नीनो / ​​ला नीना (El Nino/La Nina) आदि पर अखबारों की रिपोर्ट।
*भारतीय सोसाइटी*: महिला मुद्दे, समाचारों में महिला संगठन, आबादी के मुद्दे, क्षेत्रवाद, सांप्रदायिकता, गरीबी के मुद्दों और योजनाएं वैश्वीकरण और महिलाओं, प्रवासियों आदि जैसे विशेष समूहों पर इसके प्रभाव।
*सामाजिक न्याय*: एनजीओ, संघ बजट, स्वास्थ्य और शिक्षा से शिक्षा के मुद्दों, खाद्य सुरक्षा मुद्दों आदि से कल्याण योजनाएं आदि।
*शासन*: योजना पत्रिका की रिपोर्ट व लेख।
*अंतरराष्ट्रीय मामले*: समाचार पत्र, समाचार वेबसाइटें।
*भारतीय अर्थव्यवस्था*: समाचार चैनलों, लोकसभा, राज्यसभा टीवी, आर्थिक सर्वेक्षण, संघ बजट, सरकार की पहल, कृषि, बुनियादी ढांचा, बिजली आदि में चर्चा।
*विज्ञान और तकनीकी*: द हिंदू अखबार व साइंस रिपोर्टर पत्रिका।
*आंतरिक सुरक्षा*: भारतीय सुरक्षा, आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, उन्हें रोकने के लिए सरकार के उपाय, आदि।
*आचार विचार*: कॉर्पोरेट जासूसी, भ्रष्टाचार, आदि के उदाहरण।
*द हिंदू समाचार पत्र*: सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों के लिए तैयार करने के लिए द हिंदू अखबार सबसे अच्छे स्रोतों में से एक है तथा इसके संपादकीय और राय भाग में विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों और नीतियों के बारे में एक विस्तृत विवरण और विचार प्राप्त हो जाता है। इसके अतिरिक्त पर्यावरण संबंधी मुद्दों- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दे और नीतियां, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, आर्थिक विकास और नीतियां, विज्ञान और प्रौद्योगिकी इत्यादि। *इसका हर रोज़ वैज्ञानिक विकास खण्ड बहुत उपयोगी है।*

*द इंडियन एक्सप्रेस*: इसमें अंतरराष्ट्रीय संबंधों प्रकाशित लेख अन्य अखबारों की तुलना में अच्छे माने जाते हैं। *इंटरनेशनल रिलेशन्स (IR)* के लिये कई महत्वपूर्ण जानकारियां इससे तैयार की जा सकती हैं।


*आपको यह सीखना चाहिए कि अख़बारों और अन्य स्रोतों से पढ़ी जाने वाली जानकारी को यूपीएससी पाठ्यक्रम से जोड़कर उत्तर कैसे बनाया जाए जो विश्लेषणात्मक दृष्टिकोणों से उपयुक्त हो। वर्तमान मामलों के लिए पाठ्यक्रम की संपूर्ण जानकारी होना महत्वपूर्ण है, ताकि जब आप स्रोतों के माध्यम से जानकारी के लिए अध्ययन करें तो आप तुरंत उस खबर को संबंधित विषय से जोड़ सकते हैं और अपने मौजूदा मामलों के फाइल में संबंधित समाचारों को संक्षेप में नोट सकते हैं।*

*वर्तमान मामलों के लिए स्रोतों की विस्तृत सूची*

♦द हिंदू अख़बार
♦फ्रंटलाइन पत्रिका
♦प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB)
♦योजना और कुरुक्षेत्र
♦लाइव मिंट न्यूज
♦अखिल भारतीय रेडियो समाचार चर्चा
♦मन की बात (प्रधान मंत्री द्वारा)
♦राज्य सभा और लोकसभा टीवी
♦सरकारी मंत्रालयों की वेबसाइट
♦इंडिया ईयर बुक
♦आर्थिक सर्वेक्षण
♦मैनोरमा ईयरबुक
♦मथुब्रूमी ईयरबुक
♦प्रतियोगिता दर्पण पत्रिका


Wednesday, June 17, 2020

यूपीएससी_परीक्षा_में_सफलता_का_राज

यूपीएससी_परीक्षा_में_सफलता_का_राज

1. नियोजित अध्ययन, कड़ी मेहनत और आंतरिक प्रेरणा सफलता की कुंजी है।
2. सशक्त इच्छाशक्ति और ईश्वर पर विश्वास सफलता की कुंजी है।
3. कड़ी मेहनत, ध्यान केंद्रित दृष्टिकोण और भगवान पर विश्वास कदम आगे बढ़ रहे हैं- सफलता के लिए पत्थर
4. कड़ी मेहनत, अच्छी योजना और सकारात्मक दृष्टिकोण
5. समर्पण, समय प्रबंधन और कड़ी मेहनत सफलता के रहस्य हैं।
6. आत्मविश्वास, नियोजन और व्यवस्थित अध्ययन सफलतापूर्वक कदम उठा रहे हैं।
7. प्रेरणा और आत्मविश्वास सफलता की कुंजी हैं
8. निर्धारण, सकारात्मक दृष्टिकोण - सफलता की कुंजी
9. धैर्य, विकल्प का चयन, कड़ी मेहनत और शुभकामनाएँ।
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कठोर परिश्रम:
याद रखें कि कड़ी मेहनत के लिए कोई विकल्प नहीं है। कोई भी नहीं आएगा और आपकी सहायता करेगा। आपको अपने पूरे पाठ्यक्रम को पूरा करना होगा सिविल सेवा प्रतियोगिता एक मैराथन दौड़ की तरह है इसके लिए किसी भी प्रतियोगी परीक्षा / यहां तक ​​कि यह पूरी दुनिया एक प्रतियोगी दुनिया है। सिविल सेवाओं की उम्मीदवार अच्छी तरह से शिक्षित हैं और 50% से अधिक उम्मीदवार गंभीर हैं। एक, जिसने आत्मविश्वास दिया है कि वह इस परीक्षा में सफल हो सकता है और सफल हो सकता है, केवल तभी दिखाई देगा। यूपीएससी के आँकड़ों में यह भी पता चलता है कि कुल आवेदकों के लगभग 50% केवल प्रारंभिक परीक्षा में दिखाई देते हैं।

गंभीर उम्मीदवारों में से 50 प्रतिशत के बीच, 20 प्रतिशत से ज्यादा कड़ी मेहनतकश हैं, यानी 50,000 से ज्यादा उम्मीदवार प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, जो वास्तव में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। सभी में लगभग 400 पद हैं तो, इसे 400 में बनाने के लिए, वास्तव में वास्तविक कड़ी मेहनत, अच्छे लेखन कौशल, अनूठी शैली को एक साथ रखा जाना चाहिए। यह एक विश्वविद्यालय परीक्षा नहीं है जो कोई अतिरिक्त कड़ी मेहनत, अभ्यास और अनूठी प्रस्तुति देता है, वह सफल होगा यानी शीर्ष 400 में से होगा। इसलिए सभी सफल उम्मीदवारों ने सफलता के लिए कड़ी मेहनत की पहली पूर्व-आवश्यकताएं दीं।

सफलता और कड़ी मेहनत के लिए कोई कम कटौती नहीं है, कभी भी अप्रत्याशित न हो। तैयारी के दौरान कई उतार-चढ़ाव हैं यह "डाउन" है जिसे अधिक सख़्त और कुशलता से निपटने की जरूरत है - भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर और अधिक। इन पंक्तियों को याद रखें - "आप वर्षों तक निर्माण करते हैं, एक पल में तोड़ा जा सकता है - वैसे भी निर्माण करें"।

*निष्ठा:*
अपने कर्तव्य की ओर समर्पण हमेशा जीवन में भुगतान करता है अपनी पढ़ाई में पूरी तरह से समर्पित और केंद्रित रहें। बड़ी चीजों को प्राप्त करने के लिए आपको अपने जीवन के इस स्तर पर कुछ ऐसी फिल्में, पार्टियां, और मनोरंजन आदि का त्याग करना है। बस दिन और दिन बाहर काम करते हैं और आगे चलते हैं जैसा कि पिछले विषय में बताया गया है, किसी को लक्ष्य के प्रति समर्पण होना चाहिए अन्यथा ये हासिल करना बहुत कठिन है। मानक अध्ययन पुस्तकों का चयन करें / नोट्स तैयार करना, पढ़ने के रूप में ही इस अवधि के दौरान आपके पास एकमात्र मनोरंजन होना चाहिए।

*धैर्य :*
चूंकि सीएसई तैयारी एक वर्ष का न्यूनतम, प्रारंभिक चरण से साक्षात्कार के राज्य तक फैल जाती है, इसके लिए आपको अपने गति को बनाए रखने के लिए बहुत धैर्य की आवश्यकता होती है। कभी-कभी आप अपनी तैयारी के दौरान थका हुआ और आगे पढ़ाई के बीमार महसूस कर सकते हैं। अध्ययन के एकरसता को तोड़ने के लिए अपने शांत और धैर्य बनाए रखें। दोस्तों और माता-पिता से बात करें वे आपके साथ बहुत आवश्यक भावनात्मक समर्थन प्रदान करेंगे। प्रत्येक उम्मीदवार पहले प्रयास में खुद को शीर्ष करने की कोशिश करता है यदि आप के माध्यम से नहीं मिलता है, निराश मत हो अपनी गति को धीमा न करें और साथ ही आपको सफलता के फल काटने के लिए दूसरे वर्ष के लिए धैर्य रखना चाहिए। इसलिए सफलतापूर्वक तैयारी की अवधि के दौरान किसी को धीरज और गति को नहीं खोना चाहिए।

*आत्मविश्वास:*
आपका आत्मविश्वास फर्क पड़ सकता है यदि आप अपने आप में विश्वास नहीं करते हैं और तब प्राप्त करने की आपकी क्षमता, चाहे आप कितना मुश्किल हो आप असफल रहने का अंत करेंगे तो आपका आत्मविश्वास हमेशा एक उच्च स्तर पर होना चाहिए - हमेशा आप लोगों की कंपनी में होना चाहिए, जो आपके प्रेरक स्तर को बढ़ा सकते हैं और आप को प्रेरित कर सकते हैं। नज़दीकी मित्रों के एक समूह का निर्माण करें, जो निर्धारित किए गए हैं कि आप इसे सिविल सेवा परीक्षा में बना सकते हैं। अच्छे दोस्त रखें, वे हमेशा प्रेरणा और प्रेरणा का स्रोत हैं।

*भगवान / भाग्य में विश्वास:*
1. सिविल सेवाओं को पारित कर दिया गया है / मंजूरी दे दी है / सबसे ज्यादा उम्मीदवारों ने इसे सफलता की एक प्रमुख कुंजी के रूप में जोड़ दिया है। क्यों हर कोई कहता है इसके पीछे एक कारण है अप्रत्याशित कारण नीचे सूचीबद्ध हैं:

2. आम तौर पर, उम्मीदवार एक मानक फार्मूला स्वीकार करते हैं, जो एक बार आइंस्टीन के बारे में कहा गया था - "जीनियस 90 प्रतिशत पसीना और 10 प्रतिशत प्रेरणा" है। कुछ लोग कह सकते हैं कि यह 99 फीसदी कड़ी मेहनत और 1 फीसदी भाग्य है। यह अच्छी तरह से कूदने जैसा है चाहे वह 90 प्रतिशत या 99 प्रतिशत हो, तो केवल एक ही घाटा होगा 1 से 10 प्रतिशत भिन्नता के लिए कारक क्या हैं व्यक्ति से अलग

3. यह अक्सर ऐसा होता है कि एक विषय को छोड़कर सभी विषयों को अच्छी तरह से पढ़ाया जाता है, जैसा कि उसने सोचा कि वह विषय उसके लिए अच्छी तरह से जाना जाता है। परीक्षा में सवाल उस विषय से स्वयं प्रकट हो सकता है उम्मीदवार संतुष्ट रूप से सवाल का जवाब देने में सक्षम नहीं हो सकता है, लेकिन उसके पास उसके नियंत्रण के तहत इतना अधिक है

4. कुछ समय पूर्व में, अनजाने में, उम्मीदवार गलत विकल्प को चिह्नित करते हैं, हालांकि उन्हें जवाब पता है। यह एक मानसिक गलती है उम्मीदवार को अधिक सतर्क होना चाहिए था इसलिए, मानसिक चेतावनी सार का है। यह उम्मीदवार के नियंत्रण में भी एक संकाय है। प्रीमिम्स में, यदि आप संदेह में हैं, तो आप दो समान विकल्पों के बीच भ्रमित होने के लिए बाध्य हैं। इसलिए, प्रश्न को ध्यान से समझें और किसी भी विकल्प को न मानें, जब तक आप प्रश्न के संदर्भ में प्रत्येक विकल्प को सावधानी से संतुलित नहीं करते।

5. मुख्य करने के लिए, आपके नौ कागज़ात हैं भाषा के कागजात को छोड़ दें क्योंकि वे एक योग्यता प्रकृति के हैं और मुख्य परीक्षा के स्कोर पर नहीं जोड़ा जा रहे हैं इसके अलावा, भाषा ऐसा कुछ नहीं है जिसे रातोंरात तैयार किया जा सकता है। नियमित रूप से समाचार पत्रों और पत्रिकाओं को नियमित रूप से पढ़ना जारी रखें। अन्य सात कागजात प्रकृति में अलग होने जा रहे हैं

6. यद्यपि यूपीसीसी द्वारा की गई चाबी यद्यपि दी गई है, यह निश्चित नहीं है कि मूल्यांकनकर्ता अलग-अलग विद्यार्थियों को एक ही अंक के लिए उसी अंक का पुरस्कार देगा या नहीं।

7. एक मूल्यांकनकर्ता श्री ए की शैली को पसंद कर सकता है, लेकिन वह भी श्री बी के उत्तर को पसंद नहीं कर सकते हैं, हालांकि अंक समान हैं, लेकिन प्रस्तुति की शैली अलग है

8. मुख्य साधन भी एक इंसान है; वह हमेशा एक ही तरीके से उसी अंक को पुरस्कार देने के लिए व्यवहार नहीं कर सकता है। मूल्यांकनकर्ता एक मशीन नहीं है, जो समान रूप से व्यवहार करेगा और हर समय एक ही मूड में है।

9. पेपर के सुधार के समय मूल्यांकन और मूल्यांकनकर्ता की मनोदशा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

10. सभी सात कागजात विभिन्न व्यक्तित्वों के पास जाते हैं और मूल्यांकनकर्ताओं की क्षमता भी एक समान नहीं है।

11. एक व्यक्ति सभी कागजात का मूल्यांकन नहीं करता है विभिन्न पृष्ठभूमि के विभिन्न मूल्यांकनकर्ताओं ने एक ही विषय का मूल्यांकन किया। वहां बहुत ही मज़ेदार और कठिन लोग भी मौजूद हैं। मान लीजिए कि कोई मूल्यांकनकर्ता एक प्रश्न के लिए एक अंक देने के लिए थोड़ा उदार है। एक साथ रखे सभी कागजात उम्मीदवार के लिए एक और 30 अंक अधिक जोड़ देंगे जो मेरिट सूची में आपके अंतिम स्थान पर वास्तव में अंतर की दुनिया बना सकते हैं। इस तरह के प्रतियोगिता में, एक अंक भी अंतर बना सकता है।

12. साक्षात्कार के चरण में भी, बोर्ड के अध्यक्ष और विभिन्न पृष्ठभूमि वाले सदस्य बोर्ड में बैठते हैं। दो अलग-अलग बोर्डों में एक व्यक्ति को समान अंकों की संख्या को देना असंभव है। यहां सवाल उठाया, समय, बोर्ड के सदस्य एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

13. एक साक्षात्कार के 30-40 मिनट का एक छात्र की क्षमता का न्याय करने का सबसे अच्छा तरीका नहीं है।

14. कई बार, परिचित प्रश्न, जो उम्मीदवार के लिए दिलचस्प लगते हैं, पूछा जा सकता है कि निश्चित रूप से उम्मीदवारों के लिए क्या बढ़त होगी। दूसरी बार, बोर्ड से पहले भी उम्मीदवार द्वारा अच्छे उत्तर भी व्यक्त नहीं किए जा सकते हैं।

15. अच्छी तरह से ज्ञात मामले हैं जहां उम्मीदवार को अलग-अलग अंक दिए गए थे, जो एक परीक्षा से दूसरे तक 100 के दशक में अलग-अलग थे। एक व्यक्ति को पहले प्रयास में 210/300 अंक मिले, वही व्यक्ति को साक्षात्कार में 150/300 की अगली कोशिश में मिला। निष्कर्ष क्या हो सकता है? क्या हम निष्कर्ष निकालते हैं कि एक ही व्यक्ति एक वर्ष की अवधि में खराब हो गया है? नहीं, यहां उनके सामने दिए प्रश्न उनसे अलग हैं जो पिछले वर्ष में पेश किए गए थे।

16. सबसे ऊपर, परीक्षा के दौरान एक को अच्छे स्वास्थ्य रखना चाहिए। यद्यपि यह आपके नियंत्रण में हो सकता है, कुछ चीजें एक के नियंत्रण से बाहर हैं। इससे उम्मीदवार की सफलता की संभावना बढ़ सकती है।

17. उपरोक्त कारणों के लिए, उम्मीदवार कहते हैं कि भाग्य / भगवान की कृपा से भी एक प्रमुख भूमिका निभाता है। इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में बड़ी सफलता के लिए उनके पक्ष में उपर्युक्त कारकों को भी खेलना चाहिए। निष्कर्ष यह है कि अगर आपको विफलता का सामना करना होगा तो आपको चिंता नहीं करनी चाहिए अनियंत्रित कारक हैं, जो हमारे ज्ञान के बिना भी हमारे साथ खेलते हैं, इसलिए कड़ी मेहनत और अतिरिक्त कड़ी मेहनत करें और बाकी को सर्वशक्तिमान को छोड़ दें।

18. फिर भी, याद रखें कि कड़ी मेहनत के लिए कोई विकल्प नहीं है। और यह भी मानना ​​है कि भगवान आपके पक्ष में हैं और पूरा दृढ़ संकल्प और बुद्धिमान अध्ययन और अभ्यास के साथ आगे बढ़ें, जो आपके लिए सफलता लाएगा।

कितनी_होती_है_IAS- IPS_की_सैलरी,

कितनी_होती_है_IAS- IPS_की_सैलरी


जानें_कौन_है_ज्यादा_पावरफुल?

यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) की परीक्षा सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक मानी जाती है. हर साल लाखों उम्मीदवार इस परीक्षा को देते हैं और सपना देखते हैं कि IAS या IPS का पद हासिल करेंगे. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं IAS और IPS में से कौन सा पद ज्यादा शक्तिशाली होता है और क्यों. आइए जानते हैं पूरी जानकारी IAS यानी इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस, जिसके जरिए आप ब्यूरोक्रेसी में एंट्री करते हैं. आईएएस में चुने गए उम्मीदवार विभिन्न मंत्रालयों-विभागों या जिलों के मुखिया होते हैं. आईएएस अफसर भारतीय नौकरशाही के सबसे बड़े पद कैबिनेट सेक्रेटरी तक भी जा सकते हैं.
वहीं IPS यानी इंडियन पुलिस सर्विस के जरिए आप पुलिस महकमे के आला अफसरों में शुमार होते हैं. इसमें ट्रेनी आईपीएस से डीजीपी या इंटेलिजेंस ब्यूरो, सीबीआई चीफ तक पहुंचा जा सकता है. यूपीएससी परीक्षा के 3 माध्यम से आयोजित की जाती है. जिसमें 3 लेवल होते हैं. 1. प्रीलिम्स, 2. मेंस परीक्षा , 2. इंटरव्यू.
#जानें- #IAS_और_IPS_में_अंतर
IAS का कोई ड्रेस कोड नहीं होता. वह हमेशा फॉर्मल ड्रेस में रहते हैं, लेकिन एक IPS हमेशा ड्यूटी के दौरान वर्दी पहनते हैं. वहीं एक IAS के साथ एक या दो अंगरक्षक मिलेंगे. वहीं एक IPS के साथ पूरी पुलिस फोर्स चलती है. जब IAS बनते हैं तो एक मेडल दिया जाता है. इसके विपरीत जब IPS बनते हैं को स्वॉर्ड ऑफ ऑनर अवॉर्ड से सम्मानित किया जाता है.
#क्या_है_IAS_और_IPS_के_कार्य
एक IAS अधिकारी लोक प्रशासन और नीति निर्माण और कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होता है. यानी सरकार जो नीतियां बनाती है उन्हें लागू करवाने काम एक IAS अधिकारी का होता है. वहीं एक IPS अधिकारी कानून और व्यवस्था बनाए रखने और क्षेत्र में अपराध रोकने की जिम्मेदारी लेता है.
#कैसे_होती_है_ट्रेनिंग
IAS तथा IPS की शुरू के 3 महीने की ट्रेनिंग लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में ही होती है. जिसे फाउंडेशन कोर्स भी कहते हैं. उसके बाद IPS प्रशिक्षुओं को सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (SVPNPA) हैदराबाद भेज दिया जाता है जहां उन्हें पुलिस की ट्रेनिंग दी जाती है. हम पहले ही बता चुके हैं जो उम्मीदवार IAS ट्रेनिंग में टॉप करता है उन्हें मेडल और IPS ट्रेनिंग में टॉप करने वाले उम्मीदवार को Sword of Honour दिया जाता है. वैसे तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो IPS की ट्रेनिंग ज्यादा मुश्किल होती है. इसमें घुड़सवारी, परेड, हथियार चलाना शामिल होता है.
#कैडर_नियंत्रण_प्राधिकरण
ये पता होना जरूरी है कि IAS और IPS में नियंत्रणकर्ता कौन है. वहीं IAS का नियंत्रणकर्ता कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय होता है. वहीं IPS का नियंत्रणकर्ता गृह मंत्रालय होता है.
#डिपार्टमेंट_और_सैलरी
एक IAS अधिकारी को सरकारी विभाग और कई मंत्रालयों का काम दिया जा सकता है. वहीं IPS अधिकारी पुलिस विभाग में काम करता है. वहीं अगर सैलरी की बात करें तो IAS की सैलरी IPS से ज्यादा होती है. सातवें पे कमीशन के बाद की बात करें तो एक IAS का वेतन 56,100 से 2.5 लाख रुपये प्रति माह होता है. इसके साथ कई सुविधाएं भी दी जाती हैं. वहीं IPS का वेतन 56,100 रुपये प्रति माह से लेकर 2,25,000 रुपये प्रति माह तक हो सकता है. आपको बता दें, एक क्षेत्र में IAS एक ही होता है वहीं IPS एक से अधिक हो सकते हैं. पदानुक्रम रैंक की बात करें तो IAS सर्वोच्च रैंक है. आपको बता दें, एक IAS ही किसी जिले का DM बनता है. वहीं एक जिले में SP एक IPS ही बनता है.
पदानुक्रम रैंक की बात करें तो IAS सर्वोच्च रैंक है. आपको बता दें, एक IAS ही किसी जिले का DM बनता है. वहीं एक जिले में SP एक IPS ही बनता है.
#जानें- #कौन_ज्यादा_शक्तिशाली_है
IAS तथा IPS दोनों ही सेवाओं का जॉब प्रोफाइल बहुत ही सर्वोच्च होता है और दोनों ही बहुत शक्तिशाली पद हैं. लेकिन IAS एक डीएम के रूप में काफी ज्यादा शक्तिशाली होता है. वहीं एक IPS के पास केवल अपने विभाग की जिम्मेदारी होती है. डीएम के रूप में एक IAS अधिकारी, पुलिस विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों का भी मुखिया होता है.
कुछ कारणों से IPS से ज्यादा शक्तिशाली IAS को माना जाता है. पहला कारण ये है कि राज्य का Director General of Police (DGP) राज्य का एक शक्तिशाली पुलिस अधिकारी होता है. लेकिन उसे गृह सचिव को रिपोर्ट करना पड़ता है.
वहीं सचिव रैंक का जो अधिकारी होता है, वह एक IAS अधिकारी होता है. ऐसे में IPS अपनी रिपोर्ट IAS को रिपोर्ट करते हैं. वहीं अक्सर देखा जाता है CBI, CRPF, BSF जैसे केंद्रीय पुलिस बलों के सभी प्रमुख IAS सचिवों को रिपोर्ट करते हैं. ऐसे में एक IPS को IAS के अंडर काम करना पड़ता है. आपको बता दें, DGP को गृह सचिव को रिपोर्ट करने की आवश्यकता होती है और गृह सचिव DGP का बॉस नहीं है. वह एक दूसरे के साथ समन्वय में काम करते हैं.

फार्म_भरने_से_लेकर_आईएस_बनने_तक_का_संपूर्ण_जानकारी

फार्म_भरने_से_लेकर_आईएस_बनने_तक_का_संपूर्ण_जानकारी 

यूपीएससी का परीक्षा तीन चरणों में होता है---
1) Preliminary Exam
2)Mains Exam
3) Interview/Personality Test
#Notification
हर साल Union Public Serice Commission फरवरी माह में सिविल सर्विसेज का Notification प्रकाशित करता है जिसमे IAS के साथ साथ लगभग 24 Central Civil Services के लिए भी Notification दिया जाता है!भारत में  IAS – Indian Administrative Service, IPS - Indian Police Service तथा IFS -Indian Forest Service को ऑल इंडिया सर्विस कहा जाता है।  बाकि की सर्विस Central Civil Services में आती हैं । इनमे शीर्ष पर IFS – Indian Foreign Service होती है!
IAS परीक्षा में हर साल लगभग 8-10 lakh अभ्यर्थियों फॉर्म भरते है लेकिन केवल 1000 अभ्यर्थियों का चयन होता है! इसका अर्थ यह है की पासिंग परसेंटेज बहुत ही कम रहता है. और यदि सीटें कम हुई तो पासिंग परसेंटेज और भी कम हो जाता है. पिछले कुछ सालों से इस विज्ञापन में लगभग 1000 सीटें विज्ञापित की जाती है तथा अंतिम मेरिट के अनुसार सभी चयनित अभ्यर्थियों को उनके क्रम अनुसार सर्विसेज प्रदान की जाती हैं!
#Eligibility
#नागरिकता
इस परीक्षा में भारतीय नागरिकों के साथ साथ तिब्बत के रिफ्यूजी , नेपाल तथा भूटान के नागरिक भी शामिल हो सकते हैं परन्तु IAS तथा IPS में भर्ती के लिए, अभ्यर्थी को भारत का नागरिक होना अनिवार्य है. इस परीक्षा में भारतीय मूल के लोग जो अलग अलग देशों में हैं, वह भी शामिल हो सकते हैं!
#शैक्षिक_योग्यता
इस परीक्षा के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से किसी भी विषय में ग्रेजुएट होना अनिवार्य है, फाइनल वर्ष appearing वाले छात्र भी इस परीक्षा में भाग ले सकते हैं. इस परीक्षा की ख़ास बात यह है की ग्रेजुएशन में किसी भी #मिनिमम_पर्सेंटेज_की_रिक्वायमेंट_नहीं_होती। साथ ही साथ किसी भी सब्‍जेक्‍ट की अनिवार्यता नहीं होती है। किसी भी विषय के ग्रेजुएट इस परीक्षा में भाग ले सकते हैं!
#आयु_सीमा
इस परीक्षा के लिए अभ्यर्थी को 21 साल की न्यूनतम आयु का होना अनिवार्य है!अलग अलग श्रेणीओं के लिए अलग अलग अधिकतम आयू सीमा निर्धारित की गयी है! सामान्य श्रेणी के लिए 32 वर्ष , अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 35 वर्ष और एससी व एसटी के लिए 37 वर्ष तक की आयु निर्धारित की गयी है। विकलांग श्रेणी में और भी ज्यादा छूट दी जाती है. आयु की गणना विज्ञापित वर्ष की दिनांक 1 अगस्त से की जाती है!
#फॉर्म_भरने_पर_प्रतिबंध
जो अभ्यर्थी पिछली किसी भी परीक्षा में IAS- Indian Administrative Service या IFoS - Indian Foreign Service में सेलेक्ट हो चुके है वे अभ्यर्थी फॉर्म नहीं भर सकते हैं!
#फॉर्म_भरने_से_जुड़े_कुछ_महत्वपूर्ण_तथ्य
फॉर्म भरते समय अभ्यर्थी को सभी Basic information जैसे नाम, पिता का नाम, माता का नाम इत्यादि भरने होते हैं. सिविल सेवा प्रारम्भिक परीक्षा के लिए सेंटर भी अंकित करना होता है. यह परीक्षा देश के 72 शहरों के विभिन्न केन्द्रों पर एक साथ आयोजित की जाती है!फॉर्म भरने के लिए एक महीने का समय मिलता है जिसकी सारी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है!
ख़ास बात यह है की अभ्यर्थियों को सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का optional subject भी फॉर्म भरते समय बताना होता है. Notification  में 26 optional subjects की सूची में से किसी एक का चुनाव करना होता है तथा फॉर्म में अंकित करना होता है. फॉर्म भरते समय आपको अपना परीक्षा का माध्यम भी बताना होता है! आप हिन्‍दी और इंग्लिश दोनों में से किसी भी माध्यम में परीक्षा दे सकते हैं।
फॉर्म भरते समय आपको अपनी पसंद की Services को क्रमवार बताना होता है! इसे service preference भी कहते हैं! साथ ही साथ आपको अपनी पसंद के राज्यों की सूचि भी क्रमबद्ध रूप में देनी होती है की आप कहाँ सर्विस करना पसंद करेंगे! इसके लिए आपसे फॉर्म भरते समय कोई प्रश्न नहीं पुछा जाता.!
UPSC pre exam के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है इच्छुक उम्मीदवार 18 मार्च तक फार्म भर सकते हैं !
#Fee
सामान्य और पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों ( Male) के लिए फार्म फीस ₹100 लगता है.!
महिला उम्मीदवारों की कोई भी Form Fee नहीं लगता.!
Sc/St/ PH उम्मीदवारों की Form Fee  नहीं लगता !
#Attempts
इस परीक्षा में हर श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए अटेंप्‍ट निर्धारित किये गए हैं . अटेंप्‍ट का मतलब है की किसी भी श्रेणी के अभ्यर्थी, इस परीक्षा में कितनी बार शामिल हो सकते हैं। #सामान्य_श्रेणी_के_लिए_6_Attempts निर्धारित हैं । #अन्य_पिछड़ा_वर्ग_के_लिए_9_Attempts_और_एससी_एसटी_के_लिए_कोई_सीमा_नहीं_है  ( Unlimited attempts till 37 year of age ) ध्‍यान देने वाली बात यह है की  फॉर्म भरने को Attempt काउंट नहीं किया जाता । प्रारम्भिक परीक्षा के किसी भी एक पेपर में सम्मिलित होने को Attempt मान लिया जाता है!
#परीक्षा_प्लान
UPSC, इस परीक्षा को दो चरणों में आयोजित करता है :- पहला चरण है प्रारम्भिक परीक्षा तथा दूसरा चरण है मुख्य परीक्षा. मुख्य परीक्षा के दो भाग होते है – पहला मुख्य लिखित परीक्षा तथा दूसरा इंटरव्यू चरण!पहले चरण को प्रारम्भिक परीक्षा कहते हैं तथा इसके मार्क्स फाइनल मेरिट में नहीं जोड़े जाते हैं. यह परीक्षा सिर्फ अभ्यर्थियों की संख्या कम करने के लिए है  इसलिए qualifying मात्र है . मुख्य परीक्षा के दोनों भागों में अर्जित मार्क्स के आधार पर फाइनल मेरिट लिस्ट बनती है!
#सिवील_सेवा_प्रारम्भिक_परीक्षा_का_Syllabus
सिवील सेवा प्रारम्भिक परीक्षा में दो पेपर होते है! फर्स्‍ट पेपर में जनरल स्‍टडीज के सारे एरिया कवर होते हैं। ये सारे टॉपिक जैसे History, Geography, Economy, Current Events, General Science, Environment, Technology Indian Polity and Governance आदि होते है । जबकि सेकेंड पेपर यानि aptitude में एसएससी, बैंकिंग एग्‍जाम टाइप के क्‍वेश्‍चन रहते हैं। जैसे कांप्रिहेंसिव, लॉजिकल रीजनिंग, बेसिक न्‍यूमेरेसी आदि होते हैं।
#सिवील_सेवा_प्रारम्भिक_परीक्षा
सिविल सेवा परीक्षा का पहला पड़ाव सिवील सेवा प्रारम्भिक परीक्षा है जिसे जून माह में संपूर्ण भारत के 72 शहरों के विभिन्न केन्द्रों पर एकसाथ आयोजित किया  जाता है! सिवील सेवा प्रारम्भिक परीक्षा का आयोजन देश की सबसे प्रतिष्ठित संस्था UPSC द्वारा प्रत्येक वर्ष किया जाता है!परीक्षा के लिए लगभग 8-10 लाख लोग फॉर्म भरते हैं तथा लगभग 5 लाख लोग परीक्षा देते हैं! इस परीक्षा में सिलेक्शन के चांसेस कम होने के कारण तथा पेपर के standard के कारण इसे बहुत कठिन परीक्षा माना जाता है!
यह परीक्षा दो पालीयों में आयोजित की जाती है. प्रारम्भिक परीक्षा में दो पेपर होते हैं। पहला सामान्य अध्ययन I है जो की सामान्य अध्ययन विषयों से जुड़ा होता है तथा दूसरा सामान्य अध्ययन II पेपर होता है जो Aptitude से जुड़ा है तथा सिर्फ क्वालीफाई करना होता है तथा प्रारम्भिक परीक्षा की मेरिट में इसके नंबर नहीं जुड़ते!
पहले पेपर में 100 Questions होते है तथा 2 घंटे का समय होता है!प्रत्येक प्रश्न 2 मार्क्स का होता है. इसी तरह दूसरे पेपर में 80 Questions होते है तथा 2 घंटे का समय होता है. इस परीक्षा में 1/3 की Negative Marking होती है. इसका अर्थ यह है की एक Question गलत होने पर सही Question पर मिलने वाले मार्क्स का 1/3 मार्क्स काटे जाते हैं!
ध्यान रखने योग्य बात यह है की प्रारम्भिक परीक्षा में पास होना अनिवार्य है तभी आप सिविल सेवा मुख्य परीक्षा देने के लिए योग्य होंगे!
#सिवील_सेवा_मुख्य_परीक्षा/Civil Services Main Exam
IAS Prelims परीक्षा का रिजल्ट जुलाई माह के अंत तक घोषित कर दिया जाता है! (50 days after pre exam result announced) तथा जो भी अभ्यर्थी इसको पास कर लेते हैं उन्हें सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का फॉर्म भरने के लिए दोबारा ऑनलाइन आवेदन करना होता है जिसके लिए लगभग 20 दिन का समय दिया जाता है! इसे Detail Application Form भी कहते हैं. IAS इंटरव्यू में इसका बहुत महत्व होता है. मुख्य परीक्षा लिखित में विज्ञापित सीटों की संख्या के 15 गुना अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है!इस परीक्षा में सभी पेपर सब्जेक्टिव होते हैं तथा सभी की समय सीमा 3 घंटे होती है!
सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में दो तरह के पेपर होते है! एक तो वे पेपर्स जो सभी के लिए समान यानी कॉमन होते हैं और दुसरे ऑप्शनल सब्जेक्ट के पेपर होते है जो की प्रत्येक सब्जेक्ट के लिए अलग होते हैं. अभ्यर्थी ऑप्शनल Subject का चयन करते हैं तथा उसी के पेपर देते हैं!  सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में कुल 9 पेपर होते हैं जिनका टोटल 1750 मार्क्‍स होता है । इसमें आपको 9 में से 7 सब्‍जेक्‍ट में ज्‍यादा फोकस करना है। क्‍योंकि 7 सब्‍जेक्‍ट पेपर्स में से ही मेरिट बनाई जाती है!इंग्लिश तथा सामान्य भाषा का पेपर केवल पास करना होता है तथा इसके मार्क्स नहीं जुड़ते हैं. ख़ास बात यह है की जो माध्यम आपने फॉर्म पर अंकित किया हो उसी माध्यम से आप परीक्षा दे सकते हैं!दूसरे माध्यम से परीक्षा देने पर answer चेक नहीं किया जाता ऐसा निर्देश प्रत्येक पेपर पर लिखा होता है!
English तथा भारतीय भाषा के पेपर में पास होने के लिए सिर्फ 25% अंक लाने होते है!भारतीय भाषा का कंपल्सरी पेपर अरुणाचल प्रदेश,मणिपुर,मेघालय, मिजोरम,नागालैंड तथा सिक्किम के अभ्यर्थियों के लिए अनिवार्य नहीं है! यह दोनों पेपर 300 मार्क्स के होते हैं. शेष सभी पेपर 250 मार्क्स के होते हैं!
#पेपरों_की_संख्या
सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में कुल 9 पेपर होते हैं जिनका टोटल 1750 मार्क्‍स होता है! सामान्य अध्ययन के 4 पेपर होते हैं!एक निबंध का पेपर होता है , एक इंग्लिश का तथा एक भाषा का पेपर भी होता है! दो पेपर ऑप्शनल सब्जेक्ट के होते हैं!यह सारे पेपर्स Weekend में होते हैं इसलिए यह परीक्षा दो हफ्ते तक चलती है. पेपर होने के बाद सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का रिजल्ट  नवंबर महीने में आता है!
#Civil_Services_मुख्य_परीक्षा_Syllabus
Civil Services  Essay Paper – इस पेपर में दिए गए टॉपिक्स में से 3 घंटे में 2 निबंध लिखने होते हैं । प्रत्येक निबंध 125 मार्क्‍स का होता है । पॉलिटिक्‍स, सोसायटी, टेक्‍नोलॉजी, फिलोसोफी  आदि से टॉपिक्स दिए जाते हैं ।
#General_Studies_पेपर_I में इंडियन हिस्‍ट्री, कल्‍चर, वर्ल्‍ड जियोग्रफी और सोसायटी कवर होता है।(Indian Heritage and Culture, History and Geography of the World and Society.)
#General_Studies_पेपर_II में गवर्नेंस, भारत का संविधान,  पॉलिटि, सोशल जस्टिस और इंटरनेशनल रिलेशन से प्रश्न आते हैं ।(Governance, Constitution, Polity, Social Justice and International relations.)
#General_Studies_पेपर_III में टेक्‍नोलॉजी, इकोनॉमिक डेवलपमेंट, बायोडायवर्सिटी, एनवायरमेंट, सिक्‍योरिटी, डिजास्‍टर मैनेजमेंट से प्रश्न आते हैं। (Technology, Economic Development, Biodiversity, Environment, Security and Disaster Management)
#General_Studies_पेपर_IV में Ethics, Integrity and Aptitude है। सामान्‍य शब्‍दों में कहा जाए तो आप क्‍या सोचते हैं, आपके विचार कैसे हैं ।(Ethics, Integrity and Aptitude) किसी घटना को लेकर आप कैसे रिएक्‍ट करते हैं। जैसे खुशी क्‍या है। इसका उत्‍तर अलग-अलग लोगों के लिए अलग अलग होता है । एक सैनिक के लिए मोर्चे पर जीत उसकी खुशी हो सकती है और एक छात्र के लिए एग्‍जाम में टॉप करना खुशी हो सकती है।
#सिविल #सेवा_मुख्य_परीक्षा
सभी General Studies के पपेरों में 20 questions होते हैं जिनका उत्तर 3 घंटे में देना होता है. प्रत्येक 10 मार्क्स के लिए 150 शब्दों की तथा 15 मार्क्स के लिए 250 शब्दों की शब्द सीमा भी निर्धारित की गयी है.परंतु Ethics के पेपर में केस स्टडीज आती हैं इसलिए उसमे सिर्फ 12 प्रश्न ही पूछे जाते है. पेपर का structure फिक्स नहीं होता है और ये किसी भी साल बदल सकता है!
#Optional_Subject_के_पेपर_में 8 Question आते है जिनका 3 घंटे में ही उत्तर देना होता है!
#Optional_Subject_कैसी_चुने
#वैकल्पिक_विषय_का_महत्त्व
👉यह कहना पूर्णत: सही नहीं है कि सामान्य अध्ययन 1000 अंकों का है और वैकल्पिक विषय सिर्फ 500 अंकों का, इसलिये अभ्यर्थियों को सामान्य अध्ययन पर ज़्यादा बल देना चाहिये।
👉ऐसा कहने वाले  शायद वैकल्पिक विषय के रणनीतिक महत्त्व को नहीं समझते। इस परीक्षा में यह बात बिल्कुल मायने नहीं रखती कि किसी अभ्यर्थी को कितने अंक हासिल हुए हैं। महत्त्व सिर्फ इस बात का है कि किसी उम्मीदवार को अन्य प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में कितने कम या अधिक अंक प्राप्त हुए हैं।
👉विगत कुछ वर्षों के परीक्षा परिणामों पर नज़र डालें तो आप पाएंगे कि हिंदी माध्यम के लगभग सभी गंभीर अभ्यर्थियों को सामान्य अध्ययन में 325-350 अंक प्राप्त हुए (2014 की सिविल सेवा परिक्षा में निशांत जैन ने एक अपवाद के रूप में 378 अंक प्राप्त किये थे)। इसके विपरीत, अंग्रेज़ी माध्यम के गंभीर अभ्यर्थियों को इसमें औसत रूप से 20-30 अंक अधिक हासिल हुए, जबकि वैकल्पिक विषय में लगभग सभी गंभीर अभ्यर्थियों को 270-325 अंक हासिल हुए। इस औसत से वैकल्पिक विषय का महत्त्व अपने आप स्पष्ट हो जाता है। ध्यान रहे कि ये लाभ आपको तभी मिल सकता है जब आपने वैकल्पिक विषय का चयन बहुत सोच-समझकर  किया हो।
उम्मीदवारों को वैकल्पिक विषय वही चुनना चाहिए जो उनके ग्रेजुएशन में सब्जेक्ट हो.! #जिस_विषय_में_उनकी_रुचि_है_वही_वैकल्पिक_सब्जेक्ट_को_चुनना_चाहिए!
       सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों की संख्या विज्ञापित सीटों की संख्या से 2.5 गुना होती है! यानी लगभग 15000 में से 2500  ही इंटरव्यू के लिए चयनित होते हैं. ये सिविल सेवा का कठिनतम चरण होता है और यदि यहाँ सिलेक्शन हो गया तो फाइनल सिलेक्शन के चांसेस बहुत बढ़ जाते हैं!
#Personality_टेस्ट_या_IAS_इंटरव्यू
इंटरव्यू, सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का दूसरा भाग होता है! इसे पर्सनालिटी टेस्ट कहते है!यह इंटरव्यू कुल 275 मार्क्स का होता है. इसे सामान्य भाषा में IAS इंटरव्यू भी कहते हैं. इसका सिलेबस निर्धारित नहीं है तथा आपके Detail Application Form (DAF) से अधिकांश प्रश्न पूछे जाते हैं! इसलिए DAF को पूरी सावधानी और पूरी सच्चाई के साथ भरनी चाहिए.!
  IAS इंटरव्यू के लिए अभ्यर्थी को UPSC की Delhi स्थित धोलपुर हाउस बिल्डिंग में आना  होता है. यहाँ अभ्यर्थियों के सभी ओरिजिनल डाक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन किया जाता है तथा एक कॉमन हाल में बैठा दिया जाता है. UPSC के मेम्बेर्स की अध्यक्षता में एक इंटरव्यू पैनल बनाये जाते हैं जो की अभ्यर्थियोंअ का इंटरव्यू लेते हैं. इंटरव्यू पैनल में देश की विभिन्न क्षेत्रों  से जुड़े दिग्गजों को आमंत्रित किया जाता है. IAS Interview में अभ्यर्थी का confidence, attitude तथा प्रॉब्लम सोल्विंग स्किल्स चेक की जाती हैं. यहाँ अभ्यर्थी की personality का सब्जेक्टिव असेसमेंट किया जाता है तथा अधिकतम 275 मार्क्स में से मार्क्स दिए जाते हैं!
#आईएस_के_Interview_में_फेल_हो_जाने_पर_भी_नौकरी_मिलेगी_इस_पर_अभी_सरकार_विचार_कर_रहा_है !
#IAS_Toppers_के_Interview_अनुभवों_को_जानें
सिविल सेवा के इंटरव्यू लगभग 20 दिन तक चलते हैं तथा इंटरव्यू ख़त्म होने के 10 दिन के बाद ही फाइनल रिजल्ट आ जाता है. फाइनल मेरिट लिस्ट इंटरव्यू तथा  सिविल सेवा मुख्य परीक्षा लिखित के मार्क्स मिलकर बनती है. इसका अर्थ यह है की अधिकतम 2025 मार्क्स में से फाइनल मेरिट लिस्ट बनती है जिसके आधार पे सर्विसेज प्रदान की जाती है. लगभग 100 रैंक तक के अभ्यर्थियों को IAS सेवा मिल जाती है!
रिजल्ट के कुछ दिन बाद UPSC अपनी रिकमेन्डेशनस को Ministry of Personnel को भेजता है जिसके बाद ही सबको appointment letter जारी किये जाते है. जो अभ्यर्थी फाइनल रिजल्ट में जगह नहीं बना पाते हैं उन्हें पूरी प्रक्रिया से फिर से गुजरना होता है!
तो यह था सिविल सेवा के फॉर्म भरने से लेकर सिलेक्शन तक का सफ़र आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा


UPSC के लिए #टाइम_टेबल कैसे बनाएं...

अब मैं सभी के schedule को एक साथ explain करना चाहूँगा…ये सभी पर apply होगा जो new, old या seasoned प्लेयर्स हैं…
#पहला_है... 6 से 8 घंटे की पढ़ाई पर्याप्त होगी . मगर पहले आप 3 से 4 घंटे से शुरुआत करें…धीरे धीरे इस time को बढायें….अचानक आज से ही 8 घंटे आप पढ़ने लगोगे तो आपके लिए ये ठीक नहीं होगा, आप थकावट महसूस करोगे और सब कुछ छोड़-छाड़ कर बैठ जाओगे...
Prelims के ठीक एक साल पहले तैयारी करना ठीक रहता है. जैसे इस बार prelims यदि June में है…तो आप तैयारी पिछले June से प्रारम्भ करो...
NCERT textbooks आपके basics को मजबूत करते हैं.. भले इनसे सवाल आये या न आये पर आपको एक क्लियर आईडिया मिलता है कि आप जिस नदी में डूबे हो उसका पानी खारा है या मीठा…
बाद में आपका कल्याण high quality बुक्स ही करने वाली है ….polity के Laxmikant या ऐसे ही हर सब्जेक्ट की high standard books जो अक्सर toppers भी recommend करते आये हैं …
अपने time-table में previous year questions को शामिल करना न भूलें तो अच्छा होगा…previous year questions analysis भी बहुत जरुरी होती है जिससे आपको आईडिया मिलता है….खासकर जब कोई बुक पढ़ रहे होते हो..तो आपको लगता है अरे यार इसी टाइप का question तो आता है….और ये सोच कर आप झट से पेंसिल से उस sentence को underline कर देते हो…
prelims exam के date तक में आपको ज्यादा से ज्यादा mock test देना चाहिए...
जो आपने पिछले 6 महीने में पढ़ा है….उसकी जाँच भी तो जरुरी है….mock test से आप कितने पानी में हो , का पता चलता है…mock test के साथ-साथ ऑप्शनल पेपर के टच में रहें…और GS के भी...
यह पूरा महीना prelims तक आपका mock test देने में रहना चाहिए…GS भी पढ़ सकते हो आप…और ऑप्शनल सब्जेक्ट के संपर्क में भी रहें…
students confused रहते हैं…कि कितना पढूं..एक दिन में कितने subjects पढूं….एक सब्जेक्ट को complete कर के दूसरे पर jump कब करूँ…
तो यहाँ पर मैंने mention किया है कि आप दो सब्जेक्ट को लेकर चलो …जैसे morning में आपने history पढ़ लिया और रात को time geography को दे दिया….कोशिश करें कि एक चैप्टर complete हो जाए..
पर यहाँ पर जानना जरुरी है कि complete का definition है क्या…आपको रीडिंग नहीं मारनी…मेरे लिए complete की परिभाषा है कि आप चैप्टर को पूरी तरह से पढ़ो और फिर खुद से नोट्स बनाओ …अपने शब्द में लिखो कि आपने क्या-क्या पढ़ा उस चैप्टर में…इससे आपको लिखने की प्रैक्टिस भी होगी.
दिन रात एक ही सब्जेक्ट पढ़ने से आप bore भी हो सकते हो. इसलिए मैंने कहा कि आप दो सब्जेक्ट ले कर चलो.
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अपने नोट्स पर ही विश्वास रखो…क्योंकि हर लोगों का नोट्स बनाने का ढंग अलग –अलग होता है…जब मैं कॉलेज का नोट्स बनाता था तो बहुत सारे दोस्त मुझसे मांगते थे कि यार अपना नोट्स दो…जब मैं उन्हें देता था नोट्स और वो जब उसे पढ़ते थे तो सर पकड़ कर बैठ जाते थे…क्योंकि मेरे नोट्स में सिर्फ points होते थे…और कभी कभी आढी तिरछी लाइन होती थी जब मैं तैयारी करता था तो GOOGLE image से ग्राफ download कर लेता था !
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इसलिए सब के नोट्स अलग-अलग तरीके के होते हैं…आप अपने नोट्स पर ही full trust करो…और ऐसा notes बनाओ जो बाद में revision के समय आसानी से grasp किये जा सके.
पढ़ाई करते समय ब्रेक भी लेते चलो…ब्रेक का बहुत इम्पोर्टेन्ट रोल है…आप शायद जानते नहीं होगे कि ब्रेक ले ले कर पढ़ने से आपका grasping power दोगुना हो जाता है…दूसरी तरफ आप घंटों पेज को लगातार पलटते रहोगे…कोई फायदा नहीं होने वाला.
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आप जो चीज फेस करने वाले हो उसी के according एक्शन लो….जैसे आप 3-4 महीने बाद prelims देने वाले हो…..और आप पढ़ाई कर रहे हो…मगर लिख लिख कर…आप pages रंगने में लगे हो…लिखे जा रहे हो…लिखे जा रहे हो…कापियां भर रही हैं…पेन की स्याही ख़त्म हो रही है तो ये गलत एप्रोच है….there will be a high probability की आपको success नहीं मिलेगी prelims में…..
आप prelims देने वाले हो तो आप mock दो…आप ज्यादा से ज्यादा ऑब्जेक्टिव questions सोल्व करो…आप मेंस देने वाले हो…तो ज्यादा से ज्यादा लिखने की practice करो…आप इंटरव्यू देने वाले हो…तो Delhi जा कर mock interviews ज्वाइन करो….
एक साल तक आपको सब भूल जाना है…क्योंकि आपका future disturbances से भरा पड़ा है..आपको नहीं पता आगे क्या disturbance आने वाला है…और आप किस कदर उसमें involve होने वाले हो….आप हो सकता है किसी शादी में नागिन डांस करते नज़र आओ…आप हो सकता है किसी family trip पर चले जाओ….खैर….आप इन्टरनेट use करो…मगर सिर्फ break time में….जब आप पढ़ कर बोर हो गए हो…तो friends से बात कर लेना….कोई बेवकूफी नहीं है…इससे आपको freshness मिलेगी….
Pre और Mains में  एक ही चीज कॉमन है…और वह है General Studies ...
यूपीएससी शुरु से ही General  Studies पर based exam  माना गया है…हाँ भले कांग्रेस के शासन में सिब्बल ने इसमें Maths and aptitude डाल दिया…..पर UPSC की आत्मा General Studies अभी भी है..
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इसलिए आपके preparation के first stage से ही General Studies पर आपका 80% focus होना चाहिए.
सुबह का समय पढ़ने के लिए सबसे अच्छा समय होता है. आप यदि 5 बजे उठकर पढ़ने की आदत डाल लो तो आपने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है. सुबह उठने से आपको एक ताजगी का अनुभव होगा, आपको शांति मिलेगी, सब घर पर सोये रहेंगे, आपको पढ़ने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा. ऐसा कहा जाता है कि सुबह में पढ़ने से आपको चीजें लम्बे समय तक याद रहती है…
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वैसे कई लोगों की हैबिट होती है — देर रात तक पढ़ने की…पर personally यह habit मुझे कभी भी suit नहीं किया क्योंकि देर रात तक पढ़ने से सर भारी-भारी भी लगता है और देर सुबह उठने से आत्मग्लानि यानी पछतावा का भी अनुभव होता है.
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#नौकरी_करने_वालों के लिए....
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Last but not the least, जो लोग job करते हैं…उनको मैं यह suggestion दूंगा की आपके पास कोई option नहीं है. आप 9 से 6 ऑफिस में रहोगे तो आपके पास केवल सुबह का time है और रात का….और weekend आपके लिए किसी bonanza से कम नहीं है….अच्छा होगा आप एकदम सुबह उठकर 2-3 घंटे का time मैनेज कर लो…और रात को dinner के बाद आप time निकाल लो. आपके life में entertainment के लिए कोई जगह नहीं है….आप नौकरी छोड़ने का यदि सोचते हो….यदि ऐसा कुछ दिमाग में है
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आपके तो मेरा suggestion यही रहेगा कि आप Prelims clear करने के बाद ही नौकरी छोड़ना क्योंकि अक्सर लोग ऐसी गलती कर बैठते हैं…बाद में पता चलता है यार prelims तो सबसे tough है… नौकरी वाले लोग यदि दिन में 5-6 घंटे भी पढ़ाई के लिए निकाल देते हो तो आपने सच में बहुत चीज achieve कर ली है…


प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र-1 का संबंध ‘सामान्य अध्ययन' से है। इसका पाठ्यक्रम निम्नलिखित है-

1. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ (Current events of national and international importance)
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2. भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (History of India and Indian National Movement)।
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3. भारत एवं विश्व का भूगोल : भारत एवं विश्व का प्राकृतिक, सामाजिक, आर्थिक भूगोल (Indian and World Geography - Physical, Social, Economic Geography of India and the World)।
4. भारतीय राज्यतंत्र और शासन- संविधान, राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे इत्यादि (Indian Polity and Governance - Constitution, Political System, Panchayati Raj, Public Policy, Rights Issues etc)।
5. आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि (Economic and Social Development, Sustainable Development-Poverty, Inclusion, Demographics, Social Sector initiatives etc)।
6. पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे, जिनके लिये विषयगत विशेषज्ञता आवश्यक नहीं है (General issues on Environmental Ecologh2y, Bio-diversity and Climate Change - that do not require subject specialization)।
7. सामान्य विज्ञान (General Science)।


1.पहले जाने क्या बनना चाहते हैं
👉2 सभी टाॅपिक्स के बारे मे पता करें
👉3.पढ़ाई मे एकाग्रता बहुत जरुरी है
👉4.सिर्फ पढ़े नहीं बल्कि समझें
👉5.न्यूज पेपर रोज पढ़े।
👉6.लोकल कल्चर को जाने।
👉7.पहले ग्रेजुएशन को पूरा टाईम दें।
👉8.हर तरह के Question पूछे जाते हैं
👉9.सक्सेस का कोई शार्टकट नहीं
👉10.आपका बिहेवियर मायने रखता है।।


सिविल सेवा .....किसके लिए कितनी आसान...

1...पढ़ने में गहन रुचि....अगर आप 2-3घन्टे तक एक जगह
बैठकर किताबों के साथ डूबे रह सकते हो...,जैसे एक
गुदगुदाने वाले उपन्यास को पढ़ते समय पता ही नहीं
चलता ,कब दो से तीन घंटे बीत गए अथार्त पढ़ाई को
एन्जाय करते हो ।
2...निरन्तरता का कोई जबाव नहीं....... हर रोज़
पढने की ललक .........चाहें पांच छह घंटे ही
पढ़े,क्योंकि सप्ताह में चार दिन पंद्रह-पंद्रह घंटे पढ़कर
,तीन दिन मौजमस्ती करने से अच्छा है,सप्ताह के
सातों दिन आठ आठ घंटे पढ़ना ....
3..." करेंट अफेयर पर तगड़ी पकड़ .......सिविल सेवा
की तैयारी 70 फीसदी डैली के न्यूजपेपर से होती हैं
.....इसलिए खुद को हर दिन देश- दुनिया की खबरों व
घटनाओं के प्रति alert रखता हो ,न्यूजपेपर को
किताब की तरह पढ़ता हो..., लेकिन चुनिंदा खबरों
तथा लेखों को ही.....
4......तैयारी के शुरुआती चार महीनों में हर रोज़ आधा
घंटा सिविल सेवा के सिलेबस को समझने में
लगाइये,उसके पश्चात् अगले चार महीने हर रोज़ आधा
घंटा आईएएस के पुराने पेपरों को समझने में लगाइये
.....यह याद रखिए अगर आपने सिलेबस तथा पुराने
पेपरों को नहीं समझा,तो आपने upsc के बारे में कुछ
भी नहीं समझा,क्योंकि यही आपकी गीता हैं,यही
आपकी कुरान हैं .......
5....6-12 Ncert किताबों का खुद को विशेषज्ञ
बना ले...
कुछ चुनिंदा विषयों का
6.....सबसे अन्त में सबसे जरूरी भी एक वैकल्पिक कैरियर
दिमाग में रखिए,ताकि आगे चलकर ज्यादा हाथ -
पाव ना मारना पड़े (अधिकतर लोग हल्के में लेते
हैं)..

Tuesday, June 16, 2020

Study Tips for UPSC

Study Tips for UPSC


सिविल सेवा परीक्षा में आपकी मेहनत और सफलता के बीच कोई अनिवार्य तथा समानुपातिक कारण-कार्य संबंध नहीं है। अर्थात्  यह ज़रूरी नहीं कि अधिक मेहनत करने वाला अभ्यर्थी सफल हो ही जाएगा और कम मेहनत करने वाला अभ्यर्थी सफल नहीं होगा। सफलता मेहनत के साथ-साथ कई अन्य कारकों पर निर्भर करती है जिनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है आपकी उत्तर-लेखन शैली।
उत्तर-पुस्तिका की जाँच करने वाले परीक्षक को इस बात की बिल्कुल जानकारी नहीं होती कि उत्तर-पुस्तिका किस उम्मीदवार की है, उसने कितनी गंभीरता से पढ़ाई की है या उसकी परिस्थितियाँ कैसी हैं इत्यादि। परीक्षक के पास अभ्यर्थी के मूल्यांकन का एक ही आधार होता है और वह यह कि अभ्यर्थी ने अपनी उत्तर-पुस्तिका में किस स्तर के उत्तर लिखे हैं? अगर आपके उत्तर प्रभावी होंगे तो परीक्षक अच्छे अंक देने के लिये मजबूर हो जाएगा और यदि उत्तरों में दम नहीं है तो फिर आपने चाहे जितनी भी मेहनत की हो, उसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकलेगा। आपकी सफलता या विफलता में तैयारी की भूमिका 50% से अधिक नहीं है। शेष 50% भूमिका इस बात की है कि परीक्षा के तीन घंटों में आपका निष्पादन कैसा रहा? आपने कितने प्रश्नों के उत्तर लिखे? किस क्रम में लिखे, बिंदुओं में लिखे या पैरा बनाकर लिखे, रेखाचित्रों की सहायता से लिखे या उनके बिना लिखे, साफ-सुथरी हैंडराइटिंग में लिखे या अस्पष्ट हैंडराइटिंग में, उत्तरों में तथ्यों और विश्लेषण का समुचित अनुपात रखा या नहीं- ये सभी वे प्रश्न हैं जो आपकी सफलता या विफलता में कम से कम 50% भूमिका निभाते हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि अधिकांश उम्मीदवार इतने महत्त्वपूर्ण पक्ष के प्रति प्रायः लापरवाही बरतते हैं और उनमें से कई तो अपने कॉलेज के बाद के जीवन का पहला उत्तर मुख्य परीक्षा में ही लिखते हैं।यूपीएससी मुख्य परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति वर्णनात्मक होती है जिसमें प्रश्नों के उत्तर को  निर्धारित शब्दों (सामान्यत:100 से 300 शब्द) में उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है, अत: ऐसे प्रश्नों के उत्तर लिखते समय लेखन शैली एवं तारतम्यता के साथ-साथ समय प्रबंधन आदि पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। लेखन शैली एवं तारतम्यता का विकास सही दिशा में निरंतर अभ्यास से संभव है, जिसके लिये अभ्यर्थियों को विषय की व्यापक समझ के साथ-साथ कुछ महत्त्वपूर्ण बातों का भी ध्यान रखना चाहिये। हमारा उद्देश्य यही समझाना है कि उम्मीदवारों को शुरू से ही उत्तर-लेखन शैली के विकास के लिये क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिये?
उत्तर-लेखन के विभिन्न चरण:
उत्तर-लेखन की संपूर्ण प्रक्रिया को नीचे दिये गए चार चरणों में विभाजित करके समझा जा सकता है-
1. प्रश्न को समझना तथा सुविधा के लिए उसे कई टुकड़ो में बाँटना
2. उत्तर की रूपरेखा तैयार करना
3. उत्तर लिखना
4. उत्तर के प्रस्तुतीकरण को आकर्षक बनाना।
प्रश्न को समझना तथा टुकड़ो में बाँटना
उत्तर-लेखन प्रक्रिया का सबसे पहला चरण यही है कि उम्मीदवार प्रश्न को कितने सटीक तरीके से समझता है तथा उसमें छिपे विभिन्न उप-प्रश्नों तथा उनके पारस्परिक संबंधों को कैसे परिभाषित करता है? सच तो यह है कि आधे से अधिक अभ्यर्थी इस पहले चरण में ही गंभीर गलतियाँ कर बैठते हैं।प्रश्न को समझने का अर्थ यह है कि प्रश्नकर्त्ता हमसे क्या पूछना चाहता है? कई बार प्रश्न की भाषा ऐसी होती है कि हम संदेह में रहते हैं कि क्या लिखें और क्या छोड़ें? इस समस्या का निराकरण करने के लिये प्रश्न को समझने की क्षमता का विकास करना आवश्यक है।प्रश्न को ठीक से समझने के लिये मुख्यतः दो बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिये-
1. प्रश्न के अंत में किस शब्द का प्रयोग किया गया है।
2. प्रश्न के कथन में कितने तार्किक हिस्से विद्यमान हैं और उन सभी में आपसी संबंध क्या हैं?
प्रश्न के अंत में दिये गए शब्दों से आशय उन शब्दों से है जो बताते हैं कि प्रश्न के संबंध में अभ्यर्थी को क्या करना है? ऐसे शब्दों में विवेचन कीजिये, विश्लेषण कीजिये, प्रकाश डालिये, व्याख्या कीजिये, मूल्यांकन कीजिये, आलोचनात्मक मूल्यांकन, परीक्षण, निरीक्षण, समीक्षा, आलोचना, समालोचना, वर्णन/विवरण एवं स्पष्ट कीजिये/स्पष्टीकरण दीजिये इत्यादि शामिल हैं।इन शब्दों के आधार पर तय होता है कि परीक्षक अभ्यर्थी से उत्तर में क्या उम्मीद कर रहा है? यह सही है कि बहुत से परीक्षक खुद ही इन शब्दों के प्रति हमेशा चौकस नहीं रहते, किंतु अभ्यर्थियों को यही मान कर चलना चाहिये कि परीक्षक इन्हीं शब्दों को आधार बनाकर ही उत्तर का मूल्यांकन करते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए हमने कुछ महत्त्वपूर्ण शब्दों को विभिन्न वर्गों में बाँटकर उसके सही आशय को स्पष्ट किया है जिससे आपके उत्तर को एक सही दिशा मिल सके।
व्याख्या/वर्णन/विवरण/स्पष्ट कीजिये/ स्पष्टीकरण दीजिये/प्रकाश डालिये:
इन सभी शब्दों से प्रायः समान आशय व्यक्त होते हैं।ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से सिर्फ इतनी अपेक्षा होती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियाँ सरल भाषा में व्यक्त कर दे।वर्णन और विवरण वाले प्रश्नों में तथ्यों की गुंजाइश ज़्यादा होती है जबकि ‘व्याख्या कीजिये’, ‘प्रकाश डालिये’ या ‘स्पष्टीकरण दीजिये’ वाले प्रश्नों में पूछे गए विषय को सरल भाषा में समझाते हुए लिखने की अपेक्षा  होती है।
आलोचना/समीक्षा/समालोचना/परीक्षा/परीक्षण/निरीक्षण/गुण-दोष विवेचनः
इन सभी प्रश्नों को एक वर्ग में रखा जा सकता है।ऐसे प्रश्न उम्मीदवार से किसी तथ्य या कथन की अच्छाइयों और बुराइयों की गहरी समझ की अपेक्षा करते हैं।
आलोचना शब्द से यह भाव ज़रूर निकलता है कि अभ्यर्थी को इसमें पूछे गए विषय से जुड़ी नकारात्मक बातें लिखनी हैं किंतु सच यह है कि आलोचना का सही अर्थ गुण और दोष दोनों पक्षों पर ध्यान देना है। मोटे तौर पर अनुपात यह रखा जा सकता है कि समीक्षा/समालोचना/परीक्षा/परीक्षण/निरीक्षण जैसे प्रश्नों में अच्छे और बुरे पक्षों का अनुपात लगभग बराबर रखा जाए जबकि आलोचना वाले प्रश्नों में नकारात्मक पक्षों का अनुपात कुछ बढ़ा दिया जाए अर्थात् 70-75% तक कर दिया जाए।
मूल्यांकन/आलोचनात्मक मूल्यांकनः
मूल्यांकन का अर्थ है किसी कथन या वस्तु के मूल्य का अंकन या निर्धारण करना।ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा होती है कि वह पूछे गए विषय का सार्वकालिक या वर्तमान महत्त्व रेखांकित करे, उसकी कमियाँ भी बताए और अंत में स्पष्ट करे कि उस कथन या वस्तु की समग्र उपयोगिता कितनी है?मूल्यांकन से पहले आलोचनात्मक लिखा हो या नहीं, तार्किक रूप से दोनों बातों को एक ही समझना चाहिये। मूल्यांकन की कोई भी गंभीर प्रक्रिया तभी पूरी हो सकती है जब उसके मूल में आलोचनात्मक पक्ष का ध्यान रखा गया हो। सार यह है कि आलोचनात्मक मूल्यांकन वाले प्रश्नों में अभ्यर्थी को पहले गुण और दोष बताने चाहियें और अंत में उन दोनों की तुलना के आधार पर यह स्पष्ट करना चाहिये कि उस कथन या वस्तु का क्या और कितना महत्त्व है?
विवेचन/मीमांसाः
मीमांसा का अर्थ होता है किसी विषय को व्यवस्थित तथा संपूर्ण रूप में प्रस्तुत करना। ऐसे प्रश्नों का उत्तर लिखना कठिन नहीं होता। उस प्रश्न से संबंधित सभी संभव पक्षों को मिलाकर लिख देना पर्याप्त होता है। विवेचन वाले प्रश्नों में भी मूल अपेक्षा यही होती है।अंतर सिर्फ इतना होता है कि इसमें किसी कथन या तथ्य की चर्चा करते हुए तार्किक व्याख्या की ज़्यादा अपेक्षा होती है।
विश्लेषणः
विश्लेषण तथा संश्लेषण परस्पर विरोधी शब्द हैं। जहाँ संश्लेषण का अर्थ बिखरी हुई चीज़ों को जोड़कर एक करना होता है, वहीं विश्लेषण का अर्थ होता है- किसी एक विचार या कथन को सरल से सरल हिस्सों में विभाजित करना। किसी कथन का विश्लेषण करते हुए अभ्यर्थी को अपने मन में क्या, क्यों, कैसे, कब, कहाँ, कितना जैसे संदर्भों को आधार बनाना चाहिये।
प्रश्नों का तार्किक विखंडन:
सरल भाषा में कहें तो तार्किक विखंडन का अर्थ है जटिल वाक्य को कुछ सरल वाक्यों में तोड़कर उसमें अंतर्निहित उप-प्रश्नों की पहचान करना।  सरल कथनों में तो यह समस्या सामने नहीं आती किंतु जैसे ही जटिल वाक्य-संयोजन वाले प्रश्न उपस्थित होते हैं, अभ्यर्थी के समक्ष उनकी व्याख्या और अर्थ-बोध से जुड़ी कठिनाइयाँ प्रकट होने लगती हैं।ऐसी स्थिति में अभ्यर्थी को मुख्य रूप से उन मात्रा-सूचक या तीव्रता-सूचक शब्दों पर ध्यान देना चाहिये जो प्रश्न का फोकस निर्धारित करते हैं। उदाहरण के लिये, यदि प्रश्न है कि "1975 में घोषित राष्ट्रीय आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे विवादास्पद समयों में से एक के रूप में देखा जाता है।’ मूल्यांकन कीजिये।"  तो इसमें ‘सबसे विवादास्पद समयों में से एक’ वाक्यांश पर सर्वाधिक ध्यान दिया जाना चाहिये। इसमें निहित है कि आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास का अकेला विवादास्पद समय नहीं रहा है बल्कि कई विवादास्पद समयों में से एक है। इसके साथ-साथ, इसमें यह भी निहित है कि इस प्रश्न में अभ्यर्थी को हर विवादास्पद समय पर टिप्पणी नहीं करनी है बल्कि उन गिने-चुने विवादास्पद समयों पर चर्चा करनी है जिनकी तुलना में शेष विवादास्पद समय कम तीव्रता वाले रहे हैं।इस प्रश्न में अभ्यर्थी को दिये गए कथन का विखंडन कई उप-प्रश्नों में करना होगा, जैसे- 1975 का आपातकाल अत्यंत विवादास्पद काल क्यों माना जाता है, स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे अधिक विवादास्पद काल कौन-कौन से माने जा सकते हैं, तथा सर्वाधिक विवादास्पद कालों की तुलना में 1975 के आपातकाल की क्या स्थिति रही है?
उत्तर की रूपरेखा तैयार करना
उत्तर-लेखन प्रक्रिया के दूसरे चरण के अंतर्गत उत्तर की एक संक्षिप्त रूपरेखा बनाई जा सकती है। कई अभ्यर्थी इस प्रक्रिया का प्रयोग करने से बचते हैं और समय बचाने के लिये सीधे उत्तर लिखने की शुरुआत कर देते हैं। अगर उनकी लेखन क्षमता बहुत सधी हुई न हो तो तय मानकर चलिये कि उनके उत्तर में अव्यवस्था तथा बिखराव का आना स्वाभाविक है। बेहतर यही है कि अभ्यर्थी दस मिनट की जगह आठ मिनट में ही उत्तर लिखे किंतु उसका उत्तर बिल्कुल सधा हुआ हो। बहुत अच्छी लेखन क्षमता वाले कुछ अभ्यर्थियों का स्तर तो इतना ऊँचा होता है कि वे प्रश्न को पढ़ते ही मन-ही-मन उत्तर की रूपरेखा तैयार कर लेते हैं और सीधे उत्तर-लेखन की शुरुआत कर देते हैं। पर यह क्षमता अर्जित करना एक लंबी और श्रमसाध्य प्रक्रिया है जिसे हर अभ्यर्थी में नहीं पाया जा सकता।नए अभ्यर्थियों के लिये यही बेहतर है कि वे उत्तर की शुरुआत करने से पहले थोड़ा सा समय रूपरेखा या ‘सिनोप्सिज़’ (Synopsis) बनाने पर खर्च करें।रूपरेखा बनाने का अर्थ यह है कि उत्तर से संबंधित जो बिंदु अभ्यर्थी के दिमाग में हैं, उन्हें किसी रफ कागज़ पर लिखकर व्यवस्थित कर लिया जाए। ज़रूरी नहीं है कि हर बिंदु को लिखा ही जाए, यह भी हो सकता है कि अभ्यर्थी रेखाचित्र जैसे किसी फॉर्मेट में उसे तैयार कर ले। उदाहरण के लिये, यदि प्रश्न है कि "एक कुशल नेतृत्व की वज़ह से एक दुरूह संभावना को यथार्थ में परिवर्तित किया जा सका। भारतीय रियासतों के एकीकरण के संदर्भ में इस कथन पर चर्चा कीजिये।" तो इसकी संभावित रूपरेखा कुछ इस प्रकार बनाई जानी चाहिये-
1. भूमिकाः पटेल और बिस्मार्क की तुलना।
2. दुरूह संभावनाः 1947 की स्थिति, अंग्रेज़ों की योजना, कई रियासतों/राजाओं की स्वतंत्र रहने की इच्छा आदि।
3. कुशल नेतृत्वः पटेल की कार्य-क्षमता व कार्य-शैली का संक्षिप्त वर्णन।
4. निष्कर्षः पटेल की भूमिका को बिस्मार्क तथा गैरीबाल्डी आदि की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण सिद्ध करना।
शुरू में अभ्यर्थी इसी फॉर्मेट पर रूपरेखा बनाते हैं। धीरे-धीरे वे इस प्रक्रिया के अभ्यस्त हो जाते हैं और सिर्फ कुछ टूटे-फूटे शब्द लिखने से भी उनका काम चल जाता है। आपको मुख्य परीक्षा में बैठने से पहले रूपरेखा निर्माण का इतना अभ्यास कर लेना चाहिये कि परीक्षा भवन में केवल कुछ आधे-अधूरे संकेतों से ही रूपरेखा संबंधी कार्य पूरा हो सके।परीक्षा भवन में समय के दबाव को देखते हुए यह स्वाभाविक है कि प्रत्येक उत्तर को लिखने से पहले अभ्यर्थी उत्तर की रूपरेखा नहीं बना पाता। अगर आपके साथ भी गति का ऐसा संकट हो तो बेहतर होगा कि 20 में से शुरुआती 7-8 प्रश्नों का उत्तर आप संक्षिप्त रूपरेखाओं के आधार पर लिखें और बाद के प्रश्नों के उत्तर सीधे लिख दें।
उत्तर लिखना
एक अच्छा उत्तर वह है जो प्रश्न का उत्तर है।  प्रश्न की रूपरेखा तैयार हो जाने के बाद अभ्यर्थी को वास्तविक उत्तर-लेखन करना चाहिये।एक अच्छे उत्तर की मुख्यत: दो विशेषताएँ होती हैं- प्रामाणिकता तथा प्रवाह। प्रामाणिकता का अर्थ है कि उत्तर में ऐसे ठोस तथ्य और तर्क विद्यमान होने चाहियें जिनसे प्रश्न की वास्तविक मांग पूरी होती हो अर्थात् परीक्षक को उत्तर पढ़कर यह महसूस होना चाहिये कि अभ्यर्थी ने विषय का गंभीर अध्ययन किया है। प्रवाह का अर्थ है कि उत्तर के पहले शब्द से अंतिम शब्द तक ऐसी क्रमबद्धता होनी चाहिये कि परीक्षक को उत्तर पढ़ते समय बीच में कहीं भी रुकना न पड़े।एक अच्छे उत्तर-लेखन के संबंध में प्रायः प्रत्येक अभ्यर्थी के मन में कुछ जिज्ञासाएँ अनिवार्य रूप से होती हैं जिनका समाधान करने का प्रयास किया गया है।
शब्द सीमा का पालनः
प्रायः अभ्यर्थियों के मन में जिज्ञासा होती है कि उन्हें दी गई शब्द-सीमा के अंदर ही उत्तर लिखना है या इसमें थोड़ी बहुत छूट ली जा सकती है? अगर हाँ, तो कितनी?इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले यह समझ लेना चाहिये कि लोक सेवा आयोग के लिये व्यावहारिक तौर पर यह संभव नहीं है कि वह हर अभ्यर्थी के उत्तरों की शब्द संख्या को गिनने की व्यवस्था कर सके। अतः अभ्यर्थियों को सबसे पहले इस दबाव से मुक्त हो जाना चाहिये कि उनके एक-एक शब्द की गणना की जाती है।इस संबंध में एक सच यह भी है कि भले ही आयोग शब्दों की गणना न करता हो, पर परीक्षक अपने अनुभवों के आधार पर उत्तर-पुस्तिका देखते ही यह अनुमान लगा लेता है कि उत्तर में शब्दों की संख्या लगभग कितनी है। शब्दों की संख्या बहुत अधिक या बहुत कम होने पर ही परीक्षक का ध्यान उस ओर जाता है। ऐसी स्थिति में उसके पास यह विवेकाधीन शक्ति होती है कि वह अभ्यर्थी को इस गलती के लिये दंडित करे या नहीं? सार यह है कि शब्दों की सीमा का थोड़ा-बहुत उल्लंघन करने में समस्या नहीं है किंतु यह उल्लंघन 10-20% से अधिक नहीं होना चाहिये।कुछ अभ्यर्थी इस बात को लेकर भी परेशान रहते हैं कि शब्दों की गणना में ‘है’, ‘था’, ‘चाहिये’ आदि शब्दों की गणना की जाती है या नहीं? उनमें से कुछ यह दावा भी करते हैं कि इन्हें उत्तर की शब्द-सीमा में शामिल नहीं किया जाता। वस्तुतः यह एक भ्रांति है। शब्दों की गणना में सभी प्रकार के शब्द शामिल होते हैं, चाहे वे योजक शब्द हों या अन्य शब्द। हाँ, यह ज़रूर है कि कोष्ठक में लिखे गए शब्दों को प्रायः शामिल नहीं किया जाता। इसी प्रकार, अगर कहीं समास भाषा का प्रयोग किया जाता है तो समास में आने वाले दोनों शब्दों को हाइफन की वज़ह से प्रायः एक शब्द ही मान लिया जाता है।
बिंदुओं में लिखें या पैराग्राफ में?
यह भी अधिकांश उम्मीदवारों की एक सामान्य जिज्ञासा है कि उन्हें उत्तर-लेखन के अंतर्गत बिंदुओं का प्रयोग करना चाहिये या नहीं? वस्तुतः इस प्रश्न का उत्तर हाँ या नहीं में देना संभव नहीं है। यह निर्णय इस बात पर निर्भर करता है कि प्रश्न की प्रकृति क्या है?अगर प्रश्न की प्रकृति ऐसी है कि उसके उत्तर में विभिन्न तथ्यों या बिंदुओं को सूचीबद्ध किये जाने की आवश्यकता है तो निस्संदेह उसमें बिंदुओं का प्रयोग किया जाना चाहिये। किंतु अगर प्रश्न की प्रकृति शुद्ध विश्लेषणात्मक है तो बिंदुओं के प्रयोग से बचना आवश्यक है। ऐसा उत्तर पैराग्राफ पद्धति के अनुसार लिखना ही ठीक रहता है।उदाहरण के तौर पर, अगर यह प्रश्न पूछ लिया जाए कि ‘भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान घटने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण पाँच घटनाएँ कौन सी थीं?’  तो इसके उत्तर में बिंदुओं का प्रयोग किया जाना चाहिये। एक छोटी-सी भूमिका लिखने के बाद अभ्यर्थी को सीधे 1-5 तक बिंदु बनाकर एक-एक तथ्य प्रस्तुत करते जाना चाहिये।अगर यह प्रश्न पूछ लिया जाए कि "जहाँ महात्मा गांधी जाति व्यवस्था की कुरीतियों पर कोई गंभीर चोट नहीं कर सके, वहीं डॉ. अम्बेडकर ने जाति व्यवस्था के मूल पर प्रहार किया। स्पष्ट कीजिये"। इस प्रश्न की स्पष्ट अपेक्षा है कि उत्तर का पहला पैरा महात्मा गांधी के संबंध में और दूसरा पैरा डॉ. अम्बेडकर के संबंध में लिखा जाना चाहिये और दोनों ही पैराग्राफों में सिर्फ एक-एक बिंदु की व्याख्या किये जाने की ज़रूरत है। (स्पष्ट है कि ऐसे उत्तरों में बिंदुओं या शीर्षकों की भूमिका नहीं होती। यदि हम अनावश्यक बिंदुओं का प्रयोग करेंगे तो निस्संदेह नुकसान में ही रहेंगे)।
रेखाचित्रों का प्रयोग करें या नहीं?
अभ्यर्थियों के मन में एक दुविधा इस बात को लेकर भी रहती है कि उन्हें किसी उत्तर में रेखाचित्र (जैसे पाई डायग्राम, वेन डायग्राम, तालिका, फ्लो-चार्ट) आदि का प्रयोग करना चाहिये या नहीं?इस प्रश्न का उत्तर यह है कि निबंध तथा विश्लेषणात्मक प्रश्नों में प्रायः इस प्रवृत्ति से बचना ही अच्छा रहता है। किंतु यदि प्रश्न की प्रकृति ही ऐसी हो कि उसमें विभिन्न वस्तुओं का आपसी संबंध या वर्गीकरण आदि दिखाए जाने की ज़रूरत हो तो रेखाचित्र का प्रयोग सहायक भी हो सकता है। उदाहरण के लिये, अगर एथिक्स के प्रश्नपत्र में पूछ लिया जाए कि "अपराध और पाप की धारणाओं में अंतर स्पष्ट करें। क्या यह ज़रूरी है कि हर अपराध पाप हो और हर पाप अपराध?"  तो इस प्रश्न के उत्तर में दो अवधारणाओं का संबंध स्पष्ट करने के लिये वेन डाइग्राम का प्रयोग कर लेना चाहिये। कई जटिल अवधारणाओें में अंतर जितनी आसानी से किसी डायग्राम के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है, उतनी आसानी से लिखित शब्दों के माध्यम से नहीं।सार यह है कि जहाँ विभिन्न धारणाओं के पारस्परिक संबंधों या वर्गीकरण आदि को स्पष्ट करना हो, वहाँ रेखाचित्र शैली का प्रयोग करना हमेशा फायदेमंद होता है किंतु शुद्ध विश्लेषणात्मक प्रश्नों में ऐसे प्रयोगों से बचना चाहिये।
कैसी शब्दावली का प्रयोग करें?
उत्तर लिखने में भाषा-शैली की सरलता एवं सहजता बनाए रखना चाहिये। शब्दों के चयन में इतनी सावधानी बरतना अनिवार्य है कि उत्तर की गरिमा से समझौता न हो।उर्दू, फारसी परंपरा के शब्दों का प्रयोग निबंध में तो कुछ मात्रा में किया जा सकता है किंतु सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्रों में ऐसी भाषा के प्रयोग से बचना चाहिये। अंग्रेज़ी की शब्दावली का प्रयोग करने में समस्याएँ कम हैं। जहाँ भी कोई जटिल, तकनीकी शब्द पहली बार आए, वहाँ आपको कोष्ठक में अंग्रेज़ी का शब्द भी लिख देना चाहिये। कोष्ठक में लिखते समय आप रोमन लिपि का प्रयोग कर सकते हैं। अगर आप अंग्रेज़ी के किसी तकनीकी शब्द का प्रयोग देवनागरी लिपि में करते हैं तो उसके लिये कोष्ठक की ज़रूरत नहीं है। किंतु ध्यान रखें कि इस सुविधा का प्रयोग केवल बहुत ज़रूरी शब्दों के लिये ही किया जाना चाहिये। अगर अंग्रेज़ी शब्दों का प्रयोग सामान्य अनुपात से अधिक मात्रा में हुआ तो परीक्षक के मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।परीक्षा में सामान्यतः उस शब्दावली को अधिक महत्त्व दें जो संस्कृत मूल की अर्थात् तत्सम् है। ऐसी शब्दावली प्रायः अधिक औपचारिक मानी जाती है और परीक्षा के अनुशासन को देखते हुए परीक्षक इसे उचित समझते हैं। उदाहरण के लिये, ‘प्रधानमंत्री जी अस्वस्थ्य  है’  कहने में जो औपचारिकता है, वह यह कहने में नहीं है कि ‘वज़ीरे आज़म साहब की तबीयत नासाज़ है।’  इसलिये जहाँ तक संभव हो, अपनी शब्दावली को सरल, सहज किंतु तत्समी बनाए रखने का प्रयास करें।
भूमिका आदि लिखें या नहीं?
अभ्यर्थियों को इस प्रश्न पर भी पर्याप्त संदेह रहता है कि उन्हें अपने उत्तर की शुरुआत में भूमिका लिखनी चाहिये अथवा नहीं? इसी प्रकार, उत्तर के अंत में निष्कर्ष की आवश्यकता को लेकर भी संदेह बना रहता है।आजकल सामान्य अध्ययन और वैकल्पिक विषयों में 200-250 शब्दों से अधिक शब्द-सीमा वाले उत्तर नहीं पूछे जाते हैं। इसलिये, आजकल यह मानकर चलना ठीक है कि बिना किसी औपचारिक भूमिका के आप सीधे अपने उत्तर की शुरुआत कर सकते हैं। उत्तर का पहला एकाध वाक्य ऐसा रखना चाहिये जो भूमिका की ज़रूरत को पूरा कर दे। अगर प्रश्न किसी विवाद पर आधारित है तो एक-दो पंक्तियों का निष्कर्ष भी दिया जाना चाहिये किंतु सामान्य तथ्यात्मक प्रश्नों में निष्कर्ष की कोई आवश्यकता नहीं है।उदाहरण के लिये, अगर प्रश्न है कि ‘स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर के तुलनात्मक योगदान पर चर्चा करें’  तो उसकी संक्षिप्त भूमिका और निष्कर्ष क्रमशः इस प्रकार हो सकते हैं-भूमिकाः भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की मुख्यधारा का नेतृत्व यदि महात्मा गांधी कर रहे थे तो उसी समय डॉ. अम्बेडकर सदियों से वंचित दलित व आदिवासी समुदाय को मुख्यधारा में जोड़ने की कोशिश कर रहे थे। इन दोनों महान नेताओं के बीच तुलना के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं-निष्कर्षः सार यह है कि यदि महात्मा गांधी की बड़ी भूमिका भारत को अंग्रेज़ों से आज़ाद कराने में थी तो डॉ. अंबेडकर की भूमिका हमें रूढ़ियों और शोषण से आज़ाद कराने में थी।
उत्तर के प्रस्तुतीकरण को आकर्षक बनाना
उत्तर-लेखन का अंतिम पक्ष यह है कि हम अपने उत्तर को ज़्यादा सुंदर व प्रभावशाली कैसे बना सकते हैं? इसके कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार हैं-
उत्तर के सबसे महत्त्वपूर्ण शब्दों तथा वाक्यों को रेखांकित करना न भूलें, पर यह ध्यान रखें कि रेखांकन का प्रयोग जितनी कम मात्रा में करेंगे, उसका प्रभाव उतना ही अधिक होगा। कई विद्यार्थी लगभग हर पंक्ति को ही रेखांकित कर देते हैं जिसका कोई लाभ नहीं मिलता।अभ्यर्थी को चाहिये कि वह काले और नीले दो रंगों के पेन का प्रयोग करे। जैसे वह नीले पेन से उत्तर लिख सकता है और काले पेन से महत्त्वपूर्ण हिस्सों को रेखांकित कर सकता है। पर यह ध्यान रखें कि इन दोनों रंगों के अलावा अन्य किसी भी रंग के पेन का प्रयोग करना नियम के विरुद्ध है। आपकी लिखावट (हैंडराइटिंग) जितनी साफ-सुथरी होगी, आपको अधिक अंक मिलने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। अच्छी हैंडराइटिंग से एक मनोवैज्ञानिक लाभ मिल जाता है जो अंततः अंकों के लाभ में परिणत होता है। अगर आपकी हैंडराइटिंग साफ नहीं है तो नुकसान होना तय है। इसलिये, अभी से कोशिश कीजिये कि हैंडराइटिंग कम से कम ऐसी ज़रूर हो जाए कि उसे पढ़ते हुए परीक्षक को तनाव या सिर-दर्द न हो।अपने शब्दों तथा पंक्तियों के मध्य खाली स्थान इस तरह से छोड़ें कि आपकी उत्तर-पुस्तिका आकर्षक नज़र आए। दो पंक्तियों के बीच में जितना गैप छोड़ते हैं, दो पैराग्राफ के बीच में उससे कुछ ज़्यादा गैप छोड़ें ताकि दूर से देखकर ही यह समझ आ जाए कि कहाँ से नया पैराग्राफ शुरू हो रहा है। इसी प्रकार, हर नया पैराग्राफ लगभग एक ही स्केल से शुरू करें। बाईं तरफ, जहाँ से लिखने का स्थान शुरू होता है, वहाँ से लगभग दो शब्दों का खाली स्थान छोड़कर पैराग्राफ शुरू करना चाहिये और सभी पैराग्राफ उसी बिंदु से शुरू किये जाने चाहियें।
परीक्षा में समय प्रबंधन
मुख्य परीक्षा के प्रायः सभी प्रश्नपत्रों में एक बड़ी समस्या यह भी आती है कि तीन घंटों में सभी प्रश्नों का उत्तर कैसे लिखा जाए? प्रत्येक प्रश्न को कितना समय दिया जाए? सभी प्रश्न किये जाएँ या कुछ को छोड़ दिया जाए? आदि आदि। कुछ लोगों का मानना है कि परीक्षा में समय का विभाजन प्रत्येक प्रश्न के लिये बराबर होना चाहिये किंतु मनोवैज्ञानिक स्तर पर इस बात को सही नहीं माना जा सकता।
शुरुआती उत्तरों का प्रभाव ज़्यादा महत्त्वपूर्ण होता है और अंत तक उस प्रभाव के आधार पर लाभ या नुकसान होता रहता है। इसलिये, शुरुआती कुछ प्रश्नों पर तुलनात्मक रूप से अधिक समय दिया जाना चाहिये।परीक्षा के अंतिम एक घंटे में अभ्यर्थी की सोचने और लिखने की गति अभूतपूर्व तरीके से बढ़ चुकी होती है। इसलिये, अंतिम कुछ प्रश्नों को तुलनात्मक रूप से कम समय मिले तो भी चिंता नहीं करनी चाहिये।हो सकता है कि आप परीक्षा में समय प्रबंधन की इस रणनीति पर पूरी तरह न चल सकें और अंतिम समय में कई प्रश्न बचे रह जाएँ। जैसे मान लीजिये कि समय सिर्फ 20 मिनट रह गया हो और प्रश्न 5 या 6 बचे हुए हों। ऐसी स्थिति में भी कोशिश यही रहनी चाहिये कि कोई प्रश्न छूटे नहीं। अगर आप सभी प्रश्नों में सिर्फ फ्लो-चार्ट या डायग्राम के माध्यम से महत्त्वपूर्ण बिंदु भी लिख देंगे तो भी आपको ठीक-ठाक अंक मिलने की संभावना रहती है । उत्तर-पुस्तिका के अंतिम हिस्से तक पहुँचते- पहुँचते परीक्षक के मन में अभ्यर्थी के बारे में एक राय बन चुकी होती है और अंकों का निर्धारण प्रायः उस राय के आधार पर ही हो रहा होता है। अगर आपके बारे में पहले ही अच्छी राय बन गई है तो अंतिम कुछ प्रश्नों में डायग्राम या सिर्फ बिंदु देखकर भी परीक्षक अच्छे अंक दे देगा क्योंकि वह आपके पक्ष में सकारात्मक अभिवृत्ति बना चुका होता है।  लेकिन अगर आप कुछ प्रश्न पूरी तरह छोड़ देंगे तो वह चाहकर भी आपको अंक नहीं दे सकेगा क्योंकि आपने उसे अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करने का मौका ही नहीं दिया। सार यह है कि कोशिश करनी चाहिये कि एक भी प्रश्न छूटे नहीं। हाँ, जो प्रश्न अभ्यर्थी को आता ही नहीं है, वह तो उसे छोड़ना ही होगा।अगर आप उपरोक्त सभी बिन्दुओं को ध्यान रखते हुए उत्तर लिखते हैं तो निश्चित रुप से आपका उत्तर श्रेष्ठ होगा और आप अच्छे अंक प्राप्त कर सकेंगे, जिससे आपकी सफलता की संभावना बढ़ जाएगी


यूपीएससी से IAS या IPS इंसान ही बनते हैं. कई सवाल जो हम अप्रेन्टिस को असमंजस में डालते आये है, कई नये अप्रेन्टिस दोस्तों ने ब्लॉग पर पूछा कि आईएएस बनने के लिए इंसान के अन्दर क्या होना चाहिए, क्या IAS सिर्फ अच्छे पढ़ने वाले, मेधावी विद्यार्थी ही बन सकते हैं जिनका पास्ट अकेडमिक रिकॉर्ड अच्छा रहा हो?
ऐसा बिल्कुल नहीं है. आप भी आईएएस बन सकते हैं. यह बिल्कुल मैटर नहीं करता कि आपने 10वीं या 12वीं में क्या स्कोर किया है….भले आपने ग्रेजुएशन थर्ड डिवीज़न से पास की हो….पास्ट पास्ट होता है. पास्ट को भूलकर आपको आगे देखना चाहिए. यदि आप पास्ट की गलतियों को देखकर अपने आज को ख़राब कर रहे हैं तो आपको अपने भविष्य में अन्धकार ही अन्धकार मिलेगा. इसलिए अच्छा है कि पीछे मुड़ कर कभी न देखें !
पढ़ाई के दौरान एकाग्रचित कैसे हों? क्या आपने अपने शहर में घोड़ा को चलते देखा है?
घोड़े के दोनों आँखों के बगल में चमड़े की पट्टी लगा दी जाती है. ऐसा इसीलिए क्योंकि वह सीधा देख पाए. चलते वक़्त उसके बगल में होने वाली सड़क की गतिविधियों पर उसका ध्यान न जा पाए और वह सिर्फ सीधा देख कर अपने लक्ष्य की ओर चले. ऐसा विद्यार्थी जीवन में होना चाहिए. आप अपने अगल-बगल की गतिविधियों पर ध्यान मत दें. कौन आपके बारे में क्या कह रहा है, आपके बारे में क्या विचार रखता है, आपके फूफा आपका मजाक उड़ाते हैं, आपके पड़ोसी आपके घर पर बैठने को लेकर तंज कसते हैं….यदि आपका ध्यान इन सब पर चला गया तो आप अपने लक्ष्य को पाने से चूक जायेंगे !
आप सफल हो जायेंगे तो यही लोग आपको बधाई भी देंगे. दूसरों को कहते फिरेंगे कि देखिए मेरा भतीजा/भाँजा आईएएस/आईपीएस है. अन्दर ही अन्दर वे भले ही कुढ़ते रहें पर शान से आपकी तारीफ़ दूसरों के सामने करेंगे ताकि उनका स्टेटस भी ऊँचा हो. इसीलिए इन मामूली फैक्टर से अपने जीवन को नष्ट मत कीजिए. लोगों को कहते रहने दीजिए, मैं भी आप ही लोगों में से यूँही एक तरह से इसी तरह सुनता आया हूँ बेफिक्र रहिये बेवाक रहिये हमारी तरह !
UPSC की परीक्षा कोई बैंकिंग या SSC की परीक्षा नहीं है. यह एक high-level परीक्षा है. इनके सवाल अच्छे-अच्छों की छुट्टी कर देते हैं. आपने लाख तैयारी की हो, 24 घंटे ही क्यों न पढ़ लिया हो, पर आप जनरल नॉलेज के 200 के 200 सवाल कभी सही नहीं कर सकते जैसा CAT या अन्य MBA परीक्षा में लोग कर लेते हैं. इसलिए आपकी मंजिल टेढ़ी-मेढ़ी है और न ही इसका कोई शोर्ट-कट है. हम अपनी मंजिल तभी पूरी कर पायेंगे जब हम स्वयं में यह दृढ़संकल्प करें कि हम किसी भी बाहरी नकारात्मक शक्तियों को अपने आस-पास भी नहीं फटकने देंगे और दिन -रात एक कर के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे !
आईएएस की तैयारी के लिए एक साल पर्याप्त माना जाता है. वैसे ये विद्यार्थी के क्षमता पर निर्भर करता है. किसी के लिए 6 महिने की पढ़ाई भी काफी है और किसी के लिए 2 साल की पढ़ाई भी काफी नहीं. पर इसमें निराश होने की जरुरत नहीं. क्षमता को बढ़ाया और घटाया जा सकता है. आप ठान लें कि आज से और अभी से आप अगले साल तक रोजाना 6 घंटे की पढ़ाई करेंगे तो आप इस टेढ़े-मेढ़े सफ़र को सरलता से पार कर जायेंगे. पर ऐसा अक्सर होता नहीं. हर लोगों का मोटिवेशन लेवल अलग-अलग होता है और यही मोटिवेशन लेवल हार और जीत का फैसला करता है. आप हो सकता है आज यह आर्टिकल पढ़ कर कसम खा लें कि मैं रोजाना आईएएस की पढ़ाई के लिए अगले मेंस तक 6 घंटे दूंगा….और यह भी हो सकता है कि आप आज और कल तक अपने संकल्प पर कायम भी रहें….मगर तीसरे दिन आते-आते तक …कुछ ऐसा होगा कि आप फिर वापस वहीं पर चले जायेंगे जहाँ पहले थे. सब छूट जायेगा. किसी की गर्लफ्रेंड नाराज़ हो जाएगी, कभी व्हाट्सएप गुनगुनाने लगेगा, कभी पिताजी की डांट पड़ने से उदास हो जाओगे….कुछ न कुछ ऐसा हो ही जायेगा कि आप अपने लक्ष्य से भटक जाओगे !
वहीं जिसका सफल होना लिखा है…वह अपने लक्ष्य पर डटा रहेगा. चाहे आँधी आए, चाहे तूफान….चाहे गर्लफ्रेंड ने बात करना बंद कर दिया, चाहे पापा की डांट ही क्यूँ न पड़ गयी हो..उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. वह दिन रात एक कर देगा. इन्टरनेट पर भी वही चीजें देखेगा जो उसकी काम की हों, जो उसे प्रोत्साहित करती हों…जो उसके नोट्स बनाने के काम आए या फिर कुछ उपयोगी बिषय वस्तु लगे अवगत रहें !
मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं…! मेरी भी नहीं, यही सवाल प्रारंभ में मेरा भी था, लेकिन सवाल को करने से मुझे आजतक कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि नुकसान ही हुआ है ! कईओं का यही सवाल... उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं, लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वे कैसे आगे बढ़ें? हाँ. हमारे नसीब में हर कुछ नहीं होता. किसी के पास किताबें खरीदने के पैसे-ही-पैसे हैं….हज़ारों की किताबें वह खरीद सकता है मगर दुर्भाग्य है कि उन्हें पढ़ने का उसके पास समय ही नहीं. किन्हीं को एक किताब को खरीदने के लिए 100 बार सोचना पड़ता है. पुरानी किताबों को बेचकर उन्हें नयी किताबें लेनी पड़ती हैं. पर सोचिए, आपके पास सिर्फ पैसे नहीं हैं, किन्हीं-किन्हीं के पास लिखने के लिए हाथ भी नहीं है, किन्हीं की आँखें कमजोर हैं, उन्हें कुछ दिखता नहीं….!
इसलिए पीड़ा की कोई सीमा नहीं है. आप गरीब हैं, अमीर हैं…फर्क तो पड़ता है. पर उतना नहीं जितना हम सोच लेते हैं. किताबें उधार भी ली जा सकती हैं, पुरानी किताबों को भी कम दामों में ख़रीदा जा सकता है….बस दिमाग में यह रहना चाहिए कि हमें रुकना नहीं है, चलते रहना है…चलते रहना है….जितना कठिन संघर्ष होगा उतनी ही शानदार जीत होगी. अपनी सोंच को संकुचित नहीं कीजिए. मेरे पास ये नहीं है, वो नहीं है से अच्छा है कि जो है उसका पूर्ण प्रयोग करना सीखें. छोटी सोच और पैर में पड़ी मोच से आगे कभी नहीं बढ़ा जा सकता !
क्या दिल्ली जाना जरुरी है? सबसे बड़ा सवाल !
यूपीएससी परीक्षा में सफल होने के लिए दिल्ली जाने की आवश्यकता नहीं है. आप बेशक घर बैठे भी तैयारी कर सकते हैं. घर में बैठने से बहुत बार मन टूटता है. कभी चीनी ले आओ, कभी सब्जियाँ …पढ़ाई के बीच-बीच में आपको कई बार उठना पड़ता है. आप अन्दर से चिढ़ जाते हैं और यही चिढ़ आपमें नकारात्मकता लाता है जो आपके लक्ष्य के लिए खतरनाक है. घर के कुछ काम कर देने से आपका बहुत सारा समय बर्बाद नहीं होता, हद से हद 2 घंटे, वह भी रोज नहीं…कभी-कभी. मगर इसको लेकर स्वयं को स्ट्रेस मत दें…पॉजिटिव सोचें….आपको इस परीक्षा के लिए समाज के बारे में भी जानना है. याद कीजिए UPSC आपसे decision making से भी सवाल पूछती है. जैसे कि आप किसी दवाई की दुकान गए, आप गौर करते हैं कि दवाई वाले भैया ने आपको दवाई की खरीद पर रसीद नहीं दिया, कच्चा चिट्ठा दे कर पैसे ले लिए…तो ऐसे में आप क्या करेंगे? i) उसे इस बात से अवगत करायेंगे कि आपको रसीद देनी चाहिए और रसीद देने की माँग करेंगे ii) बगल के थाने में रिपोर्ट कर देंगे iii) उसे डरायेंगे-धमकाएंगे iv) चुप-चाप दवा ले कर घर लौट जायेंगे !
इसलिए जब तक आप समाज को जानोगे नहीं, बाहर घूमोगे नहीं…तो इन सवालों का जवाब आप दोगे कैसे? इसलिए हर चीजों को पॉजिटिव वे में लें….आपको कोई डिस्टर्ब भी कर रहा है तो उसमें भी कोई पोसिटिवनेस ढूँढिए. दिल्ली जाना तभी ठीक है, जब आपके पास पर्याप्त पैसे हों या आप घर में बैठ कर बिल्कुल पढ़ नहीं सकते या आपके अगल-बगल परिवार में कोई भी इस बैकग्राउंड से न हो !
मैं नया अप्रेन्टिस हूँ, शुरुआत कहाँ से करे ?.. बेहतर है पहले सिलेबस को ध्यान से देखिए. फिर पिछले साल आये सवालों को देखिए. उन पर रिसर्च कीजिए. यह भी एक अभ्यास है. धीरे-धीरे आप UPSC में पूछे जाने वाले सवालों के पैटर्न को अच्छी तरह समझने लगेंगे. आपको पता लग जायेगा कि UPSC डायरेक्ट सवाल नहीं पूछती ….जैसे- वर्तमान वित्त मंत्री कौन हैं, यह सब SSC लेवल के सवाल हैं. UPSC को पूछना होगा तो वह वित्त मंत्री के कार्यक्षेत्र क्या-क्या हैं…यह पूछेगी. इस तरह आप पैटर्न को समझेंगे. पैटर्न को जब आप समझ जायेंगे और फिर जा कर किताबों को पढ़ेगें तो आप पायेंगे कि आप किताब को अलग ढंग से पढ़ रहे हैं. आपको सिर्फ वही चीज उस किताब में दिखेगी जो आपके काम की हो. किताबों में वाक्यों पर पेंसिल से लाइन भी ड्रा करिए जो वाक्य आपको इम्पोर्टेन्ट लगे. Recommended किताबों के बारे में मैं पहले ही लिख चुका हूँ, यहाँ पढ़ें !
UPSC में लेखन अभ्यास का क्या रोल है?
आपको पढ़ने के साथ-साथ लिखने का भी अभ्यास करते रहना चाहिए क्योंकि लेखन के क्षेत्र में जब तक आपका हाँथ नहीं खुलेगा आप मेंस में अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाओगे. किसी भी टॉपिक को संक्षेप में (लगभग 200 शब्द) लिखने का रोज अभ्यास करें. यदि आपकी लेखन शैली को कोई जाँच करने वाला या व्याकरण चेक करने वाला हो तो सोने पर सुहागा है !
मैं लगातार मिल रही विफलता से टूट चुका हूँ
विफलता मिलने से टूटना स्वभाविक है. विफलता परेशान ही करती है और अन्दर से विचलित भी. पर अब तो आपके पास attempts भी कई सारे हैं. जरुरी नहीं कि हर कोई पहली या दूसरी बार में ही सफलता प्राप्त कर ले क्योंकि हमारे जीवन में भाग्य का भी रोल होता है. आपने कई बार देखा होगा कि आपका दिन कभी-कभी जरुरत से ज्यादा अच्छा जाता है और जिस दिन कुछ खराब होना रहता है तो उस दिन सब कुछ लगातार खराब ही ख़राब होता है. हिम्मत मत हारिये. कभी-कभी गुच्छे की आखरी चाभी भी ताला खोल देती है इसलिए डटे रहिए !


आईएएस_साक्षात्कार_में_अपनी_शारीरिक_भाषा_कैसी_रखें।

उम्मीदवार पहले यूपीएससी प्रीलिम्स और उसके बाद मेन्स परीक्षा और अन्त में यूपीएससी बोर्ड साक्षात्कार का के लिये अर्हता प्राप्त करते है। यह आईएएस परीक्षा का सबसे महत्वपूर्ण चरण या हिस्सा माना जा सकता है, क्योंकि भले ही आप यूपीएससी बोर्ड के सदस्यों द्वारा पूछे गए सभी सवालों के जवाब जानते हों, लेकिन यदि आप उनके उत्तर तर्कसंगत या ठीक से नहीं दे पाते तो यह आपकी बहुत ही असंतुष्ट छवि को दर्शाता है और संभावना है कि आपको अस्वीकार कर दिया जाए। यूपीएससी बोर्ड एक आश्वस्त और पेशेवर उम्मीदवार को एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में नियुक्त करने की तलाश करता है। बोर्ड एक उम्मीदवार में ऐसे व्यक्तित्व की भी तलाश करते हैं जो आसानी से भ्रमित या विचलित नहीं होते, और जो आपातकाल या दबाव की परिस्थिति को अपने व्यक्तित्व तथा व्यवहार में दिखने नहीं देते हैं।
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इसलिए, आपके लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप उस व्यक्ति की छवि को चित्रित करें जिसे स्वयं पर पूरा विश्वास हो क्योंकि एक सिविल सेवक या राजनयिक होना कोई आसान कार्य नहीं है और भविष्य के अधिकारी के रूप में आपको यूपीएससी के साक्षातकार पैनल में अपने आत्मविश्वास का परिचय देना होगा। शारीरिक भाषा एक दर्पण की तरह है जिसके माध्यम से एक अनजान व्यक्ति आपके चरित्र के बारे में बता सकता है। अतः, सही शारीरिक भाषा (Body Language) में विकास करें ताकि आप अपने यूपीएससी व्यक्तित्व परीक्षण के दौरान सकारात्मक माहौल पैदा कर सकें। इस लेख के जरिये हम आपको आईएएस साक्षात्कार के दौरान व्यवहार करने के बारे में कुछ सुझाव देंगे।
#अपने_आप_और_अपने_ज्ञान_में_विश्वास (#Self_Belief)
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अपने ज्ञान और अपनी पृष्ठभूमि नाम आदि के साथ तैयार रखें और सैद्धांतिक रूप से उसे जानें, यह आपको आत्मविश्वास देगा। अपने चेहरे पर विश्वास दिखाएं बात करते समय नीचे की तरफ न देखें प्रश्न पूछने वाले व्यक्ति की तरफ देख कर अपने जवाब दें, यह आपके आत्मविश्वास और ऊर्जा को दर्शाता है। यदि आपको किसी सवाल का जवाब नहीं पता है तो ईमानदारी से कहें की मुझे इसके बारे में नही पता, यूपीएससी बोर्ड इसकी सराहना करेगा।
#नोट: ज्ञान का अहंकार विफल करने का एक निश्चित-शॉर्टकट तरीका है, अपने ज्ञान पर आश्वस्त रहें, लेकिन नम्र रहें और आदर दिखाएं।
#उत्साह_की_भूमिका (#Confidence)
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उत्साह का मतलब है कि आपका अपने ध्येय के लिए समर्पित होना। यदि पूर्ण वाक्यों में उत्तर दें कम बोलने से बचें साक्षात्कारकर्ता को आप में रुचि बनाए रखने के लिये यह आवश्यक है। किन्तु अधिक उत्साह संक्रामक भी हो सकता है और यह बोर्ड के सदस्यों को आपके पक्ष में निर्णय लेने की संभावना को बाधित कर सकता है।
#आशावाद (#Optimism)
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किसी को भी बेवकूफ पसंद नहीं आते हैं, यूपीएससी बोर्ड को दिखाएं कि आप एक सकारात्मक व्यक्ति हैं और अपने जवाबों में सकारात्मक रहें भले ही स्थिति गंभीर हो। समस्याओं के समाधान प्रदान करें और आशा का साथ न छोड़ें, क्योंकि आशावाद उत्साह की तरह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
#आईएएस_साक्षात्कार_के_दौरान_अपनी_शारीरिक_भाषा_के_विकास_के_लिये_क्या_करें_और_क्या_न_करें।
⚫अपनी बाहों को ऊपर न चढ़ाएं क्योंकि यह एक रक्षात्मक संकेत दर्शाता है।
⚫कैजुअल रूप से या अनुचित तरीके से पोशाक न करें।
⚫अति सूक्ष्म शब्दों में जवाब न दें।
⚫अहंकारी शैली का प्रयोग न करें।
⚫साक्षात्कारकर्ता के कथन को ठीक करने का प्रयास न करें और बाधा उत्पन्न न करें।
⚫चर्चा करते समय शारीरिक हाव भाव का ध्यान रखें जैसे - जम्हाई न लें इससे लगता है कि आप बोर  हो रहे हैं।
⚫अपनी मुट्ठी को न छूएं यह आक्रामकता और क्रोध को दर्शाता है।
⚫घृणा और  नर्वस होना घबराहट को दर्शाती है।
⚫बात करते समय अपना चेहरा न छूएं - इसे कन्फ्यूज (धोका) होने का संकेत माना जाता है।
⚫अपने सिर पर अंगुलियां फिराने से बचें यह भी अनिश्चितता का संकेत है।
⚫अपने कपड़ों के बारे में अधिक चिंता न करें और अपनी कुर्सी के किनारे की तरफ न बैठें।
⚫एक संतुलित मुस्कुराहट के साथ प्रश्नों के स्पष्ट रूप से उत्तर दें और साक्षात्कारकर्ता की आंखों से संपर्क बनाये रखें।


इंटरव्यू_टिप्स ...

पैनल का सबसे पहला प्रश्न होगा आपसे कि अपने बारे में कुछ बताएं ...तो वहां पर आपको 2  या 3 लाइन में अपना महत्वपूर्ण ब्यौरा देना होगा !   जैसे अपना नाम , कहाँ के रहने वाले हैं और अपनी शिक्षा और अगर कोई जॉब है तो उसे अंत में !  इस प्रश्न को जरूर तैयार कर लें !
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इसके बाद अपने नाम , जन्म स्थान , जन्म तारीख से जुडी महत्वपूर्ण चीजें तैयार कर लीजिये ...जैसे आपके नाम का अर्थ क्या है ? , आपके जन्मदिन पर किसी अन्य विशेष व्यक्ति का जन्म या कोई अन्य महत्वपूर्ण घटना ,  आपके जन्म स्थान से सम्बंधित कोई इतिहास आदि ! कभी कभी गृह जनपद से भी जुड़े प्रश्न पूछ लेते हैं इसलिए अपने गृह जनपद के बारे में सम्पूर्ण जानकारी एकत्र कर लीजिये ...वह किन चीजों में विशिष्ट है और किन चीजों में कमजोर !
अगला प्रश्न हो सकता है कि आप अधिकारी क्यों बनना चाहते हैं या आप इस सेवा में क्यों आना चाहते हैं ? ...इसका उत्तर भी आप आराम से 2  लाइन में सटीक तैयार कर लीजिये !इस प्रश्न के उत्तर में बहुत लोग चिंतित रहते हैं कि सबसे अच्छा उत्तर क्या रहेगा तो मैं आपको आस्वस्त कर दूँ कि इस प्रश्न के एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं इसलिए आराम से सोच समझकर तैयार कीजिये !
अब बारी आती है आपके विषयों कि और वैकल्पिक की ! इससे जुड़े प्रश्न जरूर पूछे जायेंगे जैसे आपको सबसे ज्यादा कौन सी  विषय पढ़ने में रूचि है और क्यों ? , वैकल्पिक का चुनाव क्यों किया ? आपके विषयों के अध्ययन के व्यवहारिक क्या उपयोग हो सकते हैं आपकी सेवा में आदि !
इसके बाद आपसे विषयों से सम्बंधित कुछ शैक्षिक प्रश्न किये जायेंगे ! उसके लिए आप पिछले 8  माह की बड़ी घटनाओं को देख जाइये ! बड़ी योजनाएं , बड़े शुभारम्भ , महत्वपूर्ण घटनाएं आदि !  ज्यादा गहराई में इसलिए नहीं जाएगा क्योंकि एक सीमित समय होता है !
इसके बाद वैकल्पिक विषय को लेकर कुछ प्रश्न अवश्य होंगे !
इंटरव्यू तक आप लगातार एक राष्ट्रीय स्तर का न्यूज़ पेपर जरूर पढ़ते जाइये !
तनाव मत लीजिये , पुरे इंटरव्यू के दौरान सकारात्मक रहें !
हमेशा राजनीति और धर्म , जाती के प्रति निष्पक्ष रहें ...किसी विशेष तरफ कोई झुकाव ना रहे !
इंटरव्यू में किसी आलोचना या कटाक्ष के दौरान किसी भी जीवित व्यक्ति का नाम लेने से बचें , खासकर राजनीति से जुड़े लोगों का!
किसी प्रश्न का उत्तर ना बनें तो साफ स्वीकार कर लीजिये की नहीं आता लेकिन भटकाव और प्रश्न के परे उत्तर ना दें !
पूरे इंटरव्यू के दौरान आत्मविश्वास बहुत जरुरी है , झिझक और शर्माना बिलकुल नहीं होना चाहिए !