झुकने की आदत डालो कोशिशे होती चली जायेगी...दोस्तों आज मैं बात करूँगा हिन् भावना और घृणा करने वाले वय्क्ति के बारे में और जानगे की हमें इससे लाभ है या हानि...चलिये आगे चलते हैं...
दोस्तों जब मानव अपना मानवता खो देता है तब पैदा होती हैं घृणा और हिन् भावना जैसी बीमारी...जिसका भोगी खुद इंसान को ही भुगतना पड़ता है...हम इंसान उन सारी समस्याओ से छुट-करा पा सकते है...जैसे आर्थिक,सामाजिक,पारिवारिक,व्यपारीक...मगर मेरे दोस्त शारीरिक समस्याए नहीं टाली जाती वो स्वयम् ही झेलना पड़ता है...जिसका कारण होता है इंसान का केवल हिन् भावना और घृणा...इस लिए की मेरे दोस्त ये बात राम ने अपने छोटे भर्ता लक्ष्मण से कहा था सबरी के घर बेर खाते समय...अगर आप बदलना चाहते है तो सबसे पहले अपनी सोंच और नजरिया को बदलिए आपको बदलने की जरुरत नहीं पड़ेगी...
हमें पाने की इक्षा तो उन्हें भी है क्या करे जाहिर करने में शर्म जो आता है...पर अफ़सोस इस बात का करते है की हमने बेवफाई करके जिंदगी में बहुत बड़ी भूल कर दी...सायद उसी का ये खूबसूरत सजा है...अब उनको समझ में आता है किस्मत बदले या ना बदले पर वो लोग किस्मत खुद बनाते है जो खुद को सही तरीके से बदलना जानते है...
Don't try to be like me...since i hate from it...i keep best wish for all who those having the greatest graceful for one other, your glorious choice must be to be superior to me...
वो लोग गुनहगार होते जिनके पैर काँटों पे पड़ते हैं...कांटे बेकसूर होते हैं दोस्त खता हम करते है वो तो बेचारा अपनी जगह पे था चल कर तो हम खुद गए थे...This is my best for my wish...क्षमता और रूचि की limitation आपके सोंच पे भी निर्भर करता है...चुकी मेरे दोस्त सोंच की कोई अवधि नहीं होती...हम जो सोंचगे वो हो ना हो हो भी जाए...नहीं हुआ तो कोई बात नहीं...करने का तजुर्बा जो मिला...
Have a lovely night to you all FB Friends...
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