Sunday, July 12, 2020

Daasnta Dil ki Del Se

Daasnta Dil ki Del Se By Raj Sir


सुन मेरी परी...ये संच है की गुलाब न हो तो चमन की रौनक में कमी आ जाती है...लेकिन मेरे दोस्त...हकीकत ये भी है न... किसी एक फूल के मुरझाने से गुलशन की बहार नहीं जाती...क्या बता है दोस्त...सुना की आज कल तेरे ख़ामोशी की राज हर कोई जानने की चाहत कर रहा है...कही तूने अपने आशियाने की सितारे तो नहीं बदल दी...या आधुरी खाइसो से परेसान है...तेरी हर एक बेहतरीन अंदाज से बेहतर मेरा हर एक पल होगा...तू रह बेसक महलो में मेरे दोस्त...मेरे लिए तो...मेरे बंजारे ही सही...पर मुझे सकूँ तो है अपनी वफाई पे...वैसे खुशिया तो बहुत है मेरे इस जिंदगी में...my heart...पर अफ़सोस इस बात का हमेसा रहता है...की तू खुश होकर भी खुशियो के काबिल न बन सकी...मै जनता हू मेरे दोस्त...गुफ्तगू तू भी तू करती है अपनी यादो से...पर गम इस बात का करती है...की मै इसे किसी से share तक नहीं कर सकती...चाहे अपने हो या गैर...एक बात और दोस्त मुबारक हो तुम्हें...तुम्हारी उजालो से भरी आशियाना...मेरे सितारे को चमकने और जगमगाने के वास्ते अंधरे की जरुरत है न की उजालो की दोस्त...क्या बताऊ मेरे अजीज...लोग निभाने की इक्षा नहीं करते वरना...मेरे दोस्त इंसानियत से बढ़ के न ही कोई रिश्ता होता है और न ही धर्म....दोस्त इस दुनिया को तब तक कोई बात समझ में नहीं आती...जब तक की स्वम के ऊपर न गुजरे...और जब गुजरता है न...तो ये दुनिया वो चीझ सिख जाती जिसे पूरी कायनात मिल कर भी नहीं सीखा सकती...सुन मेरी जिंदगी...मेरी जुबां मेरी बर्बादी का जायजा...और अपनी स्वार्थ भरी दांस्ता...वाकई तेरी सादगी और मासूमियत भरी वेवफाई  लाजबाब है...पर मेरे दोस्त मेरी दुहाई और दुआ उससे कही अधिक बेहतरीन है...मै मानता हूँ... मै तेरे काबिल नहीं था...पर मेरे दोस्त...अब मेरे पास जो काबिलियत है...सायद तेरी हैसियत और वेसियत दोनों मिल जाय...उसके वजूद भी...तुम्हे हासिल नहीं हो सकता...ये संच है my wish की हम सुबह और साम...गम और तन्हाइयो को पीते है...मगर मेरे दोस्त...एक हम ही नहीं पिने वाले...इस दौर से गुजरने वाले लोग तमाम पीते है...चल छोड़ जाने भी दे...पर ये तो बता...तेरी स्वार्थ जिंदगी की माजरा क्या...मैं अच्छी तरह इस बात को जनता हूँ...की...तू भी भटकती अपनी तन्हाइयो के आलम...पर मेरे दोस्त एक बात हमेसा याद रहे...वो लोग कभी खुस नहीं रहते...जो दूसरे के जिंदगी के आशियानों में आग लगाते है...शत प्रतिसत संच की हमने अपनी  चाहत को किसी और की खोइस पूरा करने के लिए sacrifice कर दी...पर तू खुद तो देख अपनी सपनो की दुनिया को...क्या तू खुश है किसी की तम्मना को तमाम कर के...सुन और एक बात मोहबतो के दुनया के आशिक...जिंदगी में एक ही जिंदगी जीते है...पहली अपनी जिंदगी जो तू थी...और दूसरी जिंदगी...वो दुसरो को ख़ुशी दिलाने/खुश रखने के वास्ते...बहुत दुःख और गम होता है उन लोगो को मेरे दोस्त...जो आँखों में आशु होने के वावजूद भी होंटो पे मुस्कान रखते है...ठीक है रिश्ते नये पुरान होते है...पर दोस्ती की दस्तक कभी बदला नहीं करते...तूने तो अपनों के चकर में मेरे अपनों का दिल तोड़ दिया...आज की संचाई तो देख तेरे अपने ही तेरे काबिल नहीं रहे...मेरी हुनर और काबिलियत पे शक मत करना मेरे दोस्त...मै अपने आप को उस subject से तैयार किया है...जिसे हर एक University,college or school में नहीं पढ़ाया जाता...या seminar or Institute में नहीं बताया जाता...दोस्त जो दुसरो के लिए जीते है उनके जीवन जीने का अंदाज ही लाजबाब और झंकास होता है...ये वो लोग होते है जिन्होंने अपने लिए कभी जिया है नहीं पर...मेरे दोस्त इन लोगो के जीवन में किसी भी चीझ की कमी नहीं होती है...चाहे वो हुस्न या हुनर...हैसियत हो या वेसियत...उसने मुझे से एक बार पूछा था की तुम मेरे ख़ुशी के लिए क्या-क्या कर सकते हों...सीधा जबाब था मेरा तुम्हे भी छोड़ सकता हू...वो नराज होकर अकड़ गए...आज की हकीकत तो देखो यारो...वो खूश है रकीबो के आशियाने में...तमन्नाये तो थी की जिंदगी के गम को तेरे उल्फत के आशियानों से दूर किया जाय...कमबखत तू तो इतनी खुदगर्ज निकली की सारी तसबर और तमन्ना एक क्षण में ही तमाम कर दी...ये कह कर की वो रिश्ता किसी काम का नहीं होता जो आगे तक जाने में बाधित करे...वो शमा की महफ़िल ही क्या...जिसमे दिल खाक ना हो...मज़ा तो तब है चाहत का ...जब दिल तो जले...पर राख ना हो...कभी कभी हाथ छुड़ाने की ज़रूरत नहीं होती...लोग साथ रह कर भी बिछड़ जाते है...दोस्त...टूटे तो जरूर है  इश्क में पर इसका मुझे कोई गम नहीं है...क्यूंकि एक समय था की उनके जिंदगी के सितारे मेरे खुशियो के अंधेरो से चमकते और जगमगाते थे...एक दूसरे के दर्मियो का एहसास खीच लाती है दोस्त...वर्ना युही हम और तुम यादो के आंधियो में नहीं भटकते...यंहा वँहा...इधर उधर खूबसूरत चेहरे तो अनगिनत मिले मेरे दोस्त...पर उन लाजबाब चेहरे में वो बादल नजर नहीं आये जिनके बरसात के बौछार से मेरे इस दिल की प्यास बुझ सके...माना की तू ही है हँसी से भी हँसी...पर मेरे दोस्त तुम्हे तो ये भी पता था न की...होगा न मुझ सा दूजा कोई...दिललगी जिंदगी के हर एक रुख पे होती रहती है पर मेरे दोस्त...खुसनसीब होते है वो लोग जिनका दिल किसी के दिल को देखते ही दिलनिसार हो जाए...बहुत तमन्नाओ से तरासा था तेरे सादगी भरी मासूमियत सी चहरे को...पर तुमने तो उसे किसी और  को तोहफा के तौर पे सोप दिया मेरे दोस्त...एक समय था जब पैगाम तेरे नाम के आते थे...और आज हैरान है जिंदगी...तेरे जिंदगी की हलातो के अंजाम को देख कर...दुआओ में तो खुदा से एक ही इलतिजा रहती है की तू खुस रह...पर थोडा तू भी अपने कर्मो का हिसाब किताब कर लिया कर...मुझे गम नहीं की तुमने मुझे छोड़ दिया...पर मेरे दोस्त...इस बात का अफ़सोस जिंदगी भर रहेगा की मुझे छोड़ कर दूसरे को क्यूँ पकड़ लिया... 

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