दोस्तो...रिश्ते कभी जिंदगी के साथ नहीं चलते,रिश्ते तो एक बार बनते हैं और फिर जिंदगी रिश्तों के साथ चलने लगती है। अंतर्मन में संघर्ष और फिर भी मुस्कुराता हुआ चेहरा यही जीवन का श्रेष्ठ अभिनय है...सबके जीवन में सब कुछ ठीक नहीं होता है। सत्य क्या है और उचित क्या है? ये हम अपनी सोच या अपनी आत्मा की आवाज़ से स्वयं निर्धारित करते हैं! फ़र्क़ सिर्फ इस बात से पड़ता है कि हम अपने कर्मो सामना किस प्रकार कर्मज्ञान के आधार पर करते हैं! कर्मज्ञान है तो ज़िन्दगी हर पल सुखी संतुष्ट है...वरना समस्या तो हर मानव के साथ प्रतिदिन है...प्रत्येक पल को ईश्वर का आशीर्वाद मानकर जीवन को जीना चाहिए। पद पर आकर व्यक्ति अगर अच्छा कार्य करता है तो पद श्रृंगार, उपहार और हार है वरना वह भार है , धिक्कार है और निस्सार है...As Per Some औसपीसीओउस ग्रन्थ...Like गीता, कुरान, बाईबल, रामायण एंड राम,आल्हा, और God...To Sevice of Public is Service Of God...जो स्नेह हमें दूसरों से मिलता है...वो हमारे व्यवहार का ही एक लाजवाब तोहफ़ा है...परिस्थि की पाठशाला ही इंसान को वास्तविक शिक्षा देती है...राज
Learn to Smile at Every Situation And Live Your Life Simple...Hi Guy's...I wish to Informe You All...This is knowledge portal website which will provide for you all wonderful and amazing tricks...Spiritual,Motivational and Inspirational Education along with Education for all Competition Exams Question with answer...By Raj Sir
Thursday, May 27, 2021
हर हुस्न की हया झुकती वँहा जँहा हुनर बेहिसाब हो...
हर हुस्न की हया झुकती वँहा जँहा हुनर बेहिसाब हो...
घर गुलज़ार, सूने शहर, बस्ती बस्ती में कैद हर हस्ती हो गई,आज फिर ज़िन्दगी महँगी और दौलत सस्ती हो गई दोस्त...In really, I am not your Husband and You are not my Wife...But... Relationship is between You and I... Superior to Husband and Wife Friend...तू मेरी वैसी ही जरूरत थी,जैसे दिल्ली के अस्पतालो को ऑक्सीजन की दोस्त...मांग तो लिया था उस खुदा से और छीन भी लेता इस जंहा से,पर फैसला अलग होने की जिद तो तुम्हारी थी न दोस्त...दोस्त मेरी हर खुशी का रास्ता तुझसे होकर गुजरता है,अब ये मत पुछना मेरे क्या लगते हो तुम...मंजिल भी तुम, तलाश भी तुम,उम्मीद भी तुम,आस भी तुम,अब जब अहसास ही तुम हो तो कह सकते है न दोस्त की जिंदगी भी तुम ही थे...हर ख़वाब हर ख़याल में हो तुम,मेरी रूह के हर एहसास में हो तुम दोस्त...कौन कहता है मुझसे दूर हो तुम,मैं ज़िस्म हूँ तो मेरी रूह हो तुम दोस्त...छिपा कर रखा है सांसों में कहीं वो जान से प्यारा जज़्बात हो तुम,बयां न किया जो अब तक किसी से दिल का मेरा वो गहरा राज हो तुम दोस्त...कमाल की मोहब्बत थी मुझसे उसको, अचानक ही शुरू हुई और बिना बताये ही ख़त्म भी हो गई दोस्त...फर्क तो अपने-अपने सोच में है दोस्त,वरना दोस्ती और मोहब्बत किसी ग्रंथ से कम नही है...तू जान कर भी न जान सकी वो राज हूँ मै, और सच मे दोस्त कल से बेहतर आज़ हूँ मै...रुतबा तो खामोशियों का होता है अल्फ़ाज़ का क्या दोस्त,वो तो बदल जाते हैं अक्सर हालात को देखकर...मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा,जो दावा करते थे वफ़ा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा दोस्त...लोग कहते हैं कि कुछ बदले - बदले से हो तुम यार,दोस्त अब तू ही बता शाख से टूटे हुए पत्ते क्या अब रंग भी न बदलें...भूल गए हैं कुछ लोग हमे इस तरह दोस्त की, यकीन मानो मुझे यकीन ही नहीं आता...जिसके साथ बात करने से ही ख़ुशी दोगुनी और दुःख आधा हो जाए दोस्त,वो ही अपना है बाकी तो बस दुनियादारी ही है...आखिर कितना चाहना पड़ता है एक शख्स को,कि वो थोड़ा समय हमें भी दे ये शायद तुझसे बेहतर कोई नही जनता दोस्त...कॉमन थिंगस inside everyone...हम अपने से बुरा अपनों की सोचते हैं...राज
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