Be carefully ...always life has no chancs/options...
तू चाह कर भी अहसास को नहीं पा सकी पर तेरी चाहत का अहसास मेरे पास आज तक है...मै हैरान हु उनकी नाराजी को देख कर और ओ नादान नाराज होगये मेरे हैरानगी पर...
जब ज्ञान की बृद्धि होती है ठीक उसी समय अहंकार विवेक में स्थान प्राप्त कर लेता है...या जगह बना लेता है...ज्ञान की आदर करो ...अहंकारों को इज्जत देना छोड़ दो मेरे दोस्त...
जो नहीं हो सकता उसे करने का प्रयास और परीश्रम ही मेरा संकल्प है...
अनुसासन से व्यव्हार, व्यव्हार से आचरण,आचरण से संस्कार, संस्कार से समाज, समाज से चरित्र और चरित्र के प्रकाश से ये प्रतीत होता है की आपका सभाव और समाज कैसा है...
शुभ प्रातः मेरे प्यारे दोस्तों...आप सभी का दिन अति आनदंमय हो...
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