⚘️⚘ ️महावीर हनुमान जी का बल ⚘️⚘️
शत्रु की आधी शक्ति खींच लेने वाला बाली हनुमान जी से कैसे और क्यों पराजित हो गया?
बाली किष्किंधा का राजा था, वह इंद्र के धर्म पुत्र, वृषराज के जैविक पुत्र, सुग्रीव के बड़े भाई और अंगद के पिता अौर अप्सरा तारा के पति थे, बाली को वरदान प्राप्त था कि जिससे भी वह युद्ध करेगा उसकी आधी शक्ति बाली में समाहित हो जाएगी, बाली इतना बलशाली था कि उसने दुदम्भी नामक राक्षस और उसके भाई का वध कर दिया था, बाली ने लंकापति रावण को अपनी कांख में दबा कर पृथ्वी परिक्रमा की थी, यहां तक कि प्रभु श्री राम ने भी वृक्ष की आड़ लेकर बाली का वध किया था|
बाली का हनुमान जी से हुआ था युद्ध!
बात एक समय की है, बाली अपने बल के घमंड में चूर हो कर नगरों और जंगलो से होता हुआ किष्किंधा जा रहा था और सबको ललकार रहा था "है कोई जो मुझसे युद्ध कर सके है कोई जिसने मां का दूध पिया हो जो मुझसे युद्ध कर सके" पास में ही हनुमान जी प्रभु श्री राम का ध्यान लगाए थे, बाली के चिल्लाने से उनके ध्यान में विध्न पड़ रहा था, उन्होंने बाली से कहा "हे वानरराज आप अत्यंत बलशाली है, आपको कोई नही हरा सकता लेकिन आप इस तरह चिल्ला क्यों रहे है?"
यह सुन कर अहंकार में डूबा हुआ बाली भड़क गया और हनुमान जी को चुनौती देते हुए कहा कि "तू जिसकी पूजा कर रहा है वह भी मुझे नही हरा सकता|"
राम जी का अपमान होता देख हनुमान जी को क्रोध आ गया और उन्होंने बाली की चुनौती स्वीकार कर ली और निश्चित हुआ कि अगले दिन सूर्योदय होते ही वे दोनों युद्ध करेंगे, अगले दिन हनुमान जी जैसे ही युद्ध के लिए निकले वैसे ही ब्रम्हा जी प्रकट हो गए और हनुमान जी को समझाने लगे कि वे बाली से युद्ध न करें किंतु हनुमान जी ने कहा कि "मैं युद्ध अवश्य करूँगा, क्योंकि बाली ने मेरे प्रभु श्री राम जी को चुनौती दी है|"
यह सुन कर ब्रम्हा जी ने कहा कि ठीक है हनुमान युद्ध के लिए जाओ परंतु अपनी शक्ति का मात्र दसवाँ हिस्सा ही ले कर जाओ, हनुमान जी ने कहा ठीक है फिर हनुमान जी अपनी शक्ति का दसवाँ हिस्सा ले कर बाली से युद्ध करने पहुँच गए, बाली के सामने जाते ही हनुमान जी की आधी शक्ति बाली में समाने लगी तो बाली को अपने अंदर अथाह शक्ति संचार का आभास हुआ, उसे लगा कि उसकी नसें फटने को है, शरीर मे भीषण दबाव का अनुभव होने लगा, उसी समय ब्रम्हा जी प्रकट हुए और बाली से कहा कि "यदि अपने प्राण बचाना चाहते हो तो तत्क्षण हनुमान से हजार कोस दूर भाग जाओ अन्यथा तुम्हारा शरीर फट जाएगा|"
यह सुनते ही बाली वहाँ से हजार कोस दूर भाग गया तब उसे राहत मिली, उसने इसका कारण ब्रम्हा जी से पूछा तो ब्रम्हा जी ने बताया "यूं तो तुम बहुत शक्तिशाली हो लेकिन तुम्हारा शरीर हनुमान जी की शक्ति का एक छोटा सा हिस्सा भी नही सम्हाल पा रहा है, तुम्हे बता दूं कि हनुमान अपनी शक्ति का केवल दसवाँ हिस्सा ही ले कर तुमसे युद्ध करने आये थे, सोचो यदि सम्पूर्ण भाग ले कर आते तो तुम्हारा क्या होता|"
यह सुन कर बाली चकित रह गया और हनुमान जी को दंडवत प्रणाम कर के बोला कि "इतना अथाह बल होते हुए भी आप कितना शांत रहते है और सदा राम भजन में खोए रहते है, मैं कितना बड़ा मूर्ख था जो आपको ललकार बैठा, मैं तो आपकी शक्ति के एक बाल के बराबर भी नही मुझे क्षमा कर दीजिए|"
No comments:
Post a Comment