दोस्तों..."रिद्धि दे, सिद्धि दे,वंश में वृद्धि दे, ह्रदय में ज्ञान दे,चित्त में ध्यान दे, अभय वरदान दे...दुःख को दूर कर, सुख भरपूर कर, आशा को संपूर्ण कर,सज्जन हित दे, प्रीत दे...जग में जीत दे, माया और साया दे, और निरोगी काया दे,मान के साथ साथ सम्मान भी दे...सुख-समृद्धि और ज्ञान दे,शान्ति और शक्ति दे, भक्ति भरपूर दें"...यही मनोकामना, दुआ और इबादत है इस राज का उस खुदा से आप सब के वास्ते...इस बदलते साल और आनेवाले नए साल के शुभ अवसर पर...दोस्तो...इस दुनिया मे कहीं भी दर्पण नही है, प्रेम तो है लेकिन समर्पण नहीं है... हर दामन पे दाग लगा है,यहां पर कोई चन्दन नहीं है...हमे हमेशा याद रहे... किसी दूसरे की खुशी के लिए किया गया प्रयास अपने आप को भी उपर उठाता है...
दोस्तों अगर किस्मत आजमाते आजमाते थक गए हो तो,कभी खुद को आजमाइये नतीजे बेहतर होंगे। वैसा इंसान बने जिस तरह के इंसान को आप पसंद करते हैं। संसार एक कड़वा वृक्ष है, इसके दो फल ही अमृत जैसे मीठे होते है, एक मधुर वाणी और दूसरी सज्जनों की संगती। यदि आपके मन में संतोष नही हैं तो,दुनिया को कोई चीज आपको खुश नही कर सकती हैं। क़ामयाबी कुछ नही बस एक नाकामयाब व्यक्ति के संघर्ष की कहानी है। कर्म वो आइना है जो हमारा स्वरुप हमें दिखा देता है। ना जाने कितने सपने टूटे हैं,सिर्फ ये सोचकर कि लोग क्या कहेंगे। कितनी भी बुरी परिस्थित हो हमे अपने गुस्से पर काबू रखना चाहिए वरना गुस्से में व्यक्ति का पलन हो जाता हैं और उसे पता भी नहीं चलता हैं हर व्यक्ति को देखने का अपना अलग अलग नजरियां होता हैं ज्ञानी व्यक्ति कर्म और ज्ञान को एक ही तरह से देखता हैं. वह ज्ञान पाने की इच्छा से लोगो को देखता हैं वही जो मनुष्य अपने मन पर नियंत्रण नहीं रखता हैं उसका पूरा जीवन खराब हो जाता हैं मन पर नियंत्रण कर आप अपने शत्रु को पराजित कर सकते हैं वही अगर मनुष्य खुद पर विश्वास करें तो वह अपने हर काम में सफलता प्राप्त कर सकता हैं। कहते हैं इंसान वैसा ही बनता चला जाता हैं जैसा वह सोचता हैं। कहते हैं अगर आप किसी काम में आगे बढ़ना चाहते हैं तो उसके लिए आप हर रोज अभ्यास करते रहे एक दिन सफलता जरूर मिलेगी कठिन से कठिन काम को अभ्यास से हासिल किया जा सकता हैं...
दोस्तो...सुख और दुख में कोई ज्यादा भेद नहीं...जिसे मन स्वीकारें वह सुख और जिसे अस्वीकारें वह दुख...सारा खेल हमारी स्वीकृति और अस्वीकृति का ही होता है...विचार और व्यवहार हमारे बगीचे के वो फ़ूल हैं जो हमारे पूरे व्यक्तित्व को महका देतें हैं. झूट बोलकर रिश्ते उलझाने से अच्छा है, सच बोलकर सुलझा लिया जाये। जीवन में सुख-दुख तो जिंदगी के दो पहलू है आते जाते रहेंगे...जिंदगी में अनुभव और तजुर्बे सदा मुश्किल परिस्थितियों और हालातों से होते हैं। मनुष्य संसार में हर कार्य कर सकता है लेकिन किसी की गंदी सोच नहीं बदल सकता,क्योंकि मनुष्य को अपनी जिंदगी में अपने दुर्भाग्य और परिस्थितियों से खुद जूझना पड़ता है।जिंदगी में कोई भी कारण हो, कोई भी बात हो चिढ़ो मत और गुस्सा मत करो।आप कितने भी गुस्से में हो लेकिन आपको इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि आप कौन हैं, यह इसलिए क्योंकि क्रोध हमेशा अपने स्वयं का ही विनाश करता है दूसरों का नाश कभी नहीं करता। जोर से मत बोलो और मन को शांत रखो उस पर विचार करो और फिर निर्णय लो। जीवन में हमेशा याद रखो कि शोर-शराबा करने से बुद्धि और भी भ्रष्ट हो जाती है,आप जितना क्रोध करेंगे उससे आपका ही बुरा होगा और तकलीफ भी आपको ही होगी। हर दिन आपका महत्व पहले से कम या ज्यादा होता जा रहा है. अगर आप खुद को बेहतर बना रहे हैं, तो आपका महत्व बढ़ेगा लकिन अगर आप खुद को बेहतर नहीं बना रहे हैं, तो आपका महत्व कम होता जाएगा. ये समझ लेना कि आप नहीं समझ रहे हैं गुण है, ये नहीं समझ पाना कि आप नहीं समझ रहे हैं दोष है। उन्हें अपना समझने से क्या फायदा जिनके अन्दर आपके लिये कोई अपनापन ही न हो...खुशी के फूल उन्हीं के दिलों में खिलते हैं,जो इंसान की तरह इंसानों से मिलते हैं। जिंदगी की मुश्किलों को,अपनों' के बीच रख दो, या तो 'अपने' रहेंगे,या फिर मुश्किलें...आलस्य – संदेह और भय को जन्म देती है तथा सक्रियता – आत्मविश्वास और साहस को जन्म देती है। हर छोटा बदलाव बड़ी कामयाबी का हिस्सा होता है...धर्म और कर्म बिना ज्ञान के अधूरे हैं ज्ञान से ही धर्म और कर्म पूरे होते है...प्रमुख बनो मालिक तो हर कोई हैं यंहा...कमियाँ तो मुझमें भी बहुत है पर मैं बेईमान नहीं... मैं सबको अपना मानता हूँ सोचता हूँ फायदा या नुकसान नहीं... एक शौक है शान से जीने का कोई और मुझमें गुमान नहीं... छोड़ दूँ बुरे वक़्त में अपनों का साथ वैसा तो मैं इंसान नहीं...जिंदगी के सफर में इंसान को झूठ भी बोलना पड़ता है और सच में छुपाना पड़ता है,वक्त कभी-कभी लाता है ऐसे मोड़ जिंदगी जीने के लिए हर रास्ता अपनाना पड़ता है...अच्छे और सभ्य इंसान को भला लोग सुकून से एक पल जीने ही कहां देते हैं अक्सर,अच्छे और शांत लोगों को भी अपने हक के लिए कभी-कभी बुरा बन जाना पड़ता है...राज कुमार
जीवन में हमेशा दुखी रहेंगे ये 5 तरह के लोग, कहीं आप तो इसमें शामिल नहीं...
दोस्तो...दुःख और परेशानी सभी के जीवन में आती और जाती रहती हैं. हालाँकि कई बार इंसान के दुःख का कारण वो खुद होता हैं. दुःख असल में आपके दिमाग में उत्पन्न होने वाली एक फीलिंग मात्र हैं. ऐसे में यदि आपके अंदर कुछ खराब आदतें या कमियां होगी तो आप जीवन में हमेशा दुखी ही रहोगे. सुख आपको नसीब नहीं होगा. ऐसे में आज हम आपको उन टाइप्स के लोगो के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनी ख़राब आदतों या सोच के चलते जीवन में हमेशा दुखी ही रहते हैं...
जलन करने वाले...
कई लोगो की लाइफ की सबसे बड़ी समस्यां ये होती हैं कि वो दूसरों को देख हमेशा जलते रहते हैं. फलाने के पास बहुत पैसा हैं, तो वो बहुत सुंदर हैं या करियर में वो टॉप पर हैं इत्यादि चीजें जलन का कारण बनती हैं. लोग दूसरों की तरक्की और ख़ुशी को बर्दास्त नहीं कर पाते हैं. अंदर ही अंदर कुड़कते रहते हैं. भगवान ने उन्हें जो पहले से दिया हैं उसमे संतुष्ट नहीं हैं. उन्हें दूसरों की तरह या उनसे बेहतर बनना हैं. बस यही वजह हैं कि इनकी लाइफ में सुख कम और दुःख ज्यादा होते हैं...
जल्दी हार मानने वाले...
समस्यां एक ऐसी चीज हैं जो हम सभी के जीवन में कभी ना कभी आती जरूर हैं. ऐसे में यदि आप उस प्रॉब्लम से हार मान हाथ पर हाथ धरे बैठे ही रहोगे तो लाइफ में दुखी ज्यादा रहोगे. आपको चाहिए कि आप उस समस्यां की जड़ तक जाए और उसे जल्द से जल्द हल करे. किसी प्रॉब्लम से हार ना माने और ना ही उदासी के दलदल में फंसे...
ज्यादा उम्मीदें रखने वाले...
कुछ लोगो की समस्यां होती हैं कि वो अपनी क्षमता से ज्यादा उम्मीदें लगाए रहते हैं. उन्हें जीवन में जो भी मिल रहा हैं उस से संतुष्टि नहीं होती हैं. इन लोगो को लाइफ में हमेशा बहुत ज्यादा और बड़ा चाहिए होता हैं. ऐसे में ये खुद अपनी उम्मीदों पर खड़ा नहीं उतर पाते हैं और लाइफ में उदास ही रहते हैं...
गुस्से पर काबू ना रखने वाले...
जिन लोगो को बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता हैं और जो हमेशा लड़ाई झगड़े के मूड में ही रहते हैं वे भी जीवन में सुखी नहीं रह सकते हैं. उनके गुस्से वाले व्यवहार की वजह से कोई भी उन्हें दिल से प्यार नहीं करता हैं. ऐसे लोग जीवन में बहुत अकेलापन महसूस करते हैं. यह चीज इन्हें अंदर ही अंदर उदास कर देती हैं...
दूसरों के विचारों का आदर ना करने वाले...
अक्सर लोगो की यही सोच रहती हैं कि पूरी दुनियां उनके बताए रास्ते पर ही चले. वे लाइफ को लेकर जो नियम बनाते हैं दुसरे लोग भी उसका पालन करे. जो लोग हमेशा अपनी इच्छाएं दूसरों पर थोपते हैं वे जीवन में कभी सुखी नहीं रह सकते हैं. यदि आप दुःख अलविदा कहना चाहते हैं तो ‘जियो और जीने दो’ कहावत को अपना ले. दूसरों को अपने हिसाब से जीने दे और उससे खुद अफेक्ट ना हो...
अमिताभ बच्चन कहते हैं...
अपने करियर के चरम पर, मैं एक बार हवाई जहाज से यात्रा कर रहा था। मेरे बगल वाली सीट पे एक साधारण से सज्जन व्यक्ति बैठे थे, जिसने एक साधारण शर्ट और पैंट पहन रखी थी। वह मध्यम वर्ग का लग रहा था, और बेहद शिक्षित दिख रहा था।अन्य यात्री मुझे पहचान रहे थे कि मैं कौन हूँ, लेकिन यह सज्जन मेरी उपस्थिति के प्रति अंजान लग रहे थे ...वह अपना पेपर पढ़ रहे थे, खिड़की से बाहर देख रहे थे, और जब चाय परोसी गई, तो उन्होंने इसे चुपचाप पी लिया । उसके साथ बातचीत करने की कोशिश में मैं उन्हें देख मुस्कुराया। वह आदमी मेरी ओर देख विनम्रता से मुस्कुराया और 'हैलो' कहा। हमारी बातचीत शुरू हुई और मैंने सिनेमा और फिल्मों के विषय को उठाया और पूछा, क्या आप फिल्में देखते हैं? आदमी ने जवाब दिया, ओह बहुत कम। मैंने कई साल पहले एक फिल्म देखा था। मैंने उल्लेख किया कि मैंने फिल्म उद्योग में काम किया है। आदमी ने जवाब दिया,ओह यह अच्छा है। आप क्या करते हैं? मैंने जवाब दिया, 'मैं एक अभिनेता हूं' आदमी ने सिर हिलाया, 'ओह, यह अद्भुत है!' तो यह बात हैं ...जब हम उतरे, तो मैंने हाथ मिलाते हुए कहा, "आपके साथ यात्रा करना अच्छा था। वैसे, मेरा नाम अमिताभ बच्चन है! उस आदमी ने हाथ मिलाते हुए मुस्कुराया, थैंक्यू ... आपसे मिलकर अच्छा लगा..मैं जे आर डी टाटा (टाटा का चेयरमैन) हूं...मैंने उस दिन सीखा कि आप चाहे कितने भी बड़े हो।हमेशा आप से कोई बड़ा होता है...नम्र बनो, इसमें कुछ भी खर्च नहीं है...
जब गुस्सा आए तो विवेक आजमाएं...
जापान के किसी गांव में एक समुराई बूढ़ा योद्धा रहता था। उसके पास कई समुराई युद्धकला सीखने आते थे। एक बार एक विदेशी योद्धा उसे पराजित करने के लिए आया। वह साहसी था। उसके बारे में यहां तक कहा जाता था कि वह जहां भी जाता विजय होकर ही वापस अपने देश लौटता था...जब विदेशी समुराई ने युद्ध करने की इच्छा जताई तो बूढ़े समुराई के शिष्यों ने मुकाबला न करने की प्रार्थना की। लेकिन बूढ़े समुराई ने उनकी नहीं मानीं और नियत समय पर युद्ध शुरू हुआ...विदेशी समुराई, उस बूढ़े समुराई को अपमानित करने लगा। उसने, उन्हें गुस्सा दिलाने के सारे प्रयत्न किए लेकिन घंटों बाद भी उन्हें गुस्सा नहीं आया। यह देखकर विदेशी समुराई ने पैरों से धूल उड़ाकर जमीन पर थूक दिया। इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी बूढ़े समुराई ने कुछ न कहा। अब उस विदेशी योद्धा को अपनी पराजय का अहसास हुआ और वह अपनी हार मानते हुए चला गया...यह देखकर बूढ़े समुराई के शिष्य हैरान थे उन्होंने पूछा, आपका इतना अपमान हुआ फिर भी आप चुप रहे। तब उनके गुरु ने कहा, यदि कोई तुम्हें तोहफा दे और तुम उसे स्वीकार न करो तो वह किसका होगा ?...शिष्यों ने कहा, 'तोहफा देने वालों का ही होगा।' गुरु बोले, 'मैनें भी उसकी गालियों को स्वीकार नहीं किया। तो वह उसके पास ही गईं...संक्षेप में...अमूमन हम व्यवहार में कुछ अप्रिय प्रसंगों का सामना करते हैं। ऐसे में अवाश्यक प्रतिक्रिया से बचकर हम अपनी ऊर्जा और समय को बचा सकते हैं। विवेक के प्रयोग से हम विरोधियों को भी सकारात्मक संदेश दे सकते...
ऐसे लोगों में छिपे होते हैं महानता के बीज...
एक दिन एक निर्धन बालक लकड़ी का गट्ठर लेकर शहर में बेचने आया। उसने लकड़ी के गट्ठर को इस कलात्मक ढंग से बांधा था कि एक सेठजी को पसंद आया। सेठजी ने पूछा, 'बेटा! ये गट्ठर इतने कलात्मक ढंग से किसने बांधा है ?' उस लड़के ने उत्तर दिया, 'जी मैनें।' सेठजी को विश्वास नहीं हुआ उन्होंने कहा, 'क्या तुम इस गट्ठर को खोलकर ऐसे ही बांध सकते हो।बालक ने चेहरे पर भीनी मुस्कान के साथ उत्तर दिया, 'हां-हां क्यों नहीं बिल्कुल।' उस बालक ने गट्ठर को खोला और तुरंत वैसे ही बांध दिया। सेठजी ने उस बालक की एकाग्रचित्तता, लगन, और प्रतिभा का कायल हो गया। उसने उस बालक से कहा, 'बेटा तुम मेरे साथ चलो में तुम्हें शिक्षा दिलवाउंगा। उस लड़के ने कुछ देर सोचा और फिर चलने के लिए तैयार हो गया।सेठजी ने उस लड़के की शिक्षा का प्रबंध किया। वह स्वयं भी उसे पढ़ाते। थोड़े दिन बाद उस लड़के ने कुशाग्र बुद्धि के चलते उच्च शिक्षा हासिल कर ली। बड़ा होने पर यही बालक यूनान के महान दार्शनिक 'पाइथागोरस' के नाम से प्रसिद्ध हुआ। और जो सेठजी जिन्होंने उस बालक की कला और लगन के एक दृष्टि में परखा वो थे यूनान के विख्यात तत्वज्ञानी 'डेमोक्रीट्स' थे...संक्षेप में...जो व्यक्ति छोटा सा कार्य भी पूरी मेहनत के साथ करते हैं, उन्हीं में महानता के बीच छिपे होते...
One messege from my side for you all...समाज में कुछ ऐसी समस्याएं या विषय जिन पर जागरूकता अभियान चलाने की सख्त जरूरत है...
आज समाज में अनेक समस्याएं विद्यमान हैं जो समय समय पर मानव समुदाय को किसी ना किसी रूप में प्रभावित करके उसके वजूद को ही संकट में डाल देती हैं परन्तु सबसे प्रमुख समस्या लोगों में नैतिकता की कमी है जो अनेक समस्याओं का मूल कारण है इसके कारण भ्रष्टाचार धार्मिक उन्माद जैसी अनेक समस्यायें उत्पन्न होती हैं जो समाज में गतशीलता बढ़ाने का एक प्रमुख जरिया बनती दिखाई देती है...समाज में दूसरी प्रमुख समस्याएं अशिक्षा लिंगभेद अधिक जनसंख्या अतार्किक राष्ट्रीयवाद जैसी समास्याएं हैं जिसके कारण आए दिन बेबकसूर लोग शिकार होते रहते हैं जिसकी वजह से समाज में गतिशीलता बढ़ती है परिणामतः समंधित देश की साख पर अंतरराष्टरीय स्तर पर बट्टा लगता है जिससे ऐसे देश के सूचकांकों में गिरावट आ जाती है और लोगों में डर की भावना पैदा होती है...समाज में तीसरी प्रमुख पर्यावरण प्रदूषण समस्या विद्यमान है आज मानव ने बहुत ही उच्च स्तर का विकास कर लिया है मानव अपने विकास में इतना संलग्न हो गया है कि उसने अपने अस्तित्व को ही संकट में डाल लिया है पर्यावरण प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य असमय मृत्यु प्रदूषित हवा पानी जैसी जटिल समस्याएं पैदा होती हैं जो संपूर्ण जीव जंतु समुदाय के लिए असमय मौत का सबब बन बनती हैं...समाज में चौथी प्रमुख समस्या महिलाओं बच्चों बुजुर्गों पर अत्याचार है जिसके कारण समाज शक्तिशाली और कमजोर वर्ग में बंटता दिखाई देता है जिसकी वजह से घरेलू स्तर पर ग्रह क्लेश अकेलापन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं...समाज में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पांचवी प्रमुख समस्या संरक्षणवाद नस्लभेद आतंकवाद जैसी समस्याएं विद्यमान हैं जो मानव समुदाय के अस्तित्व को ही नहीं बल्कि आर्थिक राजनीतिक सामाजिक व्यय को भी बढ़ाती हैं जो व्यय किसी अन्य जरूरी कार्य में खर्च हो सकता था वह व्यय ऐसी समस्याओं से निजात पाने में खर्च हो किया जाता है जिससे अन्य जरूरी कार्य बाधित होते हैं...उपरोक्त कारणों को ध्यान में रखते हुए सरकारों गैर सरकारी संगठनों एनजीओ समाजिक संगठनों और अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों को समय समय पर जागरूकता अभियान चलाने चाहिए स्कूली स्तर पर शिक्षा में सामाजिक और नैतिक शास्त्र जैसी शिक्षा देनी चाहिए जिससे समाज में व्याप्त ऐसी समस्याएं कम की जा सकें...राज कुमार
जैसी भावना वैसी मनोकामना...
एक बार भगवान बुद्ध एक शहर में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने प्रवचन के बाद आखिर में कहा, 'जागो! समय हाथ से निकला जा रहा है।' इस तरह उस दिन की प्रवचन सभा समाप्त हो गई। सभा के बाद तथागत ने अपने शिष्य आनंद से कहा, थोड़ी दूर घूम कर आते हैं। आनंद, भगवान बुद्ध के साथ चल दिए। अभी वे विहार के मुख्य द्वार तक ही पहुंचे ही थे कि एक किनारे रुक कर खड़े हो गये...प्रवचन सुनने आये लोग एबाहर निकल रहे थे, इसलिए भीड़ का माहौल था, लेकिन उसमें से निकल कर एक स्त्री तथागत से मिलने आई। उसने कहा, 'तथागत मैं नर्तकी हूं'। आज नगर के श्रेष्ठी के घर मेरे नृत्य का कार्यक्रम पहले से तय था, लेकिन मैं उसके बारे में भूल चुकी थी। आपने कहा, ' जागो समय निकला जा रहा है तो मुझे तुरंत इस बात की याद आई।'उसके बाद एक डाकू भगवान बुद्ध से मिला उसने कहा, 'तथागत मैं आपसे कोई बात छिपाऊंगा मै भूल गया था कि आज मुझे एक जगह डाका डालने जाना था कि आज उपदेश सुनते ही मुझे अपनी योजना याद आ गई...इस तरह एक बूढ़ा व्यक्ति बुद्ध के पास आया वृद्ध ने कहा, 'तथागत! जिन्दगी भर दुनिया भर की चीजों के पीछे भागता रहा। अब मौत का सामना करने का दिन नजदीक आता जा रहा है, तब मुझे लगता है कि सारी जिन्दगी यूं ही बेकार हो गई। आपकी बातों से आज मेरी आंखें खुल गईं। आज से मैं अपने सारे मोह छोड़कर निर्वाण के लिए कोशिश करूंगा। जब सब लोग चले गए तो भगवान बुद्ध ने कहा, 'आनंद! प्रवचन मैंने एक ही दिया, लेकिन उसका हर किसी ने अलग अलग मतलब निकाला...
संक्षेप में:-कहने का तात्पर्य यह है कि जिसकी जितनी झोली होती है, उतना ही दान वह समेट पाता है। निर्वाण प्राप्ति के लिए भी मन की झोली को उसके लायक होना होता है। इसके लिए मन का शुद्ध होना बहुत जरूरी है। इस प्रेरक प्रसंग में भी ऐसा ही hai...
जब सुख नहीं दे सकते, तो दुख क्यों देते हो...
एक बार गौतम बुद्ध जंगल में आम के पेड़ के नीचे ध्यान मग्न थे। वहां खेल रहे कुछ बच्चों ने पेड़ से आम तोड़ने के लिए पत्थर फेंका, पत्थर तथागत यानी गौतम बुद्ध के सिर पर लग गया। उनके सिर से खून बहने लगा। यह सब कुछ देख बच्चे डर गए। उन्हें लगा कि अब ये मुनि उन्हें भला-बुरा कहेंगे। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। वह बच्चे गौतम बुद्ध के चरणों में नतमस्तक होकर क्षमा याचना करने लगे। उन्हीं में से एक बच्चे ने कहा, 'यह सब कुछ मेरी वजह से हुआ है। मेरी वजह से ही आपके सिर में रक्त की धारा निकल रही है। मुनिवर! मुझे क्षमा करें। यह सुनकर गौतम बुद्ध बोले, 'बच्चों में इस बात से दुःखी नहीं हूं कि मेरे सिर से खून निकल रहा है। बल्कि इसलिए कि, जिस तरह पेड़ को पत्थर मारने पर वह फल देता है, ठीक वैसे ही मुझे पत्थर मारने पर में तुम्हें जब फल नहीं दे सकता तो भय क्यों दूं...संक्षेप में... जब हम किसी को सुख नहीं दे सकें तो हमें दुख भी नहीं देना चाहिए...
दोस्तो जैसी भावना वैसी मनोकामना होता है... हमारी इक्षाओ से बेहतर ईश्वर की योजना होती है। नहीं खाई ठोकरे सफर में तो मंजिल अहमियत कैसे जानगो,अगर नहीं टकराए गलत से तो सही कैसे पहचनोगो...हार एक सबक है जो हमे सुधारने मौका देती है। आजाद रहिये विचारों से, लेकिन बंधे रहिये संस्कारों से... दुनिया को नही अपने आप को बदलो, दुनिया तो अपने आप बदल जायेगी... बुलंद हो होंसला तो मुठी में हर मुकाम है...आपके पास कितना ज्ञान है यह ज्यादा जरूरी नहीं है बल्कि आप किसी लक्ष्य को पाने के लिए कितने एक्टिव है यह ज्यादा जरूरी है| मुश्किले और मुसीबते तो ज़िंदगी में आम है दोस्तो... जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना,सोच पक्की और क़दमों में रफ़्तार रखना,सफलता मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें,बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना... जीवन तो एक जल की भांति है और यह आप पर निर्भर करता है कि आप उसे अपने अच्छे और नेक कर्मो से पवित्र रखना चाहते हैं या फिर बुरे और निकृष्ट कर्म से गंदा रखना चाहते हैं...जिंदगी में हमें हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए, इसके लिए हमें कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, अगर इंसान खुद हार मान कर बैठ जाता है तो उसके जीवन में उजाला आना बहुत मुश्किल हो जाता है,आगे बढ़ने के लिए हमें किसी ना किसी चीज की प्रेरणा चाहिए होती है,आप को प्रेरित करने के लिए... अच्छे कर्मों के साथ लगातार मेहनत करने पर, एक न एक दिन सफलता जरूर मिलती है। आप कब सही थे इसे कोई याद नही रखता...लेकिन आप कब गलत थे...इसे सब याद रखते है...इस लिए अपने किये गए कार्य पर विशेष ध्यान दे...कभी नहीं गिरने से ज्यादा महान काम हर बार गिरकर भी उठने की हिम्मत करना है...राज कुमार
दोस्तो अहंकार भी जरूरी है जब बात अपने अधिकार ,सम्मान और चरित्र की हो तो...पर ध्यान रहे...काबिलियत के घर मे अहंकारों की कदर नही होती...और अहंकारों के आँगन में कभी कामयाबी के फूल नही खिलते...दोस्तो कामयाबी हाथो की लकीरों में नहीं, माथे के पसीने में होती है। विश्वास" में विष भी है आस भी है। ये स्वयं पर निर्भर करता है कि क्या ग्रहण करना है. इतिहास गवाह है संघर्ष के समय कोई नजदीक नहीं आता और सफलता के बाद किसी को आमंत्रित नहीं करना पड़ता...जीवन में उत्साह बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि मनुष्य सकारात्मक चिंतन बनाए रखे और निराशा को हावी न होने दे। कभी – कभी निरंतर मिलने वाली असफलताओं से व्यक्ति यह मान लेता है कि अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर सकता, लेकिन यह पूर्ण सच नहीं है. सकारात्मक सोच ही आदमी को "आदमी" बनाती है....उसे अपनी मंजिल तक ले जाती है. आप हमेशा सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण , स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें...चरित्र एक वृक्ष है और प्रतिष्ठा, यश,सम्मान,उसकी छाया लेकिन विडंबना यह है कि दोस्तों वृक्ष का ध्यान बहुत कम लोग रखते हैं और छाया सबको चाहिए...इंसानियत दिल मे होनी चाहिए हैसियत में नही, क्यूंकि ऊपरवाला कर्म को देखता न कि हमारे वसियत को...अपने आप को very special समझो दोस्तो, क्यूंकि Good कोई भी चीझ फालतू में नही बनता...कर्मवीर बनो, राह स्वयं बनती चली जाएगी। लक्ष्य पर ध्यान रहे। अपने नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को सदैव लेकर ही बढ़ना चाहिए...मन में उतरना और मन से उतरना केवल आपके व्यव्हार पर निर्भर करता है इसे हमेशा बरकरार रखे...दोस्तो खूबी और खामी दोनों ही होती है हर इंसान में जो "तराशता" है उसे ख़ूबी नजर आती है और जो "तलाशता" है उसे खामी नजर आती है...सफलता एक यात्रा है मंजिल नही दोस्तो...
Special line for student's life...
दोस्तो आपलोग जानते हो आजकल के युथ की सबसे बड़ी प्रोब्लम क्या है? जब भी किसी से पूछो की तुम्हारा सपना क्या है? बिना हकीकत जाने बिना दिल की माने वो कुछ भी बोल देते है मुझे UPSC निकालना है,IAS बनना है, IPS बनना है BANK PO बनना है,पायलट बनना है और भी बहुत कुछ...बुरा मत मानना आपलोग...लेकिन अधिकतर स्टूडेंट भेड़ की तरह एक के पीछे एक लगे हुए है।जो आगे वाला इंसान कर रहा है बिना कुछ सोचे समझे उसकी सक्सेस देखकर हम भी उनकी कॉपी करने लग जाते हैं। और बोल देते है मुझे ये करना है, मुझे वो बनना है कहना बहुत आसान है लेकिन जिस तरह से आप अपना कीमती वक्त फालतू चीजो में बर्बाद किये जा रहे हो न उस हिसाब से तुम्हे आज की दुनिया मे बेरोजगारी और पछतावे के अलावा कुछ नही मिलने वाला और है एक बात याद रखना कर दिखो कुछ ऐसा! दुनिया करना चाहे आपके जैसा...If you want something new then try to do something new....यदि आपके अंदर...दम है...ताकत है...शिद्दत है...जुनून है...जज्बा है...जज्बात है...ख्वाब है...ख्यालात है तो...आप कुछ भी पा और कर सकते है... Never stop your learning process....राज कुमार
मुसीबतें हम और हमारा लक्ष्य...
दोस्तो मुसीबतें हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा हैं इन मुसीबतों के बिना हमारे जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है कोई इस बात को समझ लेता है तो कोई पूरी जिंदगी मुसीबतों का रोना रोता रहता है जीवन के हर मोड़ पर इन मुसीबतों से हमारा सामना होता रहता है. अक्सर जब हमारे सामने मुसीबतें आती हैं तो हम इनके सामने पस्त हो जाते हैं अपने को इनके समक्ष समर्पित कर देते हैं उस समय हमें कुछ समझ नहीं आता है कि क्या किया जाए क्या नहीं...हर व्यक्ति का इन मुसीबतों को देखने का अपना अलग नजरिया होता है कोई इनको सीढ़ी बना लेता है तो कोई इनके सामने झुक कर अपना रास्ता बदल लेता है अर्थात ऐसे समय में कुछ लोग टूट जाते हैं तो कुछ इनका मुकाबला करते हुए मंजिल पा जाते हैं...अक्सर हम में से अधिकतर लोग इन मुसीबतों के सामने ढेर हो जाते हैं अपने लक्ष्य को छोड़कर एक भटकाव वाले रास्ते पर चल पड़ते हैं जिसका हमको ना रास्ता मालूम होता है ना अंजाम वही कुछ लोग हंसते हुए इन मुसीबतों का सामना करते हैं और अन्त में इन मुसीबतों पर विजय हासिल करके अपनी मंजिल अपने लक्ष्य की हासिल करके लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत बन जाते हैं...ऐसा ही एक उदाहरण फ्रांस के महान सेनापति नेपोलियन बोनापार्ट का है जिनके जीवन मे असंभव नाम का कोई शब्द नहीं था इतिहास में नेपोलियन को विश्व के सबसे महान और अजेय सेनापतियों में गिना जाता है ऐसा कहा जाता है कि उनके सामने कोई ज्यादा देर तक टिक नही पाता था नेपोलियन बोनापार्ट ने कई जोखिम भरे काम किए हैं....ऐसा कहा जाता है कि एक बार इन्होंने आल्प्स पर्वत को पार करने का ऐलान किया और अपनी सेना को साथ लेकर चल दिए जब वहां पहुंचे तो आल्प्स पर्वत की ऊंची चोटी को देखकर सेना में हलचल की स्थिति पैदा हो गई आल्प्स पर्वत पर चढ़ाई करने के लिए तैयार ही हो रहे थे कि सामने देखा एक बुजुर्ग औरत खड़ी है वह बुजुर्ग औरत नेपोलियन बोनापार्ट के पास आकर बोली कि क्यों मरना चाहते हो आज तक इस पर कोई नही चढ़ पाया है जितने भी आयें हैं सब अपने प्रयास में असफल होकर वापस लौट गए हैं अगर अपनी जिन्दगी की सलामती चाहते हो तो तुम भी वापस लौट जाओ उस औरत की यह बात सुनकर नेपोलियन बोनापार्ट नाराज होने की बजाय और अधिक उत्साहित हो गए और मन में ठान लिया कि आल्प्स पर्वत पर सिर्फ चढ़ना ही नहीं है बल्कि कोई आज तक इस पर चढ़ नही पाया यह मिथिक भी तोड़ना है और तुरंत ही अपनी सेना को आदेश देकर आल्प्स पर्वत पर चढ़ना शुरू कर दिया अंततः नेपोलियन बोनापार्ट ने आल्प्स पर्वत पर चढ़कर विजय हासिल कर ली ऐसा नही हैं कि ये मुसीबतें सिर्फ हमारे या नेपोलियन बोनापार्ट के जीवन में ही आयी हैं हमको ऐसे अनेकों उदाहरण इतिहास और वर्तमान में मिल जायेंगे जिन्होंने अनेकों मुसीबतों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य पर विजय हासिल की है.इन मुसीबतों से हमारे जीवन पर कोई प्रभाव नही पड़ता बल्कि इस बात का प्रभाव पड़ता है कि हम इन मुसीबतों को किस नजरिए से देख रहे हैं हम इनका डटकर मुकाबला कर रहे हैं या इनसे डरकर दूर भाग रहे हैं...एक बात हमेशा याद रखिए जिसने अपने जीवन में जितना अधिक स्ट्रगल किया है वह उतना ही अधिक महान इंसान बना है ऐसे व्यक्ति को इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में जगह मिली है और जिसने इन मुसीबतों से अपने आपको अलग कर लिया है उसका उसके जीवन के खत्म होते ही उसका नाम भी धूमिल हो गया है...
अब बस तभी रुकना हैं जब सफलता हमारे कदमों में हो...
दोस्तो ये आपका फैसला होगा कि आसमान की ऊंचाइयों से खूबसूरत दुनिया को देखते हो या असफलता के चौखट में ही रहकर सिमट जाते हो...क्या आप असफलता की चौखट पर ही अपना दम तोड़ देना चाहते हैं , क्या आप भूल गए कि आप घर से बाहर इसलिए निकले थे ताकि आप अपने सर पर जीत का ताज पहन के घर पहुंचे , क्या आप भूल गए उनके ख्वाहिशों को ,अरमानों को जिन्होंने आपके लिए वर्षों से संजो कर रखे हैं , आखिर हुआ क्या है आपको ,आखिर क्यों आप आज उस तरीके से नहीं लड़ रहे जिस तरीके से आप को लड़ना चाहिए ! क्यों आप उन कसमों से दूर भाग रहे हैं जो आपको जीत दिलाती हैं आखिर क्यों आप एक नादान परिंदे की तरह गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए खामोश बैठे हैं , क्यों अभी तक आपके अंदर का मानव जगा नहीं...दोस्तो बहुत कुछ तो मैं नहीं कहना चाहता पर इतना जरूर बता दूं कि आप वह है जिसके अंदर से ही शख्सियत निकलती है , आप वह है जो कर्मो का तूफ़ान पैदा कर इतिहास बदल सकता है , आप वह है जो लकीर को इतनी लंबी खींच सकता है कि आगे आने वाले वर्षों तक वह सुनहरा बनकर चमकता रहेगा ! वक्त बहुत नहीं है पर वक्त इतना जरूर है कि आप अपने जिंदगी को अपने जीवन को साकार कर जाइए...दोस्तो गौर कीजिए आपने आज तक क्या किया जब आप अपने घर से बाहर निकले थे तो आप की आंखों में कुछ ख्वाब थे , आपके होठों पर कुछ जज्बात थे , आपके चेहरे पर एक चमक थी और आपके कर्मों में एक तूफान था ! आखिर क्यों आप थम सा गए हैं आपकी सिद्दत कहां गई , आपका जुनून कहां गया , ऐसा तो नहीं कि आप जिंदा लाश बन गए हैं ! जनाब याद रखिए दुनिया उन्हीं को याद रखती है जो याद रखने जैसा कुछ कर जाते हैं ! कल का तो मुझे पता नहीं पर आपसे इतना जरूर कहूंगा कि आप इस कदर मेहनत करो की खुद को सुकून मिले ! इतिहास गवाह है इतिहास उन्हीं का लिखा जाता है जो संघर्षों से गुजरते हुए खुद को खुद के लिए खड़ा कर लेते हैं आपके अंदर...दम है...ताकत है...शिद्दत है...जुनून है...जज्बा है...जज्बात है...ख्वाब है...ख्यालात है. याद रखिये आप इंसान हैं जो लड़ सकता है गिर के उठ सकता है जो हार के भी जीत सकता है और जीत के भी जीत सकता है...दोस्तो आपके लिये चंद लाइने...हौंसले हो बुलंद तो हर मुश्किल को आसां बना देंगे , छोटी टहनियों की क्या बिसात, हम बरगद को ही हिला देंगे ! वो और हैं जो बैठ जाते हैं थक कर मंजिल से पहले , हम बुलंद हौंसलों के दम पर आसमां को ही झुका देंगे...हम कैसे हार मान सकते हैं अपनी मंजिल, अपने ख्वाबों से पहले, कैसे भाग सकते हैं अपनी जिम्मेदारियों से किसी के भी प्रति ! बहुत लोगों की उम्मीद की किरण हैं हम, चाहे वो हमारे माता-पिता हो, चाहे हो भाई बहन, चाहे हो रिस्तेदार कोई, चाहे तो हमारा अपना समाज (Society), चाहे हो शहर अपना, हो चाहे हमारा अपना देश. तो दोस्तो पूरी ताकत से जुट जाइये और अब बस तभी रुकना हैं जब सफलता हमारे कदमों में हो ! ऐसी कोई चीज नहीं है, जो हम मेहनत, लगन व आत्मविश्वास से नहीं पा सकते. खुद पर भरोसा कर इंसान अपनी किस्मत खुद बना सकता है...राज कुमार
आखिर कुछ सपने क्यों पूरा नहीं कर पाते हैं...
दोस्तो अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग किसी कार्य को करते तो हैं मगर उस कार्य के प्रति जो लग्न और वह ईमानदारी नजर आनी चाहिए वह नजर नही आती है इसके पीछे वैसे तो अनेक कारण हो सकते हैं जैसे कार्य करने में रुचि नहीं होना कार्य करने में मन का नहीं लगना या जब कार्य शुरू किया तब कार्य योजना अच्छे से नहीं बन पाई अर्थात कार्य का अच्छे से मूल्यांकन नहीं किया गया...एक सबसे ज्यादा और प्रभावी कारण यह भी हो सकता है कि आप जिस कार्य को कर रहे हैं वह कार्य आपके विचारों के मुताबिक नहीं हो आपको ऐसा भी कार्य करना पड़ेगा इस बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं हो...ऐसे ही प्रमुख कार्यों में से एक पढ़ाई भी है जिसको करने में कुछ लोगों का मन नहीं लगता है और इसमें मन लगाने की कोशिश भी नहीं करते हैं क्योंकि यह सपना आपने कभी देखा ही नहीं आपने इसके बारे में कभी सोचा ही नहीं अर्थात कभी मनन तक नही किया...जिस तरह से व्यक्ति दूसरे की पसंद की शर्ट तक पहनना पसंद नहीं करता भले ही वह उसका पसंदीदा रंग था क्योंकि अब यह इसलिए पसंद नहीं है क्योंकि आपकी पसंद पर दूसरे का हस्तक्षेप हो चुका है जब इंसान दूसरे की पसंद के कपड़े भोजन स्थान में रुचि नहीं दिखाता है तो वह भला दूसरे के बताए गए रास्ते या दूसरे के दिखाए गए सपने पर कैसे ईमानदारी और मेहनत से कार्य कर सकता है...ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि हम अपने रिश्तेदारों माता पिता भाई बहिन को प्यार नहीं करते और नही ऐसा है कि हम उनकी बातें नहीं मानते हैं मगर फिर भी हम उनके दिखाए गए रास्ते या सपने पर भला कैसे ईमानदारी और मेहनत से कार्य कर सकते हैं क्योंकि हमको अपने निजी जीवन में कोई हस्तक्षेप पसंद नही है यही वजह है कि कुछ मां बाप के सपने सपने ही रह जाते हैं इस पर बुजुर्गों की एक कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है घर भले ही एक कमरे का हो लेकिन अपना निजी होना चाहिए इसी तरह सपना चाहे छोटा ही हो लेकिन खुद का होना चाहिए क्योंकि व्यक्ति दूसरे के घर को और दूसरों के सपनों को ना ज्यादा देर तक ढो सकता है और नहीं उसकी अच्छे से केयर कर सकता है अगर मां बाप और बच्चों को एक दूसरे के रास्ते या सपने के साथ चलना है या जीना है तो दोनों में से किसी ना किसी को तो अपने रास्ते या सपने के साथ समझौता करना ही पड़ेगा...अगर मां बाप को अपने रास्ते या सपनों को पूरा कराना है तो इसके लिए मां बाप को चाहिए कि वह अपने बच्चे के मनोभावों को समझें उसके अनुसार ही उसे कोई कार्य करने के लिए प्रेरित या संकल्पित करें मां बाप को चाहिए कि अपने बच्चे के मन में नैतिकता इस कद्र भरें कि उनका बच्चा किसी भी परिस्थिति में उनके बताए गए रास्ते या सपने के खिलाफ ना जाए और बच्चों को भी समझना चाहिए कि कोई भी रास्ता या सपना तात्कालिक परिस्थितियों के अनुसार पनपता है इसका पहले से अनुमान लगाना संभव नही है...
Wish you all my dear friends Happy Dipawali a long with wonderful and fantastic wishes...Have a Good night...
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