दोस्तो...विद्या और अक्लमंदी को एक मानने की भूल न करें,क्योंकि पहली आपको जीविका अर्जन में मदद करती है और दूसरी जीवन निर्माण में। जिंदगी परिवर्तनों से ही बनी है, किसी भी परिवर्तन से घबराएं नहीं, बल्कि उसे स्वीकार करे! कुछ परिवर्तन आपको सफलता दिलाएंगे, तो कुछ सफलता का गुण सिखाएंगें! अच्छा समय उसी का आता हैं...जो परिवर्तन स्वीकार कर स्वयं के साथ परिवार, समाज, प्रकृति और संसार का अच्छा एवं भला सोचते हैं...अपेक्षा और उपेक्षा ये दोनों ऐसी घातक भावनायें है जो मजबूत से मजबूत सम्बन्धों की भी नींव हिलाकर रख देती है. इससे हमें सतर्क रहना चाहिए।क्रोध ऐसा हुनर है, जिसमें फंसते भी हम हैं,उलझते भी हम हैं, पछताते भी हम हैं और पिछड़ते भी हम हैं। इसलिए क्रोध पर नियन्त्रण आवश्यक है...लम्बा सफ़र तय करना है तो ठोकरों से मुलाक़ात लाज़मी हैं दोस्तो और इसी का नाम ज़िन्दगी है...राज
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