Wednesday, June 3, 2020

IAS MOTIVATION 1

कुछ_तो_लोग_कहेंगे_क्योंकि_इनका_काम_है_सिर्फ_कहना... 

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जब हम सिविल सेवा (#IAS) की तैयारी कर रहे होते हैं तो एक समस्या का सामना लगभग सभी करते हैं ..वह है लोगों के कमेंट्स.. तैयारी के दौरान बहुत से लोग आपसे कहेंगे कि IAS/IPS कोई बच्चों का खेल नहीं , कोई कहेगा कि गांव वाले आईएएस नहीं बन पाते, आईएएस बनने के लिए बैकग्राउंड आपका अच्छा होना चाहिए आपका फास्ट एकेडमी का स्कोर अच्छा होना चाहिए , कोई कहेगा कि आईएएस के लिए दिल्ली जाकर कोचिंग कीजिये, घर पर बैठकर कोई कलेक्टर नहीं बनता , यह बात यहीं नहीं रुकती अगर आप दिल्ली आ भी जाते हैं तो भी लोग यही कहेंगे कि कोई दिल्ली चले जाने से IAS नहीं बन जाता और आप जब दिल्ली आ जाते तो यहां भी नमूनों की कमी नहीं है यहां पर भी नमूनों बोलेंगे कि आप की शक्ल ही नहीं IAS बनने वाली और भी जाने कितने तरह के लोग और कितनी तरह की बातें ..और सबसे आश्चर्य वाली बात यह है कि इनकी बातें लगातार सुनकर ही लगभग 75 % लोग दिग्भ्रमित हो जाते हैं आखिर क्यों ..? एक बात बताइए आईएएस का सपना किसका है ?? आपका या उनका ..? IAS बनने के लिए परिश्रम किसको करना पड़ेगा आपको या उनको ..?? आईएएस बनने के बाद किसके नाम के आगे आईएएस लिखा जायेगा ..आपके या उनके .. ?? और अगर आप आईएएस नहीं बन पाए तो क्या ये लोग आकर आपसे कहेंगे कि माफ़ करना मेरी वजह से तुम्हारा सपना पूरा नहीं हो पाया ..?? नहीं ना.. आपके साथ अच्छा हो या बुरा सबका सामना आपको अकेले ही करना है तो फिर अपने मन और मस्तिष्क की क्यों नहीं सुनते ..?? क्यों अपने भाग्य का ठेका लोगों कि बातों पर डाल रखा है .. क्या इनकी बातें तय करेंगी कि आप क्या बन सकते हो और क्या नहीं ..?? एक बात हमेशा याद रखें इस तरह की बातें वही निकम्मे करते हैं जो खुद जिंदगी में कभी कुछ नहीं क्या रहता है वही दूसरों की जिंदगी में दखल अंदाज देकर उसे भी डिमोटिवेटेड करते रहते हैं क्योंकि जो सफल व्यक्ति रहते हैं और जो अपनी जिंदगी में मुकाम पाना चाहते वह अपनी लाइफ में इतनी व्यस्त होते हैं कि उसे दूसरों की जिंदगी में झांकने के लिए वक्त ही नहीं मिलता वह तो अपने आपके अंदर की कमियों को ढूंढ कर निकाल कर और बेहतर बनाने के लिए हमेशा व्यस्त रहते हैं मेरा सिर्फ इतना कहना है कि लोग तो तब भी कहेंगे जब आप कुछ नहीं करेंगे तो इससे अच्छा है कुछ कीजिये ना हो क्यों बैठे हैं.. ?? लोगों कि नहीं अपने मन और मस्तिष्क कि सुनिए और वही कीजिये जो आपका दिल कहता है , वो नहीं जो लोग कहते हैं ..जब आपने निश्चय कर ही लिया है कि आपको IAS बनना है तो फिर दुनिया की फालतू बातों मत सुनिए सिर्फ अपने अंदर की कमियों को ढूंढिए देखिए आपके अंदर क्या कमियां है जो आपको आपके लक्ष्य से अभी तक दूर रखा है एक दृढ़ संकल्प लीजिए हताश निराश मत होइए.. क्योंकि भगवान के घर में देर है अंधेर नहीं.. कोई जल्दी सफलता प्राप्त कर लेता है ... किसी को थोड़ा वक्त लगता है बस आप अपने कर्म में किसी भी तरह की कमियां मत छोड़िए.. आप लगातार मेहनत करते रहिए सफलता आपको जरूर मिलेगी... *गीता में साफ शब्दों में लिखा है.. कर्म करो फल की इच्छा मत करो*  अगर आपका कर्म अच्छा होगा तो फल निश्चय ही आपको मिलेगा !! "आज तक जिस जिस पर जग हंसा है वही इतिहास रचा है"... 

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सिविल_सेवा...

कहिए, #आईएएस मैं बनकर दिखाऊँगा...
...जीत तब आती हैं,जब आप सोचते हैं, "मैं जो चाहता हूँ वो पाकर रहूँगा" 
जब आप ठान लेते हैं कि मैं बनके दिखाऊंगा,तो अब आप #टाइम पास व #बहानेबाजी के लिए एक मिनट के लिए भी काम नहीं करते ......अब तो मस्तिष्क इस बात पर काम करना शुरू कर देता है कि #सपनों को कैसे #हकीकत में बदला जाए......

अब आप कई गुना बेहतर #अनुशासित रहने लग जाते है .....टाइम के हर पल में कुछ नया सीखने की कोशिश में लग जाते है..

..."जब मै ias बनकर दिखाऊंगा" की भावना से #पढ़ने लग जाते हैं तो पढ़ते -पढ़ते कब सूर्योदय से सूर्यास्त हो जाता हैं पता तक नहीं चलता.....

#लगनशीलता इतनी ज्यादा हो जाती हैं कि स्वादिष्ट खाने से कई गुना स्वाद देश -विदेश में घटित होने वाली अच्छी #घटनाओं में आने लग जाता है....अब #किताबों के पन्ने महबूबा की आंखों की तरह #अतिसुन्दर लगने लग जाते हैं.....
फिर क्या 👍...#मसूरी की टिकट कन्फर्म हो जाती हैं 😊.....

अंत में बस यही कहना चाहता हूं कि अपने #लक्ष्य को ध्यान में रखें ...
हंसते और मुस्कुराते रहिए...

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Goal UPSC...

#अकेलेपन से घबराइये नहीं, एकांत की तरह इस्तेमाल करिए...
कुछ साथी वरिष्ठ हो जाते है, बहुत वरिष्ठ हो जाते हैं लेकिन अपने लक्ष्य को बदलते नहीं और लगातार कोशिस करते हैं. उनका साहस और दृढ़ निश्चय नमन-योग्य है. कभी-कभी बहुत अकेलापन लगता है. समाज से कटा हुआ या काट दिया गया जैसा लगता है. शादियाँ, पार्टियाँ या अन्य किसी समारोह में या तो न्यौता नहीं आता या आता भी है तो जाते नहीं है. लोग सवाल बहुत पूछते हैं और हमारे पास मुस्कुरा देने के अलावा जवाब नहीं होता. मन बहुत संवेदनशील हो जाता है. छोटी सी बात से दुखी हो जाते हैं और बहुत छोटी सी बात से भी खुश हो जाते हैं. जीवन में अनिश्चितता,असुरक्षा और अभाव मिलकर एक ऐसा संसार गढ़ते हैं जहाँ लगता है कि हम हैं और बस ये चार दीवारें. किताबें भी वही कितनी बार पढ़ें ! सब खाली सा ! उदास सा ! हमारे अन्दर अकेलेपन का एक ऐसा संसार सृजित हो जाता है जहाँ हम '#एलिनेटेड' फील करने लगते हैं...
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अक्सर ऐसी स्थति में हमारा #अवचेतन मन हमारी दिशा तय करने लगता है. हम पढने की कोशिस करते हैं मगर बहुत थोड़े समय में ही उब जाते हैं उठ जाते हैं किसी दोस्त से बात करने लगते हैं, मिलने-जुलने लगते हैं, चाय की दूकान आदि पर समय गुजरने लगता है या आजकल #फेसबुक #व्हाट्सएप जैसी चीज भी है जहाँ वक़्त देते हैं...
जिन्हें पढने में थोड़ी बहुत रूचि रहती है वे कुछ बौद्धिक किताबों और पत्रिकाओं की और मुड जाते हैं राजनीतिक बहस-मुबाहिशों और बौद्धिक जुगालियों की और खिसक जाते हैं. इसमें थोडा-बहुत आत्मसंतोष भी होता है...
यह एक ट्रैप हैं जहाँ उलझकर नुकसान उठा लेना संभव है.सचमुच यह निर्धारित लक्ष्य और रास्ते से थोडा व्यतिक्रम है जो आपको समय से वहां पहुचने नहीं देता जहां आप जाना चाहते हैं. अकेलेपन की उपज है...

आप अवचेतन मन से संचालित होने के बजाय चेतन प्रयास करिए. कमरा मत छोडिये, मेज-कुर्सी-कापी-कलम-किताब मत छोडिये. और सबसे बड़ी बात अपनी चुनी हुई ज़िन्दगी को पाने की कोशिस को यथसंभव हमेशा मन में रखिये. यह अकेलापन आपके लिए भावुक दौर होता है. असुरक्षा में बार-बार आँसू आ सकते हैं मगर इन आँसुओं के बीच निश्चय दृढ होता है और दृढ़तर होता जाता है. इसे आप एकांत समझ लीजिये जो आपको पूरी ज़िन्दगी फिर नहीं मिलेगा और सदुपयोग करिए...
इस निश्चय के साथ दो बाते हमेशा जोड़ कर रखनी चाहिए....आपका विश्वास और #निरंतर_प्रयास..... विश्वास यह कि आप एक दिन कामयाब हो जायेंगे. निश्चित तैर पर कामयाब हो जायेंगे. अपने मन-मस्तिष्क को लगातार सन्देश देते रहिये. यह सकारात्मक सन्देश आपके व्यक्तित्व में सकारात्मक बदलाव लायेगा यह तय है लेकिन सन्देश भी ऐसा होना होना चाहिए जिससे मन-मस्तिष्क को विश्वास होता रहे, उसका विश्वास बढ़ता रहे कि वास्तव में एक दिन हम कामयाब हो जायेंगे...
यह विश्वास तब तक खोखला लगता है जब तक आप परिश्रम के साथ उस परीक्षा के लिए नहीं पढ़ते जिसमें आप कामयाब होना चाहते हैं.. अथक प्रयास इसी को कहते हैं जो अक्सर आप सुनते हैं मगर उस पर गौर नहीं करते...आपका परिश्रम आपके अन्दर सकारात्मक मनोवैज्ञानिक बदलाव को ठोस आधार देता है. आपको खुद भी बड़ी दृढ़ता के साथ यह विश्वास होता है कि आप कामयाब हो जायेंगे और और आप देखेंगे कि आप एक दिन #कामयाब हो जायेंगे...

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अभी तो तुम्हे और ' जलील ' होना है और झेलना है  ...

क्या लगा था सिविल सर्विस इतना सरल है , आकर्षक है , रुतबा और सत्ता का सोर्स है , दुनिया मे छा जाने का रास्ता है .......
अभी तो तुमको बहुत झेलना है अपनी प्रेयसी को बेरोजगार होने के कारण बिछड़ते हुए देखना है ..मम्मी पापा के सपनो को हर एग्जाम के बाद टूटते देखना है .....खुद की उम्मीदों और सपने को दूर जाते देखना है ,,,,,मन करेगा लौट जाऊ वापस ,चला जाऊ शांति की तलाश में कही ,,,,पर असफल व्यक्ति के पास समझाने के लिए ,कहने के लिए बहुत कुछ होता है पर उसकी कोई सुनना नही चाहता .....खुद के बनाये आवरण में कैद होना है और ....
अभी तो तुम्हें रोज पल पल टूटना है ,कमरे में बंद होकर खुद के आंसू खुद ही पोछना है ,हर किसी की पैनी और नजरअंदाज करने वाली नजर से ' जलील ' होना है ...
प्रारम्भिक परीक्षा निकलने से उत्साहित होना है और नही qualify होने से असफल बहानों को अलग अलग लोगो के पास अलग अलग तरीके से पेश करके खुद में तिष्कृत होना है .....
मुख्य परीक्षा नही निकलने  से एक बुद्धिजीवी का बना हुआ आवरण का टूटना है जो कुछ महीने स्पेशल थे (मुख्य परीक्षा देने के कारण ) , अब बराबरी पर आकर खड़े हो जाना है और अनुभव का झुनझुना पकड़ लेना है...
इंटरवयू का पड़ाव ख़ुशी में बेतहासा वृद्धि तो कर देगा पर वहां की असफलता झकझोर कर रख देगी ...खुद की गलतियां दुसरो से ढूंढवाते फिरोगे ....कई बार विश्वास ही नही होगा selction लिस्ट के मापदण्डो पर और अचानक cool बुद्धिजीवी से आक्रमक अभ्यर्थी बन जाओगे  --

कुंठाये भी होगी , गुस्सा भी होगा ,भीतर की आक्रमकता और बाहरी तौर के परिपक्वता का द्वंद चलता रहेगा ,,,रोज खुद से लड़ोगे ,रोज खुद को समझाओगे ,रोज खुद में तडपोगे .....
और उस दिन की तलाश में जब selction लिस्ट में तुम्हारा नाम होगा , पापा को तुम पर गर्व होगा , मोहल्ले और अपने क्षेत्र के आदर्श बन जाओगे , नाम के साथ ' सरकारी ' शब्द जुड़ जाएगा पर उस दिन को पाने के लिए ...

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जब ख्वाब देखा हो #कलेक्टर बनने का तब क्या दिन या रात देखना ?... 

▪️भले ही सारे # नजारे सो गये हो लेकिन मेरा दावा हैं अभी भी सच्चे #upsc #प्रतिभागियों की कलमों में तेज रफ्तार होगी

▪️कोई #इतिहास से बातें कर रहा होगा तो कोई खुद इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने को बेताब होगा ,
कोई #भूगोल से खेल रहा होगा तो कोई भारतीय संविधान में खोया होगा ,तो कोई अर्थशाश्त्र के साथ आँख मिचौली कर रहा होगा
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▪️कोई #टॉपिक छूट ना जाय इसलिये चाय के साथ भी किताबें आँखो के सामने हैं तो कोई अपने मित्र को बोलता होगा यार ब्रश ,- चाय बाद में पहले आन्सर राइटिंग तो कर लूँ # hahahah और गर कोई बोल दे भाई तू तो # टॉप करेगा तो सामने कहेंगे अरे ऐसा कूछ नही मैं तो बस थोड़ी बहूत ही पढाई कर पाता हूँ मैं कहाँ यार - - लेकिन ये लफ्ज सुनकर क्या खुशी होती हैं बयान नही किया जा सकता हैं
# मतलब woowwww क्या # फीलिंग्स होती हैं यार 

▪️.#दोस्तों क्या #गजब की दुनियाँ होती हैं हम सबकी , सारी #खुशियाँ किताबों में ढूँढ़ लेते हैं तो
#सारा दर्द , अपमान , तंगी हालात और #सब परेशानियां उन्ही किताबों में छुपा लेते है

▪️एक उम्मीद हैं #हौसला हैं की एक दिन सब कूछ बदल जायेगा अपनी भी जिंदगी #रंगीन हो जायेगी समस्याओं के बादल हमेशा के लिये छट जायेंगे
जो लोग हम सब पर हँसते हैं उन्हे #हँसने दो यारो उनकी खुशियाँ कम ! ना करो कैसे बताओगे उन्हे की वो जिंदगी ही क्या जो दूसरो के लिये ना जी जाय और दूसरो के होठों पर मुस्कान लाने से पहले खुद की #पलकों को भिगोना पड़ता हैं

▪️हम सब रातों में जागते हैं # बदलाव के लिये , समाज में कूछ योगदान कर सके #भूखों को रोटी दे सके , उन बच्चो की पढाई के लिये जो #मजबूर होकर मजदूर हो गये , जो बुरे रास्तों पर चल पड़े हैं उन्हे #समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिये उनकी ख्वाइशों को अपनी ख्वाइशे बना कर जीते हैं हम और इन सबकोव . पूरा करने के लिये I.a.s जैसे
# प्रभावशाली मंच से बेहतर क्या होगा .

▪️इस बात की फिक्र छोड़ो यार .कोई क्या कहता हैं .क्योंकि ये दुनियाँ आपके #रुतबे को सलाम करती है ..आपके संघर्ष का मूल्य ये क्या समझेंगे ..इसलिये लगे रहिए ..बेफिक्री से ..आपकी मेहनत से जो परिणामों कें फूल खिलेंगे ..उनकी महक फिजाओं मेँ गूंजती रहेगी ..ना दिन देखिए ना रात ..पानी की प्यास सा भोजन की भूख सा अपने लक्ष्य कें लिये भी बेताब रहिए ..सफलता तुम्हारी गोदी मेँ स्वयं आ बैठेगी ...

▪️मिल सके आसानी से उसकी ख्वाहिश किसे है जिद तो उसकी है जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं जिद्द इतनी पक्की है कि जब तक तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं...

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फेसबुक और व्हाट्सप आजकल प्रचंड क्रांति से गुजर रहें हैं... Guidence देने वालों की कमी नही दिख रही है..हमेशा याद रखिये किसी व्यक्ति को follow करने से या किताबो का ढेर लगाकर दिखावा करने से कोई  #IAS नही बन जाता... और न ही सर्वश्रेष्ठ कोचिंग join कर लेने से कोई आईएएस बन सकता है.. coaching हो, शिक्षक हो या कोई भी... 

ये लोग आपको सिर्फ  guide कर सकते है लेकिन संघर्ष आपको ही करना है...
श्री कृष्ण ने रणभूमि में अर्जुन को अपने ज्ञान और शक्तियों से काफी प्रेरित किया लेकिन रणभूमि में योद्धा बनकर अर्जुन को ही लड़ना पड़ा था... 
कोई इंसान आपके जिंदगी को नही बदल सकता.. जब तक आप नही चाहेंगे...
#आईएएस एक job नही बल्कि एक रणभूमि है.. इस रणभूमि में तन,मन, धन सबकुछ समर्पण करके ही विजय पाया जा सकता है.. इस दंगल में जो जितने ही  परिस्थितियों से लड़ कर खुद को कठोर बनायेगा, उसकी success के chances उतने ही ज्यादा होंगें ..यहाँ लड़ाई सिर्फ संघर्षशील व्यक्तियों को बीच होती है.. जो दिन रात अपने सपनो के लिए कार्यरत रहते है और ऐसे लोग मात्र 5-10% रहते है ...
वैसे आपको बता दूं इस दंगल के लिए फार्म भरने के लिए जहाँ 10-12 लाख भरते है  वही 6-7 लाख अभ्यर्थी exam हाल में बैठने की हिम्मत ही नही जुटा पाते है.. जी हाँ , सही सुना आपने.. इस exam में फार्म भरने वाले में से 50% अभ्यर्थी exam में नही बैठते है ..और ऐसा हर साल होता है..ऐसा नही है की इनके पास वो सब पुस्तको का बम्बारमेंट नही होता है, और ये अनपढ़ होते है.. ये वही लोग होते है जो सिर्फ सपने पाल रखते है लेकिन कर्म करने की चाहत नही रखते..!
किसी भी मंजिल के तैयारी से पहले उसके बारे में जान समझ लेना बहुत जरूरी होता है.. खैर जो भी हो अगर आपने इस युद्धभूमि के बारे में अच्छे से जान लिया है तो...तय आपको ही करना है कि आपको इन भीड़ भरे अभ्यर्थियों में रह कर केवल सपने देखना है या सफल बनना है.. अगर सफल बनने की दृढ इच्छा है तो आज ही ठान ले की करना है तो करना है.. 
केवल सोचे नही उस पर action ले ..daily newspaper पर read किया कीजिये.. current अफेयर्स पर ध्यान दे..सप्ताह में दो निबंध अवश्य लिख कर अभ्यास करें.. साथ ही मुख्य परीक्षा के लिए रोजाना कम से कम एक प्रश्न अभ्यास जरूर करे.. किसी भी topic को पढ़े तो उस topic पर आधारित पिछले वर्षों के प्रश्न अभ्यास अवश्य करे...
pre और mains को एक साथ लेकर चले... pre+mains एक साथ लेकर चलिएगा तभी सफल हो पाइयेगा वर्ना भीड़ का हिस्सा बन कर रह जायेंगे..तो सोचना क्या है अब चलो लग जाओ.. मै आपके साथ हूँ ... पर पहले करने के लिए #हौसला और आग के लौ जैसा #जूनून तो पैदा करो...

"हौसला बाजार मे नहीं मिलता..
 पैदा किया जाता है..
 नीलकंठ तो बनना है सबको ...
 पर सबसे जहर पिया नहीं जाता है..
 तड़प हो तो.. पर्वत का सीना चीर नीर फूट पड़ता है..
 कदम बढ़ाओ दोस्त ..upsc के जंग में  मौका मांगा नहीं छीन
 लिया जाता है.."

हार के बैठोगे तो खो जाओगे दुनिया के भीड़ में.. 
#शान और #पहचान बनाना है तो अपना सबकुछ दांव पर लगा दो...

7

जिन्दगी में ऊंचाई पर जाने की तमन्ना हर किसी की
होती है मगर क्या हम सभी अपने सपनों को हकीकत में
बदल पाते हैं??
जवाब सब जानते हैं – नहीं!
आखिर ऐसा क्या भिन्न होता है उन दो अभ्यर्थियों
में जिनके पास एक जैसी शिक्षा, समान पुस्तकें और
अन्य भौतिक समरूपताएं होती हैं फिर भी उनमें से एक
तो कामयाबी का स्वाद चख लेता है और दूसरा
फिरसे एक बार कसम खाता है कि इस बार परीक्षा
का फार्म भरते ही पढूंगा। प्रायः ऐसे अभ्यर्थी अपनी
नाकामयाबियों का बोझ रिश्वत, मीडियम और
शहर-ग्रामीण के जालदार शब्दों पर डाल देते हैं।
मित्रों, विश्वास करें कि यह जिन्दगी इतनी कीमती
है कि आप इसके साथ यह परीक्षण नहीं कर सकते हैं कि
अगली बार………..सचमुच अगली बार पक्का !
एक बार खुद को ईमानदारी से झोंक कर तो देखें अपने
सपनों के पीछे, बिना किसी नकारात्मकता,पूर्वाग्रह
या लीपा पोती के। एक बार किसी दिन सुबह से शाम
तक अपने सपने को अपने साथ-साथ चलाइए, उसका
आनंद
उठाइए और सोचिए कि आगे चार-पांच साल के बाद
अगर आपको आपके सपने नहीं मिले तो आप क्या करेंगे
उसके बिना। सारी जिन्दगी औरों के लिए तालियां
बजाने के लिए थोड़ी जन्में हैं हम। अपने वजूद को
साकार न कर पाने के मलाल के साथ गुमनामी के पन्नों
में बहुत से लोग मर जाते हैं। हमें नहीं मरना है, हम अपने
सपनों को सच करने के लिए अपनी तमाम क्षमताओं के
साथ न्याय करेंगे। जब तक हम कामयाब नहीं हो जाते
हैं तब तक हम केवल अपनी धुन में रहेंगे, अपने सपने के
पीछे…हमारा संसार होगा हमारे सपने, हमारी
किताबें और परिवेश में बिखरा ज्ञान। हम अगर ठोकर
भी खायेंगे तो फिर उठेंगे, अड़े रहेंगे, डटे रहेंगे और एक
दिन तालियों की करतल ध्वनियों के बीच हम देखेंगे
अपने सपने को अपनी आँखों के सामने साकार होते
और मुस्कुराते हुए। ऊंचाई पर जाने की तमन्ना या
तो करो ही मत और अगर कर लेते हो तो फिर संघर्ष के
लिए तैयार रहो। मां शारदे का वरदहस्त न तो
खिलंदड़पन में मिलता है और ना ही कागजी तैयारी
में। मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि कामयाबी
का रिश्ता ना तो 13-14 घंटे की पढ़ाई से है और ना
किताबों के ढेर से या चैक-जैक से। ये तो हारे हुए के
लिए खुद की तसल्ली के साधन हैं। कामयाबी का
सम्बन्ध तो उचित तैयारी के साथ है जो आपको
किसी विषय वस्तु का विश्लेषण करना सीखा दे और
अभिव्यक्त करने का सामर्थ्य दे दे। विनम्रता के साथ
सीखने की अनवरत तथा अनथक कोशिश और खुद पर
भरोसा ही मेरी नज़र में सबसे बड़ी ताकत है। हार मत
मानिए, लगे रहिए और बता दीजिए पूरी दुनिया को
कि आपका जन्म निराश लोगों में खड़े रहने के लिए
नहीं हुआ है, अपितु सफलता की नई इबारत रखने केलिए हुआ है।

आखिर में आप सभी तैयारी करने वाले साथियों से सिर्फ इतना ही कहना चाहती हूँ कि आम से ख़ास की तरफ बढ़िये, वरना जीते तो सभी हैं – वे भी जो कतार के सबसे पीछे हैं और वे भी, जो जहां खड़े होते हैं, कतार वहीं से शुरू होती है। चुनना आपके हाथ में है कि आप चंद कामयाब लोगों में शुमार होना चाहते हैं जिन्होंने इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा लिया है या उन करोड़ों लोगों की तरह जीवन व्यतीत करना चाहते है जिन्हें ना आप जानते ना मै, जो बेनाम वाली ज़िंदगी जी कर चले गये।... 

8

"इंतजार मत करो जितना तुम सोचते हो जिंदगी उससे कहीं तेज निकल रही है " 

डॉन ब्रैडमैन ने जब रिकॉर्ड बनाये थे तब किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि सचिन तेंदुलकर जैसा कोई बल्लेबाज होगा जो क्रिकेट का भगवान बनकर सामने आएगा ....ठीक यही बात सचिन के समय में भी किसी ने नहीं सोची थी कि विराट कोहली जैसा महान बल्लेबाज भी जन्म लेगा जो कम उम्र में ही पुराने रिकार्ड्स की धज्जियाँ उड़ाना शुरू कर देगा ..यही होता है कोई भी शिखर अंतिम नहीं होता बशर्ते आपमें वो ताकत और हौसला होना चाहिए कि आप उससे भी ऊपर अपने सफलता के ध्वज को गाड़ सको ! 
एक सामान्य सी चीज बताता हूँ और ये शत प्रतिशत सच है कि किसी भी मुश्किल लक्ष्य के बारे में अगर 100 लोगो से पूछा जाता है तो उसमे 95 लोगों का उत्तर होता है "" असंभव "" ...और सिर्फ 5 लोग ही कहते हैं कि हाँ मैं ये कर सकता हूँ ...और वो पांच ही उस लक्ष्य तक पहुँचते हैं ...हाँ कोई आगे या कोई पीछे जरूर होता है पर पहुँचते सब हैं ....... अब जरा सोचिये उन 5 ने क्या किया ? ....सिर्फ एक अलग तरह से सोचा ना ...? ...और इसी सोच ने उन्हें दूसरों से अलग कर दिया ...तो हम लोग क्यों उस 95 वाली भीड़ का हिस्सा बनते जा रहे हैं ...क्यों नहीं सोच सकते कुछ अलग .... और याद रखिये जिस दिन आपने कुछ अलग सोच लिया ना ..दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती आपको उस लक्ष्य को पाने से .!! 
जिंदगी का कोई ऐसा टाइम नहीं होता जिसमे हम एक नयी शुरुआत नहीं कर सकते ...जाने कितनों ने ये करके दिखाया है ...यूँ कहें कि "" सफलताएं उम्र की मोहताज नहीं होती वो तो किसी भी जगह . किसी भी समय , और किसी भी तरह से आपसे मिलने को तैयार रहती हैं बशर्ते आप खुद को उनके लिए साबित करके तो दिखाओ "' 

अरे यार दो पल की जिंदगी हैं...और याद रहे कि जैसी भी है दोबारा नहीं मिलने वाली ..तो क्यों हर पल को बहुत ज्यादा कठिन बनाते जा रहे हो .....बोझ सी जिंदगी और फिर मौत का इंतजार ...बस इत्तू सी है जिंदगी ..? 
छू ले आसमान जमीं की तलाश ना कर , जी ले जिंदगी ख़ुशी की तलाश ना कर , तकदीर बदल जाएगी खुद ही मेरे दोस्त , मुस्कुराना सीख ले वजह की तलाश ना कर !! 
जरा सोचकर देखो भगत सिंह , सुखदेव , चंद्रशेखर आजाद , राजगुरु और भी जाने कितने ....जो ज्यादा तो नहीं जी पाए पर खुद को हमेशा के लिए अमर कर गए ...
9

क्या-क्या कहते हैं जमाने के लोग 
जब कदम बढाते हैं आप #सिविल सर्विस की तैयारी के लिए...
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देखिए एक नमूना.......
.. कलेक्टर बनना मुश्किल ही नही, नामुमकिन है। 
(पड़ोसी) 
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. तेवारी का लडका कोचिंग पोचिंग सब किया था 
10 साल दिल्ली में रहकर पढा 
कुछौ नही हुआ..... खाली हाथ लौटकर आवा... अब चौराहे पर मोबाईल रिचार्ज की दुकान चलाता है। 
. (गांव वाले) 
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एतना साल तक गांव में रहत हो गइल....... कबहुं सुने हो कि गांव में अगल बगल केहु का लरका लरकी कलेक्टर बना है 
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. बडे़ बडे़ नही कुछ उखाड़ पाये अब तुम उखाड़ के दिखाओगे 
उखाडो...... देखते हैं तुम्हरा भी जोर बल 
(छोटी नौकरी की तलाश वाले) 
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इहां ग्रूप थर्ड में तो नौकरी मिल ही नही रहा है और ई ससुर कलेक्टर बनने का ख्वाब देख रहे हैं। 
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. का कहे रहे हो.... हिन्दी मीडियम से तैयारी करोगे 
तब तो बस भूल ही जाओ........... कुछौ न होगा। 
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जहां पहुंच और शिफारिश हैं। उहां तो रूपिया पइसा देय से भी कुछ ना होई रहा और ऊ कह रहा है कि हम कलेकटरै बनब 
(रिश्तेदार) 
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. न खेत न बारी..... कलेक्टर बनै का इंतजारी 
सच बतायें तो....... भइया शिरिफ रुपिया की बर्बादी है। 
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. बरा बरा शहर में जाके....... लरका लरकी खराब होई जात हैं
बहुत देखें हैं भइया...... दिल्ली बंबई में शहरी कल्चर 
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. कोचिंग वाले सब चूतिया बनाते हैं। कुछ नही पढाते हैं सब धंधा बिजनेस है। बच्चों को लूट कर लावारिस छोड़ देते हैं।............ सेलेक्शन , घंटा करवाते हैं। 
सेलेक्शन के बारे में तो भूल ही जाओ। 
(साथी - दोस्त ) 
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.हमारी बात मानो तो भाई SSC, Railway, Bank की तैयारी करो जल्दी नौकरी मिल जाएगी। 
हम तो 7 साल से IAS /PCS दे रहे हैं 
अबे तक कुछौ न हुआ 
(सीनियर्स) 
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. फलां-फलां आप्शनल सब्जेक्ट ले लो। बहुत नंबर मिलता है। 
जल्दी कलेक्टर बन जाओगे 
हमारे यहां से पढो.......... फीस कम करा देंगे। 
( कोचिंग वाले) 
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लौंडा, पढ़ाई तो खूब कर रहा है 
देखते हैं प्री पास हो जाएगा कि नही
प्री परीक्षा पास हो जाने पर 
अरे तुक्के से पास हो गया 
मेंस पास करके दिखाये तो...... जाने 
(रूम पार्टनर ) 
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. अब बहुत कंपटीशन है भाई इस फील्ड में 
IIT, IIM, AIIMS वाले सब इधर ही हांथ पांव मार रहे हैं। 
हम तो कहेंगे कि - पहले छोटी मोटी नौकरी हांथ में ले लो 
तब कलेक्टरी के बारे में सोंचना 
( एक दो बार प्री दे चुके कैंडिडेट) 
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. बहुत किताब पढना पडता है। 16 घंटे रोज पढोगे 
तब कलेक्टर बन पाओगे। इतनी बड़ी और भारी भरकम परीक्षा में सफल होने के लिए 2-4 घंटे में कुछ नही होगा। 
(टापर्स के कथन) 
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. और क्या चल रहा है? तैयारी ठीकठाक हो गई है। कहीं हो रहा है कि नही? मतलब होने का चांस है कि नही 
(घर जाने पर पड़ोसी) 
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. इस बार पेपर कैसा हुआ? सुना है प्री में बहुत कठिन प्रश्न पूंछा था। (मोहल्ले के यार दोस्त) 
.तुम्हारे पीछे लाखों रुपिया फूंक दिये। ऊहां दिल्ली में मस्तीबाजी कर रहे हो। हम और नही पढा सकते हैं । बोरिया बिस्तर बांधों और इहां आके खेतीबाड़ी में मदद करो। नाहि त ब्याह शादी कर दें। कौनो काम धंधा करो। हमे और बच्चों का भविष्य भी देखना है। तुम्हरे पीछे परिवार को भूखों नही मारना है। ( गुस्सैल बाप) 
. तैयारी करो बेटा.......... देखा जाएगा 
जब तक जान है। कसर नही छोडेंगे 
चाहे खेत बाडी सब बिक जाये 
छोटी सी नौकरी में जो कुछ हो सकता है सब करेंगे। 
जो भी रूपिया पैसा की जरूरत हो...... बताना 
हमेशा पढते ही मत रहना 
तबियत का भी ख्याल रखना। 
इस बार न सही, अगली बार सही 
बस निराश मत होना, 
(सामान्य मा बाप /भाई बहन) 
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इन सभी कथनो से आपका सामना होगा। जब आप सिविल सर्विस की तैयारी करेंगे। यदि इनसे विचलित हो गये तो डूब जाओगे। लेकिन अगर तैरते रहे........ धाराओं के प्रतिकूल भी तो दरिया पार कर जाओगे।। और दरिया पार कर जाने पर सब कहेंगे कि - 
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. फलाने का लडका बहुत मेहनती था भाई । आखिरकार कलेक्टर बनकर ही दम लिया। 
सोंच रहे हैं कि............ हम भी अपने बचवा को आई ए एस की तैयारी करवाते हैं। जब उनका लडका कर सकता है तो हमारा क्यों नही कर सकता? 
कुछ समझे कि नही मेहनत करनी पड़ेगी भाई.......
और अंत में मित्रों हौसला अफजाई के लिए नीदा फ़ाज़ली की इक पंक्ति है

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो 
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो

इधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलो 
बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं 
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता 
मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो

यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदें 
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो

हर इक सफ़र को है महफ़ूस रास्तों की तलाश 
हिफ़ाज़तों की रिवायत बदल सको तो चलो

कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ धुआँ है फ़िज़ा 
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो...

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अगर आप परीक्षा को लेकर तनाव में हैं तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें और आंकलन करें...

 #तैयारी के कुछ मुख्य बिंदु...(नए अभ्यर्थी मित्रों के लिए)

●जब तक सिलेबस को ठीक से नही पढ़ेंगे,पढ़ाई में व्यवधान स्वाभाविक ही रहेगा...
●फ़ोन/fb/wtsapp बन्द करने की जगह कम use करें,
क्योंकि इनके बिना भी काम नही चलने वाला ।
●लगभग दिन में जब भी पढ़ के उठे तो हर बार अपना वो लक्ष्य याद करें जो आप पाना चाहते हैं..
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●एक दिन में कम से कम 3 सब्जेक्ट्स पढ़ें,अगले दिन कुछ नया पढ़ने से पहले पुराने पढ़े हुए मैटर का #revision करें...
●अभी आपको पढ़ाई करते करते बोरियत हो सकती है
लगेगा कोई मेरी तरफ ध्यान ही नही दे रहा,
जबकि मैं इतना पढ़ रहा/रही हूँ
उस समय आपको अपना धैर्य बना के रखना होगा,
क्योंकि 1 साल की लगातार तैयारी ही आपको सिलेक्शन दिलवा सकती है।
●सबसे बड़ी बात गैप न करे;
यदि गैप हुआ तो चीजों में निरंतरता का अभाव रहेगा..ऐसी स्थिति में भूलने की समस्या रहेगी।
●जो भी पढ़ें वो इस तरह पढ़ें जैसे बचपन में पढ़ने की आदत थी,मतलब लगन से,
जितना लगन से उतनी जल्दी याद होगा।
●भगवान में आस्था बनाएं रखे
पहले ही प्रयास में आप सफल होंगे ये विश्वास दिल में बनाएं रखें।
●ध्यान रखिए जिस दिन रिजल्ट आता है उस दिन के वो हँसते हुए चेहरे लगभग 1 साल तक अनवरत अध्ययन/लगभग बहुत ही कम मनोरंजन से जी हुई जिदंगी का फल होते हैं।
इसलिए अपने शेड्यूल का कड़ाई से पालन करें...
●जब भी हौसलें टूटें,थकान हो, तो अपने #सपने को याद करें ।
●1 घण्टे की पढ़ाई में कम से कम 10 मिनट का गैप रखें जिससे याद की हुई पढ़ाई स्थिर हो सके...
●अपने #नोट्स बनाते चलें..
करंट अफेयर्स daily की daily तैयार करें।
●सबसे बड़ी बात जीवन में प्यार को महत्च दें और अपनी भावनाओं को भी,लेकिन किसी भी तरह की उम्मीद न पालें किसी से क्योंकि लक्ष्य आपको हासिल करना है तो लिहाजा मेहनत आपकी ही होगी।
●अपनी पढ़ाई के लिए जो जगह और समय व्यवस्थित करें उसी समय पढ़ें
जरा सा आलस आपको लक्ष्य से दूर कर देगा।
●आखिरी बात जीवन में 'योग्यतम जीविता का सिद्धान्त' हमेशा लागू होता है..
यदि आप नही पढेंगे तो कोई और आपकी जगह लेने को हमेशा तैयार है...

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अब बस तभी रुकना हैं जब सफलता हमारे कदमों में हो ... 

ये आपका फैसला होगा कि आसमान की ऊंचाइयों से खूबसूरत दुनिया को देखते हो या असफलता के चौखट में ही रहकर सिमट जाते हो 
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क्या आप असफलता की चौखट पर ही अपना दम तोड़ देना चाहते हैं , क्या आप भूल गए कि आप घर से बाहर इसलिए निकले थे ताकि आप अपने सर पर जीत का ताज पहन के घर पहुंचे , क्या आप भूल गए उनके ख्वाहिशों को ,अरमानों को जिन्होंने आपके लिए वर्षों से संजो कर रखे हैं , आखिर हुआ क्या है आपको ,आखिर क्यों आप आज उस तरीके से नहीं लड़ रहे जिस तरीके से आप को लड़ना चाहिए ! क्यों आप उन कसमों से दूर भाग रहे हैं जो आपको जीत दिलाती हैं आखिर क्यों आप एक नादान परिंदे की तरह गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए खामोश बैठे हैं , क्यों अभी तक आपके अंदर का मानव जगा नहीं !

बहुत कुछ तो मैं नहीं कहना चाहता पर इतना जरूर बता दूं कि आप वह है जिसके अंदर से ही शख्सियत निकलती है , आप वह है जो कर्मो का तूफ़ान पैदा कर इतिहास बदल सकता है , आप वह है जो लकीर को इतनी लंबी खींच सकता है कि आगे आने वाले वर्षों तक वह सुनहरा बनकर चमकता रहेगा ! वक्त बहुत नहीं है पर वक्त इतना जरूर है कि आप अपने जिंदगी को अपने जीवन को साकार कर जाइए !

गौर कीजिए आपने आज तक क्या किया जब आप अपने घर से बाहर निकले थे तो आप की आंखों में कुछ ख्वाब थे , आपके होठों पर कुछ जज्बात थे , आपके चेहरे पर एक चमक थी और आपके कर्मों में एक तूफान था ! आखिर क्यों आप थम सा गए हैं आपकी सिद्दत कहां गई , आपका जुनून कहां गया , ऐसा तो नहीं कि आप जिंदा लाश बन गए हैं ! जनाब याद रखिए दुनिया उन्हीं को याद रखती है जो याद रखने जैसा कुछ कर जाते हैं !

कल का तो मुझे पता नहीं पर आपसे इतना जरूर कहूंगा कि आप इस कदर मेहनत करो की खुद को सुकून मिले ! इतिहास गवाह है इतिहास उन्हीं का लिखा जाता है जो संघर्षों से गुजरते हुए खुद को खुद के लिए खड़ा कर लेते हैं आपके अंदर –

दम है
ताकत है
शिद्दत है
जुनून है
जज्बा है
जज्बात है
ख्वाब है
ख्यालात है

याद रखिये आप इंसान हैं जो लड़ सकता है गिर के उठ सकता है जो हार के भी जीत सकता है और जीत के भी जीत सकता है ! 

आपके लिये चंद लाइने – 

हौंसले हो बुलंद तो हर मुश्किल को आसां बना देंगे , 
छोटी टहनियों की क्या बिसात, हम बरगद को ही हिला देंगे ! 
वो और हैं जो बैठ जाते हैं थक कर मंजिल से पहले , 
हम बुलंद हौंसलों के दम पर आसमां को ही झुका देंगे ! 

हम कैसे हार मान सकते हैं अपनी मंजिल, अपने ख्वाबों से पहले, कैसे भाग सकते हैं अपनी जिम्मेदारियों से किसी के भी प्रति ! बहुत लोगों की उम्मीद की किरण हैं हम, चाहे वो हमारे माता-पिता हो, चाहे हो भाई बहन, चाहे हो रिस्तेदार कोई, चाहे तो हमारा अपना समाज (Society), चाहे हो शहर अपना, हो चाहे हमारा अपना देश.

तो दोस्तो पूरी ताकत से जुट जाइये और अब बस तभी रुकना हैं जब सफलता हमारे कदमों में हो ! ऐसी कोई चीज नहीं है, जो हम मेहनत, लगन व आत्मविश्वास से नहीं पा सकते. खुद पर भरोसा कर इंसान अपनी किस्मत खुद बना सकता है... 

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