नूर भी, गुरूर भी, और दूर भी...
बेहद हो,बेहिसाब हो,बेसबब हो,बेवक़्त हो,बेवजह हो,बेमतलब हो,बेपरवाह हो,बेपनाह हो,बेकरार हो,इश्क़ हो तो ऐसा हो दोस्त...था उसूल मेरे मोहब्बत का बस इतना सा,नज़ारा कोई भी हो हर नज़ारे में नज़र सिर्फ़ तुम थे दोस्त...खरीद लो फरेबी के बाजार से जो खरीदना हैं,विश्वास भी आज कल मुनासिब दामों पर बिकने लगा हैं दोस्त...निखरे थे वो भी इश्क़ था,बिखरे हैं ये भी इश्क़ है दोस्त...जब विशवास ही नीलाम हो गया हो,तो वादो की कया कीमत है दोस्त...तू बिलकुल चाँद की तरह है,नूर भी, गुरूर भी, और दूर भी दोस्त...मुझसे ज़ियादा कौन तमाशा देख सकेगा दोस्त,गाँधी जी के तीनों बंदर मेरे अंदर...काश वो लोग भी इतने अच्छे होते,जितने अच्छे वो status लगाते हैं दोस्त...किसी किसी से ऐसा रिश्ता बन जाता है दोस्त,हर चीज़ से पहले उसी का ख्याल आता है...अगर इंसान अंदर से टुटा हुआ है तो,उसे दुनिया की कोई खुशी रास नहीं आती दोस्त...कुछ दीवानगी तेरी,कुछ नादानियां मेरी,कुछ खामोशियां तेरी,कुछ बेबाकीयां मेरी,कुछ गुस्ताखियां तेरी,कुछ नजाकत मेरी,कुछ ख्वाहिशें तेरी,कुछ अदाएं मेरी बस यहीं है जिंदगी मेरी दोस्त...मसला ये नहीं कि ग़म कितना है,मुद्दा ये है कि परवाह किसको है दोस्त...अंजाम ने दुःख दिए हैं,वर्ना यादें तो तेरी बहुत प्यारी हैं दोस्त...सब कुछ पा लिया था तुमसे इश्क करके,बस जो ना पा सकें वो सिर्फ तुम हो दोस्त...Royal Antry उसी की ज़िन्दगी में करना चाहिए,जहाँ आपना दर्जा आसमान से भी ऊँचा हो दोस्त...हँस के जिंदगी जिया करो दोस्त,क्यूंकि मौत का कोई otp नहीं होता...राज
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