दिल की जज्बात दिल से...
बेसक तू किसी और का हमसफ़र है दोस्त ,किंतु हमदर्द तो हमेसा हमरा ही रहेगी...दोस्त वो देवता हैं उस मंदिर का,जिसमें मेरे प्यार की मूरत आवास करती है... दोस्त अगर तुझे पाने की चाहत होती तो तू किसी और के आंगन की तुलशी नही, बल्कि मेरे मन की मंदिर की लाजवाब कोहिनूर मूरत होती...चल छोड़ क्या करे शिकवा और गिला तेरे बदसलूकी की, बेपनाह मोहब्बत देने वाले बेपरवाह कैसे हो गये दोस्त...मैं समझता तो हूँ कि तू कुछ और मैं कुछ मजबूर था, पर बेबशी की मतलब ये तो नही न कि कोई हम बन जाय दोस्त...क्या कहूं दोस्त जज्बात इस बेबस जिंदगी की,जहाँ तुमने मुझे छोड़ था वहाँ से कोई नही उठाया दोस्त...तू तो खुश हैं अपनी रौनक़ भरी आशियानो में ,पर देख तेरा राज तेरे रहते हुए कब्रिस्तान बन दोस्त...कुछ भी नही चाहा राज ने तेरे शिवा इस जिंदगी में, फिर भी मेरी जिंदगी ने मेरे ही जीवन से जुदा हो गई दोस्त...दोस्त जिंदगी तो वही थी जो तुमने जिना सिखया था,अब आज कल तो बस उस मौत का इंतिजार में इधर उधर घूमता रहता है... दोस्त क्या करूँ मैं उन शानो शोहरत की,जिसमे तू शामिल ही नही...दोस्त देख जो कभी हमरे सपने फ़साने लगते थे,आज वो करवा, सरताज,शोहरत और उन मंजिलों को तेरा राज अपने कदमों के निचे लेकर घूमता फिरता रहता है...पैसे तो बहुत है तुम्हारे पास इस बात सारा मुल्क जनता है, पर तुम्हारे पास गम और तन्हाई कितनी है केवल ये सराबी जनता दोस्त...अंत मे तो सब को अंतिम यात्रा करना ही है दोस्त,परन्तु किसी की जीवन को जीते जी अंत करना बहुत बुरा है...उस यस में जो हाँ था न दोस्त, वो राज के no से भी तुलना कभी नही की जा सकती...मुझे ठुकरा or छोड़ के जाने वाले, मेरा कसूर क्या था कम से कम इतना तो बता देते...रो रो कर अपना जज्बात लिखना हर किसी की बस बात नही दोस्त, इसके लिए पवित्र प्यार or अटूट विश्वास दोनो खोना पडता है दोस्त...दोस्त मांग का सिंदूर रिश्ते का गवाह तो हो सकता है,पर प्रेम का कभी नहीं...प्यार जो करता है उसका दिल भी अजीब होता है, यार जैसा भी हो दोस्त, उस खुदा से भी अजीज होता है...किस्मत ने जैसा चाहा वैसे ढल गए हम,बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गए हम,किसी ने विश्वास तोड़ा, तुम ने 💔दिल💔, और लोगों को लगा कि बदल गए हम दोस्त...तेरा राज...
Nice line*...
*मकान जले तो बीमा ले सकते हैं,*
*सपने जले तो क्या किया जाए...*
*आसमान बरसे तो छाता ले सकते हैं,*
*आँख बरसे तो क्या किया जाए...*
*शेर दहाड़े तो भाग सकते हैं,*
*अहंकार दहाड़े तो क्या किया जाए..*
*काँटा चुभे तो निकाल सकते हैं,*
*कोई बात चुभे तो क्या किया जाए...*
*दर्द हो तो गोली / दवा ले सकते हैं,*
*वेदना हो तो क्या किया जाये...*
Some special line...
मन में थी मिलने की इच्छा,
तभी तो हम सबको मिलाया है,
आपस में कर सलाह-मशवरा,
एडमिन्स ने यह ग्रुप बनाया है।
लगता था पहले जहाँ अंधेरा,
एक दीपक उसने जलाया है,
हर मैसेज एक किरण होगी,
ऐसा ही प्रकाश जगमगाया है।
जब मिट गई आस मिलन की
तब छलकाई उसने ये प्याली है
संदेशे पढ़कर सभी के होठों पर
छाई खुशहाली की यह लाली है
सच्चे संबंध कहाँ इस जीवन में,
फिर भी हंसकर गले लगाया है,
लाईक और वॉह-वॉह करके ही
इतना बढ़िया सा ग्रुप सजाया है
इतनी सारी मुश्किलों के सामने,
इस कविता को बनाया है,
मन में थी मिलने की इच्छा...
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