Sunday, December 4, 2022

सनातन धर्म के 13 सुत्र

 . 🕉️  सनातन धर्म के 13 सुत्र 🚩

           ~~~~~~~~~~~~~~~~~~

      1️⃣.प्रश्न :- तुम कौन हो...?          

                उत्तर :- भारतीय / आर्य ।

      2️⃣. प्रश्न :- तुम्हारा धर्म क्या है...?            

               उत्तर :- सत्य सनातन वैदिक धर्म ।

      3️⃣. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म ग्रंथ क्या है...?   

               उत्तर :- चार वेद, चार उपवेद, चार ब्राह्मण ग्रंथ, छ: वेदांग, ग्यारह उपनिषद, छ: दर्शन शास्त्र, मनुस्मृति, बाल्मिक रामायण, व्यास कृत महाभारत, ऋगवेदादिभाष्यभूमिका।

      4️⃣. प्रश्न:- तुम्हारे ईश्वर का मुख्य नाम क्या है ...?

            उत्तर :- ईश्वर का मुख्य नाम ओ३म् है !

      5️⃣. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म का चिन्ह क्या है...?

              उत्तर :- चौटी और जनेऊ है।

      6️⃣. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म की प्रथम आज्ञा क्या है...?

             उत्तर :- सत्यं वद धर्मं चर स्वाध्यायान्मा प्रमदः ।

      आचारस्य प्रियं धनमाहृत्य प्रजातन्तुं मा व्यवच्छेत्सीः॥

   अर्थात सत्य बोलो, धर्म का आचरण करो, स्वाध्याय ( स्वयं को धर्म पुस्तकों अनुसार पढने में ) में आलस्य मत करो। अपने श्रेष्ठ कर्मों से साधक को कभी मन नहीं चुराना चाहिए।

      7️⃣. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म का मूलमंत्र क्या है...?

             उत्तर :- वेदों का मूल मंत्र गायत्री हैं।

             ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं 

    भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

   भावार्थ :- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

      8️⃣. प्रश्न :- तुम्हरी जीवन यात्रा क्या है...?

               उत्तर :- योग से मोक्ष तक पहुँचना ।  

      9️⃣ प्रश्न :- तुम्हारे धर्म का कर्म क्या है....?

              उत्तर :- ऋषियों ने ये बोध कराने हेतु पाँच महायज्ञों का विधान किया।

      १. ब्रह्मयज्ञ = सन्ध्या व वेद स्वाध्याय ।

      २. देवयज्ञ = अग्निहोत्र ।

      ३. पितृयज्ञ = माता-पिता की सेवा ।

      ४. अतिथियज्ञ = घर आए विद्वानों की सेवा ।

      ५. बलिवैश्वदेव यज्ञ = सहयोगी प्राणियों पशु आदि की सेवा।

      🔟. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म का सिद्धांत क्या है...?

           उत्तर :- वसुधैव कुटुम्बकम्‌'। सारी पृथ्वी एक कुटुंब/परिवार के समान।” तथा विश्व का कल्याण हो !

      1️⃣1️⃣. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म के लक्षण क्या है...?

             उत्तर :- दस लक्षण हैं।....

   धर्ति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचम् इन्द्रियनिग्रह        

      धीविर्द्दया सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।   

   १.धृति सुख, दुःख , हानि, लाभ, मान, अपमान मे धैर्य रखना!

   २.क्षमा- शरीर मे सामर्थ्य होने पर भी बुराई का प्रतिकार न करना या बदला न लेना क्षमा है।

   ३.दम-मन मे अच्छी बातो का चिंतन करना बुरी बातों को दबाना हटाना !

   ४.अस्तेय-बिना दूसरे की आज्ञा के कोई वस्तु न लेना चोरी न करना !

   ५.शौच-शरीर की आत्मिक और शारीरिक शुद्धि रखना!

   ६-इन्द्रियनिग्रह हाथ, पांव, आंख, मुख, नाक आदिको अच्छे कार्यो मे लगाना।इन्द्रियों को संयम में रखना।

   ७.धी-बुद्धि बढाने हेतू प्रयत्न करना!

   ८.विद्या-ईश्वर द्वारा बनाये गए प्रत्येक पदार्थ का ज्ञान प्राप्त करना तथा उनसे उपयोग लेना!

   ९.सत्य-जो हम जानते है उसको वैसा ही अपने द्वारा कहना मानना सत्य कहलाता है। हमेशा सत्य ही बोलना।

   १०.अक्रोध-इच्छा से उत्पन्न क्रोध !

      1️⃣2️⃣.प्रश्न :- तुम्हारे धर्म का उदेश्य क्या है।

             उत्तर :- कृण्वन्तो विश्वमार्यम्, जिसका अर्थ है - विश्व को आर्य ( श्रेष्ठ /उत्तम) बनाते चलो।

      1️⃣3️⃣. प्रश्न:- तुम्हारी धार्मिक नीति क्या है !

          उत्तर :- अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च: l" अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है और धर्म रक्षार्थ हिंसा भी उसी प्रकार श्रेष्ठ है।

   धर्म की जय हो,

       अधर्म का नाश हो,

          प्राणियों मे सद्भावना हो, 

              विश्व का कल्याण हो---

                   ~~~हर हर महादेव~~~

           ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

No comments:

Post a Comment