Saturday, November 5, 2022

तड़पती तन्हाइयो की तमाम तमन्नाये...

 तड़पती तन्हाइयो की तमाम तमन्नाये...


जुदाई और तन्हाई से ज्यादा जान लेवा,मोहब्बत में मोहब्बत की कमी है दोस्त...प्रेम अगर पाईथोगोरस प्रमेय सा कुछ होता,तब दूरियां भी ज्ञात होती और प्रेम का आधार भी दोस्त...कुछ तो बिखरा बिखरा सा है दोस्त,ख्वाब, ख्वाहिश या तेरा मेरा मन...अपना ग़म मैंने आसमां को क्या बता दिया दोस्त,प्यार के पूरे शहर ने बारिश का मज़ा ले लिया...जिन जख्मो से खून नहीं निकलता समझ लेना दोस्त,वो ज़ख्म किसी खाश अपने ने ही दिया है...ख्वाहिश हुई आज खुद को पढ़ने की,पन्ने दर पन्ने पलटते रहे बस तुम ही तुम दिखती रही दोस्त...कई हादसों ने मिटा दिए मेरे जिस्म के कई हिस्से दोस्त,अफ़सोस मेरे बेपनाह हौसले से हादसे भी हार गए...तू मेरे बिना ही खुश है तो शिकायत कैसी दोस्त,अब तुझे खुश भी ना देखू तो राज की मोहब्बत कैसी...जिन्हें तुम मिले वो तुम्हें समझ ही न सके दोस्त,और यहां हमने तुम्हें दिल के जर्रे-जर्रे में लिख रखा है...हमारी बुज़दिली मशहूर है ज़माने में दोस्त, हम बदला नहीं लेते ये हक ख़ुदा पर छोड़ देते हैं...हालत ए हाल के सबब हालात ए हाल ही रही दोस्त,प्यार के शौक़ में कुछ न गया सिर्फ शौक़ ए ज़िंदगी ही चली गयी...खामोश रहने वालो का अपना ही मजा है दोस्त, क्यूंकि नीव के पत्थर कभी बोला नही करते...दोस्त कौन कहता है कि धड़कनें बस सीने में होती हैं,मैं लिखूं तुम्हें तो मेरी उँगलियाँ भी धड़कती है...दोस्त मैं हँसता हूँ तो सिर्फ़ अपने दर्द को छुपाने के लिए,लोग देख कर कहते हैंकाश हम भी इसके जैसे होते...खामोशियां कभी बेवजह नहीं होती साहब दोस्त,कुछ दर्द ऐसे होते हैं जो आवाज छीन लेते है...किसी को हराना बहुत आसान होता है दोस्त,पर किसी के लिए हार जाना बहुत मुश्किल...रूह की आवाज और खामोशी का संगीत, इससे खूबसूरत कोई अजान और कोई इबादत नहीं दोस्त...दोस्त तुम्हें क्या लिखूँ दोस्त लिखूँ,हमदम लिखूँ, हमदर्द लिखूँ, गमसार लिखूँ, हमशफर या फिर हमराज लिखूँ...राज


जीवन में अगर हम दूसरे की सफलता को स्वीकार नही करते तो वो ईर्ष्या बन जाती है और अगर स्वीकार कर ले तो वो प्रेरणा बन जाती है...


हैपी होली आल ऑफ यु my डिअर frinends...

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