दोस्तों...नाउम्मीदी और अविश्वास की भावना वह धीमा ज़हर है, जो इंसान के जीवन मे निराशा फैलाकर उसकी सारी शक्तिया नष्ट कर देता है जबकि उमीद और विश्वास की भावना वह अमृत है, जिसकी एक बूँद चखते ही इंसान अपनी उच्चतम सम्भावनाओ और खुशहाल जीवन की ओर चल पड़ता है.उत्साह और शांति के दिए बुझने के बाद, तीसरा दिया उम्मीद होता है...उम्मीद जगते ही सुकून महसूस होता है क्योंकि उम्मीद भी एक राहत है. लोगो को रोटी नही उम्मीद जिंदा रखती है तथा उम्मीद के बल पर ही पूरी सृष्टि कायम है। कल के सपने आज की उम्मीद है और आज की उम्मीद आनेवाले काल की हकीकत है। जीवन और मृत के बीच मे कुछ है तो वो है उम्मीद दस्तो..जब ईश्वरीय विचारों को इंसान की वाणी मिलती है तब वह वाणी विश्वासवाणी बनती है। यह वाणी वह दवा है जो मुँह से नही ली जाती बल्कि बोलकर बनाई जाती है...हमारे जीवन मे जो भी घटनाएं होती हैं, वो हमारे रुके हुए जीवन को गति प्रदान करने के लिए आती हैं...अगर वो कर सकता है तो मैं क्यों नही, इस पर अमल करें...राज
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