Saturday, April 19, 2025

राशि ज्ञान...

आपने सुना होगा कि कई ज्ञानी लोग केवल मस्तक देख कर सत्य बता थे …


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आप भी देख सकते है ये सत्य कैसे बताया जाता है, आइये जानते है , प्राचीन मुनियों ने ललाट पर सात रेखाएं बताई हैं।


इन रेखाओं तथा उनसे सम्बन्धित ग्रहों के नाम इस प्रकार हैं-


१. ललाट में केशों के निचले भाग की रेखा के स्वामी शनि हैं।


२. इस रेखा के नीचे जो दूसरी रेखा है, उसके स्वामी गुरु हैं।


३. तीसरी रेखा के स्वामी मंगल हैं।


४. चौथी रेखा के स्वामी सूर्य हैं।


५. पांचवीं रेखा के स्वामी शुक्र हैं।


६. छठी रेखा के स्वामी बुध हैं।


मस्तक की रेखाओं का प्रभाव


१. शनि रेखा


ललाट पर पायी जाने वाली शनि रेखा से जातक में - निश्चय भावना, समझ उदासीनता, दूरदर्शिता, गंभीरता खिन्नता, आदि बातों को जाना जाता है।


१. जिस जातक के ललाट पर दाहिनी ओर शनि रेखा से एक छोटी रेखा ऊपर की ओर जाय तो जातक को निकट भविष्य में कुछ परेशानियों का सामना करना होता है।


२. यदि शनि रेखा से एक छोटी रेखा बाई आंख के ऊपर की ओर जाये तो जातक की स्त्री झगड़ालू और चंचल प्रवृत्ति की होती है।


३. बाई आंख के ऊपर शनि रेखा से निकल कर एक छोटी रेखा बालों तक जाती है तो ऐसे जातक की स्त्री हस्तिनी जाति की होती है।


४. शनि रेखा पर दाहिनी आंख के ओर तीन छोटी रेखायें मिलकर का सामना होता है। ऊपर अंग्रेजी वर्णाक्षर ट की तरह हो तथा बाई का आकार बनायें तो जातक को अनेक तरह की परेशानियों


५. शनि रेखा केशों के समीप हो तथा अखण्ड हो साथ ही सीधी हो तो जातक की बौद्धिक क्षमता अच्छी होती है।


६. शनि रेखा टेढ़ी या खण्डित होने से जातक उदासीन, शिकायती एवं चिड़चिड़े स्वभाव का होता है।


७. शनि रेखाा पर नीचे की ओर त्रिभुज होने से वह जातक धर्म परिवर्तन करता है अथवा अन्य जाति में विवाह करता है।


८. शनि रेखा से आकर एक टेढ़ी रेखा गुरु रेखा को काटे तथा सूर्य रेखा के ऊपर से जाती हुई छोटी रेखा से पुनः गुरु रेखा कटने पर जातक को साधना के क्षेत्र में लाभ दिलाता है।


६. शनि रेखा बार-बार खण्डित हो, गुरु रेखा छोटी हो, मंगल रेखा दोषपूर्ण हो, सूर्य व चन्द्र रेखा अच्छी हो तो जातक को सामान्य कहा जायेगा साथ ही जातक का स्वभाव चंचल और यदा-कदा परेशानी का सामना होगा।


१०. शनि रेखा लम्बी सीधी और अखण्ड होने से जातक निश्चय भावना वाला, बौद्धिक विचार वाला, समझदार, दूरदर्शी और गम्भीर होता है।


११. शनि रेखा कई बार खण्डित हो, गुरु रेखा लम्बी तथा सीधी हो, मंगल रेखा बीच में कटी हो, सूर्य रेखा धनुषाकार हो, शुक्र रेखा बीच से कटी हो तो वह जातक सत्य भाषी सरल, विनम्र सबका प्रिय, नेता, आदि होता है।


१२. शनि और गुरु रेखा पर अर्ध चन्द्राकार का निशान हो तथा सूर्य या चन्द्र रेखा परस्पर मिली हो तो वह परम् सौभाग्यशाली माना जाता है।


१३. शनि रेखा बीच में कटी हो तथा टेढ़ी हो, गुरु रेखा बीच से टेढ़ी हो तथा दांये भाग में कटी हो, मंगल तथा सूर्य रेखा दांयी ओर सर्पाकार हो।


१४. शनि रेखा छोटी हो, गुरु रेखा बीच में खण्डित हो, मंगल रेखा लम्बी और टेढ़ी हो साथ ही एक ओर अधिक झुकी हो, शुक्र रेखा बीच से खण्डित हो साथ ही दायी ओर एक रेखा उसे काटती हो, तो ऐसा जातक अभिमानी, क्रोधी, मित्रों द्वारा तिरस्कृत, व्यभिचारी, कामातुर आदि अवगुणों वाला होता है।


१५. शनि रेखा गहरी तथा टेढ़ी हो, गुरु रेखा लम्बी हो तथा दोनों ओर झुकी हो, सूर्य रेखा बीच में खण्डित हो, तो जातक सुन्दर, सुखी, उदार, विद्वान, यशस्वी, धर्मात्मा तथा भाई बन्धुओं का सम्माननीय होता हैं।


१६. शनि और गुरु रेखा ऊपर की ओर चन्द्राकार हो, शनि रेखा छोटी हो, दोनों भौहें परस्पर मिली हों ऐसा जातक, धनी, असत्य भाषी, कामातुर और व्यभिचारी होता है।


१७. शनि रेखा धनुषाकार हो, युक्त हो, शुक्र रेखा बीच में कटी हो, वाला होता है। गुरु रेखा सर्पाकार हो, मंगल रेखा लम्बी हो, सूर्य रेखा शाखा वह जातक, पराक्रमी, लोभी, अशान्त तथा असफल जीवन


१८. शनि रेखा लम्बी हो, गुरु रेखा सर्पाकार हो, वह जातक अपनी पत्नी से भय और कष्ट पाता है।


१६. शनि रेखा सीधी हो तथा बीच में दो रेखाओं द्वारा काटी जाय, मंगल व गुरु रेखा बीच में खण्डित हो, ऐसे जातक की सम्पत्ति को खतरा होता है।


२०. दायीं आंख के ऊपर शनि रेखा पर ट का निशान होने से आर्थिक नुकसानों का सामना होता है।


२१. शनि रेखा पर ऊपर की ओर तथा शुक्र रेखा से नीचे की ओर जाती हुई दो-दो रेखायें होने से कर्ज लेना पड़ता है।


२२. शनि रेखा पर एक सर्पाकार एक आड़ी रेखा ऊपर की ओर जाये तो जातक की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है।


२. गुरु रेखा


ललाट पर पायी जाने वाली गुरु रेखा से जातक में भक्ष्याभक्ष (खान-पान) ईमानदारी, नैतिकता, नियम-संयम, साफ-सफाई, भेद-भावन, आध्यात्म, आत्मचिंतन, ज्ञान, श्रद्धा, भक्ति, उपासना, आदि के बारे में जाना जाता है।


१. जिस जातक के ललाट पर गुरु रेखा पर नीची की ओर एक या दोनों ओर एक धुमावदार रेखा होगी तो जातक को स्वास्थ्य की परेशानी का संकेत देती है।


२. गुरु रेखा मध्य में नीचे की ओर ट आकार में घूमकर पुनः सीधी होकर आगे बढ़ जाये तो ऐसा जातक स्वतः के जीवन काल में अधिकाधिक धन खर्च करता है।


३. गुरु रेखा दो भागों में बंटने से जातक को आर्थिक संकटों का सामना होता है तथा उसके मन में अशान्ति होती है।


४. गुरु रेखा अखण्ड तथा स्पष्ट होने से जातक को ईमानदार, संयमी, ज्ञानी और उपासक बनाती है।


५. गुरु रेखा टेढ़ी हो, खण्डित हो तो जातक में अनियमितता तथा भक्ष्याभक्ष्य का भेद भाव नहीं होता।


६. गुरु रेखा के नीचे सूर्य रेखा के ऊपर यदि त्रिभुज का निशान बने तो जातक दैवीय शक्ति प्राप्त करता है।


७. सूर्य क्षेत्र के ऊपर गुरु रेखा को एक अन्य छोटी, सर्पाकार रेखा काटे तो जातक महान सिद्धि प्राप्त करता है। ऐसे जातक का गृहस्थ जीवन असफल होता है।


८. गुरु रेखा पर सूर्य रेखा की ओर एक वृत्त बने तो ऐसा जातक सांसारिक दुःखों का शिकार और भ्रमित होता है।


६. गुरु रेखा छोटी हो, मंगल रेखा गहरी हो शनि रेखा टेढ़ी एवं निचले भाग में टूटी हो सूर्य रेखा बीच से खण्डित और टेढी हो तो ऐसा जातक मूर्ख, उपद्रवी, ठग, मनमौजी, कठोर स्वभाव, तथा झगड़ालू होगा।


३. मंगल रेखा


ललाट पर पायी जाने वाली मंगल रेखा से जातक में साहस, कार्य-सफलता, कायरता, आक्रोश, राजसेवा आदि के बारे में जाना जाता है।


१. ललाट पर पायी जाने वाली मंगल रेखा यदि टुकड़ों में बंटी हुई अथवा खण्डित होगी तो जातक में साहस की कमी होगी एवं गुप्त शत्रु का सामना होगा।


२. जिस जातक के ललाट पर मंगल रेखा की शाखायें सूर्य रेखा की ओर जाती है अथवा सूर्य रेखा को काटती हैं तो जातक को आर्थिक परेशानी का सामना करना होता है।


३. यदि मंगल रेखा ललाट के मध्य में हो तथा छोटी हो तो ऐसे जातक को भी आर्थिक परेशानी का सामाना करना होता है।


४. यदि मंगल रेखा से सूर्य रेखा की ओर एक सीधी शाखा एवं एक वक्री शाखा जाती है तो जातक को शीघ्र ही अच्छी नौकरी या नये व्यवसाय की ओर उन्मुख करती है और लाभ दिलाती है।


५. मंगल रेखा लम्बी और निर्दोष हो तथा मोटी हो तो जातक को बलवान, सैनिक, साहसिक प्रवृत्ति का बनाती है। खण्डित मंगल रेखा से व्यक्ति झगड़ालू एवं क्रोधी स्वभाव का होता है।


६. मंगल रेखा सर्पाकार हो साथ ही शनि रेखा सर्पाकार हो एवं दोनों के मध्य में वज्र का निशान हो, ऐसे जातक का मस्तिष्क प्रभावित होता है तथा वह निराश होकर आत्म हत्या को आतुर होता है।


७. मंगल रेखा टेढ़ी हो, खण्डित हो, दोषपूर्ण हो, तो वह जातक अधिकांश कार्यों में असफल रहता है एवं उसके कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है।


८. सीधी व स्पष्ट मंगल रेखा होने से जातक सभी कार्यों में सफल होता है क्योंकि उसमें साहस की अधिकता होती है।


६. मंगल एवं शनि रेखा बीच में टूटी हो, गुरु रेखा दोनों के बीच में झुकी हो तो ऐसा जातक धनी, दूरदर्शी एवं सौभाग्यशाली होता है यदि शनि और गुरु रेखा खण्डित होकर आपस में मिलेंगी तो अशुभ है ऐसी स्थिति में जातक स्वयं अपना जीवन बरबाद करता है।


१०. यदि मंगल रेखा चन्द्र रेखा की ओर झुकी हो और उस पर मस्सा हो, शनि रेखा लम्बी एवं गहरी हो गुरु रेखा छोटी हो ऐसे जातक कठोर एवं हिंसक हृदय के स्वामी होते हैं।


११. मंगल रेखा छोटी हो गुरु रेखा टेढ़ी हो शनि रेखा सीधी हो तो जातक भाग्यशाली होता है।


१२. मंगल रेखा बीच में टूटी हो सूर्य रेखा लम्बी हो तो जातक धनी, दानी, दयालु एवं बुद्धिमान होता है


४. सूर्य रेखा


ललाट पर पायी जाने वाली सूर्य रेखा से जातक में धन, सम्पत्ति, ऐश्वर्य, सम्मान, प्रलोभन, खर्चीला स्वभाव, बौद्धिक क्षमता आदि के बारे में जाना जाता है। सूर्य रेखा लम्बी एवं निर्दोश होना शुभ माना जाता है। चेहरा विज्ञान में सूर्य रेखा देखकर जातक के जीवन में धन, सम्पत्ति, ऐश्वर्य, सम्मान, प्रलोभन, कार्य, खर्चीला, स्वभाव, बौद्धिक क्षमता आदि के बारे में जाना जा सकता है ये रेखा दाहिनी आंख के भैंह के ऊपर पायी जाती है। कभी-कभी इस रेखा की लम्बाई अधिक होने से चन्द्र रेखा में मिल जाती है तथा अधिक छोटी होने पर चन्द्र रेखा से दूर रहती है।


१. जिस जातक के ललाट पर सूर्य रेखा स्पष्ट एवं पूर्ण हो तो ऐसे जातक धन सम्पत्ति से सम्पन्न होते हैं तथा इनकी बौद्धिक क्षमता अच्छी होती है। यदि सूर्य रेखा दोषी हो,


खण्डित हो तो जातक में लोभ की भावना बढ़ जाती है वह अधिक लालची और स्वार्थी बन जाता है इस रेखा के अभाव में व्यक्ति ऐश्वर्य और सम्मान से वंचित रह जाता है।


२. ललाट पर सूर्य रेखा कुछ गोलायी में हो तो जातक स्पष्ट बोलने वाला तथा कार्यों को सोच विचार कर करने वाला होता है और कार्यों में सफलता भी प्राप्त करता है।


३. सूर्य रेखा दोष पूर्ण या खण्डित होने से व्यक्ति में कंजूसी की भावना बढ़ जाती है तथा बौद्धिक क्षमता को भी प्रभाव पड़ता है।


४. जिस जातक के ललाट पर शनि क्षेत्र में अर्धचन्द्राकार कई रेखायें होंगी, साथ ही गुरु एवं मंगल रेखा लम्बी एवं सर्पाकार होगी। ऐसे जातक दुःखी, भयभीत, चिंतित एवं चंचल हृदय के स्वामी होते हैं। ऐसे जातक को पानी से सावधान रहना चाहिए क्योंकि शनि क्षेत्र में चन्द्राकार कई रेखा होने से जल द्वारा हानि होती है।


५. शनि रेखा अपने निचले भाग में टूटी हुई हो तथा सीधी हो। गुरु रेखा पर बाई ओर धनुषाकार चिन्ह हो। मंगल रेखा शाखायुक्त हो। सूर्य रेखा सर्पाकार हो। शुक्र रेखा अपने ऊपरी भाग में गहरी तथा बीच में कटी हो तो ऐसे जातक गुणवान, विद्वान, दानी, धर्मात्मा, उपदेशक, यशस्वी तथा यात्रा प्रेमी होते हैं।


६. शनि रेखा गहरी हो गुरु रेखा छोटी मंगल रेखा गहरी तथा पतली हो। सूर्य रेखा झुकी हो एवं दो रेखाओं से कटी हो, तो वह जातक कामी, क्रोधी, कलहप्रिय, झगड़ालू एवं हथियार से चोट खाता है।


५. चन्द्र रेखा


ललाट पर पायी जाने वाली चन्द्र रेखा से जातक में कल्पना, विचार शक्ति, यात्रा, प्रेम, बौद्धिक चंचलता, मनोभावना, आदि के बारे में जाना जाता है।


१. चन्द्र रेखा उत्तम तथा पूर्ण होने से जातक में कल्पनाशीलता, देशाटन भावना, तथा बौद्धिक चंचलता की वृद्धि होती है।


२. चन्द्र रेखा दोषपूर्ण अथवा खण्डित होने से जातक की बौद्धिक क्षमता को प्रभावित करके उसे मंद बुद्धि वाला बनाती हैं चन्द्र रेखा खण्डित होने से जातक सत्यवादी नहीं होता है तथा देशाटन में बाधायें आती है।


३. यदि जातक के ललाट पर चन्द रेखा का अभाव हो तथा ललाट पर एक ही रेखा हो और वह धनुषाकार हो, तो जातक में यात्रा करने की भावना अधिक पायी जाती है। ऐसे जातक का स्वभाव अच्छा नहीं होता तथा बुरे कार्यों की चेष्टा करता है ऐसे जातक का अधम स्वभाव माना जाता हैं।


४. स्पष्ट तथा गोलायी युक्त चन्द्र रेखा जातक में अच्छे विचार उत्पन्न करती है तथा यात्रायें अधिक करवाती है। ऐसे जातक की विचार शक्ति और प्रेम भावना अच्छी होती है।


५. ललाट पर चन्द्र रेखा का अभाव हो तथा अन्य रेखायें छोटी-छोटी होने से जातक में अच्छे बुरे दोनों गुण पाये जाते हैं तथा ऐसे जातक दीर्घायु नहीं होते हैं।


६. शुक्र रेखा


ललाट पर पायी जाने वाली शुक्र रेखा से जातक में-स्त्री सुख, सम्पन्नता, सुख, सच्चा प्रेम, दाम्पत्य जीवन, विपरीत लिंग की ओर आकर्षण, आदि के बारे में जाना जाता है।


१. शुक्र रेखा अखण्ड व स्पष्ट होने से स्त्री सुख की प्राप्ति होती है। ऐसे जातक अच्छे प्रेम के स्वामी होते हैं। ऐसे जातक का दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है।


२. शुक्र रेखा दोषपूर्ण या खण्डित होने से जातक का दाम्पत्य जीवन अधिक सुखी नहीं होता तथा ऐसे जातक दिखावटी प्रेम करता है।


३. यदि ललाट में चार रेखायें हो तथा शुक्र और शनि रेखा किसी अन्य छोटी रेखा द्वारा कटती हो तो वह जातक बुद्धिमान सच्चरित्र और सरल स्वभाव का होता है।


४. शुक्र रेखा से कई छोटी रेखायें चन्द्र रेखा की ओर जाने से जातक की आर्थिक स्थिति खराब होती है तथा कर्जा लेना पड़ता है।


६. शुक्र रेखा


ललाट पर पायी जाने वाली शुक्र रेखा से जातक में-स्त्री सुख, सम्पन्नता, सुख, सच्चा प्रेम, दाम्पत्य जीवन, विपरीत लिंग की ओर आकर्षण, आदि के बारे में जाना जाता है।


१. शुक्र रेखा अखण्ड व स्पष्ट होने से स्त्री सुख की प्राप्ति होती है। ऐसे जातक अच्छे प्रेम के स्वामी होते हैं। ऐसे जातक का दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है।


२. शुक्र रेखा दोषपूर्ण या खण्डित होने से जातक का दाम्पत्य जीवन अधिक सुखी नहीं होता तथा ऐसे जातक दिखावटी प्रेम करता है।


३. यदि ललाट में चार रेखायें हो तथा शुक्र और शनि रेखा किसी अन्य छोटी रेखा द्वारा कटती हो तो वह जातक बुद्धिमान सच्चरित्र और सरल स्वभाव का होता है।


४. शुक्र रेखा से कई छोटी रेखायें चन्द्र रेखा की ओर जाने से जातक की आर्थिक स्थिति खराब होती है तथा कर्जा लेना पड़ता है।


ललाट एवं ललाट रेखायें


सामान्य भाषा में सिर के अग्र भाग को ललाट कहते हैं। ललाट की आकृति और उस पर पायी जाने वाली रेखाओं के संबंध में अनेक ग्रन्थों में वर्णित है। ललाट व रेखाओं से जातक की बौद्धिक क्षमता, ज्ञान, विचार, साहस, व्यवहार आदि के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है।


निःस्वा विषम भालेन दुःखिता ज्वर जर्जराः ।


परकर्म करा नित्यं प्राप्यन्ते वध वन्धनम ।।


(सामुद्रिक शास्त्र)


जिस जातक का ललाट नीचा हो, अविकसित हो, ऐसा जातक जीवन में ज्वर से पीड़ित होता है तथा निम्न कोटि का कार्य करने वाला होता है एवं जीवन में सफलता और सम्मान से वंचित होता है।


ललाटेनार्थं चन्द्रेण भवन्ति पृथ्वीश्वराः । विपुलेन ललाटेन महानरपतिः स्मृतः ।।


श्लेक्ष्णेन तु ललाटेन नरो धर्मरस्तथा।


(भविष्यपुराण)


जिस जातक का ललाट अर्ध चन्द्राकार होता है तथा उन्नत एवं फैला होता है, वह जातक भूमि और सम्पत्ति का स्वामी होता है तथा ऐसे जातक सुखी होते हैं। यदि ऐसे जातक का ललाट चिकनाई युक्त होवे तो जातक में धर्म कार्य करने की रुचि बढ़ जाती है। जिस जातक के ललाट पर हंसते समय भौंहों के बीच दो खड़ी रेखा स्पष्ट हो जाय तो ऐसे जातक अच्छे गुणों से सम्पन्न होते हैं तथा सुख भोगते हैं जिस जातक का ललाट बहुत नीचा हो साथ ही ललाट में नसें उभरी हों तो ऐसे जातक दुःखी, और पापी होते हैं। जिस जातक के ललाट में त्रिशूल वज्र या धनुष का चिन्ह हो तो ऐसे जातक को उच्च पदों वाली स्त्रियां पसंद करती हैं। जिस जातक के ललाट पर नीली नसों के उभरने से तिलक जैसा चिन्ह प्रतीत हो तथा साथ ही ललाट का आकार अर्धचन्द्र सा हो तो जातक सुखी और धनवान होता है। जिस जातक की ललाट रेखायें न दिखती हों तथा ढलवा और चिकना हो परन्तु उत्तेजना के समय ये नसें दिखती हों, ऐसा जातक अति बुद्धिमान जातक होता है। जिस जातक का ललाट नीचा हो तथा रुखा हो, ऐसे जातक हिंसक प्रवृति एवं क्रूर कर्म करने वाले होते हैं। ऐसे जातक सुख से वंचित होते हैं तथा संघर्षमय जीवन बिताते हैं। जिस जातक का ललाट नाक के बराबर ऊँचा तथा नाक की लम्बाई से दुगुना चौड़ा तथा कनपटी विकसित हो तो ऐसे जातक श्रेष्ठ माने गये हैं।


ललाट पर ग्रहों के चिन्ह तथा स्थान


१ . सूर्य इसका चिन्ह मध्य बिन्दु युक्त वृत्त का चिन्ह होता है। इसका स्थान दाहिने नेत्र में रहता है।


२. चन्द्र धनुष के आकार का इसका चिन्ह होता है। बाएं नेत्र में इसका निवास होता है।


३. मंगल तीन शाखाओं वाला मंगल का चिन्ह सिर के ऊपरी भाग पर दिखाई देता है।


४. बुध एक खड़ी रेखा पर तिरछी रेखा जैसा चिन्ह बुध का होता है। यह मुंह पर वास करता है।


५. गुरु दो के समान चिन्ह गुरु का होता है। इसका निवास दाहिने कान पर होता है।


६. शुक्र धन के चिन्ह के चारों ओर गोलाकार हो ऐसा चिन्ह शुक्र का होता है यह भौहों के बीच में होता है।


७. शनि ईकार के समान इसका चिन्ह होता है इसका निवास बाएं कान पर रहता है।


ललाट रेखा फल


ऊपर ललाट पर सात रेखाओं का वर्णन पीछे की पंक्तियों में किया जा चुका है। अधिक सूक्ष्मता से विचार करने पर ज्ञात होता है कि दाहिने नेत्र के ऊपरी भाग में छोटी-सी रेखा होती है, वह सूर्य की रेखा कहलाती है। इसी प्रकार बाएं नेत्र के ऊपरी भाग में चन्द्र की रेखा मानी जाती है। भौंहों के बीच में शुक्र की रेखा तथा नासिका के अग्रभाग में विद्वान् लोग बुध की रेखा मानते हैं।


१. यदि गुरु रेखा में शाखाएं निकलती हों, तो वह व्यक्ति असत्य भाषी तथा दुष्ट होता है। २. यदि गुरु और मंगल की रेखाएं बीच में टूटी हुई हों, तो उसके पास निरन्तर धन का अभाव रहता है।


३. यदि शनि व मंगल की रेखाएं टूटी हुई हों तथा गुरु की रेखा नीचे की तरफ झुकी हुई हो, तो वह सौभाग्यशाली एवं धनवान होता है।


४. यदि शनि और गुरु की रेखाएं धनुष के आकार की हों, तो वह व्यक्ति दुष्ट स्वभाव वाला होता है।


५. यदि शनि की रेखा बहुत अधिक गहरी और झुकी हुई हो, तो वह हत्यारा होता है।


६. यदि शनि रेखा बहुत अधिक लम्बी और गहरी हो, तो पर-स्त्री से सम्पर्क होता है।


७. शनि रेखा टेढ़ी होने से व्यसनी बनाती है।


८. यदि मंगल रेखा सर्पाकार हो, तो वह हत्यारा होता है।


६. यदि ललाट में चार रेखाएं हों, तो वह सच्चरित्र तथा बुद्धिमान होता है।


१०. यदि गुरू की रेखा सर्पाकार हो, तो वह व्यक्ति लोभी होता है।


११. जिसके ललाट में तीन रेखाएं सीधी, सरल और स्पष्ट हों, वह व्यक्ति सौभाग्यशाली होता है।


१२. यदि गुरु और शनि की रेखाएं परस्पर मिल गई हों तो उसकी मृत्यु फांसी से होती है। १३. जिसके ललाट में बहुत अधिक रेखाएं टूटी-फूटी हों, तो वह व्यक्ति दुर्भाग्यशाली


एवं रोगी होता है।


१४. यदि शनि की रेखा टेढ़ी हो, तो वह व्यसनी होता है।


१५. यदि सूर्य रेखा छोटी और शुक्र रेखा लम्बी हो तो वह व्यक्ति सच्चरित्र चतुर और


सौभाग्यशाली होता है।


१६. यदि सूर्य की रेखा धनुष के आकार की और शुक्र की रेखा बीच में से कटी हुई हो, तो वह नम्र रसज्ञ और धनी होता है।


१७. यदि शनि और गुरु की रेखाएं ऊपरी भाग में अर्द्ध चन्द्राकार हों, तो वह व्यक्ति बहुत अधिक सौभाग्यशाली होता है।


१८. यदि ललाट में सर्प के आकृति की एक ही रेखा हो, तो वह बलवान होता है।


१६. यदि दोनों भौंहों के बीच में त्रिशूल का चिन्ह होता है तो जातक का अंग-भंग होता है।


२०. यदि सूर्य रेखा बीच में कटी हुई हो तो वह क्रोधी, कामी तथा झगड़ालू होता है।


२१. यदि शनि रेखा लम्बी हो तथा मंगल की रेखा सर्पाकार हो, तो वह धर्मात्मा, दयालु और उच्च


समाज में रहने वाला होता है।


२२. यदि शनि और गुरु की रेखा सर्पाकार हो, तो वह धूर्त स्वभाव वाला होता है। यदि सर्पाकार गुरु की रेखा शनि रेखा के पास पहुँचे हो तो वह कलहप्रिय होता है।


२३. यदि गुरु की रेखा लम्बी और लचीली हो, तो वह सुन्दर और सौभाग्यशाली माना जाता है। २४. यदि मंगल की रेखा झुकी हुई हो तथा शुक्र रेखा दाहिनी ओर कटी हुई हो, तो वह अभिमानी, क्रोधी तथा पर-स्त्री-सेवी होता है।


२५. यदि शनि तथा गुरु की रेखाएं धनुष के आकार की हो तो वह व्यक्ति पराक्रमी होता है।


२६. यदि शनि रेखा गहरी हो तथा दोनों भौंहों के बीच में अधिक बाल हो, तो वह एक से अधिक


१७. यदि शनि और गुरु की रेखाएं ऊपरी भाग में अर्द्ध चन्द्राकार हों, तो वह व्यक्ति बहुत अधिक सौभाग्यशाली होता है।


१८. यदि ललाट में सर्प के आकृति की एक ही रेखा हो, तो वह बलवान होता है।


१६. यदि दोनों भौंहों के बीच में त्रिशूल का चिन्ह होता है तो जातक का अंग-भंग होता है।


२०. यदि सूर्य रेखा बीच में कटी हुई हो तो वह क्रोधी, कामी तथा झगड़ालू होता है।


२१. यदि शनि रेखा लम्बी हो तथा मंगल की रेखा सर्पाकार हो, तो वह धर्मात्मा, दयालु और उच्च समाज में रहने वाला होता है।


२२. यदि शनि और गुरु की रेखा सर्पाकार हो, तो वह धूर्त स्वभाव वाला होता है। यदि सर्पाकार


गुरु की रेखा शनि रेखा के पास पहुँचे हो तो वह कलहप्रिय होता है।


२३. यदि गुरु की रेखा लम्बी और लचीली हो, तो वह सुन्दर और सौभाग्यशाली माना जाता है। २४. यदि मंगल की रेखा झुकी हुई हो तथा शुक्र रेखा दाहिनी ओर कटी हुई हो, तो वह अभिमानी, क्रोधी तथा पर-स्त्री-सेवी होता है।


२५. यदि शनि तथा गुरु की रेखाएं धनुष के आकार की हो तो वह व्यक्ति पराक्रमी होता है। २६. यदि शनि रेखा गहरी हो तथा दोनों भौंहों के बीच में अधिक बाल हो, तो वह एक से अधिक विवाह का इच्छुक तथा सम्पत्तिशाली होता है।


२७. यदि शनि रेखा पतली और गुरु रेखा मोटी तथा लम्बी हो, तो वह व्यक्ति घातक होता है।

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