भरोसा टूटने की आवाज़ नहीं होती...
दोस्त ऐसा नहीं है कि लोगों के पास दिल नहीं रहा,बस दिल से सोचने का वक्त ही नहीं रहा अब किसी के पास... दोस्त प्रेम क्या है?...इम्प्रेशन से शुरू होकर...डिप्रेशन पर खत्म होने वाली मानवीय प्रक्रिया है...जलवे तो बेपनाह थे इस कायनात में दोस्त,ये बात और है कि नजर सिर्फ तुम पर ही ठहरी...जन्म होने पर बटने वाली मिठाई से शुरू हुआ ज़िन्दगी का यह खेल, और श्राद्ध की खीर पर आकर ख़तम हो जाता है...यही जीवन की मिठास है दोस्त...मैं शिकायतकरूँ तो क्यों करूँ, ये तो किस्मत की बात है,तेरी सोच में भी नहीं मैं, और दोस्त तू मुझे लफ्ज़ लफ्ज़ याद है...नजरो का क्या कसुर जो दिल्लगी तुम से हो गई,तुम हो ही इतने प्यारे कि मुहब्बत तुमसे हो गई...तुम तो अपनों के बीच में हमें भूल ही जाते हो दोस्त...लेकिन हम तुम्हे भीड़ में भी याद करते है...I miss you a lot my life...लोग कहते हैं कि आईना सच दिखाता है,हाँ दोस्त यह सच है, मगर पूरा कब दिखाता है...दोस्त नियत साफ, बातें सच्ची और मकसद सही हो तो, यकीनन किसी न किसी रूप में परमात्मा भी हमारी मदद करते है... दोस्त कौन कहता है कि,खामोशियां खामोश होतीं हैं, कभी खामोशियों को, ख़ामोशी से सुनो तो,खामोशियां वो भी कह देतीं हैं जिनको लफ़्ज़ों की तलाश होती है...दोस्त मुझे परवाह नहीं लोग मेरे बारे में क्या कहते है,मेरे रब को पता है मैंने कभी किसीका बुरा नहीं चाहा...भरोसा टूटने की आवाज़ नहीं होती दोस्त,लेकिन गुंज इसकी उम्र भर सुनाई देती है...एक ज़िद हम दोनों को बर्बाद कर गयी दोस्त,तुम्हे हमारा होना नहीं थाऔर हमें तुम्हे खोना नहीं था...दोस्त जब लोग बदल सकते हैं तो किस्मत क्या चीज है, नशीब कभी भी करवट बदल सकती...दिल बहलाने वाले तो हज़ार मिलते दोस्त,लेकिन मुझे तो वो दिल चाहिय था जो मेरे दिल को पसंद है...कितना अच्छा लगता है ना दोस्त जब मोहब्बत में कोई कहे, क्यूँ करते हो किसी और से बात मैं काफी नहीं आपके लिए…नींद भी नीलाम हो जाती हैं दिलों की महफ़िल में दोस्त,किसी को भूल कर सो जाना इतना आसान नहीं होता...ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है,पर सच कहता हूँ दोस्त मुझमे कोई फरेब नहीं है...मैंने हजारों ख्वाबों में देखा है तुम्हे,। मेरी हर एक उम्मीद में पाया है तुम्हें। तुम्हारे चेहरे की हँसी से ही,रंगीन होती जिंदगी मेरी,। आ ले जाऊ तुम्हे वहाँ, जहाँ ख्वाबों से सजी दुनियां हो तेरी।वादा है तुमसे ,हर पल साथ निभाऊंगा,।मत तोड़ना ये बंधन कभी ,वरना यू ही रह जाऊंगा,।यक़ीनन तुम मेरी अंधेरी रात में,चाँद की चाँदनी सी हो,।दिल करता है हर पल तुम्हे गुनगुनाऊँ ,।मानो की तुम मीठी रागिनी सी हो,।सचमुच तुम्हारे होने से ही ,सँवरती है ,जिंदगी मेरी,जो छिपा ख़्वाब था ,मेरे दिल मे,वो उम्मीद बन गया अब तेरी,।अब जिंदगी में खुशियों की महफ़िल सजेगी, ।रिश्तो की नाजुक डोर से,जिंदगी की पतंग उड़ेगी,।बस दिल करता है हर पल,बाहों में भर लू तुम्हे,।खुशनुमा जिंदगी बन जाये तेरी,ये वादा है तुम्हे,।मेने हजारों ख्वाबों में देखा तुम्हे,हर ऊमीद में पाया तुम्हे...राज कुमार
माया और योगमाया में क्या अंतर है?...
सबसे पहले यह समझ लीजिए कि माया और योगमाया यह दोनों भगवान की शक्ति है। जैसा की हम जानते हैं कि शक्ति और शक्तिमान से पृथक नहीं हो सकती। उदाहरण से समझिए आग और आग में जलाने की शक्ति। आग में जलाने की शक्ति होती है। तो आग को अलग कर दो और जलाने की शक्ति बची रहे ऐसा तो हो नहीं सकता। इसी प्रकार माया और योग माया दोनों भगवान की शक्ति है...
योग माया शक्ति क्या है?...
योग माया भगवान की अंतरंग शक्ति है। यह भगवान की अपनी शक्ति है। भगवान के जितने भी कार्य होते हैं वह योग माया से होते हैं। जैसे भगवान जो भी लीला करते हैं वह योग माया के द्वारा करते हैं। भगवान जो कुछ भी सोचते हैं वह योग माया तुरंत उस चीज को कर देती है। जैसे कि आपने सुना होगा कि कृष्ण जब जन्म लिए तो द्वारपा सो गए, द्वार अपने आप खुल गए, यमुना ने मार्ग दे दिया, यह सब योग माया से होता है...
योग माया की पहचान...
जब भी भगवान की कोई चीज या कार्य असंभव हो और वह संभव हो रही है। तो आप समझ लीजिये की यह योग माया के द्वारा हुआ है। जैसे वेदों ने कहा कि भगवान स्वतंत्र हैं वह किसी के अधीन नहीं है। और वह यशोदा मैया के डंडे से डर जाते हैं और उनमें रस्सी से बंध जाते हैं। तो यह सर्वज्ञ भगवान सब कुछ जानने वाला भगवान, सर्वशक्तिमान भगवान, सबको मुक्त करने वाला और मैया के यशोदा के रस्सी से बंध जाते है, और माँ से मुक्त करने की विनती करते है, और वो भी अभिनय में नहीं! वास्तव में, जैसे हम लोग माँ से डरते है, ऐसे ही। यह योग माया के कारण होता है। तो भगवान के जो लीलाएं हैं वह योगमाया से होती हैं। या ऐसा कह दो कि भगवान जो कुछ भी करते हैं, वह सब योग माया के कार्य होते हैं। और केवल भगवान नहीं जितने संत महात्मा हैं, जो सिद्ध हो चुके हैं, जिन महात्माओं ने भगवान की प्राप्ति कर ली है। वह भी योग माया की शक्ति से कार्य करते हैं...
योगमाया कैसे कार्य करती है?...
योग माया की शक्ति कुछ ऐसी है कि कार्य माया के करते हैं, लेकिन उनको माया नहीं लगती। जैसे क्रोध करना यह माया का विकार है दोष है। लेकिन महापुरुष और भगवान भी क्रोध करते हैं, पर वह माया का क्रोध नहीं होता वह योगमाया का क्रोध होता है। देखने में लगता है कि भगवान क्रोध कर रहे हैं चेहरे पर गुस्सा है महापुरुष को क्रोध कर रहे हैं चेहरे पर गुस्सा है। लेकिन वो योग माया से क्रोध करते है और हम लोग कहते हैं कि यह संत भी माया के आधीन है। लेकिन वास्तविकता यह है कि वह योग माया से कार्य कर रहे हैं अर्थात् चेहरे पर क्रोध है लेकिन अंदर कुछ क्रोध नहीं है यह योग माया का विलक्षण बात है...
गोपियों को शंका - कृष्ण अखंड ब्रह्मचारी कैसे?...
आप इस लेख में पहले पढ़ लीजिए। जिसमें गोपियों को शंका होती है कि श्री कृष्ण अखंड ब्रह्मचारी कैसे हैं और दुर्वासा जी ने अपने जीवन में दूब के अलावा कोई स्वाद नहीं लिया है? तो इस प्रश्न का उत्तर श्री कृष्ण देते हैं कि "यह कार्य योग माया से होते हैं, योग माया से माया के कार्य किए जाते हैं। लेकिन वह भगवान और महापुरुष माया से परे रहते हैं।" दुर्वासा जी अनेक प्रकार के व्यंजन खाया हैं, यह माया का कार्य है, सबको दिख रहा है। लेकिन योग माया के कारण उनको यह माया का सामान का स्वाद उन्हें अनुभव नहीं होता। यही कार्य अर्जुन ने किया था, वह सब को मार रहा है दुनिया देख रही है कि हाँ! अर्जुन ने सबको मारा है। लेकिन वास्तव में अर्जुन ने किसी को नहीं मारा है। यह है योग माया के विलक्षणता...
माया क्या है?...
माया भगवान की बहिरंग शक्ति है। माया भी भगवान की ही शक्ति है। लेकिन यह माया जो भगवान से विमुख जीव है या जो जीव भगवान को अपना नहीं मानते या अपना सब कुछ नहीं मानते या जिन जीवो को भगवत्प्राप्ति (भगवान की प्राप्ति) नहीं हुई है। उन पर यह माया हावी रहती है। जिन्होंने भगवान की प्राप्ति कर ली उनसे भगवान माया को हटा देते हैं और उन्हें योग माया की शक्ति दे देते हैं। जिससे वह महात्मा (संत, ऋषि मुनि) माया के कार्य करते हैं लेकिन माया से परे रहते हैं। माया के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़े माया क्या है...
योग माया का स्वरूप...
दुर्गा ,सीता ,काली ,राधा ,लक्ष्मी ,मंगला ,पार्वती का मूर्त रूप है योग माया। और इसी योगमाया से कृष्ण राधा का शरीर है राधा कृष्ण का। इसीलिए राधे श्याम हैं और सीता राम हैं। शंकर के घर भवानी है योगमाया। ये साधारण नारियां नहीं हैं दिव्या हैं। योगमाया के ही अभिनय स्वरूप प्रगट रूप में हैं। अतएव इन नारियों को नारी मत समझियेगा। ये चाहे तो स्त्री के रूप में रहे या पुरुष के रूप में। ये स्वेच्छा से किसी भी रूप को धारण कर सकती है। तो योगमाया को स्त्री का रूप मत समझियेगा। योगमाया भगवान की शक्ति है, ये कोई भी स्वरूप में रह सकती है। योगमाया बिना किसी स्वरूप के भी भगवान और महापुरुष के साथ रहती है। जैसे नारद जी, तुलसीदास, इनके पास कोई स्त्री नहीं है, लेकिन योगमाया की शक्ति है...
मन गलत दिशा में क्यों भागता है?...
यदि मन को साफ़-साफ़ पता ही हो कि कुछ गलत है, तो उधर जाएगा नहीं। मन उधर को ही जाता है जिसके सही होने की हमने उसे गहरी शिक्षा दे रखी होती है। पहले तो इस यकीन को, इस मान्यता को निकाल दें मन से कि मन गलत तरफ की ओर आकर्षित होता है। मन गलत की ओर आकर्षित नहीं होता, मन उधर को ही जाता है जिधर जाने में हमें सुख और आनंद मिलता है। और ये हमने उसे बता रखा है। मन का अपना कुछ होता नहीं। मन तो एक खाली जगह होती है जिसमें वही सब भर जाता है जो तुम भरने देते हो। मन तो लगा लो एक खाली डब्बे की तरह है या एक खाली कंप्यूटर की तरह है। उसमें सॉफ्टवेयर हम डालते है। मन को पूरी ट्रेनिंग भी हम ही देते है। मन में सारे संस्कार, कंडीशनिंग हम खुद ही भरते है। अब दिक्कत ये आती है कि हमीं ने वो संस्कार उसमें भरे, और एक दूसरे मौके पर हम देखते है कि ये संस्कार हमें ही नुकसान पहुंचा रहे हैं। और हम ही कहते भी है कि ये तो गलत दिशा है। यही हम यही सवाल पूछ रहे हो कि मन गलत दिशा में क्यों भागता है। अरे, वो दिशा गलत है ही नहीं। हम ही ने तो उसे सिखाया है ऐसा...
कभी टूट कर बिखरो तो मेरे पास आजाना...
दोस्त हुस्ने इश्क़ बेहद आसन है हर किसी के लिए,पर रूहे वफ़ा हो तो जिस्म की कोई कदर नही होती...दोस्त चल तो पड़े थे मोहब्बत की आशियाने की ओर, पर पता न था कि पता बताने वाले पहचानने से इंकार कर देंगे,नशीब कुछ इस कदर हुए, बाज़ार ए वफ़ा में हम आज, बोली लगाने वाले भी वो ही थे जो कभी झोली फैला कर माँगा करते थे दोस्त...ख्त्म कर दी थी जिन्दगी की हर खुशियाँ तुम पर,कभी फुर्सत मिले तो सोचना दोस्त मोहब्बत किसने की थी...उमर बीत रही पर एक जरा सी बात समझ में नहीं आई,हो जाए जिनसे मुहब्बत वो लोग कदर क्यूं नहीं करते दोस्त...बडी बरकत है यार तेरे इश्क मे,जब से हुआ है कोई दूसरा दर्द ही नही होता दोस्त...बात-बात में हर बात में,तेरी बात का आ जाना,अच्छा लगता है यूँ तेरा दिलो-दिमाग पे छा जाना दोस्त...छोटी - छोटी खुशियां ही तो जीने का सहारा बनती है,इच्छाओं का क्या वो तो पल - पल बदलती है न दोस्त..कुछ रिश्तो में इन्सान अच्छा लगता है दोस्त,और कुछ इन्सानो से रिश्ता अच्छा लगता है...जिंदगी में दो व्यक्ति जीवन को नयी दिशा दे जाते हैं दोस्त एक वह जो मौका देता है, दूसरा वह जो धोखा देता है...दिल मे ग़ुस्सा इतना है के तुझसे बात तक न करुं,फिर भी दिल में तेरी फ़िक्र कम्बख़त ख़ुद से ज़्यादा है दोस्त...तुम मेरे हो ऐसी हम जिद नही करेंगे,मगर हम तुम्हारे ही रहेंगे ये तो हम हक से कहेंगे... ये सच है कि आँखे बंद करने से मुसीबत नहीं टलती दोस्त, पर ये भी हकीकत है न मुसीबत आए बिना आँखे भी तो नहीं खुलती...दिल पे हरगिज़ ना लीजिए अगर कोई बुरा कहे, इस पूरे कायनात में ऐसा कोई है ही नहीं जिसे हर शख्स अच्छा कहे दोस्त...वक़्त बड़ा धारदार होता है दोस्त, कट तो जाता है मगर बहुत कुछ काटने के बाद...कभी टूट कर बिखरो तो मेरे पास आजाना,मुझे अपने जैसे लोग बहुत अच्छे लगते है दोस्त...दोस्त रोशनी के इंतज़ार में पता नही कब अँधेरे से मोहब्बत हो गई मुझे...किस्मत अपनी अपनी है किसको क्या सौगात मिले,किसी को खाली सीप मिले तो दोस्त किसी को मोतीयो की सौगात मिले...ए मोहब्बत तुझे पाने की कोई राह नहीं,तू तो उसे ही मिलेगी जिसे तेरी परवाह नहीं…गम कहने में बड़ा कम लगता है,पर दोस्त,सहने में बड़ा दम लगता है...मेरी उदासियाँ तुम्हें कैसे नज़र आएंगी दोस्त, तुम्हारे देखने के खातिर हम मुस्कुराने लगते हैं...किसी की मजबूरी का मजाक ना बनाओ दोस्त,ज़िन्दगी कभी मौका देती है तो कभी धोखा भी देती है...शिकवे तो सभी को है जिंदगी से दोस्त,पर जो मौज में जीना जानते है वो शिकायत नहीं करते..अचानक चलते- चलते पीछे मुड़कर देखा तो, दोस्तकुछ यादें मुस्कुरा रही थीं,कुछ रिश्ते दम तोड़ रहे थे...यूं तो जिंदगी में आवाज देने वाले ढेरों मिल जाते हैं दोस्त,लेकिन हम ठहरे वहीं थे जहां अपनेपन का अहसास नहीं था,जो लोग अपनी ज़िन्दगी में खुद से ज्यादा दूसरो की फिकर करते हैं,अक्सर उन्हीं की ज़िंदगी में उनकी फिकर करने वाला कोई नहीं होता दोस्त...वक़्त के भी कैसे अज़ीब किस्से हैं दोस्त,मेरा कटता नहीँ और तुम्हारे पास होता नही...लिखकर लाया था कोरे क़ागज पर परेशानियां, लेकिन दोस्त तुमने जहाज़ बनाकर उड़ाना सिखा दिया...ना जाने कितनी कहीं अनकही बातें साथ ले जाएंगे, लोग झूठ कहते हैं कीं., खाली हाथ आए थे., खाली हाथ जाएंगे...Raj
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