हम खुश हरदम रहते है पर मुस्कान तुम्हारी अच्छी हैं...
अकड होती तो कब का टूट गया होता,मैं था नाज़ुक डाली जो सबके आगे झुकता रहा,बदले यहाँ लोगों ने रंग अपने-अपने ढंग से,रंग मेरा भी निखरा पर मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा दोस्त...हम तुमसे बेहतर लिखते हैं पर जज्बात तुम्हारे अच्छे हैं,हम खुश हरदम रहते है पर मुस्कान तुम्हारी अच्छी हैं,हम अपने उसूलों पर चलते हैं पर ज़िद तुम्हारी अच्छी हैं दोस्त...चार पन्नों में लिखी है मैंने जिंदगी की किताब मेरी,तेरी यादें,तेरे ख्याल,तेरे ख्वाब और जुदाई तेरी दोस्त...तुम्हारी थी,तुम्हारी हु,एंड इन future,तुम्हारी ही रहूंगी,पता नही क्यों और कैसे किसी और की हो गईं दोस्त...अब उसे डूबने का कोई मलाल कैसा, जब नाव भी अपनी, दरिया भी अपना, लहरें भी अपने हो दोस्त...इश्क उन्हें ही गुनाह लगता है,जिनके जज्बातों में मिलावट होती है दोस्त...ये जिन्दगी, ये रिश्ते, ये मोहब्बत, ये आरजू ऐ, ये ख्वाब,फल तो ज़हरीले हैं लेकिन जायका लाजवाब है दोस्त...धोखा कभी मरता नहीं दोस्त, आज हम लोगो को दोगे कल वही लोग हमें देंगे दोस्त... एक "मोहब्बत" का टीका भी बनाया जाये HOD ऑफ WHO,जो सिर्फ नफ़रत फैलाने वालों को ही लगाया जाये... मैं कोई छोटी सी कहानी नहीं था दोस्त ,बस पन्ने ही जल्दी पलट दिए तुमने...जिसको आज मुझमे हजारो गलतिया नजर आती हैं, कभी उसी ने कहा था तुम जैसे भी हो मेरे हो दोस्त...फरेबी भी हूँ, ज़िद्दी भी हूँ और पत्थर दिल भी हूँ, क्योंकि मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते-करते दोस्त... उसने मेरे से पूछा क्या चाहिऐ मुझसे,मैंने भी मुस्कुरा के कहाँ वो मुलाकात जिसके बाद कभी बिछडना ना पडे दोस्त...तुम दिल मे रहो इतना ही बहुत है,अब ये दिल मुलाकात की इजाजत नही देता दोस्त...गरीब बाँट लेते है ईमानदारी से अपना हिस्सा,अमीरी अक्सर इंसान को बेईमान बना देती है दोस्त...ज़िन्दगी सब्र के अलावा कुछ भी नही है,राज हर शख्स को यहां खुशियों का इंतज़ार करते देखा है दोस्त...जिंदगी बोझ तो नहीं,जाने क्यों फिर भी थका दिया इसने दोस्त...राज
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