Saturday, November 5, 2022

चरित्र, शांति,सुख, ज्ञान, प्राण, सभ्यता, संस्कार,शिस्टाचार,समय, सुख- शांति,अनुशासन,

आप किसी से बदला लेने का नहीं,अपने अंदर बदलाव लाने की कोशिश कीजिये क्यूंकी आप दुनिया को तो नहीं बदल सकते पर अपने आप  में सुधार कर के दुनिया के कुछ लोगो को जरूर बदल सकते है। जरूरत है स्वयं को समझने की,स्वयं मे सुधार की क्योंकि स्वयं की सुधार संसार की सबसे श्रेष्ठ सेवा है...और सुधार से सबकुछ संभव है इस दुनिया में...


ज़िंदगी में जो भी आप पाना चाहते है वही बाँटिये...पक्का इरादा,कड़ी मेहनत और अनुशासन सफलता के महत्तवपूर्ण मार्ग हैं..जो कुछ आप है उससे अधिक अच्छा और अधिक महत्तवपूर्ण दिखने की कोशिश न करे,हर वय्क्ति हर क्षेत्र में सफल नहीं हो सकता..अपना क्षेत्र अपने रुची और क्षमता के आधार पर चुनिए...ध्यान रहे...घमंड से अपना सर ऊँचा न करे...जीतने वाले भी...अपना गोल्ड मैडल सिर झुका के हासिल करते है...


दोस्तो समस्या ये नहीं है की हमे लोग नहीं समझते बल्कि गम्भीर समस्या ये है की हम लोगों को अपने बारे में समझा नहीं पाते...खुद को समझते हुए दुसरों की भावनाओ को भी समझे और उनको अपने अनुभव के बारे में बताये... क्युकी लाज़बाब जिन्दगी जीने के लिए इस्से जबरदस्त और बेहतरीन कोई दूसरी निती बनीं ही नहीं...सर्म की बात तो ये है दोस्तों की दिल दहला देने वाली इस घटना को हम अंजाम नहीं दे पाते...दोस्तों एक बात हमेसा के लिए अपने अन्तरात्मा के अंदर रख लेना...दुसरो की खूशी के लिए किया गया हर प्रयास अपने आप को भी ऊपर उठता है...


जो लोग अपने आप को अमीर या धनी मानते है...उनसे मेरा एक प्रश्न है...चरित्र, शांति,सुख, ज्ञान, प्राण, सभ्यता, संस्कार,शिस्टाचार,समय, सुख- शांति,अनुशासन,

आनंद,व्यवाहार, काबीलियत तथा अच्छा आचरण और आदत को... जो धन आपके पास है... क्या आप उस दौलत या धन से खरीद कर इन वस्तुओ को अपने बच्चे और परिवार को हासिल करा सकते हो/ दे सकते हो...ये सारी वस्तुये हमारी परिश्रम और तपस्या का बरदान होती है...इसे बेचा या ख़रीदा नहीं जाता बल्कि इसे अपने अच्छे कर्मों से हासिल किया जाता है...दोस्तों...I respect money not value of it...since Money may be many things but it can never take place of everything...


दोस्तो,दोस्ती विस्वास का वो समुन्दर है जिसमे एक हलकी सी भी सक का लहर उठ जाये तो...अपने दोस्तों की दोस्ती,अपने दुश्मनो की दुश्मनी से ज्यादा खतरनाक बन जाती है...दोस्ती शब्द कहना जितना आसान है उससे कही अधिक निभाना कठिन होता है...दोस्ती जताने से नहीं निभाने से जीवित रहती है...


शुभ रात्रि...मित्रो

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