Wednesday, January 25, 2023

राज्य एवं गणतन्त्र





राज्य एवं गणतन्त्र  

संस्कृत से; गण -;जनता,  राज्य; रियासत/देश । गणराज्य एक ऐसा देश होता है जहां के शासनतन्त्र में सैद्धान्तिक रूप से देश का सर्वोच्च पद पर आम जनता में से कोई भी व्यक्ति पदासीन हो सकता है। इस तरह के शासनतन्त्र को गणतन्त्र(संस्कृत; गण:पूरी जनता, तंत्र:प्रणाली; जनता द्वारा नियंत्रित प्रणाली) कहा जाता है।

         गणतंत्र (रिपब्लिक) शासन की ऐसी प्रणाली है जिसमें राष्ट्र के मामलों को सार्वजनिक माना जाता है। यह किसी शासक की निजी संपत्ति नहीं होती है। राष्ट्र का मुखिया वंशानुगत नहीं होता है। उसको प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित या नियुक्त किया जाता है। आधुनिक अर्थों में गणतंत्र से आशय सरकार के उस रूप से है जहां राष्ट्र का मुखिया राजा नहीं होता है। वर्तमान में दुनिया के 206 संप्रभु राष्ट्रों में से 135 देश आधिकारिक रूप से अपने नाम के साथ ‘रिपब्लिक’ शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत, अमेरिका, फ्रांस और रूस जैसे आधुनिक गणतंत्रों में कार्यपालिका को संविधान और जनता के निर्वाचन अधिकार द्वारा वैधता प्रदान की गई है।


उत्पत्ति :

मध्ययुगीन उत्तरी इटली में कई ऐसे राज्य थे, जहां राजशाही के बजाय कम्यून आधारित व्यवस्था थी। सबसे पहले इतालवी लेखक गिओवेनी विलेनी (1280-1348) ने इस तरह के प्राचीन राज्यों को लिबर्टिस पापुली (स्वतंत्र लोग) कहा। उसके बाद 15वीं शताब्दी में पहले आधुनिक इतिहासकार माने जाने वाले लियोनार्डो ब्रूनी (1370-1444) ने इस तरह के राज्यों को ‘रेस पब्लिका’ नाम दिया। लैटिन भाषा के इस शब्द का अंगे्रजी में अर्थ है- पब्लिक अफेयर्स (सार्वजनिक मामले)। इसी से रिपब्लिक शब्द की उत्पत्ति हुई है। लोकतंत्र इससे अलग होता है। लोकतन्त्र वो शासनतन्त्र होता है जहाँ वास्तव में सामान्य जनता या उसके बहुमत की इच्छा से शासन चलता है। आज विश्व के अधिकान्श देश गणराज्य हैं और इसके साथ-साथ लोकतान्त्रिक भी। भारत एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है।


गणराज्य जो लोकतन्त्र नहीं हैं  


प्रत्येक गणराज्य का लोकतान्त्रिक होना अवश्यक नहीं है। तानाशाही, जैसे हिट्लर का नाज़ीवाद, मुसोलीनी का फ़ासीवाद, पाकिस्तान और कई अन्य देशों में फ़ौजी तानाशाही, चीन, सोवियत संघ में साम्यवादी तानाशाही, इत्यादि गणतन्त्र हैं, क्योंकि उनका राष्ट्राध्यक्ष एक सामान्य व्यक्ति है या थे।                      इन राज्यों में लोकतान्त्रिक चुनाव नहीं होते, जनता और विपक्ष को दबाया जाता है और जनता की इच्छा से शासन नहीं चलता। ऐसे कुछ देश हैं : पाकिस्तान,चीन,अफ़्रीका के अधिक्तम् देश,ईरान,बर्मा,दक्षिणी अमरीका के कई देश।


लोकतन्त्र जो गणराज्य नहीं हैं 


प्रत्येक लोकतन्त्र का गणराज्य होना आवश्यक नहीं है। संवैधानिक राजतन्त्र, जहाँ राष्ट्राध्यक्ष एक वंशानुगत राजा होता है, लेकिन वास्तविक शासन जनता द्वारा निर्वाचित संसद चलाती है, इस श्रेणी में आते हैं। ऐसे कुछ देश हैं 

ब्रिटेन,कनाडा,ऑस्ट्रेलिया,स्पेन,बेल्जियम,नीदरलैंड्,स्वीडन,नॉर्वे,डेनमार्क,जापान,कम्बोडिया,लाओस


भारत में :- लोकतांत्रिक गणराज्य


सन् 1929 के दिसंबर में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ जिसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को स्वायत्तयोपनिवेश (डोमीनियन) का पद नहीं प्रदान करेगी, जिसके तहत भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वशासित एकाई बन जाता, तो भारत अपने को पूर्णतः स्वतंत्र घोषित कर देगा। 26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया। उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। इसके पश्चात स्वतंत्रता प्राप्ति के वास्तविक दिन 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया। भारत के आज़ाद हो जाने के बाद संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान सुपूर्द किया, 26 नवम्बर 1949 को संविधान अंगीकृत हुआ, इसलिए 26 नवम्बर के दिवस को भारत में संविधान दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है। संविधान सभा द्वारा 26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इस दिन को भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान करते हुए 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया।

Saturday, January 14, 2023

तीन प्रकार की आत्माएं...


 तीन प्रकार की आत्माएं 

दुनिया में अगर हम सारी आत्माओं को विभाजित करें, तो वे तीन तरह के मालूम पड़ेंगे।

एक तो अत्यंत निकृष्ट, अत्यंत हीन चित्त के लोग; एक अत्यंत उच्च, अत्यंत श्रेष्ठ, अत्यंत पवित्र किस्म के लोग; और फिर बीच की एक भीड़ जो दोनों का तालमेल है, जो बुरे और भले को मेल - मिलाकर चलती है।


निकृष्टतम आत्माओं को भी मुश्किल हो जाती है नया शरीर खोजने में और श्रेष्ठ आत्माओं को भी मुश्किल हो जाती है नया शरीर खोजने में। बीच की आत्माओं को जरा भी देर नहीं लगती। यहां, मरे नहीं, वहां, नई यात्रा शुरू हो गई।


उसका कारण यह है कि साधारण, मीडियाकर मध्य की जो आत्माएं हैं, उनके योग्य गर्भ सदा उपलब्ध रहते हैं।


मैं आपको कहना चाहूंगा कि जैसे ही आदमी मरता है, मरते ही उसके सामने सैकड़ों लोग संभोग करते हुए, सैकड़ों जोड़े दिखाई पड़ते हैं। और जिस जोड़े के प्रति वह आकर्षित हो जाता है वहां, वह गर्भ में प्रवेश कर जाता है।


लेकिन बहुत श्रेष्ठ आत्माएं साधारण गर्भ में प्रवेश नहीं कर सकतीं। उनके लिए असाधारण गर्भ की जरूरत है, जहॉं असाधारण संभावनाएं व्यक्तित्व की मिल सकें। तो श्रेष्ठ आत्माओं को रुक जाना पड़ता है।


निकृष्ट आत्माओं को भी रुक जाना पडता है, क्योंकि उनके योग्य भी गर्भ नहीं मिलता। क्योंकि उनके योग्य मतलब अत्यंत अयोग्य गर्भ मिलना चाहिए वह भी साधारण नहीं।


निकृष्ट आत्माएं जो रुक जाती हैं, उनको हम प्रेत, भूत कहते हैं। और श्रेष्ठ आत्माएं जो रुक जाती हैं, उनको हम देवता कहते हैं।




महाभारत" के नौ सार- सूत्र :-


1. संतानों की गलत माँग और हठ पर समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया, तो अंत में आप असहाय हो जायेंगे- कौरव


2. आप भले ही कितने बलवान हो लेकिन अधर्म के साथ हो तो, आपकी विद्या, अस्त्र-शस्त्र शक्ति और वरदान सब निष्फल हो जायेगा - कर्ण


3. संतानों को इतना महत्वाकांक्षी मत बना दो कि विद्या का दुरुपयोग कर स्वयंनाश कर सर्वनाश को आमंत्रित करे- अश्वत्थामा


4. कभी किसी को ऐसा वचन मत दो कि आपको अधर्मियों के आगे समर्पण करना पड़े - भीष्म पितामह


5. संपत्ति, शक्ति व सत्ता का दुरुपयोग और दुराचारियों का साथ अंत में स्वयंनाश का दर्शन कराता है - दुर्योधन


6. अंध व्यक्ति- अर्थात मुद्रा, मदिरा, अज्ञान, मोह और काम ( मृदुला) अंध व्यक्ति के हाथ में सत्ता भी विनाश की ओर ले जाती है - धृतराष्ट्र


7. यदि व्यक्ति के पास विद्या, विवेक से बँधी हो तो विजय अवश्य मिलती है - अर्जुन


8. हर कार्य में छल, कपट, व प्रपंच रच कर आप हमेशा सफल नहीं हो सकते - शकुनि


9. यदि आप नीति, धर्म, व कर्म का सफलता पूर्वक पालन करेंगे, तो विश्व की कोई भी शक्ति आपको पराजित नहीं कर सकती - युधिष्ठिर


Wednesday, January 4, 2023

एक तुम्हारा ही ख्याल है मेरे पास...






एक तुम्हारा ही ख्याल है मेरे पास...

मेरे जिंदगी की किताब का हर पन्ना बेमिसाल है,कुछ में तेरे आरज़ू तो कुछ में तेरा ख़्याल है दोस्त...खेल सारे खेलना सीखा मगर,किसी की Feelings के साथ खेलना आज तक नहीं आया दोस्त...दिसंबर की सर्द हवाएं मेरा क्या बिगाड़ लेंगीं,गर्म चाय पीता हूँ तेरी यादो की शॉल लपेट कर दोस्त...तेरी धड़कन में मेरी याद अभी बाकी है,ये हकीकत मेरे जीने के लिए काफ़ी है दोस्त...हमें वो लोग भी छोड़कर चले गए,जिनका दूसरा नाम हमने जिंदगी रखा था दोस्त...गलत ये हुआ की हम पूरे खर्च हो गए,गलत जगहों पर और गलत लोगों पर दोस्त... ना ख़ुशीयों का ज़िक्र है ना ही ज़ख्मों के किस्से याद है,दास्ताँ अलग अलग है पर सब इश्क़ के हाथों बर्बाद है दोस्त...तुम लाख छुपाओ चेहरे से अहसास हमारी चाहत का,दिल जब भी तेरा धड़का है आवाज़ मेरे दिल तक आती है दोस्त...तुम्हें दूर से चाहना मंज़ूर है मुझे,मेरी इस इबादत पर गुरूर है मुझे दोस्त...अपने अंतिम यात्रा पर कंधा देने तो आ जाएंगे,मगर जीते जी साथ देने कोई नहीं आएंगा दोस्त...मर्द कितना ही बहादुर क्यों ना हो,अपने मनपसंद औरत को खोने से हमेशा डरता है दोस्त...एक तुम्हारा ही ख्याल है मेरे पास,वर्ना अकेले बैठकर कौन मुस्कुराता है दोस्त...शिद्दत से जिया है हर लम्हा तेरे साथ,यूं ही खूबसूरत नहीं लगती तेरी यादें दोस्त...जो मिल जाता है वो आम हो ही जाता है,खास वही है जो काश में है दोस्त...हम आज भी खड़े हैं उस राह पर ,जिस पर तुमने चलना छोड़ दिया था दोस्त...यह साल तो बदल ही जाएगा,काश हमारे दिल कि हालात भी बदल जाते दोस्त...तुम्हें सोच लेने का एहसास तुम्हें पा लेने से ज्यादा खूबसूरत हैं दोस्त...हर कोई समझ सके मुझे, इतनी सरल लिखावट नहीं हूँ मैं दोस्त...तुझको लेकर मेरा ख्याल नहीं बदलेगा,साल बदलेगा मगर मेरे दिल का हाल नहीं बदलेगा दोस्त...ये जो 2023 आ रहा है ना देख लेना, ये भी 365 दिन से ज्यादा नहीं टिकेगा दोस्त...कुछ आह आंसू बन बह जाएंगे,कुछ दर्द चिता तक जाएंगे दोस्त...थक कर मुस्कुरा देता हूॅं,जब रोया नहीं जाता हमसे दोस्त...दूर तक देखने के चक्कर में,बहुत कुछ करीब से निकल गया दोस्त...प्रेम समर्पण का विषय है,प्रतिस्पर्धा का नही दोस्त...राज