Monday, May 3, 2021

तरस इन आँखों की,तड़प इस दिल की...

Some special line for my life... सुनो जिसकी फितरत हुई बगावत करना,हमने उस दिल पे हुक़ूमत की है न दोस्त...तरस इन आँखों की,तड़प इस दिल की, बेबसी और जलन इस जिंदगी की तुमसे superior or कोई नही समझ सकता दोस्त...लगता है मैं भूल चुका हूँ मुस्कुराने का वो हुनर,कोशिश अब जब भी करता हूँ आँसू निकल आते हैं दोस्त...बड़े शौक से बनाया तुमने मेरे दिल मे अपना घर,जब रहने की बारी आई तो तुमने ठिकाना बदल दिया दोस्त...चुभता है बहुत कुछ मुझे में भी तीर की तरह,पर अफसोस कि खामोश रहता हूं मैं भी अपनी तकदीर की तरह दोस्त...इक रेंत का सेहरा हूँ मैं और बारिश की फ़िज़ा है तु,आधा लिखा एक खत हूँ मैं और उस खत का पता है तु दोस्त...तुम्हारे बाद हमने किसी और को चाहा ही नहीं, ज़रा सी तो उम्र है किस किस को आजमाते फिरते दोस्त...मोहब्बत की शतरंज में वो सक्स बड़ा चालक निकला दोस्त,दिल को मोहरा बना कर हमसे हमारी जिन्दगी छीन ली...हम चाय पीकर कुल्हड़ भी नहीं तोड़ पाते,दिल तो खैर बहुत दूर की बात हैं दोस्त...इश्क़ और कोरोना दोनों एक ही समान हैं दोस्त,जब तक खुद को ना हो जाये साभी को मज़ाक ही लगत है...दोस्त माना कि मरता नहीं कोई जुदाई में,लेकिन जी भी तो नहीं पाता है कोई तन्हाई में...हर दर्द का इलाज़ मिलता था जिस बाज़ार में, पर जब मुहब्बत का नाम लिया तो सभी दवाख़ाने बन्द हो गये दोस्त...कभी ना कभी वो मेरे बारे में सोंचती जरूर होगी दोस्त,कि हासिल होने की उम्मीद ना थी फिर भी ‪‎मोहब्बत कोई बेपनाह करता था…दर्द बनकर ही रह जाते मेरे साथ दोस्त,सुना है दर्द बहुत वक़्त तक साथ रहता है...आदते बुरी नहीं और न ही शौक ऊँचे हैं,वर्ना किसी ख्वाब की इतनी औकात नही की राज देखे और पुरा ना हो दोस्त...राज

दिल की फरमाइश दिल से किसी दिल के लिए...

दिल की फरमाइश दिल से किसी दिल के लिए... दोस्त तुम्हारे हिज़्र ने क्या हाल कर दिया मेरा,मैं भी कभी अपने शहर की सबसे लाजबाब लड़का था...तुम्हारा मेरे पास होना एक कल्पना है दोस्त, और फिर भी मैं इस हक़ीक़त से खुश हूँ...कुछ इकठ्ठा भी उन्हीं के पास होता है जो बाँटना जानते हैं,फिर चाहे भोजन हो,प्यार हो या सम्मान दोस्त...अब ना कोई शिकवा, ना गिला, ना मलाल रहा,सितम तेरे भी बे-हिसाब रहे,सब्र मेरा भी कमाल रहा दोस्त...खुल जाता है तेरी यादों का बाजार सुबह सुबह,और हम उसी रौनक में पूरा दिन गुजार देते है दोस्त,मुस्कुराये तू वजह बनूँ मैं हमेशा,बस इतना ही चाहिए थी ज़िंदगी तुझसे दोस्त...मेरे अधूरे ख़्वाब की ताबीर थी तुम,सिर्फ मेरी,सिर्फ मेरी ही जागीर थी तुम दोस्त...बस जाते हैं दिल में इज़ाजत लिये बगैर वो लोग दोस्त,जिन्हें हम जिंदगी भर पा नहीं सकते...युं तो गलत नही होते अंदाज चहेरों के दोस्त,लेकिन लोग वैसे भी नहीं होते जैसे नजर आते है...गलत लोगों की जीत उसी समय तय हो जाती है,जब सही लोग चुप हो जाते हैं...रिश्तों का न होना इतनी तकलीफ नही देता दोस्त,जितना रिश्तों को होते हुए एहसास का मर जाना तकलीफ देता है...मोहब्बत का कोई इरादा तो नही था दोस्त, ऐ दिलनशीं देखी जो तेरी अदा तो नीयत बदल गई...आज आयी जो बारिश तो याद आया वो जमाना दोस्त,तेरा छत पे रहना और मेरा सड़कों पर नहाना...जिनके जाने से जान जाती थी,मैंने उन्हें भी जिंदगी से जाते देखा है दोस्त...ज़रूरी तो नहीं जो शायरी करे उसे इश्क़ ही हो,ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख़्म बे-मिसाल देती है दोस्त...शायर भी अजीब तरह से इश्क फरमाते है,आंसुओ को दावत पर बुलाते है और दर्द का जश्न मनाते है दोस्त...बहुत ही आसान है,ज़मीं पर मकान बना लेना,दिल में जगह बनाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है दोस्त...तेरी आँखों में उमड़ता इश्क़ क्या देखा हमने,दिल दरिया बनकर तेरी मोहब्बत में बह गया दोस्त...गुमराह कर जाते हैं कुछ लोग इस्तेमाल करके,वरना मोहब्बत का दूसरा नाम ख़ुदा है दोस्त...एक नज़र एक झलक और पल भर का दीदार तेरा,बस इतना सा ही तो है, जिसे दुनिया इश्क कहती है दोस्त...क्या दस्तखत दूँ अपने वजूद का दोस्त,किसी के ज़हन में आऊं और वो मुस्कुरा दे बस वही काफी है...खुशियाँ बहुत है मेरे दायरे मे,पर सच मे मुकम्मल तुम्हारे ख्याल से होती हैं दोस्त...उसी रिश्ते की उम्र लम्बी होती है दोस्त,जहां लोग एक दूसरे को समझते है पर परखते नही...बातों की मिठास अन्दर का भेद नहीं खोलती दोस्त,मोर को देखकर कौन कहता है कि यह साँप खाता होगा...तलाश में हूँ उसके मगर अब तक नाकाम हूँ,खुद मे 'खुदा' ढूंढना भी गजब की 'इबादत' है दोस्त...अकड और अभिमान एक मानसिक बिमारी है दोस्त,जिसका इलाज समय औऱ कुदरत जरूर करता है...सबसे खतरनाक वायरस तेरी यादों का है दोस्त,ना Delete कर पाते है और ना ही Remove कर सकते है...बातों बातों में कभी कुछ ऐसी बातें हो जाती है दोस्त,कि फिर कभी बातें होती ही नहीं दोस्त...वो शख़्स आखरी सच था मेरी कहानी का,फिर उसके बाद का किस्सा फ़क़त कहानी है दोस्त...तुम जीते हो मुझ में, शायद इसलिए हम मरते है तुझ पे Dost...राज What is Life?... Life is a puzzle, do it. Life is a door, open it. Life is a dream, realize it. Life is a challenge, meet it. Life is a duty, complete it. Life is a game, play it. Life is a promise, fulfill it. Life is a sorrow, overcome it. Life is a song, sing it. Life is a struggle, accept it. Life is a tragedy, confront it. Life is an adventure, dare it. Life is an opportunity , make it. Life is a lock, unlock it. Life is a book, read it. Life is a drama, play it. Life is a gift, open it. Life is a rose, smell it. Life is a scenery, watch it. Life is a story, develop it. Life is a novel, realize it. Life is a smile, give it. Life is a train, get on it. Life is very precious, do not destroy it. Life is a candle, light it up. Life is a shadow, follow it. Life is a rainbow, look at it. Life is life, fight for it. Life is not fair, accept it. Life is full of beauties, admire it. Life is the sunshine energy, just receive it. *Life is life, take it easy.*...

दिल की आरजू से Or जिंदिगी की तम्मना तक...

दिल की आरजू से Or जिंदिगी की तम्मना तक... दोस्त प्यार में फायदा नही कायदा होनी चाहिए,सूचना नहीं समझ होनी चाहिए,भय नहीं भरोसा होना चाहिए,आग्रह नहीं आदर होना चाहिए,सम्पर्क नहीं सम्बंध होना चाहिये,अर्पण नहीं समर्पण होना चाहिए...पहली मोहब्बत ना बन पाये तो मलाल ना करना दोस्त,किसी की आखिरी मोहब्बत बनकर बस कमाल कर देना...जिम्मेदारीयों की क्या खूब खूबी है,ये अब हमें कभी बिगड़ने नहीं देगी दोस्त...विधाता ने "प्रेम" के साथ रची दो रचनाएं, उन्हें एक नाम दिया वेदना तो दूसरा वियोग है दोस्त...जो ना मिली वो बेहतरिन थी जिंदिगी ,पर जो मिला वो बदतर से कम नही है दोस्त...जिन्दगी वो नहीं जिसे हम पाते है ,जिन्दगी वो है जिसे हम बनाते दोस्त...माना के कभी कभी हम देर से आते हैं पर जब भी आते हैं,चाहतों से लबरेज़ लफ़्ज़ों की बरसात साथ लाते है...ख्याल उन्ही के आते है जिनसे दिल का रिश्ता होता है,हर शख्स अपना हो जाए सवाल ही पैदा नहीं होता दोस्त...इश्क़ है या इबादत अब कुछ समझ नही आता, एक खूबसूरत ख्याल हो तुम जो दिल से नही जाता दोस्त...सोने से पहले मेरी आखरी सोच हो तुम,और उठने के बाद मेरी पहली सोच हो तुम दोस्त...लोग बदलते हैं हालात बदलते हैं, प्रेम करने वाले बदलते हैं मगर प्रेम कभी नहीं बदलता दोस्त...सिर्फ किसी को पा लेना प्यार नही कहलाता, प्यार तो किसी के दिल में जगह बनाने को कहते है दोस्त...किसी को चाहकर छोड़ देना तो आसान है, लेकिन किसी को छोड़कर भी चाहो तो पता चलेगा मोहब्बत किसे कहते है दोस्त...दुनिया मे पैर भिगोये बिना समुद्र तो पर किया जा सकता है , पर आँखे भिगोये बिना प्यार नही किया जा सकता दोस्त...प्यार कभी खत्म नहीं होता दोस्त, ये तो ईश्वर का दिया हुआ अनमोल नजराना है खत्म होती है तो एक दूसरे की चाहत...Love is composed of a single soul inhabiting two bodies.Love is an endless act of forgiveness.अच्छा लगता था जब मेरे बिना कुछ कहे,बस मुझे देख कर.. तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी दोस्त…सफर ए मोहब्बत भी बहोत कमाल रहा हमारा,महबूब बनने निकले थे बेवकूफ बनकर लौटे हैं दोस्त... हम तो खुली हुई किताब थें दोस्त,पर अफ़सोस अनपढ के हाथ थे...किसी से दिल लग जाने को मोहब्बत नहीं कहते ,जिसके बिना दिल ना लगे उसे मोहब्बत कहते है दोस्त...राज

सच बोलने से रिश्ते टूट जाते है...

Some special line for my special wish... भावनाएँ ही तो है जो दूर रहकर भी अपनों की नज़दीकियों का अहसास कराती है दोस्त,वर्ना दूरी तो दोनों आँखों के बीच भी होती है...हथेलियां तो मिल गयीं थीं हमारी दोस्त, बस लकीरों के ना मिलने का मलाल रह गया...कुछ अजीब है ये दुनिया यहाँ झूठ से नहीं दोस्त, सच बोलने से रिश्ते टूट जाते है...दोस्त काश तू सुन पाती खामोश सिसकियां मेरी,आवाज़ करके रोना तो मुझे आज भी नहीं आता...दोस्त मोहब्बत थी तुमसे इसलिए नजर अंदाज नहीं किया कभी,वरना बेरुखी तु‌मसे कहीं बेहतर जानते थे हम...रिश्तों का न होना इतनी तकलीफ नही देता दोस्त ,जितना रिश्तों को होते हुए एहसास का मर जाना तकलीफ देता है...नजरें तलाशती हैं जिसको वो प्यारा सा ख्वाब हो तुम दोस्त, मिलती तो हैं दुनिया सारी पर ना मिलकर भी लाजवाब हो तुम... इश्क़ भी चाहते हो और सुकून भी चाहते हो, ग़ज़ब करते हो दोस्त तुम भी,अमावस की रात में चाँद चाहते हो...हम तुम एक दूसरे के बिना कुछ नहीं हैं दोस्त,शायद यही हमारी रिश्तों की बेहतरीन खूबसूरती है...दिल में है उसी की चाहत और होठो पे बस उसी का नाम है, वो वफ़ा करे या ना करे जिंदगी अब उसी के नाम है दोस्त...राज

अकेली रात बोलती बहुत है दोस्त...

अकेली रात बोलती बहुत है दोस्त, पर सुन वही सकता है जो खुद भी अकेला हो...अकेले जीना भी आ ही जाता है दोस्त,जब मालूम होता है अब साथ चलने वाला कोई नहीं...दोस्त कुछ तकलीफें हमारा इम्तेहान लेने नहीं बल्कि,हमसे जुड़े लोगों की पहचान करवाने भी आती हैं...दोस्त ये व्यक्तित्व की ही गरिमा हैं कि फूल कुछ नहीं कहते,वरना कभी कांटों को मसलकर दिखाय कोई...राहत और चाहत में बस फर्क है इतना,राहत बस तुमसे थी और चाहत सिर्फ तुम्हारी...मुझे तेरा साथ जिंदगीभर नहीं चाहिये था,बल्कि जब तक तु साथ है तब तक जिंदगी चाहिये था दोस्त...अपनी जिंदगी का खेल शतरंज से भी मज़ेदार निकला दोस्त,राज हारा भी तो अपनी हीं रानी से...देख कर इंसान पहचानने की कला थी मुझमें,तकलीफ़ तो तब हुई जब इन्सानों के पास चेहरे बहुत थे दोस्त...हजारों महफिलें है,लाखों मेले है पर,जहाँ तुम नहीं वहाँ हम अकेले हैदोस्त ...दोस्त आंखों की दहलीज पे आके सपना बोला आंसू से,घर तो आखिर घर होता है तुम रह लो या मैं रह लूं...ये इश्क़ की नगरी भी क्या नगरी है दोस्त, यहाँ दिल मिलते भी हैं और दिल खो भी जाता है...गलतियाँ हम दोनों से हुई दोस्त,तुमने मुझे पड़ाव समझा और मैंने तुम्हें आपनी मंज़िल...संबंधों की कुल पांच सीढ़ियां हैं! देखना, अच्छा लगना, चाहना और पाना...यह चार बहुत सरल सीढ़ियां हैं सबसे कठिन पांचवीं सीढ़ी है निभाना दोस्त...some स्पेशल line...उल्फत बदल गई, कभी नियत बदल गई,खुदगर्ज जब हुए तो फिर सीरत बदल गई,अपना कुसूर दूसरों के सर पर डाल कर,कुछ लोग सोचते हैं हकीकत बदल गई दोस्त...छोंड़ गए हमको वो अकेले ही राहों में,चल दिए रहने वो गैर की पनाहों में,शायद मेरी चाहत उन्हें रास नहीं आयी,तभी तो सिमट गए वो औरों की बाँहों में दोस्त...राज

भूले बिसरे यादों के कुछ यादगार लम्हे...

भूले बिसरे यादों के कुछ यादगार लम्हे... खिलाफ कितने लोग हैं क्या फर्क पड़ता हैं दोस्त,साथ जिनका है वो लाजवाब हैं...मोहब्त भी हमने कुछ अजीब ढ़ंग से की दोस्त,दौर जिस्मो का था और हम दिल मांग बैठे थे...जमाना वफादार नहीं तो फिर क्या हुआ दोस्त,धोखेबाज भी तो हमेशा अपने ही होते है...मैं तुमको सिखाना चाहता था कि प्रेम कैसे किया जाता है दोस्त,पर तुमने मुझे सीखा दिया की प्रेम नहीं करना चाहिए...चाहत का क्या किसी को भी चाह ले दोस्त,मसला मुहब्बत का है जो सिर्फ एक से होती है...सोच रहा हूँ की मुझे वफ़ा करने पर ऐसी सज़ा मिल रही है दोस्त,तो उस बेवफ़ा का क्या होगा जिसने मुझे मिट्टी में मिलाया है...दोस्त रिस्तो को `निभाने` के लिए,कभी `अंधा` कभी `गूँगा` और कभी `बहरा` होना ही पड़ता है...एक चाहत होती है अपनी पसंद के इंसान के साथ जीने की,वरना पता तो सबको है दोस्त कि मरना अकेले ही है...यादें बनकर जो तुम साथ रहते हो मेरे,तेरे इस अहसान का भी सौ बार शुक्रिया दोस्त...ऐसा क्या लिखूँ की तेरे दिल को तस्सली हो जाए दोस्त,क्या ये बताना काफी नहीं की मेरी हर खुशी थी तुम...बहुत खुशनसीब होते हैं वो लोग दोस्त,जिनका प्यार उनकी क़दर भी करता है और परवाह भी...सौ चिराग भी रौशन क्यू न कर लूँ मैं,फिर भी अधूरी है मेरी हर शाम सिर्फ तेरे बग़ैर दोस्त...एक बात कहू ए बेवफा बुरा तो नहीं मानोगे,बड़ी ही मौज के दिन थे तेरी पहचान से पहले दोस्त...बदल दिया है मुझे मेरे चाहने वालों ने ही दोस्त,वरना मुझ जैसे शख्स में इतनी खामोशी कहाँ थी...समंदर से मिलने का फितूर,अक्सर लोगो को प्यासा ही मार देता है दोस्त...दोस्त बैठे रहे इक उम्र तेरे दर पे मगर हम,टूटी हुई दीवार से अंदर नहीं आये...जो मोहब्बत पर खूब लिखते हैं,वो मोहब्बत करना छोड़ चुके होते हैं Dost...कुछ एहसास सहे जाते है दोस्त लिखे नहीँ जाते...दिल सुकून चाहता है,जो tere बग़ैर कदापि मुमकिन नहीं दोस्त...मोहब्बत सरेआम नहीं बस एहसास होना चाहिए,हम उन्हें चाहते हैं यह पता सिर्फ उन्हें होना चाहिए दोस्त...राज मोहब्बत Or duaa ke sartaj se badhker koi dusra signhasan nhi hi is dunya me दोस्तो... Najariya, niyat, Or niyam wo darpan hi jiske antargat sabkuchh saf-saf najar aata... Some Special Line... मुस्कराना पड़ा गम छुपाना पड़ा रोते - रोते सनम गीत गाना पड़ा लब हिले थे शरारत नहीं थी कोई ज़ब्त जज़्बात कर मुस्कराना पड़ा शाम होते परिंदे आशियाँ को चले घर के रस्ते में मगर, मैखाना पड़ा लौ शम्मा की मचलती रही देर तक बुझ ना जाये कहीं लौट आना पड़ा अजनबी था कोई, छू के गायब हुआ घाव दिल को मगर गहरा खाना पड़ा लोग उंगली उठा दें ना उन पर, Dost उठके उनकी गली से ही जाना पड़ा... Dost अगर एहसास बयां हो जाते लफ्जों से,तो फिर कौन करता तारीफ खामोशियों की...नींद भी नीलाम हो जाती हैं दिलों की महफ़िल में,किसी को भूल कर सो जाना इतना आसान नहीं होता Dost...किसी से दिल लग जाने को मोहब्बत नहीं कहते, किसी के बग़ैर दिल न लगे उसे मोहब्बत कहते हैं Dost...बहुत ढूंढा Tumhe पूजा, श्लोक और स्तुति में Dost,अंत में ईश्वर मिला स्नेह, सेवा और सहानुभूति में... Raj

टूटे खोहइसो के बिखरे जज्बात...

टूटे खोहइसो के बिखरे जज्बात... सिर्फ टूटे हुए लोग जानते है दोस्त,की टूटने का दर्द क्या होता हैं...मसला कोई तीसरा था दोस्त,और बिछड़ हम दोनों गए... जो तोड़ा सा भी किसी और का है,वो मुझे जरा सा भी नही चाहिए दोस्त...हाथ छोड़े बगैर साथ छोड़ा है तुमने,राज ने जिंदिगी की ज़ुदाई कुछ ऐसी भी देखी है दोस्त...झूठे हैं वो जो कहते हैं हम सब मिट्टी से बने हैं,मैं कई अपनों से वाकिफ़ हूँ जो पत्थर के बने हैं दोस्त...जिसके नसीब में धूप का सफर हो न दोस्त,उन्हें शामें भी अनदेखा कर देती है...नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं,कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता दोस्त...तेरी मोहब्बत से लेकर तेरे अलविदा कहने तक,सिर्फ तुझ को चाहा है दोस्त तुझसे कुछ नहीं चाहा…ज़िन्दगी की कसौटी से हर रिश्ता गुज़र गया,कुछ निकले खरे सोने के कुछ का पानी उतर गया दोस्त...मेरें क़दमों में पूरी कायनात भी रख दी गई थी, तब भी मैं तुम्हारी यादों का सौदा नहीं किया दोस्त...लोगों में और हम में सिर्फ इतना फर्क है दोस्त,लोग दिल को दर्द देते हैं और हम दर्द देने वाले को दिल दे बैठे थे...उजाले में हर असलियत कहां नज़र आती है दोस्त,अंधेरा ही बता सकता है कि सितारा कौन है...सुकून- ऐ- दिल के लिए कभी हाल तो पूँछ ही लिया करो दोस्त,मालूम तो हमें भी है कि हम तुम्हारे कुछ नहीं लगते...तेरी मोहब्बत से ज्यादा तेरी इज़्ज़त मुझे अज़ीज़ है दोस्त,तेरे किरदार पे बात आई तो राज भी अजनबी बन गया... सुलगते हुए अंगारों को भी हैरत में डाल सकती है,हमारी आँखों की पुतलियों में इतना पानी है दोस्त...सच्चे प्रेम की कोई परिभाषा नहीं होती ,प्रेम बस वही है जहाँ कोई आशा नही होती दोस्त...बुरा नही हूँ मैं अपनी भी कुछ कहानी है,ये जो बदला-बदला सा हूँ न दोस्त बस अपनो की ही मेहरबानी है...दुनिया में सबसे आसान काम है विश्वास खोना दोस्त,और सबसे अधिक कठिन काम है विश्वास बनाए रखना...राज

बचपन की यादो के कुछ सुलघते सौगात...

बचपन की यादो के कुछ सुलघते सौगात... बेफिक्र सी सुबह और गुनगुनाहट सी शामों, क्या खूब थी दोस्त अपनी बच्चपन की सौगाते...दोस्त अब तुझे न सोचू तो जिस्म टूटने सा लगता है,एक वक़्त गुजरा है तेरे नाम का नशा करते करते...ऐसे बीमार की दवा क्या है दोस्त,जो बताता ही नहीं की हुआ क्या है...किसी को न पाने से ज़िन्दगी खत्म नहीं होती,लेकिन किसी को पाकर खो देने से कुछ बाकी भी नहीं रहता दोस्त...रात का अंधेरा पूछ रहा है हमसे दोस्त,कहां गए वो रात भर बात करने वाले अपने...दिल में घाव सा कर जाती हैं उनकी निगाहें दोस्त,मुड़ मुड़ के देखने वाले जब देख कर मुड़ जाते हैं...तेरे सिवा ख़्वाब में भी कोई दिखाई ना दे,इस तरह अपने आंखों को मैने तेरा ग़ुलाम कर रखा है दोस्त...पता नहीं किस मिट्टी की बनीं हैं ये तमन्नाएं दोस्त,मरतीं हैं तड़पतीं हैं फ़िर भी रोज़ जन्म लेती हैं...दोस्त जरूरी नहीं हर ताल्लुक मोहब्बत का ही हो,कुछ रिश्ते इश़्क से ऊँचा मुकाम रखते हैं...जज्बातो में बहकर खुद को किसी के अधीन मत करना दोस्त, वैसे ही खुदा और खुद के अलावा किसी पर यकीन मत करना...थोड़ी बुराइयां भी शामिल किया करो अपनी शख्सियत में दोस्त, क्यूंकी शरीफ़ लोग अक्सर शक के दायरे में रहते हैं...ना हुस्न पे परदा मांगा ना नज़रो में हया मांगी दोस्त,हमने सौदा-ए-मौहब्बत में बस तुमसे दुुुआ और वफा मांगी...पहले रिश्तों का दूसरा नाम प्यार था आज रिश्तों का दूसरा नाम पैसा है दोस्त,पैसा है तो प्यार है और पैसा है तो रिश्ता है...तीर चुभने से भी ज्यादा दर्द होता है दोस्त,जब कोई सबसे करीबी इंसान चुभती बात कह देता है...थक जाते हैं हाथ मुहब्बत लिखते लिखते,बड़ी सस्ती हो गई दोस्त मुहब्बत बिकते बिकते...वो मुझसे पूछती है की ख्वाब किस-किस के देखते हो,बेखबर जानती ही नहीं की यादे उसकी सोने कहाँ देती हैं दोस्त...रोकने की कोशिश तो बहुत की पलकों ने दोस्त, मगर,इश्क में पागल थे आँसू ख़ुदकुशी करते चले गए...कभी-कभी यूं ही चले आया करो दिल की दहलीज पर दोस्त,अच्छा लगता है यूँ तन्हाइयों में तुम्हारा दस्तक देना...राज

तड़पती तन्हाइयो की तमाम तमन्नाये...

दोस्तो उम्र की दहलीज पर जब सांझ की आहट होती हैं,तब ख्वाहिशें थम जाती हैं और सुकून की तलाश होती हैं। कुछ चंद लाइन जिन्दगी को समझने के वास्ते... कुछ दबी हुई ख़्वाहिशें है, कुछ मंद मुस्कुराहटें.. कुछ खोए हुए सपने है, कुछ अनसुनी आहटें.. कुछ सुकून भरी यादें हैं, कुछ दर्द भरे लम्he.. कुछ थमें हुए तूफ़ाँ हैं, कुछ मद्धम सी बरसात.. कुछ अनकहे अल्फ़ाज़ हैं, कुछ नासमझ इशारे.. कुछ ऐसे मंझधार हैं, जिनके मिलते नहीं किनारे.. कुछ उलझनें है राहों में, कुछ कोशिशें बेहिसाब.. बस इसी का नाम ज़िन्दगी है चलते रहिये दोस्तो...राज तड़पती तन्हाइयो की तमाम तमन्नाये... जुदाई और तन्हाई से ज्यादा जान लेवा,मोहब्बत में मोहब्बत की कमी है दोस्त...प्रेम अगर पाईथोगोरस प्रमेय सा कुछ होता,तब दूरियां भी ज्ञात होती और प्रेम का आधार भी दोस्त...कुछ तो बिखरा बिखरा सा है दोस्त,ख्वाब, ख्वाहिश या तेरा मेरा मन...अपना ग़म मैंने आसमां को क्या बता दिया दोस्त,प्यार के पूरे शहर ने बारिश का मज़ा ले लिया...जिन जख्मो से खून नहीं निकलता समझ लेना दोस्त,वो ज़ख्म किसी खाश अपने ने ही दिया है...ख्वाहिश हुई आज खुद को पढ़ने की,पन्ने दर पन्ने पलटते रहे बस तुम ही तुम दिखती रही दोस्त...कई हादसों ने मिटा दिए मेरे जिस्म के कई हिस्से दोस्त,अफ़सोस मेरे बेपनाह हौसले से हादसे भी हार गए...तू मेरे बिना ही खुश है तो शिकायत कैसी दोस्त,अब तुझे खुश भी ना देखू तो राज की मोहब्बत कैसी...जिन्हें तुम मिले वो तुम्हें समझ ही न सके दोस्त,और यहां हमने तुम्हें दिल के जर्रे-जर्रे में लिख रखा है...हमारी बुज़दिली मशहूर है ज़माने में दोस्त, हम बदला नहीं लेते ये हक ख़ुदा पर छोड़ देते हैं...हालत ए हाल के सबब हालात ए हाल ही रही दोस्त,प्यार के शौक़ में कुछ न गया सिर्फ शौक़ ए ज़िंदगी ही चली गयी...खामोश रहने वालो का अपना ही मजा है दोस्त, क्यूंकि नीव के पत्थर कभी बोला नही करते...दोस्त कौन कहता है कि धड़कनें बस सीने में होती हैं,मैं लिखूं तुम्हें तो मेरी उँगलियाँ भी धड़कती है...दोस्त मैं हँसता हूँ तो सिर्फ़ अपने दर्द को छुपाने के लिए,लोग देख कर कहते हैंकाश हम भी इसके जैसे होते...खामोशियां कभी बेवजह नहीं होती साहब दोस्त,कुछ दर्द ऐसे होते हैं जो आवाज छीन लेते है...किसी को हराना बहुत आसान होता है दोस्त,पर किसी के लिए हार जाना बहुत मुश्किल...रूह की आवाज और खामोशी का संगीत, इससे खूबसूरत कोई अजान और कोई इबादत नहीं दोस्त...दोस्त तुम्हें क्या लिखूँ दोस्त लिखूँ,हमदम लिखूँ, हमदर्द लिखूँ, गमसार लिखूँ, हमशफर या फिर हमराज लिखूँ...राज

रात की बेवशी जज्बातो के जरिय...

रात की बेवशी जज्बातो के जरिय... देख दोस्त क्या हैशियत इस सख्शियत सिर्फ तेरा बिना... एक सेर तो बनता है ना दोस्त केवल तेरे वास्ते...बेसक राज की राधा जुदा है उसके जिंदगी के आँगन से, but जिस आँगन की तुलशी है तू उसके प्रेम की पुजारी सिर्फ राज है न दोस्त...चल छोड़ न दोस्त...आज गाने के तहत बात करते है... एक दूसरे के बारे में...इश्क़ है जिंदगी, जिंदगी प्यार है, मेरे दर्दे दिल की दवा सिर्फ मेरा दिलदार है... टूटे है इश्क़ हम पर कोई गम नही,मेरे ही थे कभी तुम ये भी तो कम नही दोस्त...माना की होगा न तेरे जैसा कोई हसीन इस जंहा में,पर होगा न कोई तेरे लिए मेरे जैसा इस जंहा में दोस्त...मौत के कगार पे हु तो क्या हुआ दोस्त, इस मौत के मददगार तो सिर्फ मेरे प्यार की मंजिल ही है न दोस्त...क्या कहु अब दोस्त तुम्हे इस जिंदगी के अंतिम मोर पे,बस दिल की ये आवाज है बेवफा हो,बेकदर हो,बेरहम हो,बेदर्द हो तुम...इस तस्बीर को देख अनदेखा मत करना दोस्त,क्योंकि जब से तू उजालो की शौक रखने लगी तब से राज को अंधेरे से मोहब्बत हो गई...तू तो आज बेमिसाल है अपनी जिंदिगी मे दोस्त,लेकिन मेरी मिसाल तो देख तेरे बिना कुछ भी नही...किसी की जिंदगी से टाइम पास नही करना चाहिए न दोस्त,क्या पता किसी टाइम पास ही किसी की जिंदगी को पास आउट कर दे...गलती तो सिर्फ तुम्हारी थी दोस्त, पर अलग होने के बाद आज हम दोनों रोते हुए रात गुजार रहे है...ये किसी फिल्म की नगमा नही है दोस्त, ये हकीकत हैं उn दो जवा दिलो की जो जुदा होक भी एक रहते...आगे और कुछ लिखू की रहने दु...बस last one स्पेशल for यु...एक प्यार का नगमा है, मौजो की रवानी है,जिंदगी और कूछ भी नही दोस्त बस तेरी मेरी कहानी है... राज

एक दिल की कसक दूसरे दिल की अक्स तक...

एक दिल की कसक दूसरे दिल की अक्स तक... तेरे गलियों में रह गुजर जाऊ, तेरे शहरो में रह बसर जाऊ बस इतनी सी थी मेरे दिल की आरजू दोस्त...लक डाउन,कर्फ्यू, या धारा 144 मोहब्बत में इनकी कोई मायने नही दोस्त,तेरी यादों की कशिश और तनहाईया ये सब संविधानिक धाराऐ कँहा मानती हैं ...जिसे सजने और सवरने की दिल दुआ देता रहा,पता नही कैसे उसी ने मुझे बिखरने और उजड़ने की बददुआ दे बैठा दोस्त...हम तो हर पल तुम्हें देखने की ख्वाहिश रखते हैं दोस्त,पर क्या करूँ तेरी दिल की तम्मन्ना और चाहत किसी की थीं...रिश्तों की बुनियाद में जीवन सफ़र चलता रहा,उलझनों का बोझ लेकर भी आलोचनाएं सह गए दोस्त...मतलबी जमाना है नफरतो का कहर है,ये दुनिया दिखती शहद है पर पिलाती ज़हर है दोस्त...प्रेम केवल अनुभूति ही नही बल्कि प्रेम ख़ुश्बू और खुशियों से भरी विभूति भी है दोस्त...पलकों से पानी गिर रहा हो तो उसको गिरने देना दोस्त, क्या पता कोई पुरानी तमन्ना अंदर ही अंदर पिघल रही हो...यही सोचकर छोड़ दी मैंने ज़िद्द मोहब्बत की,अश्क़ तेरे गिरे या मेरे रोएगी तो हमारी मोहब्बत ही न दोस्त...एक हक ही न नही हैं हमरा तुम पे,पर इश्क़ तो बेसुमार तुम्हे राज आज भी करता है दोस्त...क्या बताऊँ तुझे कि ये मोहब्बत कितनी गहरी है,तुम बस इतना समझ लो की इसे समझना तुम्हारे बस की बात नही है दोस्त...तन को स्पर्श करने वाले लाखो मिल जायेंगे,जो मन को स्पर्श कर ले शायद वही पवित्र प्रेम है दोस्त...राज

अरमानो की गुलशन के बिखरे बाहरो की परछाईंया...

कुछ स्पेशल लाइन आप सभी के वास्ते...Covid 9 स्पेशल Request to आल ऑफ You... हवाओं में कुछ हलचल है,थोड़े समझदार हो जाइए...तूफान आने का अंदेशा है,थोड़े खबरदार हो जाइए...बुझ ना जाए बेवक्त कहीं, जलते चराग़ इन हवाओं से,इल्तिज़ा है सबसे यही कि, थोड़े होशियार हो जाइए...हरने आई ये बंद हवाएं,चैन ओ सुकून जिंदगी का,सब कुछ छोड़ के पहले, ख़ुद के पहरेदार हो जाइए...उड़ने लगी रंगत देखो, इन कायनाती फिज़ाओं की,कैद कर के ख़ुद को अब, घर में गुलज़ार हो जाइए...अजब है ये जंग जिंदगी की, जीत ना सकते दौड़ के,ठहर के अपने मुक़ाम पे, जीत के दावेदार हो जाइए...दोस्तों... राज बड़े से बड़े दौर गुजरे हैं जिंदगी के यह दौर भी गुजर जायेगा,थाम लो अपने पांव को घरों में ये मंज़र भी थम जाएगा दोस्तों...🙏 Stay Home,Stay Safe🙏... अरमानो की गुलशन के बिखरे बाहरो की परछाईंया... शायद अपने अरमानो के भी गुल खिल गए होते दोस्त,पर क्या करू राज जिस गुलशन का गुलज़ार था वो फिजा ही बेवफा निकली...यादो की झिलमिलाती और साथ बीते लम्हो की परछाइया,जब याद आते है न दोस्त तब इंसान तो जिंदा रहता लेकिन जीने लायक नही...हमको जिसकी तलाश है वो आश थी तुम, पर क्या करू दोस्त तुम भी मुझे उदास और निराश कर के छोड़ दिया...तलाशी ले लो निगाहों की मेरी ख़ताओं का पता चला जाएगा दोस्त,बस एक तेरी तस्वीर छुपाई है मैंने उसके सिवा तुम्हें कुछ भी न मिलगा...तुमसे बात करने के लिए मैंने पुख्ता इंतजाम किए हैं दोस्त,ख्वाब,ख्याल और तसव्वुर सब तुम्हारे नाम किए हैं...मुझे शौहरto ने सौ बार नही कई बार इशारे किये दोस्त,पर मैं क्या करता उन हसरतो को लेके जिस में तू शामिल न हो...तेरी चाहत तो मेरी मुकद्दर को बेसक नही मिली दोस्त,पर सच मे एक सुकून जरूर मिलता है तुझे अपना सोच कर...तेरी कश्ती तेरा दरिया तेरा ही मझधार सही दोस्त,तुझसे जीते तो क्या जीते तुझसे जंग तो मेरे लिए हार सही...मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल मेरा तेरे बिना,कभी बात करने की हसरत to कभी देखने की तमन्ना दोस्त...ये बेख्याली ये सूनापन ये बेसबब उदासियाँ,शायद यही हैं उल्फत के राहो पे चलने का अंजाम दोस्त...दोस्त अब खुशी कहा हम तो गम चाहते है, खुदा खुशीयो के आंचल सदा रखे उसे जिसे हरदम चाहते है...दो पल का चैन फिर उम्र भर की बेकरारी है,हमे कहाँ मालुम था तुम्हारी मुहब्बत जानलेवा बीमारी है...दोस्त अगर तुम्हें यकीन नहीं तो कहने को कुछ नहीं मेरे पास,अगर तुम्हें यकीन हैं तो मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं...डायरी अब कुछ पुरानी सी हो गयी है,मगर उन ग़ज़लों से लिपटी यादें अब भी ताज़ी है दोस्त...प्यार कैसे करते हैं ये राधा-कृष्ण ने सिखाया है,दोनों ने खुद को खोकर एक-दूसरे को पाया है दोस्त...राज

बहुत कुछ याद आता है बस तेरी एक याद आने से...

कॅरोना के कहर और कोहराम से बचने का उपाय... कुछ चंद लाइनों के जरिये... गुज़र रही है ज़िन्दगी ऐसे मुकाम से,अपने भी दूर हो जाते हैं ज़रा से ज़ुकाम से...तमाम क़ायनात में "एक क़ातिल बीमारी" की हवा हो गई,वक़्त ने कैसा सितम ढा़या कि "दूरियाँ" ही ''दवा'' हो गई...आज सलामत रहे तो कल की सहर देखेंगे,आज पहरे में रहे तो कल का पहर देखेंगें...सासों के चलने के लिए कदमों का रुकना ज़रूरी है,घरों मेँ बंद रहना दोस्तों हालात की मजबूरी है...अब भी न संभले तो बहुत पछताएंगे,सूखे पत्तों की तरह हालात की आंधी में बिखर जाएंगे...यह जंग मेरी या तेरी नहीं हम सब की है,इस की जीत या हार भी हम सब की है...अपने लिए नहीं अपनों के लिए जीना है,यह जुदाई का ज़हर दोस्तों घूंट घूंट पीना है...आज महफूज़ रहे तो कल मिल के खिलखिलाएँगे,गले भी मिलेंगे और हाथ भी मिलाएंगे... घर पे रहीये सुरक्षित रहीये...राज बहुत कुछ याद आता है बस तेरी एक याद आने से... हम तो खैरियत से है आपने धुंधली सी शहर में दोस्त,तू अपने शहर में अपनी हिफाजत रखना इस क़हरे दौर का...कभी यादे, कभी बाते, कभी पिछली मुलाकाते,बहुत कुछ याद आता है बस तेरी एक याद आने से दोस्त...लोगो की बात करने का तरीके बया कर देते हैं, की रिश्तों में गहराई कितनी है औऱ अपनापन कितना है दोस्त...अच्छे चेहरे की इम्प्रेशन तो बस कुछ टाइम के लिए है न दोस्त, परंतु एक अच्छे सोंच औऱ एक अच्छा मन जीवन भर के लिए रहता है...ज्यादा कुछ नही बदलता उम्र के साथ दोस्त,बस बचपन की जिद समझवतो में बदल जाती है...समुन्द्र के बीच पहुंच कर फरेब क्या तुमने दोस्त,तुम कहते तो सही हम किनारे पर ही डूब जाते...कँहा मिला कोई इस जिंदिगी में समझने वाला, जो भी मिला वो समझा के चला गया दोस्त...बहुत मुश्किल होता है उस सक्स को भूल पाना, जिससे प्यार भी बेशुमार हो और नफरत भी बेहिसाब हो दोस्त...प्रेम तो सिर्फ प्रेम ही होता है,यदि वो वजह है फिर तो वो पसंद बन जाता है दोस्त...बीते कुछ सालों की लम्हो को जरा संभाल कर रखना ए दोस्त, हम याद तो आएंगे पर अब वापस कभी लौट कर नही आएंगे...अफ़सोस तो है तुम्हरे दिल के बादल जाने का,मगर तुम्हारी कुछ प्यार भरे बोल अकेले जीना सीखा दिया दोस्त...तुम्हारी और हमारी रात बस यही फर्क है दोस्त, तू सो कर गुजरती है और हम रो कर दोस्त...एक फायदा तो था तेरी यादों से गुफ्तगू करने का,कुछ पल बड़ी हसरत से दिल मुस्कुरा लेता दोस्त...तेरी खामोशी जला देती है इस दिल को,बाकी सारे इशारे अच्छे लगते हैं तेरी हर एक तस्वीरों में...भरोसा नही है क्या मुझ पर यार, न जाने कितनों ने ये कहकर धोखा दिया दोस्त...ख्वाहिसे जिंदिगी बस इतनी सी थी दोस्त, की साथ तुम्हरा हो और जिन्दगी कभी खत्म न हो...सारी दुनिया के रुठ जाने का डर नही था मुझे, बस एक तेरी खामोशी मेरा सब कुछ छीन लिया दोस्त...वक़्त बदलने से शायद उतनी तकलीफ नहीं होती, जितना कि किसी अपने के बदल जाने से होती दोस्त...Raj