मेरे अल्फाजों के एकलोते वारिस हो तुम...
आरजू , अरमान, तमन्ना , वफ़ा , इश्क, ये चीज़ें तो अच्छी है पर इसकी कीमत बहुत चुकानी पड़ती हैं दोस्त...दिल से दिल तक, जब दिल पुकारे तो,हर दिल तक, दस्तक जाती है उस दिल की दोस्त...बहुत मुश्किल से करता हूँ तेरी यादों का कारोबार,मुनाफा कम है पर गुज़ारा हो ही जाता है दोस्त...अपने वही हैं जो खामोशी पढ़ लेते हैं,वरना अंदाजे तो बेगाने भी लगा लेते हैं दोस्त...कुछ सफ़र इतने हसीन होते हैं दोस्त,कि फ़िर मंज़िल अधूरी ही बेहतर लगती है...दोस्त किसी ने मुझसे पूछा वादे और यादें में क्या अंतर है,मैंने कहा वादे इंसान तोड़ता है और यादें इंसान को तोड़ती है...सिर्फ ख्वाब होते तो क्या बात होती,तुम तो ख्वाहिश बन बैठे दोस्त वो भी बेइंतहा...उम्र कैद की तरह होते हैं कुछ रिश्ते,जहां जमानत देकर भी रिहाई मुमकिन नहीं दोस्त...तेरे हाथ को अपने हाथ मे ले कर उम्र भर चलना,मेरी ख्वाहिश ही नही तेरी दिल की दुआ भी थी दोस्त...कुछ गम कुछ ठोकरें कुछ चीखें उधार देती है,कभी कभी जिंदगी मौत आने से पहले ही मार देती है दोस्त…उसने पुछा क्या एहमियत है मेरी मैंने भी लिख दिया,मेरे अल्फाजों के एकलोते वारिस हो तुम दोस्त...बदल गया वक्त, बदल गयी बातें, बदल गयी मोहब्बत,कुछ न बदला तो इन आँखों में नमी और तेरी कमी दोस्त...आखें तो सबकी एक जैसी होती हैं मगर, सबके देखने का अंदाज अलग अलग होता हैं दोस्त...नशा सूरत का होता तो कब का उतर जाता,मुझे तो तलब तेरी मासूमियत और सादगी की थी दोस्त...एक ठहरा हुआ खयाल तेरा,न जाने कीतने लम्हों को रफ्तार देता है दोस्त...ईश्क का सबसे बडा इम्तिहान ईश्क से बाहर निकलना है दोस्त...इक नाराज़गी सी है, ज़हन में जरूर,लेकिन मैं खफ़ा किसी से नहीं दोस्त...प्यार करते तो जानते सिर्फ कहने से प्यार नहीं होता दोस्त...कटना पिसना और निचोड़ा जाना अंतिम बूंद तक,गन्ने से बेहतर कौन जानता होगा कि मीठा होने में नुकसान कितना है दोस्त...ऐ ज़िंदगी एक बार रूबरु होकर बता दे मुझे,वो कौन सी जगह है जहाँ दुआएँ कुबूल होती हैं...To love is nothing.To be loved is something.But to love and be loved, that’s everything फ्रेंड...राज
शुभ दिन दोस्तों...
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