Monday, May 31, 2021

कैसे तुम्हें आवाज देता

 कितने सालों बाद तुम्हें

आज देखा

जी करें तुम्हें आवाज लगा दूं 

लेकिन 

एक अजीब डर भी तो

मन को खाए जा रहा था


कैसे तुम्हें आवाज देता

अब क्या कह कर

तुम्हें पुकारता

सोचा इतने सालों में बहुत कुछ बदल भी तो गया होगा

सब कुछ भूला भी तो गया होगा

वक़्त के साथ-साथ

बहुत कुछ पीछे छुट गया होगा

और सब कुछ टुट भी गया होगा


पर फिर एक सवाल मन में आया

मजबूर कर दिया उसने

ये सोचने पे

के वक़्त गुजरने से रिश्ते टुट जाते है क्या


इस लिहाज से तो कुछ भी नही टूटा होगा

यही सोचा

मगर पता नही 

दिल को अब भी क्यूं ये यकीं नही हो रहा था 

आखिर ये रिश्ता टूटा है या जुड़ा हुआ ही है


इसी कश्मकश में

मैं तुम्हें आवाज नही दे पाया

और तुम भी मुझे देख ना पायी


फिर एक बार हम दोनों

एक दूसरे को देखे बिना ही

अपने अपने रास्तें की तरफ चल पड़े

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