Saturday, November 5, 2022

अभिमानी थे भीष्मपितामा

अभिमानी थे भीष्मपितामा और अहंकारी थे गुरु द्रोणाचार्य...कैसे...आइए आज मैं बताता हूँ...जब गुरु द्रोणा जी ने एकलबेए से अपनी नाम की उपाधि के वास्ते उसका अंगूठा मागे थे ये उनका अहंकार था जिसके वजह से... जिसको उन्हों ने वेद और शात्र का ज्ञान दिया या बहुत मानते थे...दोस्त वही शिष्य उनके जीवन का अंत किया...ये है अहंकार का अंजाम...अब चलिये भीष्मपितामा के पास...इन्होंने अपने पिता मोह के पक्ष में एक ऐसा सपत ले लिया जो उनको नहीं लेना चाहिये था...हस्तिनापुर के साम्राज्य और जायजाद का विभाजन न करने की सोंच...जिसके वजह से जो पोता उनका सबसे अजीज हुआ करता था...उसने ही उनको अपनी बाण से मुरक्षित किया था...ये है अभिमान का दृस्य...ईमानदारी से बेहतर कोई और दूसरी निति नहीं होती मेरे दोस्त...


Caste is not a physical object like a wall of bricks or a line of barbed wire which prevents the Hindus from co-mingling and which has...therefore, to be pulled down...Caste is a notion...it is a state of the mind...An ideal society should be mobile...should be full of channels for conveying a change taking place in one part to other parts...In an ideal society...there should be many interests consciously communicated and shared...


अपने आप को पढे...आप से बेहतर अभी तक न ही कोई किताब लिखी गई है और न ही कोई लिख सकता है...इस लिए स्वम को समझे...समस्याओ के समाधान के बारे में नहीं सोंचना पड़ेगा...परिवर्तन से घबराना और परिश्रम और प्रयत्न से कतराना कायरता की सबसे बड़ी पहचान होती है...तिनके को सहारे की जरुरत नहीं होती...डर की फिकर नाव को होता...डर आपको तभी डरा सकता है जब गलत हो...परंतु यदि आप सही है तो वो डर आपके डर से है भाग जायेगा...


आप ये जान कर हैरान रह जायँगे...बहुत सूंदर,अति सूंदर और अति उत्तम में जमी आसमा का फर्क है...दोस्त इन जैसे शब्दों को समझने के लीये हर एक इंसान को हर एक वय्क्ति के प्रति अच्छी feelings & imagination रखनी पड़ती है...तब कही जाकर इन सब वस्तुओ का आनंद लेने में हम सफल होते है...दोस्त now & always remember it Best efforts Better thinking....


शुभ शंध्या दोस्तों...

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