Sunday, February 12, 2023

काश तुझे मेरी जरूरत होती मेरी तरह...

काश तुझे मेरी जरूरत होती मेरी तरह...



फ़रवरी उनके लिए ख़ास है,जिनका इश्क़ तारिकों का मोहताज होता है दोस्त...तु वाकई में ऊटी, मसूरी और कश्मीर क़ी फिजा है, पर मेरी महफ़िल तो सिर्फ तरी आवाज से न गूंजती थी दोस्त...बहुत बुरी तरह से तोड़ते हैं लोग,बहुत अच्छी तरह से जानने के बाद दोस्त...जिसके हक़ में कुछ नहीं होता,सुना है उसी के हक़ में ख़ुदा होता है दोस्त...खूबसूरती न सूरत में है ना लिबास में,निगाहें जिसे चाहे उसे हसीन कर देती है दोस्त...कई रिश्ते टूट जरूर जाते है,पर ख़त्म कभी नहीं होते है दोस्त...वही छीन लेते हैं चेहरे की रंगत,जिसे ये बता दिया जाए कि जरूरी हो तुम दोस्त...प्रेम का सबसे बड़ा सबूत विश्वास होता है, और उसी के साथ तुमने घात किया है दोस्त...प्रेम अनपढ़ होता है,वो हस्ताक्षर नही छाप छोड़ जाता है दोस्त...कौन कहता है रात गई बात गई, रात होते ही सारे सवाल सताने लगते हैं दोस्त...मुझे रुलाने की कोशिश करने वाले शायद नहीं जानते,राज परवरिश ही दर्द ने कीया है दोस्त...जिन लोगों के पास ज्यादा आप्शन हो,वो किसी एक की फिलीगं कभी नहीं समझेंते है दोस्त...गुमान था की कोई दुश्मन जान नहीं ले सकता,यार के वार का तो ख्याल तक ना था दोस्त...किसी के अंदर प्रेम जगाकर उसे छोड़ देना,उसको मृत्यु देने के समान होता है दोस्त...दो ही हमसफर मिले जिन्दगी में,एक सब्र तो दूसरा बेहिसाब  इम्तिहान दोस्त...जिस्म से होने वाली मुहब्बत का इज़हार आसान होता है,रुह से हुई मुहब्बत को समझने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है दोस्त...जिंदगी किसी के लिए नहीं बदलती,बस जीने की वजह बदल जाती है दोस्त...काश तुझे मेरी जरूरत होती  मेरी तरह,पर मैं नज़र अंदाज़ नहीं कर सकता तुझे तेरी तरह दोस्त...हमेशा मुस्कुराते रहना दोस्त क्योंकि है को था होने में वक्त नहीं लगता...दिलवाले को खतरा सिर्फ दिल में दिमाग रखने वालों से हैं दोस्त...अपने कभी अपनेपन का शोर नहीं मचाते,सच्चे रिश्ते शब्दों से नहीं दिल और आंखो से बात करते हैं दोस्त...जो आसानी से मिले वो है धोखा,जो मुश्किल से मिले वो है इज्जत,जो दिल से मिले वो है प्यार,और जो नसीब से मिले शायद वो तुम हो दोस्त...दिले मंज़ूर नहीं तुम्हें कोई और देखे,बात शक की नहीं हक़ की थी दोस्त...नफ़रत खुलकर और मोहब्बत छुपकर करते हैं,लोग अपनी ही बनाई दुनिया से कितना डरते हैं दोस्त...मुश्किल है उस व्यक्ति को ढूंढना,जो हमारे समर्पण की कद्र करें दोस्त...मैं तो खाली किताब था,लोग आते गए नये- नये सबक छपता गया दोस्त...अपने तो हजारों हैं इस दुनिया में,कमी तो अपनेपन की है इस दौर में दोस्त...दूर रह कर भी मुझ पर वो सबसे ज्यादा असर करता है,एक शख़्स है जो मुझ में मुझ से भी ज़्यादा बसर करता है दोस्त...राज

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