सिर्फ तू मेरे लिए क्या थी...
तू मेरी आगाज तू ही मेरी अंजाम थी...तू मेंरी सुबह तू ही मेरी शाम थी...तू मेरी रात तू ही मेरी दिन थी...तू मेरी सूरज तू ही मेरी चाँद थी...तू मेरी आसमा तू ही मेरी जमीं थी...तू मेरी सोंच तू ही मेरी सपने थी...तू मेरी आश तू ही मेरी खास थी...तू मेरी बल तू ही विश्वास थी...तू मेरी सादगी तू ही मेरी बन्दगी थी...तू मेरी आवारगी तू ही मेरी दीवानगी थी...तू मेरी जमीर तू ही मेरी जिगर थी...तू मेरी जान तू ही मेरी जिंदगी थी...तू मेरी दिल तू ही मेरी दिलरुबा थी...तू मेरी अरमान तू ही मेरी अमानत थी...तू मेरी जिक्र तू ही मेरी फ़िक्र थी...तू मेरी आवास तू ही मेरी बनवास थी...तू मेरी गीत तू ही मेरी प्रीत थी...तू मेरी अवाज तू ही मेरी जुबान थी...तू मेरी हिरा तू ही मेरी सोना थी...तू मेरी दुआ तू ही मेरी दुनियां थी...तू मेरी ज्ञान तू ही मेरी अभिमान थी...तू मेरी आन तू ही मेरी शान थी...तू मेरी प्यार तू ही मेरी परिवार थी...तू मेरी बिस्तर तू ही मेरी नींद थी...तू मेरी संस्कार तू ही मेरी स्वीकार थी...तू मेरी आँगन तू ही मेरी तुलसी थी...तू मेरी बात तू ही मेरी व्यवहार थी...तू मेरी सुख तू ही मेरी शांति थी...तू मेरी आह तू ही मेरी पनाह थी...तू मेरी मंदिर तू ही मेरी पूजा थी...तू मेरी जिस्म तू ही मेरी रूह थी....और क्या कहू...बस तु ही राज के जीवन की राजधानी थी दोस्त...तू मेरी वो कीमती अमानत हो, जिसपे मैने एक उम्र खर्च किया है दोस्त...मुलाक़ात के लम्हे भुलाये जा सकते है, यादों के सौगात कदापि नहीं दोस्त...राज
मतलब के लिफाफे में बे-शुमार दिल मिलते है…
बड़ा बाजार है ये दुनियां सौदा संभल के करना दोस्त ,मतलब के लिफाफे में बे-शुमार दिल मिलते है…उनकी क्या तारीफ़ करना जो अपने हैं,और उनकी भी क्या शिकायत करना जो सपने हैं दोस्त...जिनके दिल अच्छे होते हैं,उनके किस्मत बड़े खराब होती है दोस्त ...अपने साए से चौंक जाते हैं दोस्त,उम्र गुजरी है इस कदर तन्हा...इजहार से नहीं दोस्त ,इंतजार से पता चलता है मोहब्बत कितनी हैं...सहर के साथ चले लेके रौशनी सब के साथ चले, फिर भी तमाम उम्र किसी अजनबी के आश साथ चले दोस्त...ख्वाब सारे पूरे करने थे,मगर सिर्फ बस तुम्हारे साथ दोस्त...मैंने वहां भी तुझे ही माँगा दोस्त ,जहां लोग सुकून की दरख्वास्त करतें हैं...जिसकी आंखों में काटी थी सदियां,उस ने सदियों की जुदाई दी है दोस्त...बिछड़ गए हैं तो उनका साथ क्या मांगू,जरा सी उम्र हैं अब तुमसे गम से निजात क्या मांगू दोस्त...आजकल नींद पुरी नहीं होती दोस्त ,शायद ख्वाबों ने रात लंबी कर दी हो...बिखरा हुआ सामान नहीं जो समेट लूँ इक पल में दोस्तों ,जज़्बात के टुकडे हैं उम्र लग जायेगा...बहुत ख़ूबसूरत है मेरे ख्यालों की दुनिया,बस तुमसे शुरू और तुम पर ही खत्म दोस्त...चैन से जीने नहीं देती,अब ये मन की उलझनें दोस्त...सिर्फ मिले थे तुम,काश मिल गये होते दोस्त...शहर बड़ा था तुम्हारा दोस्त , इसलिए हम बायपास से गुजर गये...तुम सोच भी नहीं सकते,हम कितना सोचते हैं तुम्हें दोस्त...जहाँ त्याग का विकल्प हो,वहाँ बहस क्यों दोस्त...हर वो शक्स अकेला है,जिसने सच्ची मोहब्बत की है दोस्त...फितूर होता है हर उम्र में जुदा जुदा, खिलौने, मासूका, रुतवा और फिर खुदा दोस्त...वक्त तू कितना भी परेशान कर ले हमें लेकिन याद रख किसी मोड़ पर हम भी तुझे बदल देंगे...राज
दोस्तों...मित्रता कोई स्वार्थ नहीं,बल्कि एक विश्वास हैजहां सुख में हंसी मज़ाक से लेकर संकट में साथ देने की जिम्मेदारी होती है यहां झूठे वादे नहीं बल्कि सच्ची कोशिशें की जाती हैं...समय एक युद्ध है जो खुद के ही विरुद्ध है। मनुष्य का जब तक खुद पर नियंत्रण न हो, तब तक वह स्वतंत्र नहीं हो सकता...अच्छा कार्य करने वाला कभी सम्मान का भूखा नहीं होता क्योंकि उसका कार्य खुद उसे सम्मान का पात्र बना देता है...Personality is more important than beauty, but imagination is more important than both of them फ्रेंड्स ...Raj Sir
शुभ रात्रि दोस्तों...
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