मैं युवाओं से कहना चाहता हूँ
मित्रों, इस आध्यात्मिक प्रस्तुति से मैं युवाओं से कहना चाहता हूँ कि भक्ति के साथ कर्मयोग करें, आपकी सफलता पक्की हैं, भक्ति का मतलब यह नहीं है कि माला लेकर बैंठ जाय, बल्कि भगवद्गीता में तो कर्म को ही योग से जोड़ दिया हैं, कर्म यानी कार्य तो करना ही पड़ेगा, लेकिन कार्य के साथ धर्म को रखकर करेंगे तो कार्य एक योग हुआ, हम नोकरी करे तो पूजा के तुल्य, धंधा करे तो धर्म का पुट हो, हमने गीता में पढ़ा है कि धन्धे में मुनाफा छुपाना पड़ता, कभी-कभी धंधे में थोड़ा-बहुत झूठ चलता है, लेकिन फरेब और गलत कार्यों की इजाजत नहीं हैं, यही धर्म के साथ किया हुआ कर्म आज के युवाओं के लिये भक्ति हैं।
आज के युवाओं को मन में विश्वास बैठा लेना चाहिये कि हम सफलता के लिये ही पैदा हुये हैं और सफलता प्राप्त करके ही रहेंगे, मनमस्तिष्क में जैसा हम सोच लेते हैं वैसे ही हम बन जाते हैं, सफलता प्राप्त करने के लिए हमें सकारात्मक सोचना चाहिये और स्वयं को महत्व देते हुये खुद को मूल्यवान समझना चाहिये, इस तरह का विश्वास करने वालों को ही सफलता मिलती है, सफल लोगों में ही आत्मविश्वास व आत्मसम्मान होता है, जो उन्हें अपने भीतर की शक्तियों का आभास कराता है, सफल लोग बाकी लोगों की अपेक्षा अपना स्वयं का आत्मसम्मान करते हैं, आशावादी व खुशमिजाज रहते हैं, बुरी खबर या बुरे दिनों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते।
आत्मसम्मान से ही आत्मविश्वास उत्पन्न होता है, किसी विषय पर निर्णय लेने में स्वयं पर भरोसा करके उसके बारे में अच्छा सोचना जरुरी हैं, भक्ति के साथ कर्म करने वाले को अगर असफलता भी मिली तो उस असफलता पर निराश नहीं होते, बल्कि दुगुनी शक्ति के साथ वही कार्य व्यवस्थित तरीके से करने पर सफलता अवश्य मिलती हैं, क्योंकि असफलता से आत्मविश्वास की कमी होने लगती है इसमें बदलाव की कुंजी हमारे मस्तिष्क के अंदर है, हम अपनी इच्छा शक्ति के द्वारा ही अपने सोचने के तरीकों को बदल सकते हैं, नकारात्मक विचार को हटाकर इच्छा शक्ति को प्रबल बनाया जा सकता है, क्योंकि इच्छा शक्ति नकारात्मक विचारों पर हावी होती है।
हमें अपनी असफलता के लिये किसी ओर को या प्रतिकूल परिस्थितियों का बहाना नहीं देना चाहिये, बल्कि असफलता पर पलटवार करने और सफलता हासिल करने का आत्मबल हमारे अन्दर हैं, जिसके कारण सामने वाला विरोधी व्यक्ति आपको मार्ग से हिला नहीं सकता, अपने आप पर भरोसा अपने कार्यों के द्वारा दिखाई देगा, जो यह साबित करता है कि हम कितने विश्वास से भरे हुये हैं, हम अपने आप को जैसा सोचते हैं वैसा ही ढालिये, हमारा आत्मविश्वास ही ईश्वर प्रदत्त वास्तविक स्वरूप है, हमारे जीवन की घटनायें हमारे सकारात्मक नजरिये और आत्मसम्मान को बताती है, ये घटनायें हमें प्रोत्साहित भी कर सकती है और निरूत्साहित भी, सुखी भी और दुखी भी, लक्ष्य तक पहुँचने के लिये प्रतिकूल परिस्थियों का डटकर मुकाबला करना चाहिये।
ऐसा तभी होगा जब हम नकारात्मक विचारों को निकालकर, असफलता को परे कर, संकल्प, समर्पण व कठिन मेहनत से लक्ष्य भेदे, हमें अपनी निराशा जनक व मित्रहीन स्थिति से उबरकर आत्मसुधार करना चाहिये, क्योंकि हमारे अंदर छिपी हुई रहस्यमयी शक्ति होती है , जिसके आह्वान पर अजेय बाधाओं को जीत सकते हैं, समर्पण भाव से कोशिश करे, स्वयं से प्रेम करे, भरोसा रखें, सकारात्मक सोच को लायें, अपने आप को प्रोत्साहित करें, आत्मसम्मान बनायें रखें, हमें अपने आप को भी प्रेरित करते रहना चाहिये, ताकि जिससे अवचेतन मन में जङे मजबूत बन जायें।
भाईब-बहनों! यह जीवन आत्मसम्मान से जीवन के अंतिम क्षण तक चलने वाली प्रक्रिया है जो युवावस्था में आगे धकेलता है, प्रौढावस्था में सबलता प्रदान करता है और आने वाले वर्षों में नवीनता प्रदान करता है, इसलिये हमें नकारात्मक, निराशा, असफलता के शब्दों की जगह सकारात्मक, आशावादी शब्दों को बोये और सृजन करे, विजयी शब्द ही सोचें, प्रोत्साहन के शब्दों को जोडे, उत्साह के शब्द ही प्रयुक्त करें, प्रेम के शब्दों का प्रयोग करे, आत्मप्रताङना को स्थान नहीं दें, कूल मिलाकर स्थितियाँ कैसी भी हो आत्मविश्वास डगमगाना नहीं चाहिये, इसी संदेश के साथ आज के शुभदिवस की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनायें।
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