Friday, June 18, 2021

एक लम्हा है जो तेरे बगैर गुज़रता नहीं...

 एक लम्हा है जो तेरे बगैर गुज़रता नहीं...

दोस्त टूट कर चाहना और फिर टूट जाना,बात छोटी है मगर जान निकल जाती हैं…जिन्हें याद कर के मुस्कुरा दे ये आँखें,वो लोग दूर होकर भी दूर नहीं होते दोस्त...तेरी दूरियों में वो दम कहा,जो मेरी चाहत को कम कर दे दोस्त...तरस गई है ये आंखे तुम्हे निहारने को,काश आखिरी बार थोडा और देख लिया होता तुझे दोस्त...तुम को महसूस करना ही तो इश्क़ है,छू के तो मैंने खुदा को भी नहीं देखा दोस्त...एक उम्र है जो तेरे बगैर गुजारनी है,और एक लम्हा है जो तेरे बगैर गुज़रता नहीं दोस्त...कुछ नही जानता मैं तुम्हारे बारे में,बस खुबसूरत अदाओं से लगता है तू मेरी जिंदगी की राजधानी थी दोस्त...हिसाब आज तक इसका कोई रख ही नहीं पाया,किसी को पाने की हसरत में क्या क्या खोना पड़ता है दोस्त...बेबसी किसे कहते है कोई हमसे पूछें,तुम्हरा पता होक भी लापता है तू मेरी जिंदग...मैंने परखा है अक्सर अपनी बदनसीबी को,जिस को अपना कह दूं फिर वो अपना नहीं रहता दोस्त...सुकून मिलता है दो लफ़्ज कागज पर उतार कर ,चीख़ भी लेते हैं हम और आवाज़ भी नहीं होती दोस्त...सिखा न सकी जो उम्र भर तमाम किताबे मुझे,करीब से कुछ चेहरे पढे और न जाने कितने सबक सीख लिए...झूठी मोहब्बत,वफा के वादे,साथ निभाने की कसमें,कितना कुछ करते हैं लोग सिर्फ वक्त गुजारने के लिए दोस्त...कितनी भी कोशिश कर लो दोस्त,समझा नहीं पाओगे उसे जो समझना ही नहीं चाहता...ख्वाहिशों के समंदर के सब मोती तेरे नसीब हों,तेरे चाहने वाले हमसफ़र तेरे हरदम क़रीब हों,कुछ यूँ उतरे तेरे लिए रहमतों का मौसम,की तेरी हर दुआ ,हर ख्वाहिश कबूल हो...जो गुजारी न जा सके,हम वो जिंदगी गुजार रहे हैं दोस्त...है रूह को भी समझना ज़रूरी,महज़ हाथों को थामना साथ नहीं न होता दोस्त...बदलते लोग, बदलते रिश्ते और बदलता मौसम,चाहे दिखाई ना दे मगर महसूस जरूर होते है दोस्त...खुशबू कैसे ना आये मेरी बातों से यार,मैंने बरसों से एक ही फूल से मोहब्बत की है...राज

Sunday, June 13, 2021

Wonderful knowledge of Hindi

बहुत ही कठोर और बड़ा आघात— वज्राघात

• बचपन और यौवन के मध्य की उम्र— वयसंधि

• जिसका वर्णन न किया जा सके— वर्णनातीत

• अधिक बोलने वाला— वाचाल

• सन्तान के प्रति प्रेम— वात्सल्य

• मुकदमा दायर करने वाला— वादी

• भाषण देने मेँ चतुर— वाग्मी

• जिसका वाणी पर पूर्ण अधिकार हो— वाचस्पति

• सामाजिक मानमर्यादा के विपरीत कार्य करने वाला— वामाचारी

• गृह–निर्माण संबंधी विज्ञान— वास्तुविज्ञान

जिसका जन्म नहीं होता - अजन्मा 

 पुस्तकों की समीक्षा करने वाला - समीक्षक , आलोचक 

 जिसे गिना न जा सके - अगणित 

 जो कुछ भी नहीं जानता हो - अज्ञ 

 जो बहुत थोड़ा जानता हो - अल्पज्ञ 

 जिसकी आशा न की गई हो - अप्रत्याशित 

 जो इन्द्रियों से परे हो - अगोचर 

 जो विधान के विपरीत हो - अवैधानिक 

 जो संविधान के प्रतिकूल हो - असंवैधानिक 

 जिसे भले -बुरे का ज्ञान न हो - अविवेकी 

 जिसके समान कोई दूसरा न हो - अद्वितीय 

 जिसे वाणी व्यक्त न कर सके - अनिर्वचनीय 

 जैसा पहले कभी न हुआ हो - अभूतपूर्व 

 जो व्यर्थ का व्यय करता हो - अपव्ययी 

 बहुत कम खर्च करने वाला - मितव्ययी 

 सरकारी गजट में छपी सूचना - अधिसूचना 

 जिसके पास कुछ भी न हो - अकिंचन 

 दोपहर के बाद का समय - अपराह्न 

 जिसका निवारण न हो सके - अनिवार्य 

 देहरी पर रंगों से बनाई गई चित्रकारी - अल्पना 

 आदि से अन्त तक - आघन्त 

 जिसका परिहार करना सम्भव न हो - अपरिहार्य 

 जो ग्रहण करने योग्य न हो - अग्राह्य 

 जिसे प्राप्त न किया जा सके - अप्राप्य 

 जिसका उपचार सम्भव न हो - असाध्य 

 भगवान में विश्वास रखने वाला - आस्तिक 

 भगवान में विश्वास न  रखने वाला- नास्तिक 

 आशा से अधिक - आशातीत 

 ऋषि की कही गई बात - आर्ष 

 पैर से मस्तक तक - आपादमस्तक 

 अत्यंत लगन एवं परिश्रम वाला - अध्यवसायी 

 आतंक फैलाने वाला - आंतकवादी 

 देश के बाहर से कोई वस्तु मंगाना - आयात 

 जो तुरंत कविता बना सके - आशुकवि 

 नीले रंग का फूल - इन्दीवर 

 उत्तर -पूर्व का कोण - ईशान 

 जिसके हाथ में चक्र हो - चक्रपाणि 

 जिसके मस्तक पर चन्द्रमा हो - चन्द्रमौलि 

 जो दूसरों के दोष खोजे - छिद्रान्वेषी 

 जानने की इच्छा - जिज्ञासा 

 जानने को इच्छुक - जिज्ञासु 

जीवित रहने की इच्छा- जिजीविषा 

इन्द्रियों को जीतने वाला - जितेन्द्रिय 

 जीतने की इच्छा वाला - जिगीषु 

 जहाँ सिक्के ढाले जाते हैं - टकसाल 

 जो त्यागने योग्य हो - त्याज्य 

 जिसे पार करना कठिन हो - दुस्तर 

 जंगल की आग - दावाग्नि

 गोद लिया हुआ पुत्र - दत्तक 

 बिना पलक झपकाए हुए - निर्निमेष 

 जिसमें कोई विवाद ही न हो - निर्विवाद 

 जो निन्दा के योग्य हो - निन्दनीय 

 मांस रहित भोजन - निरामिष 

 रात्रि में विचरण करने वाला - निशाचर 

 किसी विषय का पूर्ण ज्ञाता - पारंगत 

 पृथ्वी से सम्बन्धित - पार्थिव 

 रात्रि का प्रथम प्रहर - प्रदोष 

 जिसे तुरंत उचित उत्तर सूझ जाए - प्रत्युत्पन्नमति 

 मोक्ष का इच्छुक - मुमुक्षु 

 मृत्यु का इच्छुक - मुमूर्षु 

 युद्ध की इच्छा रखने वाला - युयुत्सु 

 जो विधि के अनुकूल है - वैध 

 जो बहुत बोलता हो - वाचाल 

 शरण पाने का इच्छुक - शरणार्थी 

 सौ वर्ष का समय - शताब्दी 

 शिव का उपासक - शैव 

 देवी का उपासक - शाक्त 

 समान रूप से ठंडा और गर्म - समशीतोष्ण 

 जो सदा से चला आ रहा हो - सनातन 

 समान दृष्टि से देखने वाला - समदर्शी 

 जो क्षण भर में नष्ट हो जाए - क्षणभंगुर 

 फूलों का गुच्छा - स्तवक 

 संगीत जानने वाला - संगीतज्ञ 

 जिसने मुकदमा दायर किया है - वादी 

 जिसके विरुद्ध मुकदमा दायर किया है - प्रतिवादी 

 मधुर बोलने वाला - मधुरभाषी 

 धरती और आकाश के बीच का स्थान - अन्तरिक्ष 

 हाथी के महावत के हाथ का लोहे का हुक - अंकुश 

 जो बुलाया न गया हो - अनाहूत 

 सीमा का अनुचित उल्लंघन - अतिक्रमण 

 जिस नायिका का पति परदेश चला गया हो - प्रोषित पतिका

 जिसका पति परदेश से वापस आ गया हो - आगत पतिका 

 जिसका पति परदेश जाने वाला हो - प्रवत्स्यत्पतिका 

जिसका मन दूसरी ओर हो - अन्यमनस्क 

• बाहर के तापमान का असर रोकने हेतु की जाने वाली व्यवस्था— वातानुकूलन

• वह कन्या जिसके विवाह करने का वचन दे दिया गया हो— वाग्दता

• जिसमेँ विष मिला हुआ हो— विषाक्त

• जिस पर विश्वास किया जा सके— विश्वस्त

• जिस विषय मेँ निश्चित मत न हो— विवादास्पद

• जिसकी पत्नी मर चुकी हो— विधुर

• स्त्री जिसका पति मर गया हो— विधवा

• सौतेली माँ— विमाता

• जो दूसरी जाति का हो— विजातीय

• जिस पर अभी विचार चल रहा हो— विचाराधीन

• वह स्त्री जो पढ़ी–लिखी व ज्ञानी हो— विदुषी

• अपना हित–अहित सोचने मेँ समर्थ— विवेकी

• अपनी जगह से अलग किया हुआ— विस्थापित

• जिसके अंदर कोई विकार आ गया हो— विकृत

• जो अपने धर्म के विरुद्ध कार्य करने वाला हो— विधर्मी

• जो विधि/कानून के अनुसार सही हो— विधिवत्/वैध

• किसी विषय का विशेष ज्ञान रखने वाला— विशेषज्ञ

• विनाश करने वाला— विध्वंसक

जिसके शरीर के भाग मेँ कमी हो— विकलांग

• जिसे व्याकरण का पूरा ज्ञान हो— वैयाकरण

• सौ वर्षोँ का समूह— शताब्दी

• जो शरण मेँ आ गया हो— शरणागत

• शरण की इच्छा रखने वाला— शरणार्थी

• हाथ मेँ पकड़कर चलाया जाने वाला हथियार जैसे तलवार— शस्त्र

• सौ वस्तुओँ का संग्रह— शतक

• जो सौ बातेँ एक साथ याद रख सकता है— शतावधानी

• जिसके स्मरण मात्र से ही शत्रु का नाश हो/शत्रु का नाश करने वाला— शत्रुघ्न

• जिसका कोई आदि और अंत न हो— शाश्वत

• शाक, फल और फूल खाने वाला— शाकाहारी/निरामिष

• जिस शब्द के दो अर्थ होँ— शिलष्ट

• शिव का आलय (स्थान)— शिवालय

• शुभ चाहने वाला— शुभेच्छु/शुभाकांक्षी

• अनुसंधान के लिए दिया जाने वाला अनुदान— शोधवृत्ति

• जो सुनने योग्य हो— श्रव्य/श्रवणीय

• जिसमेँ श्रद्धा भावना हो— श्रद्धालु

• पति/पत्नी का पिता— श्वसुर

• पति/पत्नी की माता— श्वश्रू (सास)

• पति/पत्नी का भाई— श्वशुर्य (साला)

• जिसके छह कोण होँ— षट्कोण

• जिसके छह पद होँ (भौँरा)— षट्पद

• छह–छह माह मेँ होने वाला— षण्मासिक

• सोलह वर्ष की अवस्था वाली स्त्री— षोडशी

• दो नदियोँ के मिलने का स्थान— संगम

• इन्द्रियोँ को वश मेँ रखने वाला— संयमी

• जो समाचार भेजता है— संवाददाता

• एक ही माँ से उत्पन्न भाई/बहन— सहोदर/सहोदरा

• सात सौ दोहोँ का समूह— सतसई

• जो गुण–दोषोँ का विवेचन करता हो— समालोचक

• सब कुछ जानने वाला— सर्वज्ञ

• जो समान आयु का हो— समवयस्क

• जो सभी को समान दृष्टि से देखता हो— समदर्शी

• साहित्यिक गुण–दोषोँ की विवेचना करने वाला— समीक्षक

• वह स्त्री जिसका पति जीवित हो— सधवा

• जो सदा से चला आ रहा हो— सनातन

• अन्य लोगोँ के साथ गाया जाने वाला गीत— सहगान

• उसी समय मेँ होने वाला/रहने वाला— समकालीन

• साथ पढ़ने वाला— सहपाठी

• जो दूसरोँ की बात सहन कर सकता हो— सहिष्णु

• छूत या संसर्ग से फैलने वाला रोग— संक्रामक

• जो एक ही जाति के होँ— सजातीय

• गीतोँ की धुन बनाने वाला— संगीतकार

• रस पूर्ण— सरस

• साथ काम करने वाला— सहकर्मी

• सबको प्रिय लगने वाला— सर्वप्रिय

• सद् आचरण रखने वाला— सदाचारी

• ज्ञान देने वाली देवी— सरस्वती

• जो अपनी पत्नी के साथ हो— सपत्नीक


• सत्य के लिए आग्रह— सत्याग्रह

• शर्तोँ के साथ काम करने का समझौता— संविदा

• जो सत्य बोलता हो— सत्यवादी/सत्यभाषी

• संहार करने वाला/मारने वाला— संहारक

• जिसका चरित्र अच्छा हो— सच्चरित्र

• न बहुत ठण्डा न बहुत गर्म— समशीतोष्ण

• जो सब कुछ खाता हो— सर्वभक्षी

• सब कुछ पाने वाला— सर्वलब्ध

• जो समस्त देशोँ/स्थानोँ से संबंधित हो— सार्वभौमिक

• रथ हाँकने वाला— सारथि

• जो पढ़ना–लिखना जानता है— साक्षर

• सप्ताह मेँ एक बार होने वाला— साप्ताहिक

• सभी लोगोँ के लिए— सार्वजनिक

• आकार से युक्त (मूर्तिमान)— साकार

• जो सब जगह विद्यमान हो— सर्वव्यापी

• जिसकी ग्रीवा सुंदर हो— सुग्रीव

• जो सोया हुआ हो— सुषुप्त

• सधवा रहने की दशा या अवस्था— सुहाग

• पसीने से उत्पन्न जीव (जैसे जूँ आदि)— स्वेदज

• किसी संस्था या व्यक्ति के पचास वर्ष पूरे करने के उपलक्ष्य मेँ होने वाला उत्सव— स्वर्ण जयंती

• स्त्री के स्वभाव जैसा— स्त्रैण

• गतिहीन रहने वाला— स्थावर

• जिसको सिद्ध करने के लिए अन्य प्रमाणोँ की जरूरत न हो— स्वयंसिद्ध/स्वतः प्रमाण

• अपनी ही इच्छानुसार पति का वरण करने वाली— स्वयंवरा

• जो स्वयं भोजन बनाकर खाता हो— स्वयंपाकी

• जो अपने ही अधीन हो— स्वाधीन

• जो अपना ही हित सोचता हो— स्वार्थी

• सौ वस्तुओँ का संग्रह— सैँकड़ा/शतक

• हमला करने वाला— हमलावर

• सेना का वह भाग जो सबसे आगे हो— हरावल

• हवन से संबंधित सामग्री— हवि

• ऐसा बयान जो शपथ सहित दिया गया हो— हलफनामा

• दूसरे के काम मेँ दखल देना— हस्तक्षेप

• ऐसा दुःख जो हृदय को चीर डाले— हृदय विदारक

• हृदय से संबंधित— हार्दिक

• जिस पर हँसी आती हो/जो हँसी का पात्र हो— हास्यास्पद

• किसी संस्था या व्यक्ति के साठ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य मेँ होने वाला उत्सव— हीरक जयंती

• जो बात हृदय मेँ अच्छी तरह बैठ गई हो— हृदयंगम

• दूसरोँ का हित चाहने वाला— हितैषी

• न टलने वाली घटना/अवश्यंभावी घटना/भाग्याधीन— होनहार

• यज्ञ मेँ आहुति देने वाला— होमाग्नि

   विभिन्न प्रकार की इच्छाएँ:

• किसी वस्तु को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा— अभीप्सा

• सांसारिक वस्तुओँ को प्राप्त करने की इच्छा— एषणा

• कार्य करने की इच्छा— चिकीर्षा

• जानने की इच्छा— जिज्ञासा

• जीतने, दमन करने की इच्छा— जिगीषा

• किसी को जीत लेने की इच्छा रखने वाला— जिगीषु

• किसी को मारने की इच्छा— जिघांसा

• भोजन करने की इच्छा— जिघत्सा

• ग्रहण करने, पकड़ने की इच्छा— जिघृक्षा

• जिँदा रहने की इच्छा— जिजीविषा

• ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा— ज्ञानपिपासा

• तैर कर पार जाने की इच्छा— तितीर्षा

• धन की इच्छा रखने वाला— धनेच्छु

• पीने की इच्छा रखने वाला— पिपासु

• फल की इच्छा रखने वाला— फलेच्छु

• खाने की इच्छा— बुभुक्षा

Monday, May 31, 2021

कैसे तुम्हें आवाज देता

 कितने सालों बाद तुम्हें

आज देखा

जी करें तुम्हें आवाज लगा दूं 

लेकिन 

एक अजीब डर भी तो

मन को खाए जा रहा था


कैसे तुम्हें आवाज देता

अब क्या कह कर

तुम्हें पुकारता

सोचा इतने सालों में बहुत कुछ बदल भी तो गया होगा

सब कुछ भूला भी तो गया होगा

वक़्त के साथ-साथ

बहुत कुछ पीछे छुट गया होगा

और सब कुछ टुट भी गया होगा


पर फिर एक सवाल मन में आया

मजबूर कर दिया उसने

ये सोचने पे

के वक़्त गुजरने से रिश्ते टुट जाते है क्या


इस लिहाज से तो कुछ भी नही टूटा होगा

यही सोचा

मगर पता नही 

दिल को अब भी क्यूं ये यकीं नही हो रहा था 

आखिर ये रिश्ता टूटा है या जुड़ा हुआ ही है


इसी कश्मकश में

मैं तुम्हें आवाज नही दे पाया

और तुम भी मुझे देख ना पायी


फिर एक बार हम दोनों

एक दूसरे को देखे बिना ही

अपने अपने रास्तें की तरफ चल पड़े

5 STEPS FOR OVERCOMING ADDICTIONS

 5 STEPS FOR OVERCOMING ADDICTIONS

 
 
1. Take A Pledge Of Positive Determination - Promise yourself every morning and night that you will overcome every addiction in your life, based on a deep realization that any addiction is an obstacle in your freedom, and it weakens you spiritually by depleting you of attainments like contentment, power and permanent peace and bliss.
 
2. Inject Your Mind With Positive Thoughts - As you wake up in the morning, give yourself a dose of positive spiritual wisdom. Read or listen something beautiful, positive and powerful. The more your mind and heart will be fulfilled and satisfied, the more you will feel withdrawn from the negative habit.
 
3. Develop A Good Hobby To Keep Yourself Busy - For giving up any addiction, keep your mind occupied in a positive and constructive way for a few minutes every day. The more you experience love and taste for a hobby or positive habit, the more the negative habit will seem distasteful and you will not like it anymore.
 
4. Meditate Every Day For A Few Minutes - Experience your spiritual self and your original spiritual qualities of peace, love, joy and power and connect with the Supreme Being or God, who is the Ocean of these qualities, for a few minutes every day in meditation. Meditation will increase your self-esteem and confidence.
 
5. Meet People And Make Beautiful Relationships - To overcome any cravings towards addictions, meet positive minded people, and share positivity and goodness with them. You will have a feeling of well-being, and as you connect with them and become occupied, addictions become unimportant.

Thursday, May 27, 2021

हर हुस्न की हया झुकती वँहा जँहा हुनर बेहिसाब हो...

दोस्तो...रिश्ते कभी जिंदगी के साथ नहीं चलते,रिश्ते तो एक बार बनते हैं और फिर जिंदगी रिश्तों के साथ चलने लगती है। अंतर्मन में संघर्ष और फिर भी मुस्कुराता हुआ चेहरा यही जीवन का श्रेष्ठ अभिनय है...सबके जीवन में सब कुछ ठीक नहीं होता है। सत्य क्या है और उचित क्या है? ये हम अपनी सोच या अपनी आत्मा की आवाज़ से स्वयं निर्धारित करते हैं! फ़र्क़ सिर्फ इस बात से पड़ता है कि हम अपने कर्मो सामना किस प्रकार कर्मज्ञान के आधार पर करते हैं! कर्मज्ञान है तो ज़िन्दगी हर पल सुखी संतुष्ट है...वरना समस्या तो हर मानव के साथ प्रतिदिन है...प्रत्येक पल को ईश्वर का आशीर्वाद मानकर जीवन को जीना चाहिए। पद पर आकर व्यक्ति अगर अच्छा कार्य करता है तो पद श्रृंगार, उपहार और हार है वरना वह भार है , धिक्कार है और निस्सार है...As Per Some औसपीसीओउस ग्रन्थ...Like गीता,  कुरान, बाईबल, रामायण एंड राम,आल्हा, और God...To Sevice of Public is Service Of God...जो स्नेह हमें दूसरों से मिलता है...वो हमारे व्यवहार का ही एक लाजवाब तोहफ़ा है...परिस्थि की पाठशाला ही इंसान को वास्तविक शिक्षा देती है...राज 

हर हुस्न की हया झुकती वँहा जँहा हुनर बेहिसाब हो...

घर गुलज़ार, सूने शहर, बस्ती बस्ती में कैद हर हस्ती हो गई,आज फिर ज़िन्दगी महँगी और दौलत सस्ती हो गई दोस्त...In really, I am not your Husband and You are not my Wife...But... Relationship is between You and I... Superior to Husband and Wife Friend...तू मेरी वैसी ही जरूरत थी,जैसे दिल्ली के अस्पतालो को ऑक्सीजन की दोस्त...मांग तो लिया था उस खुदा से और छीन भी लेता इस जंहा से,पर फैसला अलग होने की जिद तो तुम्हारी थी न दोस्त...दोस्त मेरी हर खुशी का रास्ता तुझसे होकर गुजरता है,अब ये मत पुछना मेरे क्या लगते हो तुम...मंजिल भी तुम, तलाश भी तुम,उम्मीद भी तुम,आस भी तुम,अब जब अहसास ही तुम हो तो कह सकते है न दोस्त की जिंदगी भी तुम ही थे...हर ख़वाब हर ख़याल में हो तुम,मेरी रूह के हर एहसास में हो तुम दोस्त...कौन कहता है मुझसे दूर हो तुम,मैं ज़िस्म हूँ तो मेरी रूह हो तुम दोस्त...छिपा कर रखा है सांसों में कहीं वो जान से प्यारा जज़्बात हो तुम,बयां न किया जो अब तक किसी से दिल का मेरा वो गहरा राज हो तुम दोस्त...कमाल की मोहब्बत थी मुझसे उसको, अचानक ही शुरू हुई और बिना बताये ही ख़त्म भी हो गई दोस्त...फर्क तो अपने-अपने सोच में है दोस्त,वरना दोस्ती और मोहब्बत किसी ग्रंथ से कम नही है...तू जान कर भी न जान सकी वो राज हूँ मै, और सच मे दोस्त कल से बेहतर आज़ हूँ मै...रुतबा तो खामोशियों का होता है अल्फ़ाज़ का क्या दोस्त,वो तो बदल जाते हैं अक्सर हालात को  देखकर...मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा,जो दावा करते थे वफ़ा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा दोस्त...लोग कहते हैं कि कुछ बदले - बदले से हो तुम यार,दोस्त अब तू ही बता शाख से टूटे हुए पत्ते क्या अब रंग भी न बदलें...भूल गए हैं कुछ लोग हमे इस तरह दोस्त की, यकीन मानो मुझे यकीन ही नहीं आता...जिसके साथ बात करने से ही ख़ुशी दोगुनी और दुःख आधा हो जाए दोस्त,वो ही अपना है बाकी तो बस दुनियादारी ही है...आखिर कितना चाहना पड़ता है एक शख्स को,कि वो थोड़ा समय हमें भी दे ये शायद तुझसे बेहतर कोई नही जनता दोस्त...कॉमन थिंगस inside everyone...हम अपने से बुरा अपनों की सोचते हैं...राज

Wednesday, May 12, 2021

कौन कहता है कि ब्राह्मणों ने आविष्कार नहीं किया है

*कौन कहता है कि ब्राह्मणों ने आविष्कार नहीं किया है*❓ ⁉️साथियों कुछ महान आविष्कार है जो केवल भारत में ही हुए है और जिनका उपयोग केवल भारतवासी कर सकते और किसी देश में इनका कोई उपयोग नहीं है:- १. *लिंग पूजन* का आविष्कार भारत में हुआ। २. *योनि पूजन* का आविष्कार भारत में हुआ (कामाख्या)। ३. *लहसून, प्याज* खाने से पाप लगता है का आविष्कार भारत में हुआ। ४. *खीर खिलाकर गर्भवती* करने की तकनीक का आविष्कार भारत में हुआ। ५. *हवन का केला खिलाकर* गर्भवती करने की तकनीक का आविष्कार भारत में हुआ। ६. *धरती चीर कर बच्चा पैदा* करने की तकनीक का आविष्कार भारत में हुआ। ७. *वानर सूरज* को *आम समझ खा* सकता है, का आविष्कार भारत में हुआ। ८. *सूरज को कांख में दबा कर* उड़ने की तकनीक का आविष्कार भारत में हुआ। ९. *देवी-देवताओं* का आविष्कार भारत में हुआ। १०. *गंगा में नहा कर पाप धोने* का आविष्कार भारत में हुआ। ११. *गाय माता* है, का आविष्कार भारत में हुआ। १२. *ग्रहों के प्रकोप* का आविष्कार भारत में हुआ। १३. *पूजा-पाठ कर भगवान को खुश* करने का आविष्कार भारत में हुआ। १४. *हवन से प्रदूषण खत्म होता* है, का आविष्कार भारत में हुआ। १५. *वर्षा के देवता इंन्द्र देव* का आविष्कार भारत में हुआ। १६. *हवन से इंद्र देव को खुश कर बारिश* कराने का आविष्कार भारत में हुआ। १७. *मंदिरों* में एवं *ब्राह्मणों* को *दान* देने से *पुण्य प्राप्ति* होती है का आविष्कार भारत में हुआ। १८. *मृत व्यक्ति को परलोक में खाना, बिस्तर, पलंग, चप्पल-जूता, रुपया-पैसा, सोना-चांदी और गाय-भैंस, पशु* आदि महा दान कर श्राद्ध के द्वारा *स्वर्ग* में पहुँचाने का आविष्कार भारत में हुआ। १९. *जाति-पांति का* आविष्कार भारत में हुआ। २०. *छोटी जाति* का मंदिर में प्रवेश मात्र से *भगवान अशुद्ध* हो जाते हैं, का आविष्कार भारत में हुआ। २१. *देवदासी* प्रथा का आविष्कार भारत में हुआ। २२. *पुजारियों* द्वारा *देवदासियों के बलात्कारों* से *उत्पन्न संतान हरिजन* होता है, का आविष्कार भारत में हुआ। २३.पंडितों द्वारा निर्मित *कुंडली से जन्म,जीवन, विवाह और मृत्यु* का आविष्कार भारत में हुआ। २४. *डायन प्रथा* का आविष्कार भारत में हुआ। २५. *दहेज प्रथा* का आविष्कार भारत में हुआ। २६. *बत्तख पानी* recycle करती है का आविष्कार भारत में हाल ही में हुआ है। २७. *गाय अॉक्सीजन लेती है और छोड़ती भी अॉक्सीजन है और गाय का मूत्र अमृत* है,का आविष्कार भारत में अभी-अभी हुआ है। २८. *एक गाय में 33 करोड़* देवता पाए जाते हैं,इसका भी आविष्कार भारत में हुआ है। २९. *मिट्टी एवं पत्थर की मूर्तियों में जीवन* डालने का आविष्कार भारत में हुआ है। ३०.भारत के *पंडितों की पोथियों* में और *मनु महाराज की मनुस्मृति एवं अन्य ग्रंथों* में असंख्य आविष्कारक मौजूद एवं लिपिबद्ध हैं। इन अविष्कारों पर आप कितना *इत्तेफाक और विश्वास* रखते हैं। ये आप पर निर्भर करता है, बाकी आप खुद समझदार हैं और दिमाग कोरा कागज की तरह उस पर ब्राह्मणों ने जो तभी लिखा, बस वही सत्य मान बैठे। *ज्ञान-विज्ञान,अंधविश्वास कमेटी*

Monday, May 3, 2021

क्या होते है, सोलह श्रृंगार...

क्या होते है, सोलह श्रृंगार?????? सोलह श्रृंगार के बारें में ये सब नहीं जानते होंगे आप,आपको शायद जानकर आश्चर्य होगा कि सोलह शृंगार घर मे सुख और समृद्धि की लाने के लिए किया जाता है। शृंगार अगर पवित्रता और दिव्यता के हिसाब से किया जाए तो यह प्रेम और अहिंसा का सहायक बनकर समाज में सौम्यता और प्यार का वाहक बनता है। तभी तो भारतीय संस्कृति में सोलह शृंगार को जीवन का अहम और अभिन्न अंग माना गया है। ऋग्वेद में सौभाग्य के लिए किए जा रहे सोलह शृंगारों के बारे में बताया गया है। आईए जानते हैं श्रृंगार के बारे में कुछ रोचक तथ्य... पहला श्रृंगार: बिंदी : - संस्कृत भाषा के बिंदु शब्द से बिंदी की उत्पत्ति हुई है। भवों के बीच रंग या कुमकुम से लगाई जाने वाली भगवान शिव के तीसरे नेत्र का प्रतीक मानी जाती है। सुहागिन स्त्रियां कुमकुम या सिंदूर से अपने ललाट पर लाल बिंदी लगाना जरूरी समझती हैं। इसे परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। दूसरा श्रृंगार, सिंदूर : - उत्तर भारत में लगभग सभी प्रांतों में सिंदूर को स्त्रियों का सुहाग चिन्ह माना जाता है और विवाह के अवसर पर पति अपनी पत्नी के मांग में सिंदूर भर कर जीवन भर उसका साथ निभाने का वचन देता है। तीसरा श्रृंगार, काजल : - काजल आँखों का श्रृंगार है. इससे आँखों की सुन्दरता तो बढ़ती ही है, काजल दुल्हन और उसके परिवार को लोगों की बुरी नजर से भी बचाता है. चौथा श्रृंगार, मेहंदी : - मेहंदी के बिना सुहागन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। शादी के वक्त दुल्हन और शादी में शामिल होने वाली परिवार की सुहागिन स्त्रियां अपने पैरों और हाथों में मेहंदी रचाती है। ऐसा माना जाता है कि नववधू के हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है। पांचवां श्रृंगार, शादी का जोड़ा : - उत्तर भारत में आम तौर से शादी के वक्त दुल्हन को जरी के काम से सुसज्जित शादी का लाल जोड़ा (घाघरा, चोली और ओढ़नी) पहनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में फेरों के वक्त दुल्हन को पीले और लाल रंग की साड़ी पहनाई जाती है। इसी तरह महाराष्ट्र में हरा रंग शुभ माना जाता है और वहां शादी के वक्त दुल्हन हरे रंग की साड़ी मराठी शैली में बांधती हैं। छठा श्रृंगार,गजरा : - दुल्हन के जूड़े में जब तक सुगंधित फूलों का गजरा न लगा हो तब तक उसका श्रृंगार फीका सा लगता है। दक्षिण भारत में तो सुहागिन स्त्रियां प्रतिदिन अपने बालों में हरसिंगार के फूलों का गजरा लगाती है। सातवां श्रृंगार,मांग टीका : - मांग के बीचों-बीच पहना जाने वाला यह स्वर्ण आभूषण सिंदूर के साथ मिलकर वधू की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। ऐसी मान्यता है कि नववधू को मांग टीका सिर के ठीक बीचों-बीच इसलिए पहनाया जाता है कि वह शादी के बाद हमेशा अपने जीवन में सही और सीधे रास्ते पर चले और वह बिना किसी पक्षपात के सही निर्णय ले सके। आठवां श्रृंगार, नथ : - विवाह के अवसर पर पवित्र अग्नि में चारों ओर सात फेरे लेने के बाद देवी पार्वती के सम्मान में नववधू को नथ पहनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि सुहागिन स्त्री के नथ पहनने से पति के स्वास्थ्य और धन-धान्य में वृद्धि होती है। उत्तर भारतीय स्त्रियां आमतौर पर नाक के बायीं ओर ही आभूषण पहनती है, जबकि दक्षिण भारत में नाक के दोनों ओर नाक के बीच के हिस्से में भी छोटी-सी नोज रिंग पहनी जाती है, जिसे बुलाक कहा जाता है। आठवां श्रृंगार, नथ : - नथ आकार में काफी बड़ी होती है इसे हमेशा पहने रहना असुविधाजनक होता है, इसलिए सुहागन स्त्रियां इसे शादी-व्याह और तीज-त्यौहार जैसे खास अवसरों पर ही पहनती हैं, लेकिन सुहागिन स्त्रियों के लिए नाक में आभूषण पहनना अनिर्वाय माना जाता है। इसलिए आम तौर पर स्त्रियां नाक में छोटी नोजपिन पहनती हैं, जो देखने में लौंग की आकार का होता है। इसलिए इसे लौंग भी कहा जाता है। नौवां श्रृंगार: कर्णफूल : - कान में पहने जाने वाला यह आभूषण कई तरह की सुंदर आकृतियों में होता है, जिसे चेन के सहारे जुड़े में बांधा जाता है। विवाह के बाद स्त्रियों का कानों में कणर्फूल (ईयरिंग्स) पहनना जरूरी समझा जाता है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि विवाह के बाद बहू को दूसरों की, खासतौर से पति और ससुराल वालों की बुराई करने और सुनने से दूर रहना चाहिए। दसवां श्रृंगार: हार : - गले में पहना जाने वाला सोने या मोतियों का हार पति के प्रति सुहागन स्त्री के वचनवद्धता का प्रतीक माना जाता है। हार पहनने के पीछे स्वास्थ्यगत कारण हैं। गले और इसके आस-पास के क्षेत्रों में कुछ दबाव बिंदु ऐसे होते हैं जिनसे शरीर के कई हिस्सों को लाभ पहुंचता है। इसी हार को सौंदर्य का रूप दे दिया गया है और श्रृंगार का अभिन्न अंग बना दिया है। दक्षिण और पश्चिम भारत के कुछ प्रांतों में वर द्वारा वधू के गले में मंगल सूत्र पहनाने की रस्म की वही अहमियत है। ग्यारहवां श्रृंगार: बाजूबंद : - कड़े के सामान आकृति वाला यह आभूषण सोने या चांदी का होता है। यह बाहों में पूरी तरह कसा जाता है। इसलिए इसे बाजूबंद कहा जाता है। पहले सुहागिन स्त्रियों को हमेशा बाजूबंद पहने रहना अनिवार्य माना जाता था और यह सांप की आकृति में होता था। ऐसी मान्यता है कि स्त्रियों को बाजूबंद पहनने से परिवार के धन की रक्षा होती और बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। बारहवां श्रृंगार,कंगन और चूड़ियां : - सोने का कंगन अठारहवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों से ही सुहाग का प्रतीक माना जाता रहा है। हिंदू परिवारों में सदियों से यह परंपरा चली आ रही है कि सास अपनी बड़ी बहू को मुंह दिखाई रस्म में सुख और सौभाग्यवती बने रहने का आशीर्वाद के साथ वही कंगन देती थी, जो पहली बार ससुराल आने पर उसे उसकी सास ने उसे दिये थे। इस तरह खानदान की पुरानी धरोहर को सास द्वारा बहू को सौंपने की परंपरा का निर्वाह पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। पंजाब में स्त्रियां कंगननुमा डिजाइन का एक विशेष पारंपरिक आभूषण पहनती है, जिसे लहसुन की पहुंची कहा जाता है। sona

खैर मेरी तो मुस्कुराहट थी तुम...

दोस्त...कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अलफ़ाज़ मेरे, मतलब मोहब्बत में बर्बाद और भी हुए हैं...दोस्त प्यार कहो तो दो ढाई लफ्ज़, मानो तो बन्दगी ,सोचो तो गहरा सागर, डूबो तो ज़िन्दगी ,करो तो आसान , निभाओ तो मुश्किल ,बिखरे तो सारा जहाँ ,और सिमटे तो तुम... वक्त सब कुछ छीन लेता है, खैर मेरी तो मुस्कुराहट थी तुम दोस्त...दोस्त अधूरे रिश्ते बहुत ज्यादा तकलीफ देते हैं न, न खुद मरते हैं और न मरने देते हैं...खूबसूरत वक़्त और वफ़ादार दोस्त मिलते तो मुफ्त है दोस्त...लेकिन उनकी कीमत का अंदाज़ा तब होता है जब ये कहीं खो जाते हैं... दोस्त मेरी फितरत में नहीं अपना गम बयां करना,अगर तेरे वजूद का हिस्सा हूँ तो महसूस कर तकलीफ मेरी तुझे भी होगी...एक दिल को ख़ुशी देना,प्रार्थना में झुके हज़ार सिरों से बेहतर है दोस्त...अपना वही है जो हमारी ख़ामोशी पढ़ सके, वरना अंदाजे तो बेगाने भी लगा लेते है दोस्त...एक अजीब दास्तान है मेरे अफसाने की,मैने पल पल कोशिश जिसके की पास जाने की,किस्मत थी मेरी या साजिश थी ज़माने की,दूर हुई मुझसे इतना जितनी उमीद थी करीब आने की दोस्त...दोस्त जैसे मोहब्बत की बेरहमी इनायत से वफ़ा को चोट लगती है,वैसे ही फरेब तकल्लुफ़ के बनावट से दिल को चोट लगती है...हमने छोड़ा था ज़माना जिन्हें पाने के लिए,लो वही छोड़ चले हमको ज़माने के लिए...हमको अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है...पता नही कैसे तुम भूल गए दोस्त...किसी की कट रही है जिंदगी ,कोई काट रहा है जिंदगी ,पर दोस्त खुश है वो जो जी रहा है जिंदगी...Friend...May God... Never be so... That...Anybody is defeated ever/even by Life...I stay the same place friend... but I've regret for it...that...for lifetime... Nobody is available to call me friend... दोस्त अगर मौका मिला तो हम किस्मत से शिकायत जरूर करेंगे,की अक्सर वही लोग हमे क्यों छोड़ देते हैं जिन्हें हम टूट कर चाहते हैं... Friend personal responsibility & relationship are superior to private responsibility & relationship...जब तू रोती है ना ... तो बहोत सारे reasons होते है...but...जब मैं रोता हूँ न...तो Reason सिर्फ तू होती है...दोस्त...I spend my whole life in remember of that person... Who went out from my life to say it... What did you do for me फ्रेंड...राज kumar

थोड़ी सी समझ थोडा़ सा समझौता,थोड़ा सा सम्मान...

हर तरफ शोर है तेरे आने का ऐ फरवरी ,ईश्क़ -ए- मोहब्बत ने तुझे भी मशहूर कर दिया...दोस्त जरा अपना ख्याल रखना सुना है,इश्क इसी मौसम में शिकार करता है...दोस्त दौर काग़ज़ी था जब देर तक ख़तों में जज़्बात महफ़ूज़ रहते थे,अब मशीनी दौर है उम्र भर की यादें ऊँगली से ही ङिलीट हो जाती हैं...उम्र चाहे जो भी हो मनचाहे रिश्ते अपने आप हम उम्र हो जाते हैं न दोस्त...यकीनन खोया है मैंने खुद को एक तुम्हें पाने में,वरना वजूद अपना मुझे यूँ अजनबी ना लगता दोस्त...हुस्न की मल्लिका हो या सांवली सी सूरत,इश्क अगर रूह से है तो हर चेहरा कमाल लगता हैं न दोस्त... special line friend...उसने कहा- बेवजह ही ख़ुश हो क्यों? मैंने कहा- हर वक्त दुखी भी क्यों रहूँ?,उसने कहा- जीवन में बहुत ग़म है मैंने कहा -गौर से देख ख़ुशियाँ भी कहाँ कम हैं?दोस्त...क्या जरुरी है हर मोहब्बत मुक्कमल हो दोस्त, कुछ सफर तो मंजिल से भी खूबसूरत होते है न...दोस्त अपनी कलम से लिखूं तो लफ्ज़ हो तुम,अपने दिमाग से सोच लूँ वो खयाल हो तुम...बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी...पहले पागल किया...फिर पागल कहा...अंत में पागल समझ कर पगले को छोड़ दिया दोस्त...नाज़ है मुझे मेरे मोहब्बत पर दोस्त,तेरी नफरतों की अकेला वारिस जो हुं मैं...सिमट जाती हैं तमन्नायें तहजीब के दायरे में अक्सर,वरना इश्क अरमाँ और ख़्वाहिशें कब बेजुबाँ होती हैं दोस्त... दोस्त थोड़ी सी समझ थोडा़ सा समझौता,थोड़ा सा सम्मान और थोडी सी स्नेह रिश्तों का जुड़ाव होते हैं...लफ्ज 'साढ़े' तीन ही थे,कभी 'प्यार' बन गए तो कभी 'ख्वाब' दोस्त...मत करना किसी के गुलाब आज कुबूल ऐ दोस्t,है कसम अपनी है मोहब्बत की तमाम उम्र चुभते हैं काटें इसके...तुम पढ़ते हो इसलिए लिख देता हूँ...वरना मैं तो मेहसूस कर के भी तेरी आहट को छु सकता हूँ दोस्त... राज

दिल की जज्बात दिल से...

दिल की जज्बात दिल से... बेसक तू किसी और का हमसफ़र है दोस्त ,किंतु हमदर्द तो हमेसा हमरा ही रहेगी...दोस्त वो देवता हैं उस मंदिर का,जिसमें मेरे प्यार की मूरत आवास करती है... दोस्त अगर तुझे पाने की चाहत होती तो तू किसी और के आंगन की तुलशी नही, बल्कि मेरे मन की मंदिर की लाजवाब कोहिनूर मूरत होती...चल छोड़ क्या करे शिकवा और गिला तेरे बदसलूकी की, बेपनाह मोहब्बत देने वाले बेपरवाह कैसे हो गये दोस्त...मैं समझता तो हूँ कि तू कुछ और मैं कुछ मजबूर था, पर बेबशी की मतलब ये तो नही न कि कोई हम बन जाय दोस्त...क्या कहूं दोस्त जज्बात इस बेबस जिंदगी की,जहाँ तुमने मुझे छोड़ था वहाँ से कोई नही उठाया दोस्त...तू तो खुश हैं अपनी रौनक़ भरी आशियानो में ,पर देख तेरा राज तेरे जीते जी कब्रिस्तान बन गया दोस्त...कुछ भी नही चाहा राज ने तेरे शिवा इस जिंदगी में, फिर भी मेरी जिंदगी ने मेरे ही जीवन से जुदा हो गई दोस्त...दोस्त जिंदगी तो वही थी जो तुमने जिना सिखया था,अब आज कल तो बस उस मौत का इंतिजार में इधर उधर घूमता रहता है... दोस्त क्या करूँ मैं उन शानो शोहरत की,जिसमे तू शामिल ही नही...दोस्त देख जो कभी हमरे सपने फ़साने लगते थे,आज वो करवा, सरताज,शोहरत और उन मंजिलों को तेरा राज अपने कदमों के निचे लेकर घूमता फिरता रहता है...पैसे तो बहुत है तुम्हारे पास इस बात को सारा मुल्क जनता है, पर तुम्हारे पास गम और तन्हाई कितनी है केवल ये सराबी जनता है दोस्त...अंत मे तो सब को अंतिम यात्रा करना ही है दोस्त,परन्तु किसी की जीवन को जीते जी अंत करना बहुत बुरा है...उस यस में जो हाँ था न दोस्त, वो राज के no से भी तुलना कभी नही की जा सकती...मुझे ठुकरा or छोड़ के जाने वाले, मेरा कसूर क्या था कम से कम इतना तो बता देते...रो रो कर अपना जज्बात लिखना हर किसी की बस बात नही दोस्त, इसके लिए पवित्र प्यार or अटूट विश्वास दोनो खोना पडता है दोस्त...दोस्त मांग का सिंदूर रिश्ते का गवाह तो हो सकता है,पर प्रेम का कभी नहीं...प्यार जो करता है उसका दिल भी अजीब होता है, यार जैसा भी हो दोस्त, उस खुदा से भी अजीज होता है...किस्मत ने जैसा चाहा वैसे ढल गए हम,बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गए हम,किसी ने विश्वास तोड़ा, तुम ने 💔दिल💔, और लोगों को लगा कि बदल गए हम दोस्त...तेरा राज...

तड़प है, कसक है, खलिश है Love...

बेचैनियाँ रूह की और बेकरारियाँ दिल की... दोस्त जीवन में जो सबक खाली पेट,खाली जेब,बुरा वक़्त और टूट हुआ दिल सिखाता है,वो कोई स्कूल या यूनिवर्सिटी नही सिखाती...क्या दुश्मनी थी हमारी जो तूने मेरी हस्ती खेलती आंखे नम कर दी,हमे तो जन्न्त बनाना था जिंदगी अपनी पर दोस्त तूने क्यों मरी जिंदगी जहन्नम कर दी...कुछ नही चाहा तुमसे तुम्हारे सिवा इस राज ने, उसके वावजुद भी तूने ही न जाने क्यों मेरे फीलिंग से खिलवाड़ kiya दोस्त...ये सितम, ऐ बेरहमी, बेपरवाह, बेकदर येसब कँहा से सीखा दोस्त, इन सब शब्दों को हमने अपने लव स्टोरी में नही लिखी थी दोस्त...जब नासमझ थे तो ख्वाब मुठ्ठी में बंद थे,समझ आयी तो ख्वाबों ने हमें मुठ्ठी में बंद कर दिया दोस्त...सच्ची मित्रता उत्तम सवास्थ के सामान है,उसका महत्त्व तभी जान पाते है जब हम उसे खो देते है दोस्त...बुलंदियां ख़ुद ही तलाश लेंगी तेरे राज को,क्योंकि अभी भी दर्द औऱ मुश्किलों में मुस्कुराने की आदत बरकरार है...क्या रूबरू करूँ मैं अपनी आरजू और तमन्नाऐ तम्माम होने की, जिसनी ने भी की,लाजबाब ही नही दोस्त बेहतरी तरीके से की...जलवे तो बेपनाह थे इस कायनात में दोस्त,ये बात और है कि नजर तुम पर ही ठहर गई...फ़िज़ा में महकती शाम हो तुम,प्यार में झलकता जाम हो तुम,सीने में छुपाये फिरते हैं चाहत तुम्हारी,तभी तो मेरी ज़िंदगी का दूसरा नाम हो तुम दोस्त...आँसूं तब नहीं आते जब आप किसीको खो देते हो,आँसूं तब आते है दोस्त जब खुद को खोकर भी किसीको पा नहीं सकते...आकर्षण तो कही भी हो सकता है,पर समर्पण कही - एक ही जगह होता है दोस्त...हर दर्द की दवा है इस जमाने में दोस्त बस...किसी के पास कीमत नहीं तो किसी के पास किस्मत ही नहीं है...एक ये भी खासियत है जिंदगी की,कर्ज वो भी चुकाने पड़ते हैं दोस्त जो कभी लिए ही नहीं...मेरे लिए संबंध का एक अर्थ है...भरोसा,अपनापन और ईमानदारी भांड में जाय दुनियादारी दोस्त...ज़ाहिर हो जाए वो दर्द कैसा, और जो ख़ामोशी ना पढ़ पाए दोस्त वो हमदर्द कैसा...हसरतों के सिक्के लिए उजाले ख़रीदने हम कभी निकले थे, तबाह तो हम मोहब्बत के बेवफाई की गलियों में हो गये दोस्त...क्या छेड़ूँ किस्सा उस उल्फत का वो बड़ी लम्बी कहानी है,मैं ज़िन्दगी से नहीं हारा किसी अपने की मेहरबानी है दोस्त...मै अलग हूँ ये ज़ाहिर है ,तू जुदा है ये कभी नही हो सकता दोस्त...किस बात की सजा दिया तुमने प्यार में,प्यार किया इसलिए या फिर तुमसे ज्यादा किया इसलिए दोस्त...वो रिश्ता ही क्या जिसे निभाना पडे,वो प्यार ही क्या जिसे जताना पडे,प्यार तो एक खामोश एहसास है,वो एहसास ही क्या जिसको लफ्जों मे बताना पडे...नाराज़गी भी एक खूबसूरत रिश्ता है जिससे भी होती है,वह व्यक्ति दिल और दिमाग दोनों में रहता है...लम्हे लम्हे मैं बसी है तुम्हारी यादों की महक,यह बात और हैं मेरी नज़रों से दूर हो तुम दोस्त...बेचैनियाँ रूह की और बेकरारियाँ दिल की,शायद यही शौगात ए मोहब्बत होती है दोस्त...तड़प है, कसक है, खलिश है और सजा है,कौन कमबख्त कहता है कि इश्क़ बे-मजा है दोस्त...शायरी खुदखूशी का धंधा है,अपनी ही लाश अपना ही कंधा hi,आईना बेचता फिरता है,शायर उस शहर में जो शहर ही अंधा हैं दोस्त...राज

ना खोया,ना मिला फिर भी करीब सा है...

some स्पेशल लाइन स्पेशल फ़ॉर my विश एंड चॉइस... हर शाम से तेरा इज़हार किया करते है,हर ख्वाब मे तेरा दीदार किया करते है,दीवाने ही तो है हम तेरे इस जमाने मे की,तू तुलसी किसी औरके आँगन की पर पूजा हम किया करते है दोस्त...Friend...Life is very full for all of us no matter what we do, there is work, home, family, getting the balance right in our life and missing the great moments when we are busy. But life has space to, grab that space, make the most of it because you can't get it back. Time is precious, enjoy the moment...Love is in the air, everywhere I look around...Love is in the air, every sight and every sound...And I don't know if I'm being foolish, Don't know if I'm being wise...But it's something that I must believe in...बाज़ार के रंगों से रंगने की मुझे जरुरत नही, किसी की याद आते ही ये चेहरा गुलाबी हो जाता है दोस्त...कितना महफूज़ था गुलाब कांटों की गोद में,लोगों की मोहब्बत में पत्ता-पत्ता बिखर गया दोस्त...जिदंगी प्रपोज करती रहती है दोस्त छोटी-छोटी ख़ुशियो के संग, बस हम स्वीकारते नहीं हैं और दौड़ते रहते हैं बड़ी खुशियों के पीछे...मनुष्य की सुंदरता की पहचान उनके रूप,चलन व बात करने के तरीके से नहीं बल्कि,उनके स्नेह,परवाह और योगदान से होती है दोस्त...एक रिश्ता बेनाम सा है,ना हासिल ना जुदा...ना खोया,ना मिला फिर भी करीब सा है दोस्त...मेरी सारी उम्र एक ही चाहत मे गुजर गयी,वो दस्तक देंगे तो दरवाजा हम ही खोलोगें...वो उमीद टूट गई दोस्त...क्या इसी वास्ते सींचा था हमने लहू से अपने रिश्ते का आँगन,की जब सँवर जाए चमन आग लगा दी जाए दोस्त...अकेला पन क्या होता है कोई ताजमहल से पूछे,देखने के लिए पूरी दुनिया आती है लेकिन रहता कोई नहीं दोस्त...जब जीते जी इंसान का प्यार की प्यास नही बुझती,शायद इसीलिए अस्थियां नदी में बहाई दी जाती हैं दोस्त...खुद को कुर्बान कर के भी भरपाई नहीं कर पाओगे,इतना महंगा दिल तोड़ा है...कई बार प्यार में अलग होना भी प्यार होता है...मित्रता कोई स्वार्थ नहीं,बल्कि एक विश्वास है...और वो अटुट विश्वास मेरा किसी ने तोड़ा है दोस्त...ख़ैरात की ख्वाहिश कभी न थी मुझको,मोहब्बत की आरज़ू थी दोस्त शायद मोहब्बत के बदले...राज कुमार

रूह से रूहानी होने तक ...

Special line special for my Lifestyle... बहुत शातिर है तुम्हारी यादे दोस्त, जब भी आती हैं बस खामोशी से मुस्कुराकर के चुपके से चली जाती है... मुस्कुराहट लबो पर यूं ही नही आती है न दोस्त,उसे भी किसी नजर का इतंजार होता है जैसे मुझे आज भी है...दिल आने की बात है दोस्त अपने बस की बात कहा,प्यार अगर हो पत्थर से फिर हीरे की औकात कहा... दोस्त रिश्ते अगर रूह से हो तो, दिल भरा नहीं करते न...दोस्त अब संवरने का तो सवाल ही नही उठता,क्योंकि हम तो बिखरे ही लाजवाब है... तुझे देखते ही एक नजर ये दिल तेरा हो गया,पर अफसोस की सारी उम्र बस एक सपना बनकर रह गया दोस्त...क़ानून तो सिर्फ बुरे लोगों के लिए होता है दोस्त,अच्छे लोग तो शायद शर्म से ही मर जाते हैं...समय हर समय को बदल देता है दोस्त,सिर्फ समय को थोड़ा अधिक समय देना पड़ता...साँसों की माला में पिरो कर रखे थे तेरी चाहतो के मोती,but अब वो तमन्ना नही रही की बिखरूं सिर्फ तेरे आगोश में दोस्त...जो कहते थे बिना तेरे चार कदम बी चला न जाए, न जाने कैसे पूरी जिंदगी मुझे छोड़कर चलने की सपत ले ली दोस्त...मेरी आँखों से पूछ मोहब्बत की बेबसी का आलम,इन्हें तेरे सिवा कोईऔर अच्छा नही लगता आज भी दोस्त...वक्त की मार से हम-तुम से जूदा हो गऐ,बहुत तकलीफ हुई तुझसे और तुम्हारे नजरो अलग हो कर, लेकिन खुशी हुई इस बात कि ये दर्द सिर्फ हमे हुआ दोस्त...सुलझा हुआ सा शख्स समझते हैं लोग मुझे,उलझा हुआ सा कोई दूसरा भी है मुझमे दोस्त...कोई भी रिश्ता बनता तो विश्वास से हैं पर चलता बर्दाश्त से हैं दोस्त...गलत नहीं था यूँ सबके लिए ग़लत हो जाना,पर सही कहाँ है सबके लिए सही हो जाना दोस्त...मैं अपनी चाहतों का हिसाब जो लेने बैठ जाऊं,तो तुम मेरा सिर्फ याद करना भी न लौटा सकोगे दोस्त...अजीब जुल्म करती हैं तेरी यादें मुझ पर दोस्त,सो जाऊ तो उठा देती हैं और जाग जाऊँ तो तड़पा देती हैं...भूल जाना, भुला देना फकत वहम ही तो है,दिलों से कब निकलते है वो मौहब्बत जिससे हो जाए दोस्त...कसम से बहुत सताते हो तुम दोस्त बिना दस्तक,दिये ख्यालो में चले आते हो तुम...रूह से रूहानी होने तक शब्द से कहानी होने तक,साथ तेरे रहूँगा मेरे हमदम एहसास बनकर खाक से आसमानी होने तक दोस्त...रिचार्ज प्लान की तरह हो गया हैं आज कल का प्यार दोस्त,पता नहीं कब बेक्रअप की घोषणा कर दें...स्नान तन को,ध्यान मन को,दान धन को,योग जीवन को,प्रार्थना आत्मा को,व्रत स्वस्थ को,क्षमा रिश्तों को और परोपकार किस्मत को शुद्ध कर देता हैं दोस्त...जिसे सोचकर चेहरे पर मुसकुराहट आ जाएं,ऐसा खूबसूरत ख्याल हो तुम दोस्त...राज