Sunday, May 31, 2020

भारत सरकार की योजनाएं

भारत सरकार की योजनाएं


भारत सरकार की योजनाएं
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1. नीति आयोग - 1 जनवरी 2015
2. ह्रदय योजना -21 जनवरी 2015
3. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं -22 जनवरी 2015
4. सुकन्या समृद्धि योजना -22 जनवरी 2015
5. मुद्रा बैंक योजना -8 अप्रैल 2015
6. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना -9 मई 2015
7. अटल पेंशन योजना -9 मई 2015
8. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना -9 मई 2015
9. उस्ताद योजना (USTAD) -14 मई 2015
10. प्रधानमंत्री आवास योजना -25 जून 2015
11. अमरुत योजना(AMRUT) -25 जून 2015
12. स्मार्ट सिटी योजना -25 जून 2015
13. डिजिटल इंडिया मिशन -1 जुलाई 2015
14. स्किल इंडिया मिशन -15 जुलाई 2015
15. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना -25 जुलाई 2015
16. नई मंजिल -8 अगस्त 2015
17. सहज योजना -30 अगस्त 2015
18. स्वावलंबन स्वास्थ्य योजना - 21 सितंबर 2015
19. मेक इन इंडिया -25 सितंबर 2015
20. इमप्रिण्ट इंडिया योजना - 5 नवंबर 2015
21. स्वर्ण मौद्रीकरण योजना -5 नवंबर 2015
22. उदय योजना (UDAY) -5 नवंबर 2015
23. वन रैंक वन पेंशन योजना -7 नवंबर 2015
24. ज्ञान योजना -30 नवंबर 2015
25. किलकारी योजना -25 दिसंबर 2015
26. नगामि गंगे, अभियान का पहला चरण आरंभ -5जनवरी 2016
27. स्टार्ट अप इंडिया -16 जनवरी 2016
28. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना -18 फरवरी 2016
29. सेतु भारतम परियोजना -4 मार्च 2016
30. स्टैंड अप इंडिया योजना - 5 अप्रैल 2016
31. ग्रामोदय से भारत उदय अभियान -14अप्रैल 2016
32. प्रधानमंत्री अज्वला योजना - 1 मई 2016
33. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना - 31 मई 2016
34. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना -1 जून 2016
35. नगामी गंगे कार्यक्रम -7 जुलाई 2016
36. गैस फॉर इंडिया -6 सितंबर 2016
37. उड़ान योजना -21 अक्टूबर 2016
38. सौर सुजला योजना -1 नवंबर 2016
39. प्रधानमंत्री युवा योजना -9 नवंबर 2016
40. भीम एप - 30 दिसंबर 2016
41. भारतनेट परियोजना फेज - 2 -19 जुलाई 2017
42. प्रधानमंत्री वय वंदना योजना -21 जुलाई 2017
43. आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना -21 अगस्त 2017
44. प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना- सौभाग्य -25 सितंबर 2017
45. साथी अभियान -24 अक्टूबर 2017
46. दीनदयाल स्पर्श योजना- 3 नवंबर 2017



पंचवर्षीय योजना

 पंचवर्षीय योजनाओं में प्राथमिकता के प्रमुख क्षेत्र


⚡1 पंचवर्षीय योजना (1951-56)
उत्तर -कृषि की प्राथमिकता।

⚡2 पंचवर्षीय योजना (1956-61)
उत्तर-उद्योग क्षेत्र की प्राथमिकता।

⚡3 पंचवर्षीय योजना (1961-66)
उत्तर - कृषि और उद्योग।

⚡4 पंचवर्षीय योजना (1969-74)
उत्तर -न्याय के साथ गरीबी के विकास को हटाया।

⚡5 वीं पंचवर्षीय योजना (1974-79)
उत्तर -गरीबी और आत्म निर्भरता को हटाया।

⚡6 पंचवर्षीय योजना (1980-85)
उत्तर - 5 वीं योजना के रूप में ही जोर दिया।

⚡7 वीं पंचवर्षीय योजना (1985-90)
उत्तर -फूड प्रोडक्शन, रोजगार, उत्पादकता

⚡8 वीं पंचवर्षीय योजना (1992-97)
उत्तर -रोजगार सृजन, जनसंख्या का नियंत्रण।

⚡9 वीं पंचवर्षीय योजना (1997-02)
उत्तर -7 प्रतिशत की विकास दर.

⚡10 वीं पंचवर्षीय योजना (2002-07)
उत्तर - स्व रोजगार और संसाधनों का विकास।

⚡11 वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12)
उत्तर - व्यापक और तेजी से विकास।

⚡12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17)
उत्तर -स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता {समग्र विकास} का सुधार।

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झीलें और उसके राज्य

झीलें और  उसके राज्य

🐍डल झील :- जम्मू-कश्मीर
🐍वुलर झील :- जम्मू-कश्मीर
🐍बैरीनाग झील :- जम्मू-कश्मीर
🐍मानस बल झील :- जम्मू-कश्मीर
🐍नागिन झील :- जम्मू-कश्मीर
🐍शेषनाग झील :- जम्मू-कश्मीर
🐍अनंतनाग झील :- जम्मू-कश्मीर
🐌राजसमंद झील :- राजस्थान
🐌पिछौला झील :- राजस्थान
🐌सांभर झील :- राजस्थान
🐌जयसमंद झील :- राजस्थान
🐌फतेहसागर झील :- राजस्थान
🐌डीडवाना झील :- राजस्थान
🐌लूनकरनसर झील :- राजस्थान
🌀सातताल झील :- उत्तराखंड
🌀नैनीताल झील :- उत्तराखंड
🌀राकसताल झील :- उत्तराखंड
🌀मालाताल झील :- उत्तराखंड
🌀देवताल झील :- उत्तराखंड
🌀नौकुछियाताल झील :- उत्तराखंड
🌀खुरपताल झील :- उत्तराखंड
🏈हुसैनसागर झील :- आंध्रप्रदेश
🏈कोलेरू झील :- आंध्रप्रदेश
🏀बेम्बनाड झील :- केरल
🏀अष्टमुदी झील :- केरल
🏀पेरियार झील :- केरल
💿लोनार झील :- महाराष्ट्र
⛺ पुलीकट झील :- तमिलनाडु एवं आँध्रप्रदेश.
🌕लोकटक झील :- मणिपुर
🌑चिल्का झील :- उड़ीसा

Saturday, May 30, 2020

Upsc Posts and services By Raj sir

सेवा/पद का नाम    (Name of Service/Post)

Some Indian Administrative Posts of UPSC Topers...

ASP (Additional superintendent of police)
ACP( Assistant commissioner of police)
SDM  (Sub Divisional Magistrate) 
DSP(Deputy Superintendent of Police) DIG(Deputy Inspector General)
DGP (Director general of police)
DM(DISTRICT MAGISTRATE Or Manager)
SP(Superintendent of police)
IG(Inspector General)
Collector
  1. Civil Services Examination
  2. Engineering Services Examination
  3. Combined Medical Services Examination
  4. Combined Defence Services Examination
  5. National Defence Academy Examination
  6. Naval Academy Examination
  7. Special Class Railway Apprentice
  8. Indian Forest ServiceExamination 
  9. Indian Economic Service/Indian Statistical Service Examination
  10. Combined Geoscientist and Geologist Examination
  11. Central Armed Police Forces(Assistant Commandant) Examination


 क्रम (Order)

(i) Indian Administrative Service.
(ii) Indian Foreign Service.
(iii) Indian Police Service.
(iv) Indian P & T Accounts & Finance Service, Group ‘A’.
(v) Indian Audit and Accounts Service, Group ‘A’.
(vi) Indian Revenue Service (Customs and Central Excise), Group ‘A’.
(vii) Indian Defence Accounts Service, Group ‘A’.
(viii) Indian Revenue Service (I.T.), Group ‘A’.
(ix) Indian Ordnance Factories Service, Group ‘A’ (Assistant Works Manager, Administration).
(x) Indian Postal Service, Group ‘A’.
(xi) Indian Civil Accounts Service, Group ‘A’.(xii) Indian Railway Traffic Service, Group ‘A’.
(xiii) Indian Railway Accounts Service, Group 'A'.
(xiv) Indian Railway Personnel Service, Group ‘A’.
(xv) Post of Assistant Security Commissioner in Railway Protection Force, Group ‘A’
(xvi) Indian Defence Estates Service, Group ‘A’.
(xvii) Indian Information Service (Junior Grade), Group ‘A’.
(xviii) Indian Trade Service, Group 'A' (Gr. III)
.(xix) Indian Corporate Law Service, Group "A".
(xx) Armed Forces Headquarters Civil Service, Group ‘B’ (Section Officer’s Grade).(xxi) Delhi, Andaman & Nicobar Islands, Lakshadweep, Daman & Diu and Dadra & NagarHaveli Civil Service, Group 'B'.
(xxii) Delhi, Andaman & Nicobar Islands, Lakshadweep, Daman & Diu and Dadra & NagarHaveli Police Service, Group 'B'.
(xxiii) Pondicherry Civil Service, Group 'B'.(xxiv) Pondicherry Police Service, Group ‘B


All India Services
Central Services (Group A)
Group B Services

प्राचीन भारत का इतिहास

प्राचीन_भारत_का_इतिहास

#महाजनपद

छठी शताब्दी ईसा पूर्व में कुछ साम्राज्यों के विकास में वृद्धि हुयी थी जो बाद में प्रमुख साम्राज्य बन गये और इन्हें महाजनपद या महान देश के नाम से जाना जाने लगा था। इन्होंने उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान से पूर्वी बिहार तक तथा हिमालय के पहाड़ी क्षेत्रों से दक्षिण में गोदावरी नदी तक अपना विस्तार किया। आर्य यहां की सबसे प्रभावशाली जनजाति थी जिन्हें 'जनस' कहा जाता था। इससे जनपद शब्द की उतपत्ति हुयी थी जहां जन का अर्थ "लोग" और पद का अर्थ "पैर" होता था। जनपद वैदिक भारत के प्रमुख साम्राज्य थे। महाजनपदों में एक नये प्रकार का सामाजिक-राजनीतिक विकास हुआ था। महाजनपद विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित थे। 600 ईसा पूर्व से 300 ईसा पूर्व के दौरान भारतीय उप-महाद्वीपों में सोलह महाजनपद थे।

#उनके_नाम_थे:-

अंग
अश्मक
अवंती
छेदी
गांधार
कम्बोज
काशी
कौशल
कुरु
मगध
मल्ल
मत्स्य
पंचाल
सुरसेन
वज्जि
वत्स

#मगध_साम्राज्य:

मगध साम्राज्य ने 684 ईसा पूर्व से 320 ईसा पूर्व तक भारत में शासन किया।
इसका उल्लेख महाभारत और रामायण में भी किया गया है।
यह सोलह महाजनपदों में सबसे अधिक शक्तिशाली था।
साम्राज्य की स्थापना राजा बृहदरथ द्वारा की गयी थी।
राजगढ (राजगिर) मगध की राजधानी थी, लेकिन बाद में चौथी सदी ईसा पूर्व इसे पाटलिपुत्र में स्थानांतरित कर दिया गया था।
 यहां लोहे का इस्तेमाल उपकरणों और हथियारों का निर्माण करने के लिए किया जाता था।
हाथी जंगल में पाये जाते थे जिनका इस्तेमाल सेना में किया जाता था।
गंगा और उसकी सहायक नदियों के तटीय मार्गों ने संचार को सस्ता और सुविधाजनक बना दिया था।
बिम्बिसार, अजातशत्रु और महापदम नंद जैसे क्रूर और महत्वाकांक्षी राजाओं की कुशल नौकरशाही द्वारा नीतियों के कार्यान्वयन से मगध समृद्ध बन गया था।
मगध का पहला राजा बिम्बिसार था जो हर्यंक वंश का था।
अवंती मगध का मुख्य प्रतिद्वंदी था, लेकिन बाद में एक गठबंधन में शामिल हो गया था।
शादियों ने राजनीतिक गठबंधनों के निर्माण में मदद की थी और राजा बिम्बिसार ने पड़ोसी राज्यों की कई राजकुमारियों से शादी की थी।

#हर्यंक_राजवंश:

यह बृहदरथ राजवंश के बाद मगध पर शासन करने वाला यह दूसरा राजवंश था।
शिशुनाग इसका उत्तराधिकारी था।
राजवंश की स्थापना बिम्बिसार के पिता राजा भाट्य द्वारा की गयी थी।
राजवंश ने 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 413 ईसा पूर्व तक मगध पर शासन किया था।
हर्यंक राजवंश के राजा इस प्रकार थे:
भाट्य
बिम्बिसार
अजातशत्रु
उदयभद्र
अनुरूद्ध
मुंडा
नागदशक

#बिम्बिसार:

बिम्बिसार ने मगध पर 544 ईसा पूर्व से 492 ईसा पूर्व तक, 52 वर्ष शासन किया था।
उसने विस्तार की आक्रामक नीति का पालन किया और काशी, कौशल और अंग के पड़ोसी राज्यों के साथ कई युद्ध लड़े।
बिम्बिसार गौतम बुद्ध और वर्द्धमान महावीर का समकालीन था।
उसका धर्म बहुत स्पष्ट नहीं है। बौद्ध ग्रंथों में उल्लेख के अनुसार वह बुद्ध का एक शिष्य था, जबकि जैन शास्त्रों में उसका वर्णन महावीर के अनुयायी के रूप तथा राजगीर के राजा श्रेनीका के रूप में मिलता है।
बाद में बिम्बिसार को उसके पुत्र अ़जातशत्रु द्वारा कैद कर लिया गया जिसने मगध के सिंहासन पर आधिपत्य स्थापित कर लिया था। बाद में कारावास के दौरान बिम्बिसार की मृत्यु हो गई।

#अजातशत्रु

अजातशत्रु ने 492- 460 ईसा पूर्व तक मगध पर शासन किया था।
उसने वैशाली के साथ 16 वर्षों तक युद्ध किया था और अंत में कैटापोल्ट्स की मदद से साम्राज्य को शिकस्त दी।
उसने काशी और वैशाली पर आधिपत्य स्थापित करने के बाद मगध साम्राज्य का विस्तार किया था।
उसने राजधानी राजगीर को मजबूत बनाया जो पाँच पहाड़ियों से घिरी हुई थी जिससे यह लगभग अभेद्य बन गयी थी।

#उदयन:

उदयन या उदयभद्र अजातशत्रु का उत्तराधिकारी था।
उसका शासनकाल 460 ईसा पूर्व से 444 ईसा पूर्व तक चला था।
उसने पटना (पाटलिपुत्र) के किले का निर्माण कराया था जो मगध साम्राज्य का केंद्र था
उदयन का उत्तराधिकारी शिशुनाग था।
शिशुनाग ने अवंती साम्राज्य का विलय मगध में कर दिया था।
बाद में उसका उत्तराधिकारी नंद राजवंश बना।

#नंद_राजवंश:

राजवंश का शासनकाल 345 ईसा पूर्व से 321 ईसा पूर्व तक चला था।
महापदम नंद, नंद राजवंश का पहला राजा था जिसने कलिंग का विलय मगध साम्राज्य में कर दिया था।
उसे सबसे शक्तिशाली और क्रूर माना जाता था यहां तक कि सिकंदर भी उसके खिलाफ युद्ध लड़ना नहीं चाहता था।
नंद वंश बेहद अमीर बन गया था। उन्होंने अपने पूरे साम्राज्य में सिंचाई परियोजनाओं और मानकीकृत व्यापारिक उपायों की शुरूआत की थी।
हर्ष और कठोर कराधान प्रणाली ने नंदों को अलोकप्रिय बना दिया था।
अंतिम नंद राजा, घानानंद को चंद्रगुप्त मौर्य ने पराजित कर दिया था।

मौर्यकालीन मूर्तिकला*

●चमकदार पॉलिश (ओप), मूर्तियों की भावाभिव्यक्ति, एकाश्म पत्थर द्वारा निर्मित पाषाण स्तंभ एवं उनके कलात्मक शिखर (शीर्ष) मौर्यकालीन मूर्तिकला की विशेषताएँ हैं।

●मौर्यकाल में जो मूर्तियाँ उपलब्ध हुई हैं उनमें पत्थर व मिट्टी की मूर्ति तो मिली है, किंतु धातु की कोई मूर्ति नहीं मिली है।

●मौर्यकाल में मूर्तियों का निर्माण चिपकवा विधि (अंगुलियों या चुटकियों का इस्तेमाल करके) या साँचे में ढालकर किया जाता था।

●मौर्यकालीन मृणमूर्तियों के विषय हैं- पशु-पक्षी, खिलौना और मानव। अर्थात् ये मृणमूर्तियाँ गैर-धार्मिक उद्देश्य वाली मृणमूर्तियाँ हैं।

●प्रस्तर मूर्तियाँ अधिकांशत: शासकों द्वारा बनवाई गई हैं, फिर भी किसी देवता को अभी प्रस्तर मूर्ति में नहीं ढाला गया है। यानी उद्देश्य सेक्युलर ही है।

●मौर्यकाल में प्रस्तर मूर्ति निर्माण में चुनार के बलुआ पत्थर और पारखम जगह से प्राप्त मूर्ति में चित्तीदार लाल पत्थर का इस्तेमाल हुआ है।

●मौर्यकाल की मूर्तियाँ अनेक स्थानों, यथा- पाटलिपुत्र, वैशाली, तक्षशिला, मथुरा, कौशाम्बी, अहिच्छत्र, सारनाथ आदि से प्राप्त हुई हैं।

●कला, सौंदर्य एवं चमकदार पॉलिश की दृष्टि से सम्राट अशोक के कालखण्ड की मूर्तिकारी को सर्वोत्तम माना गया है।

●पारखम (U.P.) से प्राप्त 7.5 फीट ऊँची पुरुष मूर्ति, दिगंबर प्रतिमा (लोहानीपुर पटना) तथा दीदारगंज (पटना) से प्राप्त यक्षिणी मूर्ति मौर्य कला के विशिष्ट उदाहरण हैं।

●सारनाथ स्तंभ के शीर्ष पर बने चार सिंहों की आकृतियाँ तथा इसके नीचे की चित्र-वल्लरी अशोककालीन मूर्तिकला का बेहतरीन नमूना है, जो आज हमारा राष्ट्रीय चिह्न है।

●कुछ विद्वानों के अनुसार मौर्यकालीन मूर्तिकला पर ईरान एवं यूनान की कला का प्रभाव था।

       ● *मथुरा शैली* ●

●इसका संबंध बौद्ध, जैन एवं ब्राह्मण-हिन्दू धर्म, तीनों से है।

●मथुरा कला शैली की दीर्घजीविता प्रथम शताब्दी ईस्वी सन् से चतुर्थ शताब्दी ईस्वी सन् तक रही है।

●मथुरा कला के मुख्य केन्द्र- मथुरा, तक्षशिला, अहिच्छत्र, श्रावस्ती, वाराणसी, कौशाम्बी आदि हैं।

●मथुरा शैली में सीकरी रूपबल (मध्यकालीन फतेहपुर सीकरी) के लाल चित्तीदार पत्थर या श्वेत चित्तीदार पत्थर का इस्तेमाल होता था।

●मथुरा मूर्तिकला शैली में भी बुद्ध आसन (बैठे हुए) और स्थानक (खड़े हुए) दोनों स्थितियों में प्रदर्शित किये गए हैं।

●मथुरा शैली में बुद्ध प्राय: वस्त्ररहित, बालविहीन, मूँछविहीन, अलंकरणविहीन किंतु पीछे प्रभामंडल युक्त प्रदर्शित किये गए हैं।

●मथुरा कला में बुद्ध समस्त प्रसिद्ध मुद्राओं में प्रदर्शित किये गए हैं, यथा- वरदहस्त मुद्रा, अभय मुद्रा, धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा तथा भूमि स्पर्श मुद्रा में।

➖➖➖➖ *चोल* ➖➖➖➖
1. चोल-वंश की स्थापना किसने की थी ?
✅ उत्तर-विजयालय ने।।

2. चोल वंश की राजधानी कहाँ थी ?
✅ उत्तर-तन्जावुर (तंजौर)।

3. विजयालय ने कब से कब तक शासन किया ?
✅ उत्तर-550 ई० से 875 ई० तक।।

4. विजयालय के बाद राजसिंहासन पर कौन बैठा?
✅ उत्तर-विजयालय का पुत्र आदित्य प्रथम् ।

5. आदित्य प्रथम ने कब से कब तक शासन किया?
✅ उत्तर-875 ई० से 907 ई० तक।।

6. आदित्य प्रथम के बाद चोल-राजगद्दी पर कौन बैठा ?
✅ उत्तर-परान्तक प्रथम ।

7. ‘भदुरैकोण्ड’ की उपाधि किस चोल शासक ने धारण की थी ? 
✅ उत्तर-परान्तक प्रथम ने ।।



आंग्ल_मराठा_युद्ध... 

भारत के इतिहास में तीन आंग्ल-मराठा युद्ध हुए हैं। प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध (1775-1782), द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1803-1806) और तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1817-1818) के मध्य हुए। यह युद्ध अंग्रेजों और मराठा साम्राज्य के मध्य हुए।

▪️भारत के इतिहास में तीन आंग्ल-मराठा युद्ध हुए हैं।
▪️ये तीनों युद्ध 1775 से 1818 के मध्य हुए।
▪️ये युद्ध ब्रिटिश सेनाओं और मराठा महासंघ के बीच हुए थे।
▪️इन युद्धों का परिणाम यह हुआ कि मराठा  महासंघ का पूरी तरह से विनाश हो गया।

#युद्ध_की_पृष्ठभूमि

▪️1773 ई० में रघुनाथ राव अपने भतिजे नारायण राव की हत्या कर पेशवा बन गया। 
▪️परन्तु वह कुछ ही समय तक पेशवा रहा बाद में नारायण राव की विधवा ने अपने छोटे बेटे माधवराव नारायण राव द्वितीय(सवाई माधवराव) को नाना फड़नवीस की मदद से पेशवा की गद्दी पर बैठाया।
▪️रघुनाथ राव की पेशवा की गद्दी छिन गयी। जिसे पुनः प्राप्त करने के लिए वो अंग्रेजों से मदद लेने पहुँचा।
▪️रघुनाथ राव ने अंग्रेजों की सहायता से पेशवा बनने के सपने को लेकर “सूरत की संधि” कर ली।
सूरत की संधि (1775)
— अंग्रेजों रघुनाथ राव को पेशवा की गद्दी वापस दिलवाने हेतु 2500 सैनिकों की टुकड़ी देने को तैयार हुए।
— रघुनाथ राव ने बाजीराव द्वारा 1739 में पुर्तगालियों से विजित साल्सेट और बसीन के क्षेत्र अंग्रेजों को देने का वादा किया।

#प्रथम_आंग्ल_मराठा_युद्ध (1775-1782)

▪️अंग्रेजों ने रघुनाथ राव को वापस पेशवा बनाने के लिए इस युद्ध को प्रारम्भ किया।
▪️इस युद्ध के दौरान 1776 ई० में पुरंदर की संधि  हुई ।
▪️परन्तु पुरंदर की संधि करने उपरान्त अंग्रेज इस संधि को मानने से मुकर गए, और कहा कि हम पहले ही 1775 में सूरत की संधि कर चुके है। अतः युद्ध फिर जारी रहा।
▪️इस युद्ध में कर्नल कीटिंग, कर्नल अप्टन, कर्नल एगटस तथा उसके बाद कर्नल काकबर्क ने अग्रेजों की अगुवाई की। इस समय काल में वारेन हेस्टिंग बंगाल का गवर्नर था।
▪️मराठाओं की तरफ से महादजी सिंधिया व मल्हारराव होल्कर नेतृत्व कर रहें थे।
▪️अंत में युद्ध 1782 में सालबाई की संधि के साथ समाप्त हुआ।
सालबाई की संधि (1782)
— इस संधि के अन्तर्गत अंग्रेजो ने रघुनाथ राव की मदद करने से इन्कार कर दिया, तथा उसे 25000 मासिक पेंशन देना स्वीकार किया।
— माधवराव नरायण राव द्वितीय को ही अगला पेशवा माना किया।
— यह भी तय हुआ कि अंग्रेजों और मराठाओं के मध्य अगले 20 वर्षों तक कोई भी युद्ध नहीं होगा।
▪️इस युद्ध के परिणाम के रूप में यह कहा जा सकता है कि इस युद्ध में मराठाओं का पलड़ा भारी रहा व अंग्रेजों को मुकी खानी पड़ी।

#द्वितीय_आंग्ल_मराठा_युद्ध (1803-1806)

▪️सन् 1800 ई० में नाना फड़नवीस की मृत्यु हो गयी तथा इसके बाद मराठाओं के अंदर बहुत भेदभाव तथा सत्ता को लेकर षडयंत्रों के खेल शुरू हो गया। मराठा पेशवा, सिंधिया, गायकवाड्, होलकर एवं भोसले में बट चुके थे तथा इनमें सत्ता के अधिकार को लेकर आपसी द्वंद्व चलते रहते थे।
मराठा :  राज्य 
पेशवा : पूना
सिंधिया : ग्वालियर
गायकवाड़ : बड़ौदा
होलकर : इंदौर
भोसले : नागपुर
▪️होलकर और पेशवा के बीच में लड़ाई होना एक आम बात थी।
▪️होलकर ने बाजीराव द्वितीय को हटाकर विनायकराव को पुणे में पेशवा की गद्दी पर बैठा दिया।
▪️तब बाजीराव द्वितीय अपने पिता रघुनाथ राव की भांति अंग्रेजों से मदद मांगने बसीन गया और 1802 में “बसीन की संधि” हुई।
बसीन की संधि (1802)
— बाजीराव द्वितीय ने लार्ड वैलेजली द्वारा बनायी गयी “सहायक संधि” को स्वीकार कर लिया। सहायक संधि के अन्तर्गत एक अंग्रेजी फौज की टुकड़ी को अपने राज्य में रखने का प्रावधान था जिसका आर्थिक व्यय भी राज्य को ही वहन करना होता था। राज्य को अपनी खुद की सेना रखने की मनाही थी। इसके साथ ही राज्य के सभी बाहरी मामले तथा अन्य राज्यों से सुरक्षा की जिम्मेदारी अंग्रेजी सरकार की होती थी। साथ ही किसी अन्य युरोपीय कंपनी से कोई सम्बन्ध न रखने का भी प्रावधान था।
— साथ ही अंग्रेज कंपनी को सूरत नगर मिलेगा।
— अंग्रेज बाजीराव द्वितीय को पेशवा की गद्दी  वापस दिलाने में सहायता करेंगे।
▪️नाना फड़नवीस अपने जीवन काल में ही सहायक संधि के पीछे छिपे अंग्रेजों के कुटिल मकसद को भाप चुके थे अतः उन्होंने इस संधि को पहले ही ठुकरा दिया था। परन्तु जब बाजीराव द्वितीय द्वारा इस संधि को स्वीकार कर लिया गया तब मराठाओं ने अपने अस्तित्व को खतरे में पाया और सभी ने मिलकर एक साथ इसका विरोध किया।
▪️इस युद्ध में अंग्रेजों का की तरफ से लार्ड वेलेजली  के नेतृत्व में युद्ध लड़ा गया तथा मराठाओं की तरफ से विभिन्न सरदारों ने अगुआई की।
▪️इस युद्ध के परिणाम के रूप में यह कहा जा सकता है कि इस युद्ध में अंग्रेजों का पलड़ा ही भारी रहा। मराठाओं की हार का मुख्य कारण उनमें एकता का अभाव था। ▪️कहने को तो सभी मराठा साथ थे लेकिन अपनी आंतरिक कलह के कारण एकजुट होकर लड़ न सके।
▪️अंग्रेजों की सहायता से बाजीराव द्वितीय को पेशवा की गद्दी वापस मिल गयी।
▪️यह युद्ध 1806 में “राजापुर घाट की संधि” के साथ समाप्त हुआ।

#तृतीय_आंग्ल_मराठा_युद्ध (1817-1818)

▪️इस समय तक मराठा काफी कमजोर हो चुके थे, और अंग्रेज इस बात का फायदा उठाने के लिए युद्ध का बहाना ढूढ़ रहे थे।
▪️एक घटना के अनुसार पेशवा के एक मंत्री ने गायकवाड़ के दूत की हत्या कर दी जिस कारण अंग्रेजों को बहना मिल गया और आंग्ल-मराठा तृतीय युद्ध की घोषणा कर दी गयी।
▪️इस युद्ध में अंग्रेजों ने लार्ड मार्क्विस हेस्टिंग्स के नेतृत्व में युद्ध लड़ा और मराठों की तरफ से बाजीराव द्वितीय एवं अन्य मराठा सरदारों ने अगवाई की थी।
▪️यह युद्ध “पूना की संधि” से समाप्त हुआ।
पूना की संधि (1818)
— अंग्रेजों द्वारा पेशवा का पद समाप्त कर दिया गया।
— अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय को कानपुर के निकट बिठूर में पेंशन देकर भेज दिया गया, जहां पर 1853 में उनकी मृत्यु हो गयी।
▪️बाजीराव द्वितीय की मृत्यु के बाद उनके दत्तक पुत्र(गोद लिया) धोधु पंत द्वारा भी अंग्रेजों से पेंशन की मांग की गई, परन्तु अंग्रेजों द्वारा मना कर दिया गया।
▪️धोधु पंत ने 1857 की क्रांति में रानी लक्ष्मी बाई  और तात्या टोपे के साथ अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह में भी भाग लिया था।



आधुनिक_भारत_का_इतिहास :
#स्वदेशी_आन्दोलन... 

स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत बंगाल विभाजन के विरोध में हुई थी और इस आन्दोलन की औपचारिक शुरुआत कलकत्ता के टाउन हॉल में 7 अगस्त ,1905 को एक बैठक में की गयी थी|इसका विचार सर्वप्रथम कृष्ण कुमार मित्र  के पत्र संजीवनी में 1905 ई. में प्रस्तुत किया गया था| इस आन्दोलन में स्वदेशी नेताओं ने भारतियों से अपील की कि वे सरकारी सेवाओं,स्कूलों,न्यायालयों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें और स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहित करें व राष्ट्रीय कोलेजों व स्कूलों की स्थापना के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहित करें |अतः ये केवल राजनीतिक आन्दोलन ही नहीं था बल्कि आर्थिक आन्दोलन भी था|

स्वदेशी आन्दोलन को अपार सफलता प्राप्त हुई थी| बंगाल में जमींदारों तक ने इस आन्दोलन में भाग लिया था| महिलाओं व छात्रों ने पिकेटिंग में भाग लिया |छात्रों ने विदेशी कागज से बनी पुस्तकों का बहिष्कार किया| बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय,बिपिन चन्द्र पाल और अरविन्द घोष जैसे अनेक नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया | अनेक भारतीयों ने अपनी नौकरी खो दी और जिन छात्रों ने आन्दोलन में भाग लिया था उन्हें स्कूलों व कालेजों में प्रवेश करने रोक दिया गया | आन्दोलन के दौरान वन्दे मातरम  को गाने का मतलब देशद्रोह था| यह प्रथम अवसर था जब देश में निर्मित वस्तुओं के प्रयोग को ध्यान में रखा गया |

#निष्कर्ष  

स्वदेशी आन्दोलन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू  आत्म-विश्वास या आत्मशक्ति (रविंद्रनाथ टैगोर के अनुसार) पर बल देना था| बंगाल केमिकल स्वदेशी स्टोर्स(आचार्य पी.सी.राय द्वारा खोली गयी),लक्ष्मी कॉटन मिल,मोहिनी मिल और नेशनल टैनरी जैसे अनेक भारतीय उद्योगों को इसी समय खोला गया|



IAS Toppers की IAS Prelims की रणनीति

IAS Toppers की IAS Prelims की रणनीति

IAS Toppers की रणनीति को IAS उम्मीदवार अक्सर IAS Exam पास करने की प्रभावी मूल योजना के रुप में देखते हैं। IAS उम्मीदवारों को IAS Toppers द्वारा सुझाई गयी किताबो अथवा अन्य अध्ययन सामग्रियों पर ध्यान देना चाहिए। यहां हम IAS Toppers द्वारा अपनाई गयी IAS Prelims Exam की रणनीति प्रस्तुत कर रहे हैं।

 Toppers को अक्सर हमारे देश के मेहनती छात्रों के लिए रोल मॉडल के रूप में माना जाता है। IAS उम्मीदवारों को IAS Toppers द्वारा पढ़ी गयीं पुस्तकों, उनके द्वारा उपयोग में लाये गए विभीन्न स्रोतों और अध्ययन सामग्री के बारे में जानना चाहिए एवं उन्हें उपयोग में लाना चाहिए.

IAS Toppers की प्रभावी रणनीति का अनुसरण भी उनकी सफलता में योगदान दे सकता है। यहां हम IAS Toppers जैसे जसमीत सिंह संधू, इरा सिंघल, नितिन संगवान इत्यादि द्वारा अपनाई गयी IAS Prelims Exam की रणनीति प्रस्तुत कर रहे हैं।

*Jasmeet singh IASजसमीत सिंह संधू (RANK 3, सीएसई -2015)*

जसमीत सिंह संधू सीएसई परीक्षा 2015 में 3rd रैंक धारक हैं। जसमीत सिंह संधू IIT Roorkee के एक इंजीनियर हैं और वर्तमान में एक IRS अधिकारी हैं और सहायक आयुक्त के रूप में तैनात हैं। उन्होंने अपने IAS के चौथे प्रयास में रैंक 3 हासिल किया है, लेकिन वह सिविल सेवा परीक्षा में लगातार प्रदर्शन करते रहे हैं।

IAS Prelims की अपनी रणनीति के बारे में वे कहते हैं कि IAS परीक्षा के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण होना बहुत महत्वपूर्ण है और इसलिए उम्मीदवारों को IAS Prelims, IAS मुख्य परीक्षा और IAS साक्षात्कार के लिए एकीकृत एवं व्यापक तैयारी करनी चाहिए। अधिक जानने के लिए देखें विडियो..

*UPSC Rank 3 Jasmeet Singh Sandhu's Prelims Strategy*

*IAS Tips by Siddharth Jainसिद्धार्थ जैन (RANK 13, सीएसई-2015)*

सिद्धार्थ जैन IIT Roorkee से मैकेनिकल इंजीनियर हैं और उन्होंने 2015 में सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की है। उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 13वी रैंक हासिल की है और आशा व्यक्त की कि वह कई उम्मीदवारों को इसे उत्तीर्ण करने के लिए प्रेरित करे।

IAS Prelims की तैयारी के बारे में वह सुझाव देते हैं कि उम्मीदवारों को अपनी सोचने की शैली में सुधार करना चाहिए तथा उन बातों को भी समझना चाहिए जो सीधे सीधे नही कही गयीं हो यानि जिनका अर्थ निहित हो. IAS Prelims में कई प्रश्नों को केवल विकल्पों के माध्यम से हल किया जा सकता है जिसका अभ्यास करना बहुत आवश्यक है। उस सहज कौशल को सुधारने के लिए, IAS उम्मीदवारों को बहुत सारे mock test देने चाहिए। इसके अलावा, IAS उम्मीदवारों को बुनियादी अध्ययन सामग्री जैसे NCERT और बुनियादी पुस्तकों को अच्छी तरह पड़ना चाहिए। अधिक जानने के लिए देखें विडियो..

*IAS Topper 2015 Siddharth Jain Shares IAS Prelims Strategy*

*Nitin Sangwan IASनितिन सांगवान (RANK 28, सीएसई - 2015)*

नितिन संगवान सीएसई परीक्षा 2015 में 28वीं रैंक धारक हैं। नितिन संगवान ने चाकरी दादरी हरियाणा से अपनी पढ़ाई की थी। उन्होंने IIT MADRAS से MBA किया था और इससे पहले, उन्होंने हरियाणा के इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है। IAS Exam देने के समय वह 27 साल की आयु को पार कर चुके थे और IAS परीक्षा की तैयारी करने के समय वो इन्फोसिस में काम कर रहे थे।

IAS Prelims की तैयारी के बारे में वे कहते हैं, IAS Prelims के लिए विशेष रूप से कोचिंग लेना, IAS Prelims परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए अनिवार्य नहीं है। इसके अलावा, एक समर्पित IAS उम्मीदवार ऑनलाइन स्रोतों से मार्गदर्शन लेकर और UPSC द्वारा दिए गए Syllabus का विश्लेषण करके परीक्षा को उत्तीर्ण कर सकता है। वह बताते है कि IAS Prelims में विषय विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता होती है और इसलिए सभी विषयों को तैयार किया जाना चाहिए। अधिक जानने के लिए देखें विडियो..

*Nitin Sangwan's Tips and Strategies for IAS Prelims*

*Ira Singhal IASइरा सिंघल (RANK 1, सीएसई -2014)*

ईरा सिंघल की UPSC IAS परीक्षा 2014 में प्रथम रैंक है और उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने के लिए सभी बाधाओं को पार किया है। वह बताती है कि उम्मीदवारों को IAS की तैयारी का आनंद लेना चाहिए ताकि वे स्वयं पर दबाव न महसूस करें। इसके अलावा, उन्होंने उम्मीदवारों को सलाह दी कि वे किसी भी विषय के बारे में पूर्वानुमान न लगायें तथा पूरे IAS syllabus पर ध्यान दे ताकि परीक्षा में वोआश्चर्यचकित न हो। अधिक जानने के लिए देखें विडियो..

*Ira Singhal's Tips and Strategies for IAS Prelims*

*NISHANT JAIN IASनिशांत जैन (RANK 13, सीएसई -2014)*

निशांत जैन की UPSC सीएसई IAS परीक्षा 2014 में 13वीं रैंक है। उन्होंने संसद में हिंदी सहायक के रूप में काम किया है और उनका मानना है कि जीवन में धीरे धीरे ही प्रगति होती है। उनके अनुसार, CSAT पेपर के क्वालीफाइंग किये जाने के बाद से सामान्य अध्यन का महत्व बहुत बढ़ गया है। IAS की तैयारी में उन्होंने कला और संस्कृति के टॉपिक्स और पर्यावरण के महत्वपूर्ण अंशों को६६- ज्यादा महत्व दिया। अन्त में, उन्होंने कई mock test पेपर्स से अभ्यास किया। अधिक जानने के लिए देखें विडियो..

*Nishant Jain's Tips and Strategies for IAS Prelims*

*ANANYA MITTAL IASअनन्य मित्तल (RANK 85, सीएसई -2014)*

अनन्य मित्तल ने अपनी प्रथम प्रयास में IAS परीक्षा 2014 में सफलता प्रोप्त की और 85वां रैंक हासिल की। उन्होंने अपने अनुभव और रणनीतियों को साझा किया है जो IAS Prelims की परीक्षा के लिए तैयारी के दौरान उम्मीदवारों के लिये सहायक होगा। उनका कहना है कि कम से कम एक साल पहले ही IAS की तैयारी शुरू कर देना चाहिए, ताकि पुर्नावृत्ति के लिए समय शेष हो। उन्होंने पूरे साल IAS Prelims के लिए तैयारी की थी लेकिन अंत के 3 महीने केन्द्रित रूप से IAS Prelims के Syllabus को तैयार किया था।

IAS Prelims के लिए, सामान्य अध्ययन की कुछ मानक किताबें जैसे भारतीय राजव्यवस्था के लिए लक्ष्मीकांत, आधुनिक इतिहास की स्पेक्ट्रम को पड़ना आवश्यक माना है और mock test से अभ्यास करने पर इन्होने भी जोर दिया है।

*आदित्य रंजन (RANK 99, सीएसई -2014)*

आदित्य रंजन एक कंप्यूटर इंजिनियर हैं, जो की एक एमएनसी में कार्यरत थे जब उन्होंने IAS परीक्षा 2014 में 99वां रैंक हासिल की । उनकी रणनीति पारंपरिक थी तथा उन्होंने IAS Prelims के Syllabus को बहुत अच्छी तरह से तैयार किया था। उनका मानना है कि पहले पारंपरिक टॉपिक्स पर पकड़ बनाओ, फिर करंट अफेयर्स की तैयारी करें क्योंकि  करंट अफेयर्स अधिक अप्रत्याशित होता है। CSAT के लिए उन्होंने इंजीनियरिंग की पृष्ठभूमि होने की वजह से ज्यादा प्रयास नहीं किया, लेकिन उन्होंने भी IAS Prelims परीक्षा के लगभग 10-12 mock test paper से अभ्यास किया था। 

*रिशव गुप्ता (रैंक 37, सीएसई -2013)*

रिशव गुप्ता ने IAS परीक्षा 2013 में 85वां रैंक हासिल किया। IAS Prelims के लिए उनकी रणनीति बहुत ही मूलभूत थी क्योंकि उन्होंने सभी विषयों के आधारभूत टॉपिक्स पर अधिक बल दिया। उनका मानना था कि IAS Prelims की तैयारी में IAS अभ्यर्थी को सभी विषयों की जानकारी होनी चाहिए।

*निष्कर्ष*

उपरोक्त सभी IAS Prelims की रणनीतियाँ अपने आप में बहुत ही विविध हैं और यह IAS अभ्यर्थियों को भ्रमित भी कर सकती हैं। इसलिए सभी अभ्यर्थि को अपनी कुशलताओं और कमियों को आंक कर ही इन रणनीतियों का अनुसरण करना चाहिए। इन सभी रणनीतियों का मूल एक ही सच्चाई है कि सफलता के लिए कोई शॉर्टकट नहीं है और सफल होने के लिए सभी को कठिन परिश्रम करना अनिवार्य है।

सभी उपरोक्त रणनीतियों का सारांश यह भी है कि सभी IAS उम्मीदवारों को दुनिया में घट रहीं सामाजिक आर्थिक घटनाओं पर विशेष ध्यान बनाये रखना चाहिए। इसके अलावा, IAS उम्मीदवारों को अर्थशास्त्र और राजनीति के मजबूत मौलिक सिद्धांतों को मौजूदा मुद्दों के साथ सम्बन्ध स्थापित करना आना चाहिए।

भारत के युद्ध से पूछे गए SSC ,UPSC ,RAILWAY परीक्षा में पिछले 20 साल में


 भारत के प्रमुख युद्ध

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1. हाईडेस्पीज का युद्ध (Battle of the Hydaspes) समय : 326 ई.पू.
किसके बीच – सिकंदर और पंजाब के राजा पोरस के बीच हुआ, जिसमे सिकंदर की विजय हुई।

2. कलिंग की लड़ाई (Kalinga War) समय : 261 ई.पू.
किसके बीच – सम्राट अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया। युद्ध के रक्तपात को देखकर उसने युद्ध न करने की कसम खाई।

3. सिंध की लड़ाई (समय : 712 ई.)
किसके बीच – मोहम्मद कासिम ने अरबों की सत्ता स्थापित की।

4. तराईन का प्रथम युद्ध (Battles of Tarain) समय : 1191 ई.
किसके बीच – मोहम्मद गौरी और पृथ्वी राज चौहान के बीच हुआ, जिसमे चौहान की विजय हुई।

5. तराईन का द्वितीय युद्ध (2nd Battles of Tarain) समय : 1192 ई.
किसके बीच – मोहम्मद गौरी और पृथ्वी राज चौहान के बीच हुआ, जिसमे मोहम्मद गौरी की विजय हुई।

6. चंदावर का युद्ध (Battle of Chandawar) समय : 1194 ई.
किसके बीच – इसमें मुहम्मद गौरी ने कन्नौज के राजा जयचंद को हराया।

7. पानीपत का प्रथम युद्ध (First Battle of Panipat ) समय : 1526 ई.
किसके बीच – मुग़ल शासक बाबर और इब्राहीम लोधी के बीच।

8. खानवा का युद्ध (Battle of Khanwa) समय : 1527 ई.
किसके बीच – बाबर ने राणा सांगा को पराजित किया।

9. घाघरा का युद्ध (Battle of Ghagra) समय : 1529 ई.
किसके बीच – बाबर ने महमूद लोदी के नेतृत्व में अफगानों को हराया।

10. चौसा का युद्ध (Battle of Chausal) समय : 1539 ई.
किसके बीच – शेरशाह सूरी ने हुमायु को हराया

11. कन्नौज /बिलग्राम का युद्ध (Battle of Kanauj or Billgram) समय : 1540 ई.
किसके बीच – एकबार फिर से शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को हराया व भारत छोड़ने पर मजबूर किया।

12. पानीपत का द्वितीय युद्ध (Second Battle of Panipat) समय : 1556 ई.
किसके बीच – अकबर और हेमू के बीच।

13. तालीकोटा का युद्ध (Battle of Tallikota) समय : 1565 ई.
किसके बीच – इस युद्ध से विजयनगर साम्राज्य का अंत हो गय।

14. हल्दी घाटी का युद्ध (Battle of Haldighati) समय : 1576 ई.
किसके बीच – अकबर और राणा प्रताप के बीच, इसमें राणा प्रताप की हार हुई।

15. प्लासी का युद्ध (Battle of Plassey) समय : 1757 ई.
किसके बीच – अंग्रेजो और सिराजुद्दौला के बीच, जिसमे अंग्रेजो की विजय हुई और भारत में अंग्रेजी शासन की नीव पड़ी।

16. वांडीवाश का युद्ध (Battle of Wandiwash) समय : 1760 ई.
किसके बीच – अंग्रेजो और फ्रांसीसियो के बीच, जिसमे फ्रांसीसियो की हार हुई।

17. पानीपत का तृतीय युद्ध (Third Battle of Panipat) समय : 1761 ई.
किसके बीच – अहमदशाह अब्दाली और मराठो के बीच, जिसमे फ्रांसीसियों की हार हुई।

18. बक्सर का युद्ध (Battle of Buxar) समय : 1764 ई.
किसके बीच – अंग्रेजो और शुजाउद्दौला, मीर कासिम एवं शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना के बीच, जिसमे अंग्रेजो की विजय हुई।

19. प्रथम मैसूर युद्ध (समय : 1767-69 ई.)
किसके बीच – हैदर अली और अंग्रेजो के बीच, जिसमे अंग्रेजो की हार हुई।

20. द्वितीय मैसूर युद्ध (समय : 1780-84 ई.)
किसके बीच – हैदर अली और अंग्रेजो के बीच, जो अनिर्णित छूटा।

21. तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध (समय : 1790 ई.)
किसके बीच – टीपू सुल्तान और अंग्रेजो के बीच लड़ाई संधि के द्वारा समाप्त हुई।

22. चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध (समय : 1799 ई.)
किसके बीच – टीपू सुल्तान और अंग्रेजो के बीच, टीपू की हार हुई और मैसूर शक्ति का पतन हुआ।

23. चिलियान वाला युद्ध (समय : 1849 ई.)
किसके बीच – ईस्ट इंडिया कंपनी और सिखों के बीच हुआ था जिसमे सिखों की हार हुई।

24. भारत चीन सीमा युद्ध (समय : 1962 ई.)
किसके बीच – चीनी सेना द्वारा भारत के सीमा क्षेत्रो पर आक्रमण। कुछ दिन तक युद्ध होने के बाद एकपक्षीय युद्ध विराम की घोषणा। भारत को अपनी सीमा के कुछ हिस्सों को छोड़ना पड़ा।

25. भारत पाक युद्ध (Indo-Pakistani War) समय : 1965 ई.
किसके बीच – भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जिसमे पाकिस्तान की हार हुई। भारत पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हुआ।

26. भारत पाक युद्ध (Indo-Pakistani War) समय : 1971 ई.
किसके बीच – भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जिसमे पाकिस्तान की हार हुई। फलस्वरूप बांग्लादेश एक स्वतन्त्र देश बना।

27. कारगिल युद्ध (Kargil War) समय : 1999 ई.
किसके बीच – जम्मू एवं कश्मीर के द्रास और कारगिल क्षेत्रो में पाकिस्तानी घुसपैठियों को लेकर है

*भारत के राष्ट्रीय चिन्ह*


1. भारत का राष्ट्रीय पशु कौनसा है ?

उतर - बाघ

2. भारत का राष्ट्रीय पक्षी कौनसा है ?

उतर - मोर

3. भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव कौनसा है ?

उतर - गंगा डॉलफिन

4. भारत का राष्ट्रीय फल कौनसा है ?

उतर - आम

5. भारत का राष्ट्रीय फूल कौनसा है ?

उतर - कमल

6. भारत का राष्ट्रीय पेड़ कौनसा है ?

उतर - बरगद

7. भारत का राष्ट्रीय खेल कौनसा है ?

उतर - हॉकी

8. भारत के राष्ट्रीय झंडे की लम्बाई और चौड़ाई में अनुपात कितना होता है ?

उतर - 3:2

9. भारत का राष्ट्रगान किसने लिखा ?

उतर - रवीन्द्रनाथ टैगोर

10. भारत का राष्ट्रगीत कौनसा है ?

उतर - वंदेमातरम्

11. भारत का राष्ट्रगीत किसने लिखा है ?

उतर - बंकिमचन्द्र चटर्जी

12. महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता सबसे पहले किसने कहा ?

उतर - नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने

13. हमारा राष्ट्रीय पंचांग कौनसा है ?

उतर - शक संवत्

14. राष्ट्रगान गाने की अवधि कितनी है ?

उतर - 52 सेकंड

15. सबसे चमकीला ग्रह कौनसा है ?

उतर - शुक्र