टूटे हुए काँच की तरह चकनाचूर हो गए,
दोस्त कुछ तो उधार बाकी है तुम्हारा मुझ पर,वरना यूँ ही नहीं जुड़ते शब्दो के धागे...
दोस्त अपने सिवा बताओ कभी कुछ मिला भी है क्या तुम्हें,हज़ार बार ली हैं तुमने मेरे दिल की तलाशियाँ...
टूटे हुए काँच की तरह चकनाचूर हो गए,
किसी को लग ना जाये इसलिए सबसे दूर हो गए दोस्त...
आईना आज फिर से रिशवत लेते पकड़ा गया,दिल में दर्द था और चेहरा हंसता हुआ पकड़ा गया दोस्त...
जिसकी गलतियों को भुला के मैंने रिश्ता निभाया है,उसी ने मुझे बार बार फालतू होने का एहसास दिलाया है दोस्त...
तुझसे मोहब्बत करने से फुर्सत नहीं मिली,वरना कर के बताते नफरत किसे कहते हैं दोस्त...
किसी का दिल टूटा तो किसी की रूह,ये इश्क़ किसी का सगा नहीं दोस्त...
चलो मैं माना की मैं हारा तुमने जीता,पर ये तो बता दो दोस्त कि खेल क्या था जीवन का...
लोग कह रहे थे कि आज अमावस है मुझे क्या पता,मेरी तो हर रात अमावस है तेरे बिना दोस्त...
कितनी अजीब बात है न दोस्त दूरियां सिखाती है,नजदीकियाँ क्या होती है...
जरुरी नहीं की काम से ही इंसान थक जाए,फ़िक्र , धोके और फरेब भी थका देते है जिंदगी में दोस्त...
ब्लॉक नहीं इग्नोर करना सीखो,वर्ना तुम्हारी कामयाबी कैसे देखेंगे वो लोग दोस्त...
कुछ तो जरूर बहुत अच्छा है सभी में दोस्त,फिर जरा सी बुराइयों का हिसाब क्या रखें इस जिंदगी में...
देख अतीत के आईने में महसूस होता है,रंगीनियां ज़िन्दगी की हमेशा रहती नहीं दोस्त...
एक नाराज़गी सी हैं जेहन में ज़रूर,पर मैं खफा किसी से भी नहीं दोस्त...
वो शिकवे जो मैंने नहीं किए ,सारी उम्र तुम पर क़र्ज़ रहेंगे दोस्त...
अल्फ़ाज़ कैसे भी हों ‘रद्दी’ हो जाते हैं,अगर सुनने वाला ‘कबाड़ी’ हो दोस्त...
समस्या का गुलाम बनने वाले कभी भी खुद के भाग्य का निर्माता नही बन पाते दोस्त...राज
शुभ रात्री दोस्तों...
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