Monday, May 31, 2021

5 STEPS FOR OVERCOMING ADDICTIONS

 5 STEPS FOR OVERCOMING ADDICTIONS

 
 
1. Take A Pledge Of Positive Determination - Promise yourself every morning and night that you will overcome every addiction in your life, based on a deep realization that any addiction is an obstacle in your freedom, and it weakens you spiritually by depleting you of attainments like contentment, power and permanent peace and bliss.
 
2. Inject Your Mind With Positive Thoughts - As you wake up in the morning, give yourself a dose of positive spiritual wisdom. Read or listen something beautiful, positive and powerful. The more your mind and heart will be fulfilled and satisfied, the more you will feel withdrawn from the negative habit.
 
3. Develop A Good Hobby To Keep Yourself Busy - For giving up any addiction, keep your mind occupied in a positive and constructive way for a few minutes every day. The more you experience love and taste for a hobby or positive habit, the more the negative habit will seem distasteful and you will not like it anymore.
 
4. Meditate Every Day For A Few Minutes - Experience your spiritual self and your original spiritual qualities of peace, love, joy and power and connect with the Supreme Being or God, who is the Ocean of these qualities, for a few minutes every day in meditation. Meditation will increase your self-esteem and confidence.
 
5. Meet People And Make Beautiful Relationships - To overcome any cravings towards addictions, meet positive minded people, and share positivity and goodness with them. You will have a feeling of well-being, and as you connect with them and become occupied, addictions become unimportant.

Thursday, May 27, 2021

हर हुस्न की हया झुकती वँहा जँहा हुनर बेहिसाब हो...

दोस्तो...रिश्ते कभी जिंदगी के साथ नहीं चलते,रिश्ते तो एक बार बनते हैं और फिर जिंदगी रिश्तों के साथ चलने लगती है। अंतर्मन में संघर्ष और फिर भी मुस्कुराता हुआ चेहरा यही जीवन का श्रेष्ठ अभिनय है...सबके जीवन में सब कुछ ठीक नहीं होता है। सत्य क्या है और उचित क्या है? ये हम अपनी सोच या अपनी आत्मा की आवाज़ से स्वयं निर्धारित करते हैं! फ़र्क़ सिर्फ इस बात से पड़ता है कि हम अपने कर्मो सामना किस प्रकार कर्मज्ञान के आधार पर करते हैं! कर्मज्ञान है तो ज़िन्दगी हर पल सुखी संतुष्ट है...वरना समस्या तो हर मानव के साथ प्रतिदिन है...प्रत्येक पल को ईश्वर का आशीर्वाद मानकर जीवन को जीना चाहिए। पद पर आकर व्यक्ति अगर अच्छा कार्य करता है तो पद श्रृंगार, उपहार और हार है वरना वह भार है , धिक्कार है और निस्सार है...As Per Some औसपीसीओउस ग्रन्थ...Like गीता,  कुरान, बाईबल, रामायण एंड राम,आल्हा, और God...To Sevice of Public is Service Of God...जो स्नेह हमें दूसरों से मिलता है...वो हमारे व्यवहार का ही एक लाजवाब तोहफ़ा है...परिस्थि की पाठशाला ही इंसान को वास्तविक शिक्षा देती है...राज 

हर हुस्न की हया झुकती वँहा जँहा हुनर बेहिसाब हो...

घर गुलज़ार, सूने शहर, बस्ती बस्ती में कैद हर हस्ती हो गई,आज फिर ज़िन्दगी महँगी और दौलत सस्ती हो गई दोस्त...In really, I am not your Husband and You are not my Wife...But... Relationship is between You and I... Superior to Husband and Wife Friend...तू मेरी वैसी ही जरूरत थी,जैसे दिल्ली के अस्पतालो को ऑक्सीजन की दोस्त...मांग तो लिया था उस खुदा से और छीन भी लेता इस जंहा से,पर फैसला अलग होने की जिद तो तुम्हारी थी न दोस्त...दोस्त मेरी हर खुशी का रास्ता तुझसे होकर गुजरता है,अब ये मत पुछना मेरे क्या लगते हो तुम...मंजिल भी तुम, तलाश भी तुम,उम्मीद भी तुम,आस भी तुम,अब जब अहसास ही तुम हो तो कह सकते है न दोस्त की जिंदगी भी तुम ही थे...हर ख़वाब हर ख़याल में हो तुम,मेरी रूह के हर एहसास में हो तुम दोस्त...कौन कहता है मुझसे दूर हो तुम,मैं ज़िस्म हूँ तो मेरी रूह हो तुम दोस्त...छिपा कर रखा है सांसों में कहीं वो जान से प्यारा जज़्बात हो तुम,बयां न किया जो अब तक किसी से दिल का मेरा वो गहरा राज हो तुम दोस्त...कमाल की मोहब्बत थी मुझसे उसको, अचानक ही शुरू हुई और बिना बताये ही ख़त्म भी हो गई दोस्त...फर्क तो अपने-अपने सोच में है दोस्त,वरना दोस्ती और मोहब्बत किसी ग्रंथ से कम नही है...तू जान कर भी न जान सकी वो राज हूँ मै, और सच मे दोस्त कल से बेहतर आज़ हूँ मै...रुतबा तो खामोशियों का होता है अल्फ़ाज़ का क्या दोस्त,वो तो बदल जाते हैं अक्सर हालात को  देखकर...मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा,जो दावा करते थे वफ़ा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा दोस्त...लोग कहते हैं कि कुछ बदले - बदले से हो तुम यार,दोस्त अब तू ही बता शाख से टूटे हुए पत्ते क्या अब रंग भी न बदलें...भूल गए हैं कुछ लोग हमे इस तरह दोस्त की, यकीन मानो मुझे यकीन ही नहीं आता...जिसके साथ बात करने से ही ख़ुशी दोगुनी और दुःख आधा हो जाए दोस्त,वो ही अपना है बाकी तो बस दुनियादारी ही है...आखिर कितना चाहना पड़ता है एक शख्स को,कि वो थोड़ा समय हमें भी दे ये शायद तुझसे बेहतर कोई नही जनता दोस्त...कॉमन थिंगस inside everyone...हम अपने से बुरा अपनों की सोचते हैं...राज

Wednesday, May 12, 2021

कौन कहता है कि ब्राह्मणों ने आविष्कार नहीं किया है

*कौन कहता है कि ब्राह्मणों ने आविष्कार नहीं किया है*❓ ⁉️साथियों कुछ महान आविष्कार है जो केवल भारत में ही हुए है और जिनका उपयोग केवल भारतवासी कर सकते और किसी देश में इनका कोई उपयोग नहीं है:- १. *लिंग पूजन* का आविष्कार भारत में हुआ। २. *योनि पूजन* का आविष्कार भारत में हुआ (कामाख्या)। ३. *लहसून, प्याज* खाने से पाप लगता है का आविष्कार भारत में हुआ। ४. *खीर खिलाकर गर्भवती* करने की तकनीक का आविष्कार भारत में हुआ। ५. *हवन का केला खिलाकर* गर्भवती करने की तकनीक का आविष्कार भारत में हुआ। ६. *धरती चीर कर बच्चा पैदा* करने की तकनीक का आविष्कार भारत में हुआ। ७. *वानर सूरज* को *आम समझ खा* सकता है, का आविष्कार भारत में हुआ। ८. *सूरज को कांख में दबा कर* उड़ने की तकनीक का आविष्कार भारत में हुआ। ९. *देवी-देवताओं* का आविष्कार भारत में हुआ। १०. *गंगा में नहा कर पाप धोने* का आविष्कार भारत में हुआ। ११. *गाय माता* है, का आविष्कार भारत में हुआ। १२. *ग्रहों के प्रकोप* का आविष्कार भारत में हुआ। १३. *पूजा-पाठ कर भगवान को खुश* करने का आविष्कार भारत में हुआ। १४. *हवन से प्रदूषण खत्म होता* है, का आविष्कार भारत में हुआ। १५. *वर्षा के देवता इंन्द्र देव* का आविष्कार भारत में हुआ। १६. *हवन से इंद्र देव को खुश कर बारिश* कराने का आविष्कार भारत में हुआ। १७. *मंदिरों* में एवं *ब्राह्मणों* को *दान* देने से *पुण्य प्राप्ति* होती है का आविष्कार भारत में हुआ। १८. *मृत व्यक्ति को परलोक में खाना, बिस्तर, पलंग, चप्पल-जूता, रुपया-पैसा, सोना-चांदी और गाय-भैंस, पशु* आदि महा दान कर श्राद्ध के द्वारा *स्वर्ग* में पहुँचाने का आविष्कार भारत में हुआ। १९. *जाति-पांति का* आविष्कार भारत में हुआ। २०. *छोटी जाति* का मंदिर में प्रवेश मात्र से *भगवान अशुद्ध* हो जाते हैं, का आविष्कार भारत में हुआ। २१. *देवदासी* प्रथा का आविष्कार भारत में हुआ। २२. *पुजारियों* द्वारा *देवदासियों के बलात्कारों* से *उत्पन्न संतान हरिजन* होता है, का आविष्कार भारत में हुआ। २३.पंडितों द्वारा निर्मित *कुंडली से जन्म,जीवन, विवाह और मृत्यु* का आविष्कार भारत में हुआ। २४. *डायन प्रथा* का आविष्कार भारत में हुआ। २५. *दहेज प्रथा* का आविष्कार भारत में हुआ। २६. *बत्तख पानी* recycle करती है का आविष्कार भारत में हाल ही में हुआ है। २७. *गाय अॉक्सीजन लेती है और छोड़ती भी अॉक्सीजन है और गाय का मूत्र अमृत* है,का आविष्कार भारत में अभी-अभी हुआ है। २८. *एक गाय में 33 करोड़* देवता पाए जाते हैं,इसका भी आविष्कार भारत में हुआ है। २९. *मिट्टी एवं पत्थर की मूर्तियों में जीवन* डालने का आविष्कार भारत में हुआ है। ३०.भारत के *पंडितों की पोथियों* में और *मनु महाराज की मनुस्मृति एवं अन्य ग्रंथों* में असंख्य आविष्कारक मौजूद एवं लिपिबद्ध हैं। इन अविष्कारों पर आप कितना *इत्तेफाक और विश्वास* रखते हैं। ये आप पर निर्भर करता है, बाकी आप खुद समझदार हैं और दिमाग कोरा कागज की तरह उस पर ब्राह्मणों ने जो तभी लिखा, बस वही सत्य मान बैठे। *ज्ञान-विज्ञान,अंधविश्वास कमेटी*

Monday, May 3, 2021

क्या होते है, सोलह श्रृंगार...

क्या होते है, सोलह श्रृंगार?????? सोलह श्रृंगार के बारें में ये सब नहीं जानते होंगे आप,आपको शायद जानकर आश्चर्य होगा कि सोलह शृंगार घर मे सुख और समृद्धि की लाने के लिए किया जाता है। शृंगार अगर पवित्रता और दिव्यता के हिसाब से किया जाए तो यह प्रेम और अहिंसा का सहायक बनकर समाज में सौम्यता और प्यार का वाहक बनता है। तभी तो भारतीय संस्कृति में सोलह शृंगार को जीवन का अहम और अभिन्न अंग माना गया है। ऋग्वेद में सौभाग्य के लिए किए जा रहे सोलह शृंगारों के बारे में बताया गया है। आईए जानते हैं श्रृंगार के बारे में कुछ रोचक तथ्य... पहला श्रृंगार: बिंदी : - संस्कृत भाषा के बिंदु शब्द से बिंदी की उत्पत्ति हुई है। भवों के बीच रंग या कुमकुम से लगाई जाने वाली भगवान शिव के तीसरे नेत्र का प्रतीक मानी जाती है। सुहागिन स्त्रियां कुमकुम या सिंदूर से अपने ललाट पर लाल बिंदी लगाना जरूरी समझती हैं। इसे परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। दूसरा श्रृंगार, सिंदूर : - उत्तर भारत में लगभग सभी प्रांतों में सिंदूर को स्त्रियों का सुहाग चिन्ह माना जाता है और विवाह के अवसर पर पति अपनी पत्नी के मांग में सिंदूर भर कर जीवन भर उसका साथ निभाने का वचन देता है। तीसरा श्रृंगार, काजल : - काजल आँखों का श्रृंगार है. इससे आँखों की सुन्दरता तो बढ़ती ही है, काजल दुल्हन और उसके परिवार को लोगों की बुरी नजर से भी बचाता है. चौथा श्रृंगार, मेहंदी : - मेहंदी के बिना सुहागन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। शादी के वक्त दुल्हन और शादी में शामिल होने वाली परिवार की सुहागिन स्त्रियां अपने पैरों और हाथों में मेहंदी रचाती है। ऐसा माना जाता है कि नववधू के हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है। पांचवां श्रृंगार, शादी का जोड़ा : - उत्तर भारत में आम तौर से शादी के वक्त दुल्हन को जरी के काम से सुसज्जित शादी का लाल जोड़ा (घाघरा, चोली और ओढ़नी) पहनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में फेरों के वक्त दुल्हन को पीले और लाल रंग की साड़ी पहनाई जाती है। इसी तरह महाराष्ट्र में हरा रंग शुभ माना जाता है और वहां शादी के वक्त दुल्हन हरे रंग की साड़ी मराठी शैली में बांधती हैं। छठा श्रृंगार,गजरा : - दुल्हन के जूड़े में जब तक सुगंधित फूलों का गजरा न लगा हो तब तक उसका श्रृंगार फीका सा लगता है। दक्षिण भारत में तो सुहागिन स्त्रियां प्रतिदिन अपने बालों में हरसिंगार के फूलों का गजरा लगाती है। सातवां श्रृंगार,मांग टीका : - मांग के बीचों-बीच पहना जाने वाला यह स्वर्ण आभूषण सिंदूर के साथ मिलकर वधू की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। ऐसी मान्यता है कि नववधू को मांग टीका सिर के ठीक बीचों-बीच इसलिए पहनाया जाता है कि वह शादी के बाद हमेशा अपने जीवन में सही और सीधे रास्ते पर चले और वह बिना किसी पक्षपात के सही निर्णय ले सके। आठवां श्रृंगार, नथ : - विवाह के अवसर पर पवित्र अग्नि में चारों ओर सात फेरे लेने के बाद देवी पार्वती के सम्मान में नववधू को नथ पहनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि सुहागिन स्त्री के नथ पहनने से पति के स्वास्थ्य और धन-धान्य में वृद्धि होती है। उत्तर भारतीय स्त्रियां आमतौर पर नाक के बायीं ओर ही आभूषण पहनती है, जबकि दक्षिण भारत में नाक के दोनों ओर नाक के बीच के हिस्से में भी छोटी-सी नोज रिंग पहनी जाती है, जिसे बुलाक कहा जाता है। आठवां श्रृंगार, नथ : - नथ आकार में काफी बड़ी होती है इसे हमेशा पहने रहना असुविधाजनक होता है, इसलिए सुहागन स्त्रियां इसे शादी-व्याह और तीज-त्यौहार जैसे खास अवसरों पर ही पहनती हैं, लेकिन सुहागिन स्त्रियों के लिए नाक में आभूषण पहनना अनिर्वाय माना जाता है। इसलिए आम तौर पर स्त्रियां नाक में छोटी नोजपिन पहनती हैं, जो देखने में लौंग की आकार का होता है। इसलिए इसे लौंग भी कहा जाता है। नौवां श्रृंगार: कर्णफूल : - कान में पहने जाने वाला यह आभूषण कई तरह की सुंदर आकृतियों में होता है, जिसे चेन के सहारे जुड़े में बांधा जाता है। विवाह के बाद स्त्रियों का कानों में कणर्फूल (ईयरिंग्स) पहनना जरूरी समझा जाता है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि विवाह के बाद बहू को दूसरों की, खासतौर से पति और ससुराल वालों की बुराई करने और सुनने से दूर रहना चाहिए। दसवां श्रृंगार: हार : - गले में पहना जाने वाला सोने या मोतियों का हार पति के प्रति सुहागन स्त्री के वचनवद्धता का प्रतीक माना जाता है। हार पहनने के पीछे स्वास्थ्यगत कारण हैं। गले और इसके आस-पास के क्षेत्रों में कुछ दबाव बिंदु ऐसे होते हैं जिनसे शरीर के कई हिस्सों को लाभ पहुंचता है। इसी हार को सौंदर्य का रूप दे दिया गया है और श्रृंगार का अभिन्न अंग बना दिया है। दक्षिण और पश्चिम भारत के कुछ प्रांतों में वर द्वारा वधू के गले में मंगल सूत्र पहनाने की रस्म की वही अहमियत है। ग्यारहवां श्रृंगार: बाजूबंद : - कड़े के सामान आकृति वाला यह आभूषण सोने या चांदी का होता है। यह बाहों में पूरी तरह कसा जाता है। इसलिए इसे बाजूबंद कहा जाता है। पहले सुहागिन स्त्रियों को हमेशा बाजूबंद पहने रहना अनिवार्य माना जाता था और यह सांप की आकृति में होता था। ऐसी मान्यता है कि स्त्रियों को बाजूबंद पहनने से परिवार के धन की रक्षा होती और बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। बारहवां श्रृंगार,कंगन और चूड़ियां : - सोने का कंगन अठारहवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों से ही सुहाग का प्रतीक माना जाता रहा है। हिंदू परिवारों में सदियों से यह परंपरा चली आ रही है कि सास अपनी बड़ी बहू को मुंह दिखाई रस्म में सुख और सौभाग्यवती बने रहने का आशीर्वाद के साथ वही कंगन देती थी, जो पहली बार ससुराल आने पर उसे उसकी सास ने उसे दिये थे। इस तरह खानदान की पुरानी धरोहर को सास द्वारा बहू को सौंपने की परंपरा का निर्वाह पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। पंजाब में स्त्रियां कंगननुमा डिजाइन का एक विशेष पारंपरिक आभूषण पहनती है, जिसे लहसुन की पहुंची कहा जाता है। sona

खैर मेरी तो मुस्कुराहट थी तुम...

दोस्त...कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अलफ़ाज़ मेरे, मतलब मोहब्बत में बर्बाद और भी हुए हैं...दोस्त प्यार कहो तो दो ढाई लफ्ज़, मानो तो बन्दगी ,सोचो तो गहरा सागर, डूबो तो ज़िन्दगी ,करो तो आसान , निभाओ तो मुश्किल ,बिखरे तो सारा जहाँ ,और सिमटे तो तुम... वक्त सब कुछ छीन लेता है, खैर मेरी तो मुस्कुराहट थी तुम दोस्त...दोस्त अधूरे रिश्ते बहुत ज्यादा तकलीफ देते हैं न, न खुद मरते हैं और न मरने देते हैं...खूबसूरत वक़्त और वफ़ादार दोस्त मिलते तो मुफ्त है दोस्त...लेकिन उनकी कीमत का अंदाज़ा तब होता है जब ये कहीं खो जाते हैं... दोस्त मेरी फितरत में नहीं अपना गम बयां करना,अगर तेरे वजूद का हिस्सा हूँ तो महसूस कर तकलीफ मेरी तुझे भी होगी...एक दिल को ख़ुशी देना,प्रार्थना में झुके हज़ार सिरों से बेहतर है दोस्त...अपना वही है जो हमारी ख़ामोशी पढ़ सके, वरना अंदाजे तो बेगाने भी लगा लेते है दोस्त...एक अजीब दास्तान है मेरे अफसाने की,मैने पल पल कोशिश जिसके की पास जाने की,किस्मत थी मेरी या साजिश थी ज़माने की,दूर हुई मुझसे इतना जितनी उमीद थी करीब आने की दोस्त...दोस्त जैसे मोहब्बत की बेरहमी इनायत से वफ़ा को चोट लगती है,वैसे ही फरेब तकल्लुफ़ के बनावट से दिल को चोट लगती है...हमने छोड़ा था ज़माना जिन्हें पाने के लिए,लो वही छोड़ चले हमको ज़माने के लिए...हमको अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है...पता नही कैसे तुम भूल गए दोस्त...किसी की कट रही है जिंदगी ,कोई काट रहा है जिंदगी ,पर दोस्त खुश है वो जो जी रहा है जिंदगी...Friend...May God... Never be so... That...Anybody is defeated ever/even by Life...I stay the same place friend... but I've regret for it...that...for lifetime... Nobody is available to call me friend... दोस्त अगर मौका मिला तो हम किस्मत से शिकायत जरूर करेंगे,की अक्सर वही लोग हमे क्यों छोड़ देते हैं जिन्हें हम टूट कर चाहते हैं... Friend personal responsibility & relationship are superior to private responsibility & relationship...जब तू रोती है ना ... तो बहोत सारे reasons होते है...but...जब मैं रोता हूँ न...तो Reason सिर्फ तू होती है...दोस्त...I spend my whole life in remember of that person... Who went out from my life to say it... What did you do for me फ्रेंड...राज kumar

थोड़ी सी समझ थोडा़ सा समझौता,थोड़ा सा सम्मान...

हर तरफ शोर है तेरे आने का ऐ फरवरी ,ईश्क़ -ए- मोहब्बत ने तुझे भी मशहूर कर दिया...दोस्त जरा अपना ख्याल रखना सुना है,इश्क इसी मौसम में शिकार करता है...दोस्त दौर काग़ज़ी था जब देर तक ख़तों में जज़्बात महफ़ूज़ रहते थे,अब मशीनी दौर है उम्र भर की यादें ऊँगली से ही ङिलीट हो जाती हैं...उम्र चाहे जो भी हो मनचाहे रिश्ते अपने आप हम उम्र हो जाते हैं न दोस्त...यकीनन खोया है मैंने खुद को एक तुम्हें पाने में,वरना वजूद अपना मुझे यूँ अजनबी ना लगता दोस्त...हुस्न की मल्लिका हो या सांवली सी सूरत,इश्क अगर रूह से है तो हर चेहरा कमाल लगता हैं न दोस्त... special line friend...उसने कहा- बेवजह ही ख़ुश हो क्यों? मैंने कहा- हर वक्त दुखी भी क्यों रहूँ?,उसने कहा- जीवन में बहुत ग़म है मैंने कहा -गौर से देख ख़ुशियाँ भी कहाँ कम हैं?दोस्त...क्या जरुरी है हर मोहब्बत मुक्कमल हो दोस्त, कुछ सफर तो मंजिल से भी खूबसूरत होते है न...दोस्त अपनी कलम से लिखूं तो लफ्ज़ हो तुम,अपने दिमाग से सोच लूँ वो खयाल हो तुम...बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी...पहले पागल किया...फिर पागल कहा...अंत में पागल समझ कर पगले को छोड़ दिया दोस्त...नाज़ है मुझे मेरे मोहब्बत पर दोस्त,तेरी नफरतों की अकेला वारिस जो हुं मैं...सिमट जाती हैं तमन्नायें तहजीब के दायरे में अक्सर,वरना इश्क अरमाँ और ख़्वाहिशें कब बेजुबाँ होती हैं दोस्त... दोस्त थोड़ी सी समझ थोडा़ सा समझौता,थोड़ा सा सम्मान और थोडी सी स्नेह रिश्तों का जुड़ाव होते हैं...लफ्ज 'साढ़े' तीन ही थे,कभी 'प्यार' बन गए तो कभी 'ख्वाब' दोस्त...मत करना किसी के गुलाब आज कुबूल ऐ दोस्t,है कसम अपनी है मोहब्बत की तमाम उम्र चुभते हैं काटें इसके...तुम पढ़ते हो इसलिए लिख देता हूँ...वरना मैं तो मेहसूस कर के भी तेरी आहट को छु सकता हूँ दोस्त... राज

दिल की जज्बात दिल से...

दिल की जज्बात दिल से... बेसक तू किसी और का हमसफ़र है दोस्त ,किंतु हमदर्द तो हमेसा हमरा ही रहेगी...दोस्त वो देवता हैं उस मंदिर का,जिसमें मेरे प्यार की मूरत आवास करती है... दोस्त अगर तुझे पाने की चाहत होती तो तू किसी और के आंगन की तुलशी नही, बल्कि मेरे मन की मंदिर की लाजवाब कोहिनूर मूरत होती...चल छोड़ क्या करे शिकवा और गिला तेरे बदसलूकी की, बेपनाह मोहब्बत देने वाले बेपरवाह कैसे हो गये दोस्त...मैं समझता तो हूँ कि तू कुछ और मैं कुछ मजबूर था, पर बेबशी की मतलब ये तो नही न कि कोई हम बन जाय दोस्त...क्या कहूं दोस्त जज्बात इस बेबस जिंदगी की,जहाँ तुमने मुझे छोड़ था वहाँ से कोई नही उठाया दोस्त...तू तो खुश हैं अपनी रौनक़ भरी आशियानो में ,पर देख तेरा राज तेरे जीते जी कब्रिस्तान बन गया दोस्त...कुछ भी नही चाहा राज ने तेरे शिवा इस जिंदगी में, फिर भी मेरी जिंदगी ने मेरे ही जीवन से जुदा हो गई दोस्त...दोस्त जिंदगी तो वही थी जो तुमने जिना सिखया था,अब आज कल तो बस उस मौत का इंतिजार में इधर उधर घूमता रहता है... दोस्त क्या करूँ मैं उन शानो शोहरत की,जिसमे तू शामिल ही नही...दोस्त देख जो कभी हमरे सपने फ़साने लगते थे,आज वो करवा, सरताज,शोहरत और उन मंजिलों को तेरा राज अपने कदमों के निचे लेकर घूमता फिरता रहता है...पैसे तो बहुत है तुम्हारे पास इस बात को सारा मुल्क जनता है, पर तुम्हारे पास गम और तन्हाई कितनी है केवल ये सराबी जनता है दोस्त...अंत मे तो सब को अंतिम यात्रा करना ही है दोस्त,परन्तु किसी की जीवन को जीते जी अंत करना बहुत बुरा है...उस यस में जो हाँ था न दोस्त, वो राज के no से भी तुलना कभी नही की जा सकती...मुझे ठुकरा or छोड़ के जाने वाले, मेरा कसूर क्या था कम से कम इतना तो बता देते...रो रो कर अपना जज्बात लिखना हर किसी की बस बात नही दोस्त, इसके लिए पवित्र प्यार or अटूट विश्वास दोनो खोना पडता है दोस्त...दोस्त मांग का सिंदूर रिश्ते का गवाह तो हो सकता है,पर प्रेम का कभी नहीं...प्यार जो करता है उसका दिल भी अजीब होता है, यार जैसा भी हो दोस्त, उस खुदा से भी अजीज होता है...किस्मत ने जैसा चाहा वैसे ढल गए हम,बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गए हम,किसी ने विश्वास तोड़ा, तुम ने 💔दिल💔, और लोगों को लगा कि बदल गए हम दोस्त...तेरा राज...

तड़प है, कसक है, खलिश है Love...

बेचैनियाँ रूह की और बेकरारियाँ दिल की... दोस्त जीवन में जो सबक खाली पेट,खाली जेब,बुरा वक़्त और टूट हुआ दिल सिखाता है,वो कोई स्कूल या यूनिवर्सिटी नही सिखाती...क्या दुश्मनी थी हमारी जो तूने मेरी हस्ती खेलती आंखे नम कर दी,हमे तो जन्न्त बनाना था जिंदगी अपनी पर दोस्त तूने क्यों मरी जिंदगी जहन्नम कर दी...कुछ नही चाहा तुमसे तुम्हारे सिवा इस राज ने, उसके वावजुद भी तूने ही न जाने क्यों मेरे फीलिंग से खिलवाड़ kiya दोस्त...ये सितम, ऐ बेरहमी, बेपरवाह, बेकदर येसब कँहा से सीखा दोस्त, इन सब शब्दों को हमने अपने लव स्टोरी में नही लिखी थी दोस्त...जब नासमझ थे तो ख्वाब मुठ्ठी में बंद थे,समझ आयी तो ख्वाबों ने हमें मुठ्ठी में बंद कर दिया दोस्त...सच्ची मित्रता उत्तम सवास्थ के सामान है,उसका महत्त्व तभी जान पाते है जब हम उसे खो देते है दोस्त...बुलंदियां ख़ुद ही तलाश लेंगी तेरे राज को,क्योंकि अभी भी दर्द औऱ मुश्किलों में मुस्कुराने की आदत बरकरार है...क्या रूबरू करूँ मैं अपनी आरजू और तमन्नाऐ तम्माम होने की, जिसनी ने भी की,लाजबाब ही नही दोस्त बेहतरी तरीके से की...जलवे तो बेपनाह थे इस कायनात में दोस्त,ये बात और है कि नजर तुम पर ही ठहर गई...फ़िज़ा में महकती शाम हो तुम,प्यार में झलकता जाम हो तुम,सीने में छुपाये फिरते हैं चाहत तुम्हारी,तभी तो मेरी ज़िंदगी का दूसरा नाम हो तुम दोस्त...आँसूं तब नहीं आते जब आप किसीको खो देते हो,आँसूं तब आते है दोस्त जब खुद को खोकर भी किसीको पा नहीं सकते...आकर्षण तो कही भी हो सकता है,पर समर्पण कही - एक ही जगह होता है दोस्त...हर दर्द की दवा है इस जमाने में दोस्त बस...किसी के पास कीमत नहीं तो किसी के पास किस्मत ही नहीं है...एक ये भी खासियत है जिंदगी की,कर्ज वो भी चुकाने पड़ते हैं दोस्त जो कभी लिए ही नहीं...मेरे लिए संबंध का एक अर्थ है...भरोसा,अपनापन और ईमानदारी भांड में जाय दुनियादारी दोस्त...ज़ाहिर हो जाए वो दर्द कैसा, और जो ख़ामोशी ना पढ़ पाए दोस्त वो हमदर्द कैसा...हसरतों के सिक्के लिए उजाले ख़रीदने हम कभी निकले थे, तबाह तो हम मोहब्बत के बेवफाई की गलियों में हो गये दोस्त...क्या छेड़ूँ किस्सा उस उल्फत का वो बड़ी लम्बी कहानी है,मैं ज़िन्दगी से नहीं हारा किसी अपने की मेहरबानी है दोस्त...मै अलग हूँ ये ज़ाहिर है ,तू जुदा है ये कभी नही हो सकता दोस्त...किस बात की सजा दिया तुमने प्यार में,प्यार किया इसलिए या फिर तुमसे ज्यादा किया इसलिए दोस्त...वो रिश्ता ही क्या जिसे निभाना पडे,वो प्यार ही क्या जिसे जताना पडे,प्यार तो एक खामोश एहसास है,वो एहसास ही क्या जिसको लफ्जों मे बताना पडे...नाराज़गी भी एक खूबसूरत रिश्ता है जिससे भी होती है,वह व्यक्ति दिल और दिमाग दोनों में रहता है...लम्हे लम्हे मैं बसी है तुम्हारी यादों की महक,यह बात और हैं मेरी नज़रों से दूर हो तुम दोस्त...बेचैनियाँ रूह की और बेकरारियाँ दिल की,शायद यही शौगात ए मोहब्बत होती है दोस्त...तड़प है, कसक है, खलिश है और सजा है,कौन कमबख्त कहता है कि इश्क़ बे-मजा है दोस्त...शायरी खुदखूशी का धंधा है,अपनी ही लाश अपना ही कंधा hi,आईना बेचता फिरता है,शायर उस शहर में जो शहर ही अंधा हैं दोस्त...राज

ना खोया,ना मिला फिर भी करीब सा है...

some स्पेशल लाइन स्पेशल फ़ॉर my विश एंड चॉइस... हर शाम से तेरा इज़हार किया करते है,हर ख्वाब मे तेरा दीदार किया करते है,दीवाने ही तो है हम तेरे इस जमाने मे की,तू तुलसी किसी औरके आँगन की पर पूजा हम किया करते है दोस्त...Friend...Life is very full for all of us no matter what we do, there is work, home, family, getting the balance right in our life and missing the great moments when we are busy. But life has space to, grab that space, make the most of it because you can't get it back. Time is precious, enjoy the moment...Love is in the air, everywhere I look around...Love is in the air, every sight and every sound...And I don't know if I'm being foolish, Don't know if I'm being wise...But it's something that I must believe in...बाज़ार के रंगों से रंगने की मुझे जरुरत नही, किसी की याद आते ही ये चेहरा गुलाबी हो जाता है दोस्त...कितना महफूज़ था गुलाब कांटों की गोद में,लोगों की मोहब्बत में पत्ता-पत्ता बिखर गया दोस्त...जिदंगी प्रपोज करती रहती है दोस्त छोटी-छोटी ख़ुशियो के संग, बस हम स्वीकारते नहीं हैं और दौड़ते रहते हैं बड़ी खुशियों के पीछे...मनुष्य की सुंदरता की पहचान उनके रूप,चलन व बात करने के तरीके से नहीं बल्कि,उनके स्नेह,परवाह और योगदान से होती है दोस्त...एक रिश्ता बेनाम सा है,ना हासिल ना जुदा...ना खोया,ना मिला फिर भी करीब सा है दोस्त...मेरी सारी उम्र एक ही चाहत मे गुजर गयी,वो दस्तक देंगे तो दरवाजा हम ही खोलोगें...वो उमीद टूट गई दोस्त...क्या इसी वास्ते सींचा था हमने लहू से अपने रिश्ते का आँगन,की जब सँवर जाए चमन आग लगा दी जाए दोस्त...अकेला पन क्या होता है कोई ताजमहल से पूछे,देखने के लिए पूरी दुनिया आती है लेकिन रहता कोई नहीं दोस्त...जब जीते जी इंसान का प्यार की प्यास नही बुझती,शायद इसीलिए अस्थियां नदी में बहाई दी जाती हैं दोस्त...खुद को कुर्बान कर के भी भरपाई नहीं कर पाओगे,इतना महंगा दिल तोड़ा है...कई बार प्यार में अलग होना भी प्यार होता है...मित्रता कोई स्वार्थ नहीं,बल्कि एक विश्वास है...और वो अटुट विश्वास मेरा किसी ने तोड़ा है दोस्त...ख़ैरात की ख्वाहिश कभी न थी मुझको,मोहब्बत की आरज़ू थी दोस्त शायद मोहब्बत के बदले...राज कुमार

रूह से रूहानी होने तक ...

Special line special for my Lifestyle... बहुत शातिर है तुम्हारी यादे दोस्त, जब भी आती हैं बस खामोशी से मुस्कुराकर के चुपके से चली जाती है... मुस्कुराहट लबो पर यूं ही नही आती है न दोस्त,उसे भी किसी नजर का इतंजार होता है जैसे मुझे आज भी है...दिल आने की बात है दोस्त अपने बस की बात कहा,प्यार अगर हो पत्थर से फिर हीरे की औकात कहा... दोस्त रिश्ते अगर रूह से हो तो, दिल भरा नहीं करते न...दोस्त अब संवरने का तो सवाल ही नही उठता,क्योंकि हम तो बिखरे ही लाजवाब है... तुझे देखते ही एक नजर ये दिल तेरा हो गया,पर अफसोस की सारी उम्र बस एक सपना बनकर रह गया दोस्त...क़ानून तो सिर्फ बुरे लोगों के लिए होता है दोस्त,अच्छे लोग तो शायद शर्म से ही मर जाते हैं...समय हर समय को बदल देता है दोस्त,सिर्फ समय को थोड़ा अधिक समय देना पड़ता...साँसों की माला में पिरो कर रखे थे तेरी चाहतो के मोती,but अब वो तमन्ना नही रही की बिखरूं सिर्फ तेरे आगोश में दोस्त...जो कहते थे बिना तेरे चार कदम बी चला न जाए, न जाने कैसे पूरी जिंदगी मुझे छोड़कर चलने की सपत ले ली दोस्त...मेरी आँखों से पूछ मोहब्बत की बेबसी का आलम,इन्हें तेरे सिवा कोईऔर अच्छा नही लगता आज भी दोस्त...वक्त की मार से हम-तुम से जूदा हो गऐ,बहुत तकलीफ हुई तुझसे और तुम्हारे नजरो अलग हो कर, लेकिन खुशी हुई इस बात कि ये दर्द सिर्फ हमे हुआ दोस्त...सुलझा हुआ सा शख्स समझते हैं लोग मुझे,उलझा हुआ सा कोई दूसरा भी है मुझमे दोस्त...कोई भी रिश्ता बनता तो विश्वास से हैं पर चलता बर्दाश्त से हैं दोस्त...गलत नहीं था यूँ सबके लिए ग़लत हो जाना,पर सही कहाँ है सबके लिए सही हो जाना दोस्त...मैं अपनी चाहतों का हिसाब जो लेने बैठ जाऊं,तो तुम मेरा सिर्फ याद करना भी न लौटा सकोगे दोस्त...अजीब जुल्म करती हैं तेरी यादें मुझ पर दोस्त,सो जाऊ तो उठा देती हैं और जाग जाऊँ तो तड़पा देती हैं...भूल जाना, भुला देना फकत वहम ही तो है,दिलों से कब निकलते है वो मौहब्बत जिससे हो जाए दोस्त...कसम से बहुत सताते हो तुम दोस्त बिना दस्तक,दिये ख्यालो में चले आते हो तुम...रूह से रूहानी होने तक शब्द से कहानी होने तक,साथ तेरे रहूँगा मेरे हमदम एहसास बनकर खाक से आसमानी होने तक दोस्त...रिचार्ज प्लान की तरह हो गया हैं आज कल का प्यार दोस्त,पता नहीं कब बेक्रअप की घोषणा कर दें...स्नान तन को,ध्यान मन को,दान धन को,योग जीवन को,प्रार्थना आत्मा को,व्रत स्वस्थ को,क्षमा रिश्तों को और परोपकार किस्मत को शुद्ध कर देता हैं दोस्त...जिसे सोचकर चेहरे पर मुसकुराहट आ जाएं,ऐसा खूबसूरत ख्याल हो तुम दोस्त...राज

तरस इन आँखों की,तड़प इस दिल की...

Some special line for my life... सुनो जिसकी फितरत हुई बगावत करना,हमने उस दिल पे हुक़ूमत की है न दोस्त...तरस इन आँखों की,तड़प इस दिल की, बेबसी और जलन इस जिंदगी की तुमसे superior or कोई नही समझ सकता दोस्त...लगता है मैं भूल चुका हूँ मुस्कुराने का वो हुनर,कोशिश अब जब भी करता हूँ आँसू निकल आते हैं दोस्त...बड़े शौक से बनाया तुमने मेरे दिल मे अपना घर,जब रहने की बारी आई तो तुमने ठिकाना बदल दिया दोस्त...चुभता है बहुत कुछ मुझे में भी तीर की तरह,पर अफसोस कि खामोश रहता हूं मैं भी अपनी तकदीर की तरह दोस्त...इक रेंत का सेहरा हूँ मैं और बारिश की फ़िज़ा है तु,आधा लिखा एक खत हूँ मैं और उस खत का पता है तु दोस्त...तुम्हारे बाद हमने किसी और को चाहा ही नहीं, ज़रा सी तो उम्र है किस किस को आजमाते फिरते दोस्त...मोहब्बत की शतरंज में वो सक्स बड़ा चालक निकला दोस्त,दिल को मोहरा बना कर हमसे हमारी जिन्दगी छीन ली...हम चाय पीकर कुल्हड़ भी नहीं तोड़ पाते,दिल तो खैर बहुत दूर की बात हैं दोस्त...इश्क़ और कोरोना दोनों एक ही समान हैं दोस्त,जब तक खुद को ना हो जाये साभी को मज़ाक ही लगत है...दोस्त माना कि मरता नहीं कोई जुदाई में,लेकिन जी भी तो नहीं पाता है कोई तन्हाई में...हर दर्द का इलाज़ मिलता था जिस बाज़ार में, पर जब मुहब्बत का नाम लिया तो सभी दवाख़ाने बन्द हो गये दोस्त...कभी ना कभी वो मेरे बारे में सोंचती जरूर होगी दोस्त,कि हासिल होने की उम्मीद ना थी फिर भी ‪‎मोहब्बत कोई बेपनाह करता था…दर्द बनकर ही रह जाते मेरे साथ दोस्त,सुना है दर्द बहुत वक़्त तक साथ रहता है...आदते बुरी नहीं और न ही शौक ऊँचे हैं,वर्ना किसी ख्वाब की इतनी औकात नही की राज देखे और पुरा ना हो दोस्त...राज

दिल की फरमाइश दिल से किसी दिल के लिए...

दिल की फरमाइश दिल से किसी दिल के लिए... दोस्त तुम्हारे हिज़्र ने क्या हाल कर दिया मेरा,मैं भी कभी अपने शहर की सबसे लाजबाब लड़का था...तुम्हारा मेरे पास होना एक कल्पना है दोस्त, और फिर भी मैं इस हक़ीक़त से खुश हूँ...कुछ इकठ्ठा भी उन्हीं के पास होता है जो बाँटना जानते हैं,फिर चाहे भोजन हो,प्यार हो या सम्मान दोस्त...अब ना कोई शिकवा, ना गिला, ना मलाल रहा,सितम तेरे भी बे-हिसाब रहे,सब्र मेरा भी कमाल रहा दोस्त...खुल जाता है तेरी यादों का बाजार सुबह सुबह,और हम उसी रौनक में पूरा दिन गुजार देते है दोस्त,मुस्कुराये तू वजह बनूँ मैं हमेशा,बस इतना ही चाहिए थी ज़िंदगी तुझसे दोस्त...मेरे अधूरे ख़्वाब की ताबीर थी तुम,सिर्फ मेरी,सिर्फ मेरी ही जागीर थी तुम दोस्त...बस जाते हैं दिल में इज़ाजत लिये बगैर वो लोग दोस्त,जिन्हें हम जिंदगी भर पा नहीं सकते...युं तो गलत नही होते अंदाज चहेरों के दोस्त,लेकिन लोग वैसे भी नहीं होते जैसे नजर आते है...गलत लोगों की जीत उसी समय तय हो जाती है,जब सही लोग चुप हो जाते हैं...रिश्तों का न होना इतनी तकलीफ नही देता दोस्त,जितना रिश्तों को होते हुए एहसास का मर जाना तकलीफ देता है...मोहब्बत का कोई इरादा तो नही था दोस्त, ऐ दिलनशीं देखी जो तेरी अदा तो नीयत बदल गई...आज आयी जो बारिश तो याद आया वो जमाना दोस्त,तेरा छत पे रहना और मेरा सड़कों पर नहाना...जिनके जाने से जान जाती थी,मैंने उन्हें भी जिंदगी से जाते देखा है दोस्त...ज़रूरी तो नहीं जो शायरी करे उसे इश्क़ ही हो,ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख़्म बे-मिसाल देती है दोस्त...शायर भी अजीब तरह से इश्क फरमाते है,आंसुओ को दावत पर बुलाते है और दर्द का जश्न मनाते है दोस्त...बहुत ही आसान है,ज़मीं पर मकान बना लेना,दिल में जगह बनाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है दोस्त...तेरी आँखों में उमड़ता इश्क़ क्या देखा हमने,दिल दरिया बनकर तेरी मोहब्बत में बह गया दोस्त...गुमराह कर जाते हैं कुछ लोग इस्तेमाल करके,वरना मोहब्बत का दूसरा नाम ख़ुदा है दोस्त...एक नज़र एक झलक और पल भर का दीदार तेरा,बस इतना सा ही तो है, जिसे दुनिया इश्क कहती है दोस्त...क्या दस्तखत दूँ अपने वजूद का दोस्त,किसी के ज़हन में आऊं और वो मुस्कुरा दे बस वही काफी है...खुशियाँ बहुत है मेरे दायरे मे,पर सच मे मुकम्मल तुम्हारे ख्याल से होती हैं दोस्त...उसी रिश्ते की उम्र लम्बी होती है दोस्त,जहां लोग एक दूसरे को समझते है पर परखते नही...बातों की मिठास अन्दर का भेद नहीं खोलती दोस्त,मोर को देखकर कौन कहता है कि यह साँप खाता होगा...तलाश में हूँ उसके मगर अब तक नाकाम हूँ,खुद मे 'खुदा' ढूंढना भी गजब की 'इबादत' है दोस्त...अकड और अभिमान एक मानसिक बिमारी है दोस्त,जिसका इलाज समय औऱ कुदरत जरूर करता है...सबसे खतरनाक वायरस तेरी यादों का है दोस्त,ना Delete कर पाते है और ना ही Remove कर सकते है...बातों बातों में कभी कुछ ऐसी बातें हो जाती है दोस्त,कि फिर कभी बातें होती ही नहीं दोस्त...वो शख़्स आखरी सच था मेरी कहानी का,फिर उसके बाद का किस्सा फ़क़त कहानी है दोस्त...तुम जीते हो मुझ में, शायद इसलिए हम मरते है तुझ पे Dost...राज What is Life?... Life is a puzzle, do it. Life is a door, open it. Life is a dream, realize it. Life is a challenge, meet it. Life is a duty, complete it. Life is a game, play it. Life is a promise, fulfill it. Life is a sorrow, overcome it. Life is a song, sing it. Life is a struggle, accept it. Life is a tragedy, confront it. Life is an adventure, dare it. Life is an opportunity , make it. Life is a lock, unlock it. Life is a book, read it. Life is a drama, play it. Life is a gift, open it. Life is a rose, smell it. Life is a scenery, watch it. Life is a story, develop it. Life is a novel, realize it. Life is a smile, give it. Life is a train, get on it. Life is very precious, do not destroy it. Life is a candle, light it up. Life is a shadow, follow it. Life is a rainbow, look at it. Life is life, fight for it. Life is not fair, accept it. Life is full of beauties, admire it. Life is the sunshine energy, just receive it. *Life is life, take it easy.*...

दिल की आरजू से Or जिंदिगी की तम्मना तक...

दिल की आरजू से Or जिंदिगी की तम्मना तक... दोस्त प्यार में फायदा नही कायदा होनी चाहिए,सूचना नहीं समझ होनी चाहिए,भय नहीं भरोसा होना चाहिए,आग्रह नहीं आदर होना चाहिए,सम्पर्क नहीं सम्बंध होना चाहिये,अर्पण नहीं समर्पण होना चाहिए...पहली मोहब्बत ना बन पाये तो मलाल ना करना दोस्त,किसी की आखिरी मोहब्बत बनकर बस कमाल कर देना...जिम्मेदारीयों की क्या खूब खूबी है,ये अब हमें कभी बिगड़ने नहीं देगी दोस्त...विधाता ने "प्रेम" के साथ रची दो रचनाएं, उन्हें एक नाम दिया वेदना तो दूसरा वियोग है दोस्त...जो ना मिली वो बेहतरिन थी जिंदिगी ,पर जो मिला वो बदतर से कम नही है दोस्त...जिन्दगी वो नहीं जिसे हम पाते है ,जिन्दगी वो है जिसे हम बनाते दोस्त...माना के कभी कभी हम देर से आते हैं पर जब भी आते हैं,चाहतों से लबरेज़ लफ़्ज़ों की बरसात साथ लाते है...ख्याल उन्ही के आते है जिनसे दिल का रिश्ता होता है,हर शख्स अपना हो जाए सवाल ही पैदा नहीं होता दोस्त...इश्क़ है या इबादत अब कुछ समझ नही आता, एक खूबसूरत ख्याल हो तुम जो दिल से नही जाता दोस्त...सोने से पहले मेरी आखरी सोच हो तुम,और उठने के बाद मेरी पहली सोच हो तुम दोस्त...लोग बदलते हैं हालात बदलते हैं, प्रेम करने वाले बदलते हैं मगर प्रेम कभी नहीं बदलता दोस्त...सिर्फ किसी को पा लेना प्यार नही कहलाता, प्यार तो किसी के दिल में जगह बनाने को कहते है दोस्त...किसी को चाहकर छोड़ देना तो आसान है, लेकिन किसी को छोड़कर भी चाहो तो पता चलेगा मोहब्बत किसे कहते है दोस्त...दुनिया मे पैर भिगोये बिना समुद्र तो पर किया जा सकता है , पर आँखे भिगोये बिना प्यार नही किया जा सकता दोस्त...प्यार कभी खत्म नहीं होता दोस्त, ये तो ईश्वर का दिया हुआ अनमोल नजराना है खत्म होती है तो एक दूसरे की चाहत...Love is composed of a single soul inhabiting two bodies.Love is an endless act of forgiveness.अच्छा लगता था जब मेरे बिना कुछ कहे,बस मुझे देख कर.. तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी दोस्त…सफर ए मोहब्बत भी बहोत कमाल रहा हमारा,महबूब बनने निकले थे बेवकूफ बनकर लौटे हैं दोस्त... हम तो खुली हुई किताब थें दोस्त,पर अफ़सोस अनपढ के हाथ थे...किसी से दिल लग जाने को मोहब्बत नहीं कहते ,जिसके बिना दिल ना लगे उसे मोहब्बत कहते है दोस्त...राज