एक दिल की कसक दूसरे दिल की अक्स तक...
तेरे गलियों में रह गुजर जाऊ, तेरे शहरो में रह बसर जाऊ बस इतनी सी थी मेरे दिल की आरजू दोस्त...लक डाउन,कर्फ्यू, या धारा 144 मोहब्बत में इनकी कोई मायने नही दोस्त,तेरी यादों की कशिश और तनहाईया ये सब संविधानिक धाराऐ कँहा मानती हैं ...जिसे सजने और सवरने की दिल दुआ देता रहा,पता नही कैसे उसी ने मुझे बिखरने और उजड़ने की बददुआ दे बैठा दोस्त...हम तो हर पल तुम्हें देखने की ख्वाहिश रखते हैं दोस्त,पर क्या करूँ तेरी दिल की तम्मन्ना और चाहत किसी की थीं...रिश्तों की बुनियाद में जीवन सफ़र चलता रहा,उलझनों का बोझ लेकर भी आलोचनाएं सह गए दोस्त...मतलबी जमाना है नफरतो का कहर है,ये दुनिया दिखती शहद है पर पिलाती ज़हर है दोस्त...प्रेम केवल अनुभूति ही नही बल्कि प्रेम ख़ुश्बू और खुशियों से भरी विभूति भी है दोस्त...पलकों से पानी गिर रहा हो तो उसको गिरने देना दोस्त, क्या पता कोई पुरानी तमन्ना अंदर ही अंदर पिघल रही हो...यही सोचकर छोड़ दी मैंने ज़िद्द मोहब्बत की,अश्क़ तेरे गिरे या मेरे रोएगी तो हमारी मोहब्बत ही न दोस्त...एक हक ही न नही हैं हमरा तुम पे,पर इश्क़ तो बेसुमार तुम्हे राज आज भी करता है दोस्त...क्या बताऊँ तुझे कि ये मोहब्बत कितनी गहरी है,तुम बस इतना समझ लो की इसे समझना तुम्हारे बस की बात नही है दोस्त...तन को स्पर्श करने वाले लाखो मिल जायेंगे,जो मन को स्पर्श कर ले शायद वही पवित्र प्रेम है दोस्त...राज
शुभ रात्रि दोस्तों...
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