बातें हो या ना हो ख्याल तुम्हारा ही रहता है दोस्त,
लाजिम है तेरा लाजवाब होना दोस्त, एक ही तो ख्वाब थी वो भी हमारा...उसे यह शिकवा है कि मैं उसे समझ न सका, और मुझे ये नाज़ है कि मैं जानता बस उसी को हूँ दोस्त...जब किसी अपने को खोने की नौबत आती है न दोस्त,तभी उसे पाने की कीमत समझ आती है...दोस्त निभाते नहीं हैं लोग आजकल वरना इंसानियत से बड़ा रिश्ता कौन सा है...दोस्तों में मशहूर हुए तो क्या मज़ा दोस्त , मज़ा तो तब है जब चर्चा दुश्मनों की महफ़िल में हो...बेहतरीन होता है वो रिश्ता दोस्त जिसकी एक मुस्कान से,दूसरे के चेहरे पर मुस्कान आ जाये...भूल जाना तो जमाने की फितरत है, पर तुमने शुरुआत हमसे ही क्यों की दोस्त...किसी को शोर में नींद नहीं आती,किसी को खामोशियाँ सोने नहीं देती दोस्त...कभी टूटा ही नही'दिल से तुम्हारी यादो'का रिश्ता,बातें हो या ना हो ख्याल तुम्हारा ही रहता है दोस्त...आँसू निकल आए तो खुद ही पोछ लेना दोस्त, लोग पोछने आएंगे तो अब सौदा करेंगे...अल्फाज अक्सर अधूरे ही रह जाते है मोहब्बत में दोस्त,हर शख्स किसी न किसी की चाहत दिल में दबाये रखता है...नहीं है अब कोई जुस्तजू इस दिल में ए दोस्त,मेरी पहली और आखिरी आरज़ू ही किसी ने लूट लिया...दोस्त बहुत दिन हुए तुमने मुझे याद नहीं किया,हमें भी बताओ वो बाजार जहाँ तुमने यादें बेच दी हमारी...तुम महक बन के मिल जाओ इन हवाओं में कहीं दोस्त,हम सांस लेकर दिल में उतार लेंगें तुम्हे कुछ पल के लिए...गुलशन महके, बरखा बरसे, पतझड़, जाड़ा, बषन्त बहार कुछ भी हो,दिल का मौसम अच्छा है तो सारे मौसम से दोस्त...शिक़वा नहीं है कुछ भी तेरी "रहमतों" से मालिक,मगर वो मेरा "अज़ीज़ -ऐ- दिल" की हमेशा महफूज़ रखना...वजूद सिर्फ मेरी मौहब्बत से है,मुझे गुरुर बहुत अपनी मौहब्बत पे है,मुझे चाहते होंगे और भी बहुत लोग,मगर मुझे मौहब्बत सिर्फ अपनी मौहब्बत से है दोस्त...राज
शुभ रात्रि मेरे सभी प्रिय मित्रों...
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