Sunday, December 4, 2022

भारतीय रसोई के चूल्हे की राख में ऐसा क्या था

 भारतीय रसोई के चूल्हे की राख में ऐसा क्या था कि, वह पुराने जमाने का Hand Sanitizer थी ...?


उस समय Hand Sanitizer नहीं हुआ करते थे, तथा साबुन भी दुर्लभ वस्तुओं की श्रेणी आता था। उस समय हाथ धोने के लिए जो सर्वसुलभ वस्तु थी, वह थी चूल्हे की राख। जो बनती थी लकड़ी तथा गोबर के कण्डों के जलाये जाने से। चूल्हे की राख का रासायनिक संगठन है ही कुछ ऐसा ।

आइये चूल्हे की राख का वैज्ञानिक विश्लेषण करें। इस राख में वो सभी तत्व पाए जाते हैं, वे पौधों में भी उपलब्ध होते हैं। इसके सभी Major तथा Minor Elements पौधे या तो मिट्टी से ग्रहण करते हैं या फिर वातावरण से। इसमें सबसे अधिक मात्रा में होता है Calcium.


इसके अलावा होता है Potassium, Aluminium, Magnesium, Iron, Phosphorus, Manganese, Sodium तथा Nitrogen. कुछ मात्रा में Zinc, Boron, Copper, Lead, Chromium, Nickel, Molybdenum, Arsenic, Cadmium, Mercury तथा Selenium भी होता है ।

राख में मौजूद Calcium तथा Potassium के कारण इसकी ph क्षमता ९.० से १३.५ तक होती है। इसी ph के कारण जब कोई व्यक्ति हाथ में राख लेकर तथा उस पर थोड़ा पानी डालकर रगड़ता है तो यह बिल्कुल वही माहौल पैदा करती है जो साबुन रगड़ने पर होता है।


जिसका परिणाम होता है जीवाणुओं और विषाणुओं का विनाश । आइये, अब मनन करें सनातन धर्म के उस तथ्य पर जिसे अब सारा संसार अपनाने पर विवश है। सनातन में मृत देह को जलाने और फिर राख को बहते पानी में अर्पित करने का प्रावधान है। मृत व्यक्ति की देह की राख को पानी में मिलाने से वह पंचतत्वों में समाहित हो जाती है ।

मृत देह को अग्नि तत्व के हवाले करते समय उसके साथ लकड़ियाँ और उपले भी जलाये जाते हैं और अंततः जो राख पैदा होती है उसे जल में प्रवाहित किया जाता है । जल में प्रवाहित की गई राख जल के लिए डिसइंफैकटैण्ट का काम करती है ।


इस राख के कारण मोस्ट प्रोबेबिल नम्बर ऑफ कोलीफॉर्म (MPN) में कमी आ जाती है और साथ ही डिजोल्वड ऑक्सीजन (DO) की मात्रा में भी बढ़ोत्तरी होती है। वैज्ञानिक अध्ययनों में यह स्पष्ट हो चुका है कि गाय के गोबर से बनी राख डिसइन्फैक्शन के लिए एक एकोफ़्रेंडली विकल्प है...

जिसका उपयोग सीवेज वाटर ट्रीटमैंट (STP) के लिए भी किया जा सकता है। सनातन का हर क्रिया कलाप विशुद्ध वैज्ञानिक अवधारणा पर आधारित है। इसलिए सनातन अपनाइए स्वस्थ रहिये ।


आपने देखा होगा कि नागा साधु अपने शरीर पर धूनी की राख मलते हैं जो कि उन्हें शुद्ध रखती है साथ ही साथ भीषण ठंडक से भी बचाये रखती है ।



एक बार विचार अवश्य करें

 एक बार विचार अवश्य करें

#ब्राहमणो_ने_समाज_को_तोडा_नही_अपितु_जोडा_है


ब्राहमण ने विवाह के समय समाज के सबसे निचले पायदान पर खडे हरिजन को जोड़ते हुये अनिवार्य किया कि हरिजन स्त्री द्वारा बनाये गये चुल्हेपर ही सभी शुभाशुभ कार्य होगे।


इस तरह सबसे पहले उन्हें जोड़ा गया जिन्हें आज दलित कहा जाता है को .....


★ धोबन के द्वारा दिये गये जल से से ही कन्या सुहागन रहेगी इस तरह धोबी को जोड़ा...


★ कुम्हार द्वारा दिये गये मिट्टी के कलश पर ही देवताओ के पुजन होगें यह कहते हुये कुम्हार को जोड़ा...


★ मुसहर जाति जो वृक्ष के पत्तो से पत्तल दोनिया बनाते है यह कहते हुये जोडा कि इन्ही के बनाए गये पत्तल दोनीयो से देवताओ के पुजन सम्पन्न होगे...


★ कहार जो जल भरते थे यह कहते हुए थोड़ा कि इन्ही के द्वारा दिये गये जल से देवताओ के पुजन होगें...


★ बिश्वकर्मा जो लकडी के कार्य करते थे यह कहते हुये जोडा कि इनके द्वारा बनाये गये आसन चौकी पर ही बैठ कर बर बधू देवताओ का पुजन करेंगे ...


★ फिर वह हिन्दु जो किन्ही कारणो से मुसलमान वन गये थे उन्हे जोडते हुये कहा कि इनके द्वारा सिले गये वस्त्रो जोड़े जामे को ही पहन कर विवाह सम्पन्न होगें...


★ फिर मुसलमान की स्त्री को यह कहते हुये जोडा कि इनके द्वारा पहनायी गयी चुणिया ही बधू को सौभाग्यवती बनायेगी...


★ धारीकार जो डाल और मौरी जो दुल्हे के सर पर रख कर द्वारचार कराया जाता है को यह कहते हुये जोड़ा की इनके द्वारा बनाये गये उपहारो के बिना देवताओ का आशीर्बाद नही मिल सकता


इस तरह समाज के सभी वर्ग जब आते थे तो घर की महिलाये मंगल गीत का गायन करते हुये उनका स्वागत करती है

और पुरस्कार सहित दक्षिणा देकर बिदा करती थी...,


ब्राहमणो का कहॉ दोष है....हॉ ब्राहमणो का दोष यही रहा है कि इन्होने अपने उपर लगाये गये निराधार आरोपो का कभी खन्डन नही किया....???


जो ब्राहमणो के अपमान का कारण बन गया इस तरह जब #समाज के हर वर्ग की उपस्थिति हो जाने के बाद ब्राहमण नाई से पुछता था कि क्या सभी वर्गो की उपस्थिति हो गयी है?


★ नाई के हॉ कहने के बाद ही ब्राहमण मंगल पाठ प्रारम्भ करता था।


ब्राहमणो द्वारा जोड़ने की क्रिया छोड़ा हम लोगो ने और दोष ब्राहमणो पर लगा दिया।


ब्राहमणो को यदि अपना खोया हुआ वह सम्मान प्राप्त करना है तो इन बेकार वक्ताओ के वक्तव्यो पर रोक लगानी होगी ।


देश मे फैले हुये इन साधुओ और ब्रहामण विरोधी ताकतों का विरोध करना होगा जो अपनी अग्यानता को छिपाने के लिये वेद और ब्राहमण की निन्दा करतेे हुये पुर्ण भैतिकता का आनन्द ले रहे है।


महावीर हनुमान जी का बल

 ⚘️⚘ ️महावीर हनुमान जी का बल ⚘️⚘️


शत्रु की आधी शक्ति खींच लेने वाला बाली हनुमान जी से कैसे और क्यों पराजित हो गया?


बाली किष्किंधा का राजा था, वह इंद्र के धर्म पुत्र, वृषराज के जैविक पुत्र, सुग्रीव के बड़े भाई और अंगद के पिता अौर अप्सरा तारा के पति थे, बाली को वरदान प्राप्त था कि जिससे भी वह युद्ध करेगा उसकी आधी शक्ति बाली में समाहित हो जाएगी, बाली इतना बलशाली था कि उसने दुदम्भी नामक राक्षस और उसके भाई का वध कर दिया था, बाली ने लंकापति रावण को अपनी कांख में दबा कर पृथ्वी परिक्रमा की थी, यहां तक कि प्रभु श्री राम ने भी वृक्ष की आड़ लेकर बाली का वध किया था|


बाली का हनुमान जी से हुआ था युद्ध!


बात एक समय की है, बाली अपने बल के घमंड में चूर हो कर नगरों और जंगलो से होता हुआ किष्किंधा जा रहा था और सबको ललकार रहा था "है कोई जो मुझसे युद्ध कर सके है कोई जिसने मां का दूध पिया हो जो मुझसे युद्ध कर सके" पास में ही हनुमान जी प्रभु श्री राम का ध्यान लगाए थे, बाली के चिल्लाने से उनके ध्यान में विध्न पड़ रहा था, उन्होंने बाली से कहा "हे वानरराज आप अत्यंत बलशाली है, आपको कोई नही हरा सकता लेकिन आप इस तरह चिल्ला क्यों रहे है?"


यह सुन कर अहंकार में डूबा हुआ बाली भड़क गया और हनुमान जी को चुनौती देते हुए कहा कि "तू जिसकी पूजा कर रहा है वह भी मुझे नही हरा सकता|"


राम जी का अपमान होता देख हनुमान जी को क्रोध आ गया और उन्होंने बाली की चुनौती स्वीकार कर ली और  निश्चित हुआ कि अगले दिन सूर्योदय होते ही वे दोनों युद्ध करेंगे, अगले दिन हनुमान जी जैसे ही युद्ध के लिए निकले वैसे ही ब्रम्हा जी प्रकट हो गए और हनुमान जी को समझाने लगे कि वे बाली से युद्ध न करें किंतु हनुमान जी ने कहा कि "मैं युद्ध अवश्य करूँगा, क्योंकि बाली ने मेरे प्रभु श्री राम जी को चुनौती दी है|"


यह सुन कर ब्रम्हा जी ने कहा कि ठीक है हनुमान युद्ध के लिए जाओ परंतु अपनी शक्ति का मात्र दसवाँ हिस्सा ही ले कर जाओ, हनुमान जी ने कहा ठीक है फिर हनुमान जी अपनी शक्ति का दसवाँ हिस्सा ले कर बाली से युद्ध करने पहुँच गए, बाली के सामने जाते ही हनुमान जी की आधी शक्ति बाली में समाने लगी तो बाली को अपने अंदर अथाह शक्ति संचार का आभास हुआ, उसे लगा कि उसकी नसें फटने को है, शरीर मे भीषण दबाव का अनुभव होने लगा, उसी समय ब्रम्हा जी प्रकट हुए और बाली से कहा कि "यदि अपने प्राण बचाना चाहते हो तो तत्क्षण हनुमान से हजार कोस दूर भाग जाओ अन्यथा  तुम्हारा शरीर फट जाएगा|"


यह सुनते ही बाली वहाँ से हजार कोस दूर भाग गया तब उसे राहत मिली, उसने इसका कारण ब्रम्हा जी से पूछा तो ब्रम्हा जी ने बताया "यूं तो तुम बहुत शक्तिशाली हो लेकिन तुम्हारा शरीर हनुमान जी की शक्ति का एक छोटा सा हिस्सा भी नही सम्हाल पा रहा है, तुम्हे बता दूं कि हनुमान अपनी शक्ति का केवल दसवाँ हिस्सा ही ले कर तुमसे युद्ध करने आये थे, सोचो यदि सम्पूर्ण भाग ले कर आते तो तुम्हारा क्या होता|"


यह सुन कर बाली चकित रह गया और हनुमान जी को दंडवत प्रणाम कर के बोला कि "इतना अथाह बल होते हुए भी आप कितना शांत रहते है और सदा राम भजन में खोए रहते है, मैं कितना बड़ा मूर्ख था जो आपको ललकार बैठा, मैं तो आपकी शक्ति के एक बाल के बराबर भी नही मुझे क्षमा कर दीजिए|"


रामायण में वर्णित मुख्य स्थान

 रामायण में वर्णित मुख्य स्थान:-


1 तमसा नदी : अयोध्या से 20 किमी दूर है तमसा नदी, यहां पर उन्होंने नाव से नदी पार की|

 

2 श्रृंगवेरपुर तीर्थ : प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था, यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था, श्रृंगवेरपुर को वर्तमान में सिंगरौर कहा जाता है|

 

3 कुरई गांव : सिंगरौर में गंगा पार कर श्रीराम कुरई में रुके थे|

 

4 प्रयाग : कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे, कुछ महीने पहले तक प्रयाग को इलाहाबाद कहा जाता था|

 

5 चित्रकूट : प्रभु श्रीराम ने प्रयाग संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट, चित्रकूट वह स्थान है जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचते है, तब जब दशरथ का देहांत हो जाता है, भारत यहां से राम की चरण पादुका ले जाकर उनकी चरण पादुका रखकर राज्य करते है|

 

6 सतना : चित्रकूट के पास ही सतना (मध्यप्रदेश) स्थित अत्रि ऋषि का आश्रम था, हालांकि अनुसूइया पति महर्षि अत्रि चित्रकूट के तपोवन में रहा करते थे, लेकिन सतना में 'रामवन' नामक स्थान पर भी श्रीराम रुके थे, जहां ऋषि अत्रि का एक ओर आश्रम था|

 

7 दंडकारण्य : चित्रकूट से निकलकर श्रीराम घने वन में पहुंच गए, असल में यहीं था उनका वनवास, इस वन को उस काल में दंडकारण्य कहा जाता था, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर दंडकाराण्य था, दंडकारण्य में छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं आंध्रप्रदेश राज्यों के अधिकतर हिस्से शामिल है| दरअसल, उड़ीसा की महानदी के इस पास से गोदावरी तक दंडकारण्य का क्षेत्र फैला हुआ था, इसी दंडकारण्य का ही हिस्सा है आंध्रप्रदेश का एक शहर भद्राचलम, गोदावरी नदी के तट पर बसा यह शहर सीता-रामचंद्र मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, यह मंदिर भद्रगिरि पर्वत पर है कहा जाता है कि श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान कुछ दिन इस भद्रगिरि पर्वत पर ही बिताए थे, स्थानीय मान्यता के मुताबिक दंडकारण्य के आकाश में ही रावण और जटायु का युद्ध हुआ था और जटायु के कुछ अंग दंडकारण्य में आ गिरे थे, ऐसा माना जाता है कि दुनियाभर में सिर्फ यहीं पर जटायु का एकमात्र मंदिर है|

 

8 पंचवटी नासिक : दण्डकारण्य में मुनियों के आश्रमों में रहने के बाद श्रीराम अगस्त्य मुनि के आश्रम गए, यह आश्रम नासिक के पंचवटी क्षे‍त्र में है जो गोदावरी नदी के किनारे बसा है, यहीं पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी, राम-लक्ष्मण ने खर व दूषण के साथ युद्ध किया था। गिद्धराज जटायु से श्रीराम की मैत्री भी यहीं हुई थी, वाल्मीकि रामायण, अरण्यकांड में पंचवटी का मनोहर वर्णन मिलता है|

 

9 सर्वतीर्थ : नासिक क्षेत्र में शूर्पणखा, मारीच और खर व दूषण के वध के बाद ही रावण ने सीता का हरण किया और जटायु का भी वध किया था, जिसकी स्मृति नासिक से 56 किमी दूर ताकेड गांव में 'सर्वतीर्थ' नामक स्थान पर आज भी संरक्षित है, जटायु की मृत्यु सर्वतीर्थ नाम के स्थान पर हुई, जो नासिक जिले के इगतपुरी तहसील के ताकेड गांव में मौजूद है, इस स्थान को सर्वतीर्थ इसलिए कहा गया, क्योंकि यहीं पर मरणासन्न जटायु ने सीता माता के बारे में बताया, रामजी ने यहां जटायु का अंतिम संस्कार करके पिता और जटायु का श्राद्ध-तर्पण किया था, इसी तीर्थ पर लक्ष्मण रेखा थी|

 

10 पर्णशाला : पर्णशाला आंध्रप्रदेश में खम्माम जिले के भद्राचलम में स्थित है, रामालय से लगभग 1 घंटे की दूरी पर स्थित पर्णशाला को 'पनशाला' या 'पनसाला' भी कहते है, पर्णशाला गोदावरी नदी के तट पर स्थित है, मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहां से सीताजी का हरण हुआ था, हालांकि कुछ मानते है कि इस स्थान पर रावण ने अपना विमान उतारा था, इस स्थल से ही रावण ने सीता को पुष्पक विमान में बिठाया था यानी सीताजी ने धरती यहां छोड़ी थी, इसी से वास्तविक हरण का स्थल यह माना जाता है, यहां पर राम-सीता का प्राचीन मंदिर है|

 

11 तुंगभद्रा : सर्वतीर्थ और पर्णशाला के बाद श्रीराम-लक्ष्मण सीता की खोज में तुंगभद्रा तथा कावेरी नदियों के क्षेत्र में पहुंच गए, तुंगभद्रा एवं कावेरी नदी क्षेत्रों के अनेक स्थलों पर वे सीता की खोज में गए|

 

12 शबरी का आश्रम : तुंगभद्रा और कावेरी नदी को पार करते हुए राम और लक्ष्‍मण चले सीता की खोज में, जटायु और कबंध से मिलने के पश्‍चात वे ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे, रास्ते में वे पम्पा नदी के पास शबरी आश्रम भी गए, जो आजकल केरल में स्थित है, शबरी जाति से भीलनी थीं और उनका नाम था श्रमणा, 'पम्पा' तुंगभद्रा नदी का पुराना नाम है, इसी नदी के किनारे पर हम्पी बसा हुआ है। पौराणिक ग्रंथ 'रामायण' में हम्पी का उल्लेख वानर राज्य किष्किंधा की राजधानी के तौर पर किया गया है, केरल का प्रसिद्ध 'सबरिमलय मंदिर' तीर्थ इसी नदी के तट पर स्थित है|

 

13 ऋष्यमूक पर्वत : मलय पर्वत और चंदन वनों को पार करते हुए वे ऋष्यमूक पर्वत की ओर बढ़े, यहां उन्होंने हनुमान और सुग्रीव से भेंट की, सीता के आभूषणों को देखा और श्रीराम ने बाली का वध किया, ऋष्यमूक पर्वत वाल्मीकि रामायण में वर्णित वानरों की राजधानी किष्किंधा के निकट स्थित था, ऋष्यमूक पर्वत तथा किष्किंधा नगर कर्नाटक के हम्पी, जिला बेल्लारी में स्थित है, पास की पहाड़ी को 'मतंग पर्वत' माना जाता है, इसी पर्वत पर मतंग ऋषि का आश्रम था जो हनुमानजी के गुरु थे|

 

14 कोडीकरई : हनुमान और सुग्रीव से मिलने के बाद श्रीराम ने वानर सेना का गठन किया और लंका की ओर चल पड़े, तमिलनाडु की एक लंबी तटरेखा है, जो लगभग 1,000 किमी तक विस्‍तारित है, कोडीकरई समुद्र तट वेलांकनी के दक्षिण में स्थित है, जो पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण में पाल्‍क स्‍ट्रेट से घिरा हुआ है, यहां श्रीराम की सेना ने पड़ाव डाला और श्रीराम ने अपनी सेना को कोडीकरई में एकत्रित कर विचार विमर्ष किया, लेकिन राम की सेना ने उस स्थान के सर्वेक्षण के बाद जाना कि यहां से समुद्र को पार नहीं किया जा सकता और यह स्थान पुल बनाने के लिए उचित भी नहीं है, तब श्रीराम की सेना ने रामेश्वरम की ओर कूच किया|

 

15 रामेश्‍वरम : रामेश्‍वरम समुद्र तट एक शांत समुद्र तट है और यहां का छिछला पानी तैरने और सन बेदिंग के लिए आदर्श है, रामेश्‍वरम प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ केंद्र है, महाकाव्‍य रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी, रामेश्वरम का शिवलिंग श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है|

 

16 धनुषकोडी : वाल्मीकि के अनुसार तीन दिन की खोजबीन के बाद श्रीराम ने रामेश्वरम के आगे समुद्र में वह स्थान ढूंढ़ निकाला, जहां से आसानी से श्रीलंका पहुंचा जा सकता हो, उन्होंने नल और नील की मदद से उक्त स्थान से लंका तक का पुनर्निर्माण करने का फैसला लिया, धनुषकोडी भारत के तमिलनाडु राज्‍य के पूर्वी तट पर रामेश्वरम द्वीप के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक गांव है, धनुषकोडी पंबन के दक्षिण-पूर्व में स्थित है, धनुषकोडी श्रीलंका में तलैमन्‍नार से करीब 18 मील पश्‍चिम में है|

 

इसका नाम धनुषकोडी इसलिए है कि यहां से श्रीलंका तक वानर सेना के माध्यम से नल और नील ने जो पुल (रामसेतु) बनाया था उसका आकार मार्ग धनुष के समान ही है, इन पूरे इलाकों को मन्नार समुद्री क्षेत्र के अंतर्गत माना जाता है, धनुषकोडी ही भारत और श्रीलंका के बीच एकमात्र स्‍थलीय सीमा है, जहां समुद्र नदी की गहराई जितना है जिसमें कहीं-कहीं भूमि नजर आती है|

 

17 'नुवारा एलिया' पर्वत श्रृंखला : वाल्मीकिय-रामायण अनुसार श्रीलंका के मध्य में रावण का महल था, 'नुवारा एलिया' पहाड़ियों से लगभग 90 किलोमीटर दूर बांद्रवेला की तरफ मध्य लंका की ऊंची पहाड़ियों के बीचोबीच सुरंगों तथा गुफाओं के भंवरजाल मिलते है, यहां ऐसे कई पुरातात्विक अवशेष मिलते है जिनकी कार्बन डेटिंग से इनका काल निकाला गया है|

 

श्रीलंका में नुआरा एलिया पहाड़ियों के आसपास स्थित #रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, खंडहर हो चुके विभीषण के महल आदि की पुरातात्विक जांच से इनके रामायण काल के होने की पुष्टि होती है, आजकल भी इन स्थानों की भौगोलिक विशेषताएं, जीव, वनस्पति तथा स्मारक आदि बिलकुल वैसे ही हैं जैसे कि #रामायण में वर्णित किए गए है|



विद्यार्थी और फैशन...

 विद्यार्थी और फैशन....


शब्दकोश में फैशन का अर्थ होता है ढंग या शैली लेकिन लोकव्यवहार में फैशन का परिधान शैली अथार्त वस्त्र पहनने की कला को कहते हैं। मनुष्य अपने आप को सुंदर दिखाने के लिए फैशन का प्रयोग करता है। कोई भी व्यक्ति गोरा हो या काला, मोटा हो या पतला, नवयुवक हो या प्रौढ़ सभी का कपड़े पहनने का अपना-अपना ढंग होता है।


मनुष्य केवल अपनी आयु, रूप-रंग और शरीर की बनावट को देखकर ही फैशन करता है। यहाँ तक की फैशन के विषय में कोई विशेष विवाद नहीं है। कोई भी अध्यापक हो या विद्यार्थी, लड़का हो या लडकी, पुरुष हो या स्त्री सभी को फैशन करने का अधिकार होता है।


💥 फैशन पर विवाद : जब हम फैशन का गूढ़ अर्थ बनाव सिंगार लेते हैं तो फैशन के विषय में विवाद उठता है। इस गूढ़ अर्थ से दूल्हा और दुल्हन का संबंध हो सकता है लेकिन छात्र और छात्राओं का इससे कोई संबंध नहीं होता है।


छात्र और छात्राएं अभी विद्यार्थी हैं और विद्यार्थी का अर्थ होता है विद्या की इच्छा करने वाला। अगर विद्या की इच्छा करने वाले विद्यार्थी फैशन को चाहने लगेंगे तो वे अपने लक्ष्य से बहुत दूर भटक जायेंगे। अगर विद्यार्थी विद्या की जगह पर फैशन को चाहेगा तो विद्या उससे रूठ जाएगी।


💥 प्राचीनकाल में विद्यार्थियों में फैशन की भावना : प्राचीनकाल में मध्य मे से लेकर 21 वी शताब्दी आरंभ लगभग तक विद्यार्थी फैशन को इतना पसंद नहीं करते थे जितने आज के विद्यार्थी करते हैं। प्राचीनकाल में विद्यार्थी सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास रखते थे उनमे फैशन की अपेक्षा विद्या को चाहने की बहुत तीव्र इच्छा होती थी।


आज के विद्यार्थियों में फैशनेबल दिखने की इच्छा तीव्र होती है। आजकल विद्यार्थी जिस तरह के कपड़े दूसरों को पहने हुए देखते हैं वैसे ही कपड़ों की मांग वे अपने माता -पिता से करते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि आस-पास के लोगों में खुद को धनी दिखा सकें लेकिन वास्तव में वे धनी नहीं होते हैं।


धनी के साथ-साथ आज का विद्यार्थी खुद को दूसरों से सुंदर दिखाना चाहता है जो वो होता नहीं है। इस तरह वे फैशन में इतना समय व्यर्थ में गंवा देते हैं लेकिन बहुत से महत्वपूर्ण कामों के लिए उसके पास समय ही नहीं होता है। ऐसी अवस्था में कौन उन्हें यह बात समझाएगा कि वे धन के अपव्यय के साथ-साथ समय की भी बरबादी करते हैं।


💥 सौन्दर्य के लिए धन की आवश्यकता : जब विद्यार्थी सुंदर दिखने की भावना को प्रबल कर लेते हैं तो उन में धन विलासिता भी बढ़ जाती है। फैशन के जीवन को जीने के लिए धन की आवश्यकता होती है। जब विद्यार्थी को फैशन का जीवन जीने के लिए धन आसानी से नहीं मिलता है तो वह झूठ का सहारा लेकर धन को प्राप्त करने की कोशिश करता है।


वह धन को पाने के लिए चोरी तक करने लगता है। ऐसा करने के बाद जुआ जैसे बुरे काम भी उनसे दूर नहीं रह पाते हैं। इस तरह से विद्यार्थी की मौलिकता खत्म हो जाती है और वह आधुनिक वातावरण में जीने लगता है। ऐसा करने से घर के लोगों से उसका संबंध टूट जाता है और सिनेमा के अभिनेता उसके आदर्श बन जाते हैं।


वे विद्यालय की जगह पर फिल्मों में अधिक रूचि लेने लगते हैं और अपने मार्ग से भटक जाते हैं। जो विद्यार्थी फैशन के पीछे भागते हैं वे अपने जीवन में कभी भी आगे नहीं बढ़ पाते हैं। आगे चलकर उन्हें पछताना ही पड़ता है।


💥 सिनेमा का कुप्रभाव : आज के समय में हमारे जीवन में सिनेमा एक महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। ज्यादातर छात्र-छात्राएं फिल्मों से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। अमीर परिवार तो फैशनेबल कपड़े पहन सकते हैं और अपने बच्चों को भी फैशनेबल कपड़े पहना सकते हैं लेकिन गरीब लोग ऐसा नहीं कर सकते हैं। विद्यार्थियों में देखा-देखी फैशन की होड़ बढती ही जा रही है। टीवी की संस्कृति ने हमारे देश के लोगों के लिए समस्याएँ उत्पन्न कर दी हैं। यह फैशनपरस्ती फिल्मों की ही देन है।


💥 फैशन के दुष्परिणाम : आज के विद्यार्थियों में फैशन की प्रवृत्ति के बढने से केवल माता-पिता ही नहीं बल्कि पूरे समाज मे घातक सिद्ध हो रही है। गरीब परिवार के लोग अपने बच्चों की मांगों की पूर्ति नहीं कर पाते हैं। इसकी वजह से उनके घर के बच्चे घर में असहज वातावरण उत्पन्न कर देते हैं।


जो विद्यार्थी फैशन के पीछे भागते हैं वो सिनेमा घरों में जाकर अशोभनीय व्यवहार करते हैं, गली मोहल्लों में हल्ला मचाते हैं और हिंसक गतिविधियों में भाग लेते हैं। जो विद्यार्थी फैशनपरस्ती होते हैं वे जीवन के विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं | जो विद्यार्थी फैशनपरस्ती के पीछे भागते हैं वो अपनी शिक्षा की तरफ ध्यान नहीं दे पाते हैं। ऐसे विद्यार्थी अपने माता-पिता के सपनों को तोड़ देते हैं।


💥 उपसंहार : हम यह कह सकते हैं कि फैशन विद्यार्थियों के लिए अच्छा नहीं होता है। विद्यार्थियों का आदर्श हमेशा सादा जीवन उच्च विचार होना चाहिए। फैशन के मामलों में विद्यार्थी को अपना जीवन कभी भी खर्च नहीं करना चाहिए।


विद्यार्थी का लक्ष्य बस अपने जीवन का निर्माण होना चाहिए। जो विद्यार्थी अपनी शिक्षा पर ध्यान देते हैं वे ही अपने जीवन में सफल होते हैं। बस फैशन के पीछे भागने वाले बाद में पछताते हैं।


         #सामयिकी #भारतीयसंस्कृति

सनातन धर्म के 13 सुत्र

 . 🕉️  सनातन धर्म के 13 सुत्र 🚩

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      1️⃣.प्रश्न :- तुम कौन हो...?          

                उत्तर :- भारतीय / आर्य ।

      2️⃣. प्रश्न :- तुम्हारा धर्म क्या है...?            

               उत्तर :- सत्य सनातन वैदिक धर्म ।

      3️⃣. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म ग्रंथ क्या है...?   

               उत्तर :- चार वेद, चार उपवेद, चार ब्राह्मण ग्रंथ, छ: वेदांग, ग्यारह उपनिषद, छ: दर्शन शास्त्र, मनुस्मृति, बाल्मिक रामायण, व्यास कृत महाभारत, ऋगवेदादिभाष्यभूमिका।

      4️⃣. प्रश्न:- तुम्हारे ईश्वर का मुख्य नाम क्या है ...?

            उत्तर :- ईश्वर का मुख्य नाम ओ३म् है !

      5️⃣. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म का चिन्ह क्या है...?

              उत्तर :- चौटी और जनेऊ है।

      6️⃣. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म की प्रथम आज्ञा क्या है...?

             उत्तर :- सत्यं वद धर्मं चर स्वाध्यायान्मा प्रमदः ।

      आचारस्य प्रियं धनमाहृत्य प्रजातन्तुं मा व्यवच्छेत्सीः॥

   अर्थात सत्य बोलो, धर्म का आचरण करो, स्वाध्याय ( स्वयं को धर्म पुस्तकों अनुसार पढने में ) में आलस्य मत करो। अपने श्रेष्ठ कर्मों से साधक को कभी मन नहीं चुराना चाहिए।

      7️⃣. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म का मूलमंत्र क्या है...?

             उत्तर :- वेदों का मूल मंत्र गायत्री हैं।

             ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं 

    भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

   भावार्थ :- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

      8️⃣. प्रश्न :- तुम्हरी जीवन यात्रा क्या है...?

               उत्तर :- योग से मोक्ष तक पहुँचना ।  

      9️⃣ प्रश्न :- तुम्हारे धर्म का कर्म क्या है....?

              उत्तर :- ऋषियों ने ये बोध कराने हेतु पाँच महायज्ञों का विधान किया।

      १. ब्रह्मयज्ञ = सन्ध्या व वेद स्वाध्याय ।

      २. देवयज्ञ = अग्निहोत्र ।

      ३. पितृयज्ञ = माता-पिता की सेवा ।

      ४. अतिथियज्ञ = घर आए विद्वानों की सेवा ।

      ५. बलिवैश्वदेव यज्ञ = सहयोगी प्राणियों पशु आदि की सेवा।

      🔟. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म का सिद्धांत क्या है...?

           उत्तर :- वसुधैव कुटुम्बकम्‌'। सारी पृथ्वी एक कुटुंब/परिवार के समान।” तथा विश्व का कल्याण हो !

      1️⃣1️⃣. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म के लक्षण क्या है...?

             उत्तर :- दस लक्षण हैं।....

   धर्ति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचम् इन्द्रियनिग्रह        

      धीविर्द्दया सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।   

   १.धृति सुख, दुःख , हानि, लाभ, मान, अपमान मे धैर्य रखना!

   २.क्षमा- शरीर मे सामर्थ्य होने पर भी बुराई का प्रतिकार न करना या बदला न लेना क्षमा है।

   ३.दम-मन मे अच्छी बातो का चिंतन करना बुरी बातों को दबाना हटाना !

   ४.अस्तेय-बिना दूसरे की आज्ञा के कोई वस्तु न लेना चोरी न करना !

   ५.शौच-शरीर की आत्मिक और शारीरिक शुद्धि रखना!

   ६-इन्द्रियनिग्रह हाथ, पांव, आंख, मुख, नाक आदिको अच्छे कार्यो मे लगाना।इन्द्रियों को संयम में रखना।

   ७.धी-बुद्धि बढाने हेतू प्रयत्न करना!

   ८.विद्या-ईश्वर द्वारा बनाये गए प्रत्येक पदार्थ का ज्ञान प्राप्त करना तथा उनसे उपयोग लेना!

   ९.सत्य-जो हम जानते है उसको वैसा ही अपने द्वारा कहना मानना सत्य कहलाता है। हमेशा सत्य ही बोलना।

   १०.अक्रोध-इच्छा से उत्पन्न क्रोध !

      1️⃣2️⃣.प्रश्न :- तुम्हारे धर्म का उदेश्य क्या है।

             उत्तर :- कृण्वन्तो विश्वमार्यम्, जिसका अर्थ है - विश्व को आर्य ( श्रेष्ठ /उत्तम) बनाते चलो।

      1️⃣3️⃣. प्रश्न:- तुम्हारी धार्मिक नीति क्या है !

          उत्तर :- अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च: l" अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है और धर्म रक्षार्थ हिंसा भी उसी प्रकार श्रेष्ठ है।

   धर्म की जय हो,

       अधर्म का नाश हो,

          प्राणियों मे सद्भावना हो, 

              विश्व का कल्याण हो---

                   ~~~हर हर महादेव~~~

           ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

कुछ हिन्दू मंत्र जिसे हमें अवश्य पढ़ना चाहिए

 और कुछ भले ना जानते हो परंतु ये 14 मंत्र जो....हर हिंदू को सीखना और बच्चों को सिखाना चाहिए,


1. महादेव

          ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, 

           सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ,

           उर्वारुकमिव बन्धनान्,

           मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् !!


2. श्री गणेश

              वक्रतुंड महाकाय, 

              सूर्य कोटि समप्रभ 

              निर्विघ्नम कुरू मे देव,

              सर्वकार्येषु सर्वदा !!


3. श्री हरि विष्णु

           मङ्गलम् भगवान विष्णुः,

           मङ्गलम् गरुणध्वजः।

           मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः,

           मङ्गलाय तनो हरिः॥


4. श्री ब्रह्मा जी

             ॐ नमस्ते परमं ब्रह्मा,

              नमस्ते परमात्ने ।

              निर्गुणाय नमस्तुभ्यं,

              सदुयाय नमो नम:।।


5. श्री कृष्ण

               वसुदेवसुतं देवं,

               कंसचाणूरमर्दनम्।

               देवकी परमानन्दं,

               कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।


6. श्री राम

              श्री रामाय रामभद्राय,

               रामचन्द्राय वेधसे ।

               रघुनाथाय नाथाय,

               सीताया पतये नमः !


7. मां दुर्गा

            ॐ जयंती मंगला काली,

            भद्रकाली कपालिनी ।

            दुर्गा क्षमा शिवा धात्री,

            स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।।


8. मां महालक्ष्मी

            ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो,

            धन धान्यः सुतान्वितः ।

            मनुष्यो मत्प्रसादेन,

            भविष्यति न संशयःॐ ।


9. मां सरस्वती

            ॐ सरस्वति नमस्तुभ्यं,

             वरदे कामरूपिणि।

             विद्यारम्भं करिष्यामि,

             सिद्धिर्भवतु मे सदा ।।


10. मां महाकाली

             ॐ क्रीं क्रीं क्रीं,

             हलीं ह्रीं खं स्फोटय,

             क्रीं क्रीं क्रीं फट !!


11. हनुमान जी

          मनोजवं मारुततुल्यवेगं,

          जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।

          वातात्मजं वानरयूथमुख्यं,

          श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥


12. श्री शनि देव

             ॐ नीलांजनसमाभासं,

              रविपुत्रं यमाग्रजम ।

              छायामार्तण्डसम्भूतं, 

              तं नमामि शनैश्चरम् ||


13. श्री कार्तिकेय 

        ॐ शारवाना-भावाया नम:,

         ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा ,

         वल्लीईकल्याणा सुंदरा।

          देवसेना मन: कांता,

          कार्तिकेया नामोस्तुते ।


14. श्री काल भैरव

          ॐ ह्रीं वां बटुकाये,


*15 मंत्र जो हर हिंदू को सीखना चाहिए।* 👇👇👇


1. *श्री महादेव जी*

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् 

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्!!


2. *श्री गणेश जी*


वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ 

निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा!!


3. *श्री हरी विष्णु जी*


मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥


4. *श्री ब्रह्मा जी*


ॐ नमस्ते परमं ब्रह्मा नमस्ते परमात्ने।

निर्गुणाय नमस्तुभ्यं सदुयाय नमो नम:।।


5. *श्री कृष्ण जी*


वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।।


6. *श्री राम जी*


श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !


7. *मां दुर्गा जी*


ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते


8. *मां महालक्ष्मी जी*


ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।


9. *मां सरस्वती*


ॐ सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।

विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा।।


10. *मां महाकाली*


ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हलीं ह्रीं खं स्फोटय क्रीं 

क्रीं क्रीं फट !!


11. *श्री हनुमान जी*


मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठ।

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥


12. *श्री शनिदेव जी*


ॐ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम् ||


13. *श्री कार्तिकेय*


ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा, देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते


14. *काल भैरव*


ॐ ह्रीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकाये ह्रीं बटुकाये स्वाहा


15. *गायत्री मंत्र*


ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟

          क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये,

          कुरु कुरु बटुकाये,

          ह्रीं बटुकाये स्वाहा।


 खुद भी सीखे और परिवार / बच्चों को भी सिखाये। और जिन्हें याद हैं बहुत अच्छा । किसी भी तरह याद करें सुबह शाम घर पर करें।

विज्ञान नहीं मानेगा, पर यह हैं आठ चिरंजीवी हैं

 विज्ञान नहीं मानेगा, पर यह हैं आठ चिरंजीवी हैं,,,,,,


हिंदू इतिहास और पुराण अनुसार ऐसे सात व्यक्ति हैं, जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, नियम या शाप से बंधे हुए हैं और यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है। योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात कही गई है वे सारी शक्तियाँ इनमें विद्यमान है। यह परामनोविज्ञान जैसा है, जो परामनोविज्ञान और टेलीपैथी विद्या जैसी आज के आधुनिक साइंस की विद्या को जानते हैं वही इस पर विश्वास कर सकते हैं। आओ जानते हैं कि हिंदू धर्म अनुसार कौन से हैं यह सात जीवित महामानव।


अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण:।

कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥

सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।

जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।


अर्थात इन आठ लोगों (अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि) का स्मरण सुबह-सुबह करने से सारी बीमारियां समाप्त होती हैं और मनुष्य 100 वर्ष की आयु को प्राप्त करता है।


प्राचीन मान्यताओं के आधार पर यदि कोई व्यक्ति हर रोज इन आठ अमर लोगों (अष्ट चिरंजीवी) के नाम भी लेता है तो उसकी उम्र लंबी होती है।


१. हनुमान - कलियुग में हनुमानजी सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं और हनुमानजी भी इन अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं। सीता ने हनुमान को लंका की अशोक वाटिका में राम का संदेश सुनने के बाद आशीर्वाद दिया था कि वे अजर-अमर रहेंगे। अजर-अमर का अर्थ है कि जिसे ना कभी मौत आएगी और ना ही कभी बुढ़ापा। इस कारण भगवान हनुमान को हमेशा शक्ति का स्रोत माना गया है क्योंकि वे चीरयुवा हैं।


२. कृपाचार्य- महाभारत के अनुसार कृपाचार्य कौरवों और पांडवों के कुलगुरु थे। कृपाचार्य गौतम ऋषि पुत्र हैं और इनकी बहन का नाम है कृपी। कृपी का विवाह द्रोणाचार्य से हुआ था। कृपाचार्य, अश्वथामा के मामा हैं। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य ने भी पांडवों के विरुद्ध कौरवों का साथ दिया था।


३. अश्वथामा- ग्रंथों में भगवान शंकर के अनेक अवतारों का वर्णन भी मिलता है। उनमें से एक अवतार ऐसा भी है, जो आज भी पृथ्वी पर अपनी मुक्ति के लिए भटक रहा है। ये अवतार हैं गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा का। द्वापरयुग में जब कौरव व पांडवों में युद्ध हुआ था, तब अश्वत्थामा ने कौरवों का साथ दिया था। महाभारत के अनुसार अश्वत्थामा काल, क्रोध, यम व भगवान शंकर के सम्मिलित अंशावतार थे। अश्वत्थामा अत्यंत शूरवीर, प्रचंड क्रोधी स्वभाव के योद्धा थे। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने ही अश्वत्थामा को चिरकाल तक पृथ्वी पर भटकते रहने का श्राप दिया था।


अश्वथाम के संबंध में प्रचलित मान्यता... मध्य प्रदेश के बुरहानपुर शहर से 20 किलोमीटर दूर एक किला है। इसे असीरगढ़ का किला कहते हैं। इस किले में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है। यहां के स्थानीय निवासियों का कहना है कि अश्वत्थामा प्रतिदिन इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने आते हैं।


४. ऋषि मार्कण्डेय- भगवान शिव के परम भक्त हैं ऋषि मार्कण्डेय। इन्होंने शिवजी को तप कर प्रसन्न किया और महामृत्युंजय मंत्र सिद्धि के कारण चिरंजीवी बन गए।


५. विभीषण- राक्षस राज रावण के छोटे भाई हैं विभीषण। विभीषण श्रीराम के अनन्य भक्त हैं। जब रावण ने माता सीता हरण किया था, तब विभीषण ने रावण को श्रीराम से शत्रुता न करने के लिए बहुत समझाया था। इस बात पर रावण ने विभीषण को लंका से निकाल दिया था। विभीषण श्रीराम की सेवा में चले गए और रावण के अधर्म को मिटाने में धर्म का साथ दिया।


६. राजा बलि- शास्त्रों के अनुसार राजा बलि भक्त प्रहलाद के वंशज हैं। बलि ने भगवान विष्णु के वामन अवतार को अपना सब कुछ दान कर दिया था। इसी कारण इन्हें महादानी के रूप में जाना जाता है। राजा बलि से श्रीहरि अतिप्रसन्न थे। इसी वजह से श्री विष्णु राजा बलि के द्वारपाल भी बन गए थे।


७. ऋषि व्यास- ऋषि भी अष्ट चिरंजीवी हैँ और इन्होंने चारों वेद (ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद) का सम्पादन किया था। साथ ही, इन्होंने ही सभी 18 पुराणों की रचना भी की थी। महाभारत और श्रीमद्भागवत् गीता की रचना भी वेद व्यास द्वारा ही की गई है। इन्हें वेद व्यास के नाम से भी जाना जाता है। वेद व्यास, ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र थे। इनका जन्म यमुना नदी के एक द्वीप पर हुआ था और इनका रंग सांवला था। इसी कारण ये कृष्ण द्वैपायन कहलाए।


८. परशुराम- भगवान विष्णु के छठें अवतार हैं परशुराम। परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका थीं। इनका जन्म हिन्दी पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हुआ था। इसलिए वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली तृतीया को अक्षय तृतीया कहा जाता है। परशुराम का जन्म समय सतयुग और त्रेता के संधिकाल में माना जाता है। परशुराम ने 21 बार पृथ्वी से समस्त क्षत्रिय राजाओं का अंत किया था। 


परशुराम का प्रारंभिक नाम राम था। राम ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था। शिवजी तपस्या से प्रसन्न हुए और राम को अपना फरसा (एक हथियार) दिया था। इसी वजह से राम परशुराम कहलाने लगे।

गीता जयंती विशेष

 गीता जयंती विशेष 

हिंदू धर्म मे चार वेद हैं और इन चारों वेद का सार गीता में है। यही कारण है कि गीता को हिन्दुओं का सर्वमान्य एकमात्र धर्मग्रंथ माना गया है। माना जाता है कि गीता को स्पर्श करने के बाद इंसान झूठ नहीं बोलता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में खड़े होकर गीता का ज्ञान दिया था और श्रीकृष्ण और अजुर्न संवाद के नाम से ही इसे जाना जाता है। भले ही गीता का ज्ञान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था, लेकिन अर्जुन के माध्यम से ही उन्होंने संपूर्ण जगत को यह ज्ञान दिया था।

श्रीकृष्ण के गुरु घोर अंगिरस थे दिया था और उन्होंने ही भगवान श्रीकृष्ण को सर्वप्रथम गीता का उपदेश दिया था और इसी उपदेश को भगवान ने अर्जुन को दिया था। गीता द्वापर युग में महाभारत के युद्ध के समय रणभूमि में किंकर्तव्यविमूढ़ अर्जुन को समझाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा कही गई थी, लेकिन इस वचनामृत की प्रासंगिकता आज तक बनी हुई है। हममे से बहुत लोग गीता के बारे में केवल इतना ही जानते हैं कि ये एक धर्म ग्रंथ है

गीता में भक्ति, ज्ञान और कर्म से जुड़ी कई ऐसे बातें बताई गईं है जो मनुष्य के लिए हर युग में महत्वपूर्ण हैं। गीता के प्रत्येक शब्द पर एक अलग ग्रंथ लिखा जा सकता है। गीता में सृष्टि उत्पत्ति, जीव विकास क्रम, हिन्दू संदेशवाहक क्रम, मानव उत्पत्ति, योग, धर्म-कर्म, ईश्वर, भगवान, देवी-देवता, उपासना, प्रार्थना, यम-नियम, राजनीति, युद्ध, मोक्ष, अंतरिक्ष, आकाश, धरती, संस्कार, वंश, कुल, नीति, अर्थ, पूर्वजन्म, प्रारब्ध, जीवन प्रबंधन, राष्ट्र निर्माण, आत्मा, कर्मसिद्धांत, त्रिगुण की संकल्पना, सभी प्राणियों में मैत्रीभाव आदि सभी की जानकारी है। गीता का मुख्य ज्ञान श्रेष्ठ मानव बनना, ईश्वर को समझना और मोक्ष की प्राप्ति है।

गीता में लिखा है, क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है और जब तर्क मरता है तो मनुष्य का विवेक नष्ट हो जाता है और उसका पतन शुरू हो जाता है। इस आधार पर कई ज्ञान और बुद्धि को खोलने वाली बातें लिखी हैं।

Tuesday, November 29, 2022

मेरी माँ

माँ की याद ने आज राज को बेबस कर दिया...कुछ चंद शब्द मेरी माँ के लिए...और मेरे भारत माता के लिए...मेरा आपसे विनंती थोड़ा समय निकाल कर एक बार आप इसे अवश्य पढ़े...अपनी माँ के लिए🙏🙏🙏🙏🙏



दोस्तों बहुत ही छोटा सा शब्द है...‘माँ’ पर इस शब्द में भावनाये है, स्नेह हैं, और शक्ति है। ईश्वर की सबसे शानदार और मजबूत रचना है माँ का प्यार, तपस्या और त्याग की मूरत भी है माँ। आप अपनी माँ से कितना भी प्यार करें पर माँ का प्यार आपसे 9 महीने ज्यादा ही होता है। वैसे तो हमें इस दुनिया में लाने वाली माँ के प्रति सम्मान के लिए कोई खास दिन की जरूरत नहीं है पर माँ के प्रति अपनी भावनाये प्रकट करने के लिए मातृ दिवस (Happy Mothers Day ) मां को सम्मान देने वाले दिन के रूप में मनाया जाता है। माँ पूरी जिंदगी अपने परिवार और अपने बच्चों के ऊपर अपना जीवन समर्पित कर देती है,अपने पति के सम्मान के लिए झुकती है,अपने बच्चों में आदर्श और गुण इक्क्ठे करने के लिए खुद का बलिदान करती है,ऐसी होती है माँ...माँ के प्यार के बाद दुनियां में किसी और के प्यार की जरूरत नहीं होती...भगवान हर जगह नहीं पहुंच सकते शायद इस लिए उसने माँ जैसी अदभुत मानव की रचना की...दुनिया के किसी शब्दोकोस में इतनी शक्ति नहीं, जो माँ शब्द का वर्णन कर सके...फिर राज क्या अवकात है दोस्तों...फिर भी एक छोटा प्रयास किया है इस राज ने माँ के प्यार और ममता के संदर्भ में...मुझे आशा और विश्वास है की आपलोग इसे अवश्य पढ़ना पसंद करगे...


माँ सिर्फ तू मेरे लिए क्या है...


तू वो सितारा है जिसकी साये में जीने के लिए हर पल मैं तरसता हूँ माँ...मैं जो कुछ भी हूँ या होने की आशा रखता हूँ उसका श्रेय सिर्फ तुम्ही को जाता है माँ ...तू मेरे लिए सबसे महान शिक्षक,दया और प्यार की प्रतिमूर्ति है माँ...भले ही तू पढ़ी-लिखी नहीं है पर दुनिया का दुर्लभ व महत्वपूर्ण ज्ञान मैंने तुमसे ही सीखा है माँ...तुम्हरा ही दिल वो बड़ा दरिया है जिसमें दया और क्षमा कूट कूट के भरी है माँ... दुनिया की कोई भी दौलत तेरे दूध का कर्ज नहीं उतार सकती है माँ...दिन भर की मशक़्क़त से बदन चूर है लेकिन मुझे देखते थकान भूल गई है सिर्फ तू है माँ...मुझे अब समझ आया की एक माँ कठोर मेहनत क्यों करती है,खुद महान बनने के लिए नहीं बल्कि बच्चों को महान बनाने के लिए माँ...तेरा साया ही मेरे लिए दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह है माँ...मुझे ऐसी ख़ुशीयों की कदापि ख्वाईश नहीं जिसमे तू शामिल न हो माँ...मेरे ख़राब हालातों में ख़ामोशी से हर दर्द पहचाने वाली सिर्फ तू है माँ...जिसका साथ जुदा होके भी कभी जुदा नहीं हुआ सिर्फ तू है माँ...कमा के इतनी दोलत मैं तुम्हे कभी नहीं दे सकता जितनी तूने ममता दी है मुझे माँ...गिन लेती है मेरा हर दुःख दर्द,भला कैसे कह दूं कि तू अनपढ़ है मेरी माँ...कुछ इस तरह से तु मुझे हर रोज दगा करती थी,मै टिफिन में दो रोटी कहता था और तु चार रखा करती थी माँ...मुझे इतनी फुर्सत कहाँ थी मै पढ़ लू तुझे, पर मेरी बुलँद तकदीरो की मुक़ददर है तू माँ...भगवान हर जगह नहीं हो सकते,इसलिए उन्होंने मेरे लिए तुझे बनाई है माँ...मेरी हर एक कहानी का किस्सा और मेरी बदन का हिस्सा है तू माँ...मेरे लिए आसमान और ज़मीन दोनों ही तू है माँ...इस दुनिया में धन और दौलत से कहीं बढ़ कर है मेरे लिए तू माँ...जब तू खुश होती है, तो मुझे लगता है मेरा रब मुझसे खुश है माँ...तेरा प्यार वो सफ़ेद रोशनी है,जिसमे मेरी जिंदगी संगीत बनकर गूंजती है माँ...एक अच्छी माँ अनगिनत बेहतरीन अध्यापकों से बेहतर होती है माँ...तेरा पाक आँचल मेरे लिए उस बुर्जखलीफा से भी ज़्यदा सुन्दर लगता है माँ...मुझे किसी और जन्नत का तो पता नहीं पर हाँ मैने तेरे कदमों में जन्नत पाया है माँ...मेरी दुनिया में इतनी जो शोहोरत है वो सिर्फ और सिर्फ तेरे बदौलत है माँ…मेरे मुस्कुराने और गुनगुनाने की वजह सिर्फ तू है माँ...ये दुनिया है तेज धुप पर तुम ही बस छाव हो,स्नेह से सजी, ममता और उपकारों से तु भरी माँ...तू ही मेरी पहली शिक्षक है जिससे अनुशासन,आचरण,अभ्यास,सहनशिलता ,संस्कार,सम्मान,सघर्ष, शिस्टाचार रूपी ज्ञान राज ने प्राप्त किया माँ...ऐ मेरे ऊपर वाले सुन और क्या देगा तू मुझे, मेरी माँ ही इस दुनियां की सबसे बड़ी दोलत है...एक हस्ती है जो जान है मेरी,जो जान से भी बढ़ कर शान है मेरी,रब हुक्म दे तो कर दू सजदा उसे,क्यूँ की वो कोई और नही माँ है मेरी...लोग संघर्ष की बड़ी-बड़ी व्याख्याएँ कर रहे थे,मैंने माँ लिखकर सबको मौन कर दिया...जब जब कागज पर लिखा मैने “माँ” का नाम, मेरी कलम अदब से बोल उठी ए राज हो गये चारो धाम...जज्बात अलग है पर बात तो एक हैं,तुझे माँ कहू या भगवान माँ...मेरा आरम्भ तू और अंत भी तू है माँ...घुटनों से रेंगते-रेंगते जब पैरों पर खड़ा हो गया,माँ तेरी ममता की छाँव में जाने कब मैं बड़ा हो गया...तेरा लाडला बेटा राज

Dear Mom...

Thanks a lot you from the depth of my heart.... for giving birth to me...For changing my daiper...For your super netural skills finding the things I have a lots...for the nights you stayed up putting me to sleep...for washing my cloths and washing dishes...For being the superstar mom who brought food for me and my friends during all my games...For helping me with my home work...For being productive...For always encourging me...For teaching me how to forgive and how to respect others...I love you a lot Maa...


कुछ पवित्र और अनमोल शब्द माँ के लिए...


1 जब एक रोटी के चार टुकडे हो और

खाने वाले पांच…तब मुझे भूख नहीं है

ऐसा कहने वाली इंसान है माँ...


2 दिन भर काम के बाद पापा पूछते है की कितना कमाया? वाइफ पूछती है कितना बचाया? बेटा पूछेगा क्या लाया? लेकिन एक माँ ही पूछेगी बेटा कुछ खाया?...


3 माँ ईश्वर का दिया मूल्यवान और दुर्लभ उपहार हैं। माँ से बढ़ कर कोई गुरु नहीं होता। माँ की अवज्ञा करना सबसे बड़ा अपराध हैं। माँ के कदमों तले स्वर्ग हैं, माँ का आशीर्वाद जीवन की सफलता हैं। माँ ममता की अनमोल दास्तान है, जो हर दिल पर अंकित हैं!ईश्वर के बाद कोई पहली देवीय शक्ति है तो वो है माँ...



4 माँ नाम से ही मुसीबत पास नहीं आती। माँ के पैरों में जो सुकून है, वो जन्नत में नहीं है...हर इन्सान की जिंदगी में वह सबसे खास होती है,दूर होते हुए भी वो दिल के पास होती है,जिसके सामने मौत भी अपना सिर झुका दे, वह और कोई नहीं बस माँ होती है...


5 अपनी जुबान की तेज़ी उस माँ पर मत चलाओ जिसने तुम्हे बोलना सिखाया...माँ और क्षमा दोनों एक हैं क्यूंकि माफ़ करने में दोनों नेक हैं...जिस घर में ‎माँ‬ की कदर नहीं होती उस घर में कभी बरकत नहीं होती…


6 माँ से ही सारा प्रेम आरम्भ और अंत होता है,जिस घर में माँ होती है, वहां सब कुछ खुशहाल रहता है...हर पल में खुशी देती है माँ,अपनी जिन्दगी से जीवन देती है माँ,खुदा क्या है माँ की पूजा करो जनाब

क्योकि खुदा को भी जनम देती है माँ...


7 कदम जब चूमले मंज़िल तो जज़्बा मुस्कुराता है,दुआ लेकर चलो माँ की तो रस्ता मुस्कुराता है...खुदा और भगवान् दोनों का माँ में ही वास है...


8 बच्चे ही माँ के हृदय रूपी बगीचे से फूल होते हैं उन ख़ुशीयों की ख्वाईश कभी मत करना,जो आपकी माँ के दिल को दुःख पहुंचाए...फना कर दो अपनी सारी जिन्दगी अपनी ‪‎माँ के कदमो में दोस्तों,दुनिया में यही एक मोहब्बत है जिस में बेवफाई कभी नही मिलती...


9 जो शिक्षा का ज्ञान दे उसे शिक्षक कहते है,और जो खुशियों का वरदान दे उसे मां कहते है...यकीनन मानो माँ वो चट्टान है जो आप तक आने वाली हर मुश्किल को सबसे पहले ही रोक लेती है...


10 कौन सी है वो चीज़ जो इस दुनिया नहीं मिलती,

सब कुछ मिल जाता है यहाँ लेकिन “माँ” वो अनमोल अमानत है जो बार बार नहीं मिलती...माँ बिना जिन्दगी वीरान होती है, तनहाई में हर राह सुनसान होती है, जिन्दगी में माँ का होना जरुरी है,माँ की दुआओं से ही जिंदगी की हर मुश्किल आसान होती है...


11 बहुत देखे हैं हमने इश्क में जान लुटाने वाले,कोई उस माँ से भी जाकर के पूछे कितनी शिद्दत से पाला है अपने बच्चों को रातों में उठ उठकर...


12 है एक कर्ज जो हर दम सवार रहता है,वो माँ का प्यार है जो हम सब पर हमेशा उधार रहता है...माँ हर दर्द को सहती है, फिर भी सब के लिए काम करती है...जो मां को नहीं पूछते या पूजते वो जिंदगी भर जन्नत को तरसते रहते है...



13 जिन बच्चों के सिर पर पिता का हाँथ नहीं होता, उनके लिए उनकी माँ सुपर HERO से कम नहीं होती। लबों पर उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक माँ है जो कभी खफा नहीं होती...


14 जिसके सिर पर माँ का आँचल होता है, उसे दुनियां में किसी छत की ज़रूरत नहीं होती है। मां ताकत है और गौरव दोनों होती है...माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा,माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा,खुदा ने रख दी हो जिस के कदमों में जन्नत,

सोचो उसके सर का मुकाम क्या होगा...


15 उसके रहते जीवन में कभी कोई गम नहीं होता,

दुनिया साथ दे या ना दे,पर माँ का प्यार कभी कम नहीं होता। माँ तो सिर्फ माँ ही होती है,जो हर हाल में पहचान लेती है, कि आंख सोने से लाल हुई है या रोने से...


16 माँ की दुआ इस दुनिया की सबसे बड़ी दौलत है,

जो समझा नहीं वो फ़क़ीर आज तक है। माँ की ममता से बड़ा दुनिया में कुछ भी नही हैं. दुनिया मे सच्चा प्यार तो केवल माँ करती बाकी सब तो प्यार का दिखावा करते है...


17 जो बच्चा छोड़ आता है माँ के दामन का चमन जिंदगी उसके लिए फिर वीरान बन रह जाती है! माँ का प्यार एक सफ़ेद रोशनी है, जिसमे बच्चों की किलकारियां एक संगीत बनकर गूंजती है...



18 दोस्तों एक बात हमेशा याद रखना...मंदिर बनाना, मस्जिद बनाना, अनाथ आश्रम बनाना,अस्पताल बनाना, गुरुद्वारा बनाना, चर्च बनाना, स्कूल बनाना पर कभी वृद्धा आश्रम मत बनाना. अपने माँ को हमेशा में नहीं दिल से लगाकर रखना...दुनिया की हर मोसीबत को मात देना हो तो...


तुझसे घर हैं तेरे बिन मकान, तेरे आँचल से छोटा है आसमान, तूने दुनिया को रखा हैं थाम, माँ तुझे सलाम…


Have A Day भारत माता...


Monday, November 21, 2022

सिर्फ तू मेरे लिए क्या थी...




सिर्फ तू मेरे लिए क्या थी...

तू मेरी आगाज तू ही मेरी अंजाम थी...तू मेंरी सुबह तू ही मेरी शाम थी...तू मेरी रात तू ही मेरी दिन थी...तू मेरी सूरज तू ही मेरी चाँद थी...तू मेरी आसमा तू ही मेरी जमीं थी...तू मेरी सोंच तू ही मेरी सपने थी...तू मेरी आश तू ही मेरी खास थी...तू मेरी बल तू ही विश्वास थी...तू मेरी सादगी तू ही मेरी बन्दगी थी...तू मेरी आवारगी तू ही मेरी दीवानगी थी...तू मेरी जमीर तू ही मेरी जिगर थी...तू मेरी जान तू ही मेरी जिंदगी थी...तू मेरी दिल तू ही मेरी दिलरुबा थी...तू मेरी अरमान तू ही मेरी अमानत थी...तू मेरी जिक्र तू ही मेरी फ़िक्र थी...तू मेरी आवास तू ही मेरी बनवास थी...तू मेरी गीत तू ही मेरी प्रीत थी...तू मेरी अवाज तू ही मेरी जुबान थी...तू मेरी हिरा तू ही मेरी सोना थी...तू मेरी दुआ तू ही मेरी दुनियां थी...तू मेरी ज्ञान तू ही मेरी अभिमान थी...तू मेरी आन तू ही मेरी शान थी...तू मेरी प्यार तू ही मेरी परिवार थी...तू मेरी बिस्तर तू ही मेरी नींद थी...तू मेरी संस्कार तू ही मेरी स्वीकार थी...तू मेरी आँगन तू ही मेरी तुलसी थी...तू मेरी बात तू ही मेरी व्यवहार थी...तू मेरी सुख तू ही मेरी शांति थी...तू मेरी आह तू ही मेरी पनाह थी...तू मेरी मंदिर तू ही मेरी पूजा थी...तू मेरी जिस्म तू ही मेरी रूह थी....और क्या कहू...बस तु ही राज के जीवन की राजधानी थी दोस्त...तू मेरी वो कीमती अमानत हो, जिसपे मैने एक उम्र खर्च किया है दोस्त...मुलाक़ात के लम्हे भुलाये जा सकते है, यादों के सौगात कदापि नहीं दोस्त...राज

मतलब के लिफाफे में बे-शुमार दिल मिलते है…

बड़ा बाजार है ये दुनियां सौदा संभल के करना दोस्त ,मतलब के लिफाफे में बे-शुमार दिल मिलते है…उनकी क्या तारीफ़ करना जो अपने हैं,और उनकी भी क्या शिकायत करना जो सपने हैं दोस्त...जिनके दिल अच्छे होते हैं,उनके किस्मत बड़े खराब होती है दोस्त ...अपने साए से चौंक जाते हैं दोस्त,उम्र गुजरी है इस कदर तन्हा...इजहार से नहीं दोस्त ,इंतजार से पता चलता है मोहब्बत कितनी हैं...सहर के साथ चले लेके रौशनी सब के साथ चले, फिर भी तमाम उम्र किसी अजनबी के आश साथ चले दोस्त...ख्वाब सारे पूरे करने थे,मगर सिर्फ बस तुम्हारे साथ दोस्त...मैंने वहां भी तुझे ही माँगा दोस्त ,जहां लोग सुकून की दरख्वास्त करतें हैं...जिसकी आंखों में काटी थी सदियां,उस ने सदियों की जुदाई दी है दोस्त...बिछड़ गए हैं तो उनका साथ क्या मांगू,जरा सी उम्र हैं अब तुमसे गम से निजात क्या मांगू दोस्त...आजकल नींद पुरी नहीं होती दोस्त ,शायद ख्वाबों ने रात लंबी कर दी हो...बिखरा हुआ सामान नहीं जो समेट लूँ इक पल में दोस्तों ,जज़्बात के टुकडे हैं उम्र लग जायेगा...बहुत ख़ूबसूरत है मेरे ख्यालों की दुनिया,बस तुमसे शुरू और तुम पर ही खत्म दोस्त...चैन से जीने नहीं देती,अब ये मन की उलझनें दोस्त...सिर्फ मिले थे तुम,काश मिल गये होते दोस्त...शहर बड़ा था तुम्हारा दोस्त , इसलिए हम बायपास से गुजर गये...तुम सोच भी नहीं सकते,हम कितना सोचते हैं तुम्हें दोस्त...जहाँ त्याग का विकल्प हो,वहाँ बहस क्यों दोस्त...हर वो शक्स अकेला है,जिसने सच्ची मोहब्बत की है दोस्त...फितूर होता है हर उम्र में जुदा जुदा, खिलौने, मासूका, रुतवा और फिर खुदा दोस्त...वक्त तू कितना भी परेशान कर ले हमें लेकिन याद रख किसी मोड़ पर हम भी तुझे बदल देंगे...राज 

दोस्तों...मित्रता कोई स्वार्थ नहीं,बल्कि एक विश्वास हैजहां सुख में हंसी मज़ाक से लेकर संकट में साथ देने की जिम्मेदारी होती है यहां झूठे वादे नहीं बल्कि सच्ची कोशिशें की जाती हैं...समय एक युद्ध है जो खुद के ही विरुद्ध है। मनुष्य का जब तक खुद पर नियंत्रण न हो, तब तक वह स्वतंत्र नहीं हो सकता...अच्छा कार्य करने वाला कभी सम्मान का भूखा नहीं होता क्योंकि उसका कार्य खुद उसे सम्मान का पात्र बना देता है...Personality is more important than beauty, but imagination is more important than both of them फ्रेंड्स ...Raj Sir


शुभ रात्रि दोस्तों...

Tuesday, November 15, 2022

ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी में अंतर क्या है

 ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी में अंतर क्या है


ऋषि वैदिक परंपरा से लिया गया शब्द है जिसे श्रुति ग्रंथों को दर्शन करने वाले लोगों के लिए प्रयोग किया गया है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है वैसे व्यक्ति जो अपने विशिष्ट और विलक्षण एकाग्रता के बल पर वैदिक परंपरा का अध्ययन किये और विलक्षण शब्दों के दर्शन किये और उनके गूढ़ अर्थों को जाना और प्राणी मात्र के कल्याण हेतु उस ज्ञान को लिखकर प्रकट किये ऋषि कहलाये। ऋषियों के लिए इसी लिए कहा गया है "ऋषि: तु मन्त्र द्रष्टारा : न तु कर्तार : अर्थात ऋषि मंत्र को देखने वाले हैं न कि उस मन्त्र की रचना करने वाले। हालाँकि कुछ स्थानों पर ऋषियों को वैदिक ऋचाओं की रचना करने वाले के रूप में भी व्यक्त किया गया है। 


ऋषि शब्द का अर्थ


ऋषि शब्द "ऋष" मूल से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ देखना होता है। इसके अतिरिक्त ऋषियों के प्रकाशित कृत्य को आर्ष कहा जाता है जो इसी मूल शब्द की उत्पत्ति है। दृष्टि यानि नज़र भी ऋष से ही उत्पन्न हुआ है। प्राचीन ऋषियों को युग द्रष्टा माना जाता था और माना जाता था कि वे अपने आत्मज्ञान का दर्शन कर लिए हैं। ऋषियों के सम्बन्ध में मान्यता थी कि वे अपने योग से परमात्मा को उपलब्ध हो जाते थे और जड़ के साथ साथ चैतन्य को भी देखने में समर्थ होते थे। वे भौतिक पदार्थ के साथ साथ उसके पीछे छिपी ऊर्जा को भी देखने में सक्षम होते थे। 


ऋषियों के प्रकार


ऋषि वैदिक संस्कृत भाषा से उत्पन्न शब्द माना जाता है। अतः यह शब्द वैदिक परंपरा का बोध कराता है जिसमे एक ऋषि को सर्वोच्च माना जाता है अर्थात ऋषि का स्थान तपस्वी और योगी से श्रेष्ठ होता है। अमरसिंहा द्वारा संकलित प्रसिद्ध संस्कृत समानार्थी शब्दकोष के अनुसार ऋषि सात प्रकार के होते हैं ब्रह्मऋषि, देवर्षि, महर्षि, परमऋषि, काण्डर्षि, श्रुतर्षि और राजर्षि। 


सप्त ऋषि


पुराणों में सप्त ऋषियों का केतु, पुलह, पुलत्स्य, अत्रि, अंगिरा, वशिष्ठ और भृगु का वर्णन है। इसी तरह अन्य स्थान पर सप्त ऋषियों की एक अन्य सूचि मिलती है जिसमे अत्रि, भृगु, कौत्स, वशिष्ठ, गौतम, कश्यप और अंगिरस तथा दूसरी में कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, भरद्वाज को सप्त ऋषि कहा गया है। 


मुनि किसे कहते हैं


मुनि भी एक तरह के ऋषि ही होते थे किन्तु उनमें राग द्वेष का आभाव होता था। भगवत गीता में मुनियों के बारे में कहा गया

Friday, November 11, 2022

Raj Sir Motivated Words





Learn To Smile, Throw To Egos, Keep Passion, Think Positive, Wish Learning, Faith on Work, Control Emotions, Considerate Habits, Respect Elders, Love Youngers, Pray Parents and Teachers, Thought others As You,Try Attachment Together, Fear From God...Make Not Only Fine But Also Fantastic Future or Perfect Personality...Raj Sir

Where Desire Flying There Dream Follow... Care On This Thing Your Vision Should Be Faithful... Raj Sir

Chance favour to prepared mind ok...but... updated mind is superior to prepared mind...Accelerate your mind as per your pickup... A computer has limit of storage but our mind has no limitation of storage... Raj Sir

No one in this world is pure and perfect. If you avoid people for their mistakes, you will be alone in this world. So judge less and love more...You are whole, perfect, strong, powerful, loving, harmonious, and happy. Sometimes you just have to create your own sunshine...Good things come to those who believe, better things come to those who are patient, and the best things come to those who don't give up...Raj Sir 

पछतावा अतीत नहीं बदल सकता और चिन्ता भविष्य नहीं सुधार सकती...घमंड एक मानसिक बीमारी है,जिसका इलाज कुदरत और वक्त देता है...मजबूत बनो. जिंदगी कमजोर लोगों को कबूल नहीं करती. हार तो वो सबक है जो ,आपको बेहतर होने का मौका देगी...Raj Sir

My Friends And Whole Students...Your heart knows things that your mind can't explain. Train your mind to think positive even in a negative environment.You don’t get happier as you upgrade your lifestyle, you get happier as you upgrade your mind...Train your mind to see the good in everything. Positivity is a choice. The happiness of your life depends on the quality of your thoughts & Behaviour...Train your mind to stay calm in every situation...You Set Your Mind...I can and I will... It's Your own Capital Friends...Raj Sir

Anyone can make you smile, Many people can make you cry, But it takes someone really special to make you smile with tears in your eyes.Be positive even towards negative situations.A smile is the prettiest thing you can wear...Raj Sir

यदि आप अपने आप को अधिक सुन्दर मानते है या सुंदरता कि परिभाषा जानना चाहते है तो मेरा आपसे एक निवेदन है कि आप अपने बदन के पुरे कपडे को उतार दीजिये...और आयने के सामने खडे हो जाए...सुंदरता क्या है या फिर मैं कितना सुन्दर हूँ...आप खुद ही समझ जाएगे... God Made Man, But Trailer Make Gentle Man...राज सर

A beautiful face is an attraction for some time. A beautiful heart is an attraction for a lifetime. Physical beauty is pleasing to the eyes, so we easily fall for a person who looks good without considering their personality, behaviour, and attitude. Only during the test of time do we realise that the beauty of the heart matters more than physical attributes.A beautiful face only remains attractive.Beauty doesn't last forever, but a beautiful personality does...Choose people in your life for the beauty of their hearts...Raj Sir

अकेले खड़े होने का साहस कीजिए,दुनिया only ज्ञान देती है, साथ नहीं... In really, You Wanna To Learn Some New Things... Just Try To do Slowly Something or Anything But Continuously In Right Way...Surly A Time Will Come in Your Wonderful Life... That You Shall Have Many Things New...Friends...Raj sir

Success टिप्स...

अधिकतर लोगो को यही नही पता होता है की उन्हें अपने इस जीवन में क्या करना है काफी सोचने के बाद भी किसी ठोस निर्णय पर नही पहुच पाते है की वास्तव ने उन्हें करना क्या है...यही कारण है की इतने सफल किताबो के होने के बाद भी लोग अपना औसत जीवन जीते है सो आप यह निश्चित करे की आप अपने जीवन में क्या बनना चाहते है या क्या हासिल करना चाहते है...दूसरे लोग आप से क्या कराना चाहते हैं, इस बारे में ना सोचें। अपने लक्ष्य, सिर्फ़ अपने लिए ही बनाएँ...अध्ययनों के अनुसार, जब आप के लक्ष्य व्यक्तिगत रूप से सार्थक होते हैं, तो आप के इन्हें प्राप्त करने की संभावना भी बढ़ जाती है...यह लक्ष्य बनाने और उन्हें पाने की प्रक्रिया का सबसे कठिन दौर होता है। आप क्या चाहते हैं? इस का जवाब आप की आंतरिक और बाहरी प्रेरणाओं का मिला जुला रूप होता है...अपना एक लक्ष्य पाएँ जो आप के जीवन में संतुलन बिता सके- ऐसे लक्ष्य बनाएँ जिनसे आप को और आप के आसपास के लोगों को खुशी और लाभ प्राप्त हो...खुद से कुछ सवाल करें, जैसे कि मैं अपने परिवार/समुदाय/दुनिया को क्या देना चाहता हूँ? या फिर मैं किस तरह से आगे बढ़ना चाह रहा हूँ? ये सवाल आप को लक्ष्य पाने की दिशा निर्धारित करने में मदद करेंगे...

Six The most Important Rules of your Success...

Above all, Decide What do you want... Second one,Believe in yourself...Third one, Plan your Work...Forth one,Take Action on your Planning...Fifth one, Be Perseverance With Your Job... And Sixth one... Don't a lot Care about what Other public Talk about You...Raj Sir

What is Success...

Success = Honesty, Humanity, Humility, Loyalty, Morality, Magnanimity, Mercy, Spirituality, Sympathy, Empathy, Reality, Purity... ईमानदारी, इंसानियत, विनम्रता, निष्ठा, नैतिकता, उदारता, दया, आध्यात्मिकता, सहानुभूति, हमदर्दी, वास्तविकता, पवित्रता...Raj Sir

Your science of today is the technology of tomorrow...Right things r not easy, and Easy things r not always easy...Ice factory must be for your head, Sugar factory Should be for you tone And Love factory Shall be for your heart Friends...आप अपने के मन मोताबिक कभी न चले, मन को आप अपने अनुसार चलाए...Raj Sir


दोस्तों...बल से ज़्यदा बुद्धि का उपयोग कीजिये क्यूंकि बल लड़ना सिखाएगा और बुद्धि जितना...खुश रहना है तो तारीफ सुनिए और बेहतर बनना है तो निंदा.प्रकृति का एक शानदार नियम है जो बाटियेगा वो आपके पास बेहिसाब होगा फिर चाहे वो धन हो, अन हो, विद्या हो, सम्मान हो, अपमान हो, प्रेम हो या फिर नफ़रत...कभी -कभी हम गलत नहीं होते बस हमारे पास वो शब्द नहीं होते है जो हमें सही साबित कर सके...हमरा शांत और स्थिर दिमाग़ ही हमारे जीवन के प्रत्येक लड़ाई का ब्रह्माशास्त्र होता है... Discouragement & failure are two of the surest stepping stones to success...If you have no knowledge how to win people then never try to defeat people friends...अगर आप खुद से नहीं हारें तो आपकी जीत निश्चित है दोस्तों...राज Sir


दोस्तों...आप किसी से बदला लेने का नहीं बल्कि अपने अंदर बदलाव लाने कि कोशिश कीजिये क्यूंकि बदले का आग आपके स्वयं का बहुत कुछ बिगाड़ सकता जबकि आपके खुद की बदलाव आपका सबकुछ बदल सकता हैं और सुधार से कुछ भी संभव हैं तथा स्वयं कि सुधार संसार कि सबसे श्रेष्ठ सेवा है...जीवन में सुखी रहने के लिए दोनों शक्तियों का होना बहुत जरुरी हैं एक सहन शक्ति और दूसरा समझ कि शक्ति...घमंड से इंसान फूल सकता है फल नहीं सकता...ताकत, सत्ता और जवानी सबकी एक्सपायरी डेट होती है इसलिए हमेशा विनम्र रहिये...You can rise up from anything.You can completely recreate yourself.Nothing is permanent.You are not stuck.You have a choic.You can think new thoughts.You can learn something new.You can create new habits. It's mean that every things depends upon your decision & your own direction friends...अर्जुन ने कर्ण का कुछ नही बिगाड़ा था,फिर भी कर्ण अर्जुन का दुश्मन बना.कई बार आपकी गलती नही होती, फिर भी लोग आपके दुश्मन बन जाते हैं. आपकी प्रतिभा और प्रतिष्ठा को देख कर ...लोग आपकी प्रशांसा कर रहे है तो ये आपकी योग्यता है यदि वे आपसे जल रहे तो ये आपका जलवा है...अच्छे लोगों के मन में जो बात होती है, वे वही बोलते हैं और ऐसे लोग जो बोलते हैं, वही करते हैं...सज्जन पुरुषों के मन, वचन और कर्म में एकरूपता होती है। अतः आप हमेशा अच्छे लोगो के कर्मो और विचारो से जुड़े रहे...राज सर

Friends...You will get all you want in life if you help enough other people get what they want...अनुसासन से व्यव्हार, व्यव्हार और शिष्टाचार से आचरण,आचरण से संस्कार, संस्कार से चरित्र और चरित्र के प्रकाश से ये प्रतीत होता है की आपका सभाव, समाज और परिवार कैसा है...दोस्तों सुंदर और शुखद शरीर के लिए मन और आत्मा दोनों को पूर्णरूप से स्वक्ष होना पड़ता है...तब जाकर खुशियो के रस्ते आपके दरवाजे को दस्तकत देती है...और खिल उठता है आपके जीवन के आँगन का फूल...और हंसने लगती है आपकी उमीदे और खोवाइसे...we are partner of sorrow and joy.we are partner of society and politics.we are partner of mind and heart.we are partner of love and angriness. we are the partner of wise and foolishness.we are partner of tea and sugar. we are the partner of endless destination. that's why we are human.To be best never keep wish to be senior to other just try to take tricks how to be superior to them...रुतबा रियासत और जायदाद का नहीं स्वाभिमान और जमीर का होता है। उन अपनों से दूर हो जाना चाहिए जिसके होते हुए भी किसी दूसरे की जरूरत पड़े. अंदाजा ताकत का लगाया जा सकता है हौसलों का नहीं... और लहजा ज़रा ठंडा रखिए क्यूंकि लोग गर्म सिर्फ चाय पसंद करते है ...Raj Sir

दोस्तों....उम्मीद है, हौसला है, हिम्मत है,लक्ष्य है तो ही भविष्य है नहीं तो कुछ नहीं है इस दुनियां में...कहने वाले जाने क्या क्या जाते है,कमाल तो सहने वाले करते है.जो रिश्तों का इस्तेमाल करते हैं,वो कभी रिश्ते निभा नहीं पाते.दुनिया की हर चीज ठोकर लगने से टूट जाती है पर बस एक कामयाबी ही है जो ठोकर लगने से मिलती है.किस्मत भी उसी को बादशाह बनाती है जो खुद कुछ करने का हुनर रखता है..वक़्त लगता है,नाम बनाने में,पैसा कमाने में,घर बसाने में,सपने सजाने में,ख़ुशियाँ पाने में,दर्द भुलाने में पर बिल्कुल वक़्त नहीं लगता वक़्त हाथों से फिसल जाने में...लहजा बता देता है आपकी परवरिश हुई है या आप पाले गए हो...जीवन का एक कड़वा सच ये भी है, कि आपकी क़ीमत तब होगी जब आपकी जरूरत होगी! खुद पर काबू पा लेना ही मनुष्य की सबसे महत्वपूर्ण जीत होती है! हमारा असतित्व हमारे कर्म से है,किसी के नजरिये से नहीं...आंख में पड़ा हुआ तिनका,पैर में चुभा हुआ कांटा,और रुई में दबी हुई आग से भी ज्यादा खतरनाक है हृदय मे छुपा हुआ कपट...राज सर


दोस्तों तानो से बड़ा कोई motivation ही नहीं. दुःख आया है और आता ही रहेगा फिर भी सुबह होते ही सुख ढूँढने निकलना उसको जिंदगी कहते हैं !जीवन में हर चीज़ पराई है,जो अपनी है वो सिर्फ पढ़ाई है...अपने समस्या का समिधान खुद ढ़ूंढो, प्रयास करने वालों की हार थोड़ी होती. लोग बेकार नहीं है,बस वफादार नहीं है खुद को हमेशा अलर्ट रखो...सफलता का कोई मंत्र नहीं होता,बस आपके लगन और मेहनत का फल होता है ! हर सुलझा हुआ इंसान कहीं ना कहीं उलझा हुआ है.जो आपका जिक्र करे, आप उसकी फिक्र करें. दुःख आपका सर्वश्रेष्ठ मित्र हैं...क्योंकि यह आपसे ईश्वर की खोज कराता है.आज के जमाने में शुभचिंतक ऐसे होते जा रहे हैं, जो आपका शुभ होते देख चिंतित हो जाते हैं! जूते और लोग अगर आपको तकलीफ दे रहें हैं,तो समझ लीजिए वो आपके नाप के नहीं हैं...आप का बीता हुआ कल कितना भी बुरा क्यों न हो, आप कहीं से भी नई शुरुवात कर सकते हैं...आत्मसम्मान पर लगी ठेस इंसान का वर्तमान और भविष्य बदल देता है...अपने वजूद पर भरोसा रखो लोग क्या सोचते और कहते है इससे फ़र्क नहीं पड़ता. फर्क पड़ता है तो सिर्फ आपके खुद के सुधार और बदलाव से...Replace alcohol with water.Replace Netflix with podcasts.Replace overthinking with action.Replace influences with creators.Replace toxic friends with mentors.Replace complaining with gratitude.Replace wasting money with investing.Replace sleeping in with early mornings...Your own decision define & decide your won designation Friends...भगवान न आपके गुनाहों का दंड देता है ना ही कोई माफी...उसका स्पष्ट कहना है...कर्म प्रधान विश्व रची राखा जो जश करा तो तष फल चाखा...कर्म ही प्रधान है यह सदैव ध्यान रखे...Raj Sir


दोस्तों...इकट्ठा कर लिए हथियार बहुत दुनिया वालों ने,जमा करते जो फूल इतने तो दुनिया महक उठती. कुछ लोग आपकी बुराई इसलिए करते है क्योंकि वो आपक़ी बराबरी नहीं सकते...लालच की चमक को देखकर लोग अक्सर अक्ल से पैदल हो जाते हैं ! भूखा पेट, टूटा दिल और बेरोज़गारी के दिन, ये आपको ज़िंदगी के सबसे बेहतरीन सबक़ सिखा जाते हैं। जिसे मां बाप की बात समझ नहीं आती,उसे ज़माना बहुत अच्छे तरीक़े से समझा देता है...दूसरों की बुराई की वजह से अपने अंदर की अच्छाई को कदापि ख़त्म नहीं करना चाहिए. अपने सपनों को साकार करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है कि आप जाग जाएं.लक्ष्य यदि सर्वोपरि है तो ईश्वर से आत्मबल मिलता है. फिर बाधा, पीड़ा , आलोचना, प्रशंसा कुछ भी मायने नहीं रखते.समझना सीखो समझा तो कोई भी देता है ! दुआ करो ज़िंदगी जीना नसीब हो वर्ना गुजार तो सब लेते हैं.जबरदस्ती की नजदीकी से सुकून की दूरी बेहतर है...हारने के बाद कहानी खत्म नहीं होती,एक नया level जीतने के लिये शुरू होता है.दुनियाँ में जंग भीड़ से नहीं बल्कि खुद के जिगर से जीती जाती है। सब्र जिंदगी का वो हिस्सा है जिससे फल भले ना मिले सीख जरुर मिलता है...We try to eat right, exercise, get enough sleep, take vitamins. That’s all important. We want to feel good. But we don’t spend enough time taking care of our soul. We don’t realize how much our emotions, our attitudes, our thoughts affect us physically...Five important guidelines...1. When you are alone mind your thoughts...2. When you are with friends, mind your tongue...3. When you are angry, mind your temper...4. When you are in trouble, mind your emotions...5. When God bless’s you, mind your ego...Raj Sir


दोस्तों...लफ्ज़ों का इस्तेमाल भी हिफाज़त से कीजिए ये माँ - बाप की परवरिश का बेहतरीन सबूत देती हैं...समय,संपत्ति,शक्ति और शरीर हमेशा साथ नहीं देते,लेकिन अच्छा स्वभाव, ज्ञान और अच्छे कर्म हमेशा साथ देते हैं... बेरोजगार मर्द, बिधवा औरत, गरीब बाप और एकतरफा आशिक का दर्द कोई नहीं समझ सकता.आदमी का सिर्फ अमीर होना ही नहीं,बल्कि ज़मीर का जिन्दा होना भी जरूरी है.इंसान कितना भी अमीर क्यों ना हो जाए तकलीफ बेच नहीं सकता और सुकून खरीद नहीं सकता...ईश्वर को अपना मित्र बना लो फिर आपको कामयाब होने से कोई नही रोक सकता है.अगर हालात ख़राब हो ना तो गैर कम अपने कुछ ज्यादा ही मज़ा लेते हैं.उन लोगों से दूरियां ही बेहतर है, जिन्होंने नजदीकियों की कद्र नहीं की...ज्ञान कमाओ दोस्तों ज्ञान,प्यार अपने आप मिल जाएगा...फिर चाहे वो प्यार घर से हो, रिश्तेदारों से हो, समाज से हो या फिर प्रेमिका से...किस्मत का तो पता नहीं पर मेहनत करने से सब हासिल होता है इस जँहा मे।जहां इज्ज़त और वक्त भी मांग कर मिले, उस रिश्ते में रहना बिल्कुल ठीक नहीं हैं. सोच समझकर काम करें। अगर आज आप किसी को चोट पहुँचाते हैं, उनका तिरस्कार करते हैं, किसी की कमजोरी का फायदा उठाते हैं। भविष्य में वही कर्म आपकी प्रतीक्षा कर रहा होगा और शायद वह स्वयं आपको प्रतिफल देगा। जीवन में सबसे बड़ी ख़ुशी उस काम को करने में है, जिसे लोग कहते हैं, कि ये तुम्हारे बस का नहीं है...जिंदगी में अहमियत उसी को दो जो तुम्हारी कीमत समझता हो!इन्वेस्ट वही कीजिए जहाँ से रिटर्न आए,चाहे बात पैसे की हो ,इमोशन्स की हो या फिर टाइम की हो...व्यवहार में सुन्दरता रखिए क्यूंकि हर कोई चेहरे पर नहीं मरता है.आपकी जिंदगी का हर एक छोटा बदलाव एक बड़ी कामयाबी का हिस्सा है।कभी भी अपने आप को किसी ऐसे व्यक्ति के सामने जिद्द न करें, जो लगातार आपकी योग्यता को नजरअंदाज करता हो। खामोशी से की गई मेहनत,एक दिन जरूर शोर मचाती है...पैसों से अमीर होना आम बात हैं दिल से अमीर होना बड़ी बात हैं ।जिंदगी की पिच पर ध्यान से खेलना,सबसे करीब खड़े लोग ही स्टंपिंग करते हैं...आप अपनी काबिलियत को पहचानो,एक दिन ताने मारने वाले भी ताली बजाएंगे।लोग दिलासा तो देते हैं,लेकिन तकलीफ नहीं समझते...अगर जिंदगी को खूबसूरत बनाना है, सच कहना सीखो चुप रहना सीखो और नजरअंदाज करना सीखो!वफादार सब के लिए रहो,पर गुलाम किसी के नहीं।अपने आप पर भरोसा रखो.तुम्हारा किस्सा ही एक दिन कहानी बनेगा.खुद से फैसला लेने की आदत डालो,गलत हो सकता है पर आत्मनिर्भरता तो बढ़ेगी! अपनी झोपड़ी में राज करना दुसरो के महल में गुलामी करने से कहीं ज्यादा बेहतर है... RAJ SIR

Friends...The pain you feel today will be the strength you feel tomorrow.Courage doesn’t always roar.Sometimes courage is the quite.Opportunities don’t happen. You create them.Definiteness of purpose is the starting point of all achievement.The best way to predict your future is to create it.Wake up with determination. Go to bed with satisfaction.Excellence is not a skill. It is an attitude.Focus on your goal. Don’t look in any direction but ahead.You don’t get what you wish for.Your time is limited, so don’t waste it living someone else’s life.You get what you work for.Don’t try to be perfect. Just try to be better than you were yesterday.Do something now. your future self will thank you for later.Keep going.Everything you need will come to you at the perfect time.The best way to gain self-confidence is to do what you are afraid to do.A little progress each day adds up to big results.Self-discipline is the magic power that makes you virtually unstoppable.Focus on doing the right things instead of a bunch of things.Losers quit when they’re tired.Winners quit when they’ve won...



हम अपने अंदर आत्मविश्वास (सेल्फ कॉन्फिडेंस)को कैसे बढ़ाये❓❓


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🔅 आत्मविश्वास (Self Confidence) :-

  आत्मविश्वास से आशय ' स्वंय पर विश्वास एंव नियंत्रण' (Believe in Yourself) से है।हमारे जीवन में आत्मविश्वास का होना उतना ही आवश्यक है जितना किसी फूल में खुशबू (सुगंध) का होना।


" आत्मविश्वास"-self confidence. विश्वास जाग्रत करने से पूर्व सेल्फ अर्थात स्वयं को जानना होगा। मैं एक ,गुण व शक्तियों से संपन्न सत्ता हूँ, पवित्रता शांति प्रेम सुख आनन्द ज्ञान शक्ति से भरपूर एक ऊर्जा का स्रोत हूँ। मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूँ, परमात्मा की संतान हूँ। 

यह निश्चय गहराई तक चाहिए, sub concious mind तक यह अनुभव होना चाहिए, तब आएगा आत्मविश्वास और वह केवल निरंतर योग अभ्यास व जीवन में मनसा वाचा कर्मणा पवित्रता व संयम से ही संभव हैं।

आत्मविश्वास माना स्वयं पर भरोसा*

अपनी क्षमताओं पर भरोसा**

सदा यही स्मृति रखे यह कार्य संभव हैं- कुछ भी मुश्किल नहीं।सफलता निश्चित है, सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है।


🔅 आत्मविश्वास के बगैर हमारी जिंदगी एक जिन्दा लाश के समान हो जाती है।कोई भी व्यक्ति कितना भी प्रतिभाशाली क्यों न हो वह आत्मविश्वास के बिना कुछ नहीं कर सकता।आत्मविश्वास ही सफलता की नींव है, आत्मविश्वास की कमी के कारण व्यक्ति अपने द्वारा किये गए कार्य पर संदेह करता है और नकारात्मक विचारों के जाल में फंस जाता है।आत्मविश्वास उसी व्यक्ति के पास होता है जो स्वंय से संतुष्ट होता है एंव जिसके पास दृड़ निश्चय, मेहनत, लगन, साहस(फीयरलेस), वचनबद्धता (Commitment) आदि संस्कारों की सम्पति होती है।


🔅 जीवन में सफलता हासिल करने के लिये रोजाना एक पदार्थ की आवश्यकता होती है।वह है-


" *आईसक्रीम*" 🍧🍨🍦


*आ - आत्मविश्वास* 


*ई - इच्छाशक्ति*


*स- सकारात्मक द्रष्टीकोण*


*क्रि- क्रियाशीलता* 


*म- महत्वाकांक्षा*...


₪ दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। विनर और लूजर...लेकिन जिंदगी हर लूजर को एक मौका जरूर देती है। जिसमें वह विनर बन सकता है।


₪ आत्मविश्वास को पैदा करने की जरुरत होती है।क्रिएटिविटी के साथ-साथ उसे समय- समय पर दिखाया भी जाना चाहिये।जिससे पोसिटिव फीडबैक मिलता है और वही फीडबैक आत्मविश्वास को बरकरार रखता हैं।


₪ दुनिया में कितने हैंडीकैप है जो शरीर साथ न देते हुए भी हिम्मत नहीं हारते क्योंकि उनमे मनोबल, आत्मविश्वास बहुत है।


✾ *I am Unique*


*I don't have the same part*


*As anyone else*


*I have to become*


*Like a💎DIAMOND*- *FLAWLESS*


₪ मनुष्य जीवन में धन, बुद्धि, स्वास्थ्य भौतिक बलों से ही नही बल्कि आत्मबल की भी जरूरत होती है।

₪ अच्छे से अच्छा तैराक बिना आत्मविश्वास के तैर नहीं सकता।यही मनुष्य का मित्र व उसकी बड़ी पूँजी है।शक्तियो को संगठित करके उन्हें एक दिशा में लगाना, चाहे शारीरिक, चाहे मानसिक।तो सफलता उनके हाथ में है।


✾ *डाली पर बैठे हुए परिंदे को पता है कि डाली कमजोर है फिर भी उस डाली पर बैठा है।क्योंकि उसे डाली पर नहीं, अपने पंखो पर भरोसा है*।


✾ *मैदान में हारा हुआ व्यक्ति भी जीत सकता है, लेकिन मन से हारा व्यक्ति कभी जीत नहीं सकता*।


✾ *ये पूरी सृष्टि हमेशा आपके पक्ष में (फेवर में) काम करती है न कि विरोध में, ऐसा सोचोगे तभी आगे बढ़ेंगे*।


✾ " *ग़म एक ऐसा अनुभव है*,


*जो सबके पास है*, 


*मगर ज़िन्दगी तो वही जीता है*, *जिसको खुद पर विश्वास है*....


 आत्मविश्वास के दुश्मन


🔅 आलस्य


            आत्मविश्वास का सबसे बड़ा दुश्मन हमारा आलस्य हैं| अगर हम हर कार्य को करते समय आलसी बने रहेंगे तो हम कभी अपना आत्मविश्वास नहीं बढ़ा पाएंगे।

₪ क्रोध

            कहते हैं क्रोध इन्सान की अक्ल को खा जाता हैं। जब किसी व्यक्ति को क्रोध आता हैं तो वह अपने आपे से बाहर हो जाता हैं और अपने कार्य में गलती करने लगता हैं और अपने कार्य को पूर्ण नहीं कर पाता हैं। जिससे उसके आत्मविश्वास में कमी आ जाती हैं। 


₪ चिंता


            अगर हम किसी कार्य के पूर्ण होने के बारे में बहुत अधिक चिंता करते हैं तो हम उस कार्य को पूर्ण आत्मविश्वास से नहीं कर पाते हैं...


₪ तनाव


            अगर हम हर समय किसी तनाव को झेलते रहते हैं तो हमारा मन नहीं लगता है। और कार्य को पूर्ण करने का कौशल हम खो देते हैं| और बेमन से किया कार्य कभी भी सफल नहीं हो सकता हैं।


₪ इस दुनिया में नामुनकिन कुछ भी नहीं है (नथिंग इज इम्पॉसिबल इन दिस वर्ल्ड)


        आत्मविश्वास का सबसे बड़ा दुश्मन किसी भी कार्य को करने में असफलता होने का डर है एंव डर को हटाना है तो वह कार्य अवश्य करें। जिसमें आपको डर लगता है। डर के आगे जीत है।


✍️ #जीवन में सफल होना चाहते हो तो कभी भी #फालतू की बातों में #समय #व्यर्थ नहीं करना #क्योंकि :👉 महान सफलता हासिल करने वाले कभी भी फालतू की बातों में समय #व्यर्थ नहीं करते हैं। वे #रचनात्मक तरीके से सोचते हैं, और वे जानते हैं कि उनके सोचने का #स्तर ही उनकी #सफलता #निर्धारित करेगा..!! 


✍️ हालात कैसा भी हो लेकिन कभी भी अपनी #पढ़ाई के साथ समझौता मत करो और पूरी इमानदारी से मेहनत करो क्योंकि👉#जीवन में वही महान बनता है जो हर हाल में #ईमानदार रहता है और अपने काम के साथ कोई #समझौता नहीं करता . ऐसा व्यक्ति हर हाल में जरूरी कामों को करता है फिर चाहे उसका #मन हो या #ना_हो


✍️ आज #मेहनत से मत डरो क्योंकि 👉जितना #कठिन और मेहनत भरा आपका आजका दिन #होगा उतना ही #खूबसूरत आपका आने वाला कल होगा इसलिए #मेहनत करते रहिए..


✍️ याद रखो #दोस्त की #सफलता कभी भी - बॉडी, हाइट और लुक पर निर्भर नहीं करती ये केवल #ज्ञान, बुद्धिमता और अपने #काम से प्यार पर #निर्भर करती है..!!


✍️ अपने आप पर यकीं रखो और अपना #उत्साह बनाए रखो क्योंकि 👉 बार - बार #असफल होने और खराब #परिस्थितियों में रह कर भी अपना #उत्साह ना खोने वाले लोगों की #अंत में जीत #निश्चित होती है..!!


✍️ हर दिन 17 -17 #घंटे जाग कर #पढ़ाई या काम करने के लिए सिर्फ #एनर्जी नहीं बल्कि #पागलपन चाहिए होता है जो #करोड़ों में किसी एक के पास होता है..!