Tuesday, June 2, 2020

Amazing History of India...

Amazing History of India... 

#आधुनिक_भारत_का_इतिहास :
#उग्रपंथ_और_बंगाल_विभाजन...

उग्रपंथियों का राजनीतिक उदय कांग्रेस के अन्दर ही बंगाल विभाजन विरोधी प्रदर्शनों से हुआ था|जब ब्रिटिश सरकार ने बंगाल के लोगों द्वारा किये जा रहे जन प्रदर्शनों के बावजूद बंगाल के विभाजन को रद्द करने से मना कर दिया तो अनेक युवा नेताओं का सरकार से मोहभंग हो गया, इन्हें ही नव-राष्ट्रवादी या उग्रपंथी कहा गया| लाला लाजपत राय,बाल गंगाधर तिलक,बिपिन चंद्र पाल और अरविन्द घोष प्रमुख उग्रपंथी नेता थे|उन्हें उग्रपंथी कहा गया क्योकि उनका मानना था कि सफलता केवल उग्र माध्यमों से ही प्राप्त की जा सकती है|

#उग्रपंथ_के_उदय_के_कारण

1.नरमपंथियों/उदारवादियों द्वारा सिवाय भारतीय परिषद् अधिनियम(1909) के तहत विधान परिषदों के विस्तार के,कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल न कर पाना |

2.1896-97 के प्लेग और अकाल,जो भारत के लोगों की आर्थिक स्थिति में ह्रास का कारण बना,के बाद भी ब्रिटिशों की शोषणकारी नीतियों में कोई बदलाव नहीं आया|

3.दक्षिण अफ्रीका में भारतियों के साथ रंग-भेद|

4.1904-05 की रूस-जापान युद्ध की घटना ने राष्ट्रीय जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी|

#प्रमुख_उग्रपंथी/गरमपंथी

• बाल गंगाधर तिलक: इन्हें ‘लोकमान्य’  भी कहा जाता है| इनके द्वारा निकाले गए ‘मराठा’(अंग्रेजी में) व ‘केसरी’(हिंदी में) नाम के साप्ताहिक पत्रों ने ब्रिटिश शासन पर हमलों में क्रांतिकारी भूमिका निभाई|1916 में इन्होने पूना में होमरूल लीग की स्थापना की और नारा दिया कि “स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मै इसे लेकर रहूँगा”|

• लाला लाजपत राय:इन्हें ‘शेरे-पंजाब’ या ‘पंजाब का शेर’ कहा जाता था|इन्होने स्वदेशी आन्दोलन  में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| ‘साइमन वापस जाओ’ का नारा इन्होने ही दिया था|

• बिपिन चन्द्र पाल:ये पहले उदारवादी थे लेकिन बाद में उग्रपंथी बन गए| इन्होने स्वदेशी आन्दोलन  में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी|अपने प्रभावशाली भाषणों व लेखन के द्वारा इन्होनें राष्ट्रवाद के विचार को देश के कोने-कोने तक पहुँचाया|

• अरविन्द घोष:ये एक अन्य उग्रपंथी नेता थे जिन्होनें स्वदेशी आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई थी|

#बंगाल_का_विभाजन

बंगाल विभाजन भारत में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड कर्जन ने 1905 में लागू किया किया था जिसके कारण निम्नलिखित थे-

• बंगाली राष्ट्रवाद की ताकत को तोड़ना क्योकि बंगाल भारतीय राष्ट्रवाद का केंद्र था|

• बंगाल में हिन्दुओं व मुस्लिमों को विभाजित करना|

• यह दर्शाना की ब्रिटिश सरकार इतनी शक्तिशाली है कि वह जो चाहे कर सकती है|

लेकिन विभाजन ने स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जन को जागृत कर जन-आन्दोलन का रूप दे दिया जिसका परिणाम बहिष्कार और स्वदेशी आन्दोलन के रूप में दिखाई दिया|


#आधुनिक_भारत_का_इतिहास :
#जलियांवाला_बाग_हत्याकांड...

बात 13 अप्रैल 1919 की है जब एक प्रतिबंधित मैदान हो रहे जनसभा के एकत्रित निहत्थी भीड़ पर, बगैर किसी चेतावनी के, जनरल डायर के आदेश पर ब्रिटिश सैनिकों ने अंधा-धुंध गोली चला दी थी। यह जनसभा जलियाँवाला बागमें हो रही थी, इसलिए इसे जलियाँवाला बाग हत्याकांड भी बोला जाता है। इस जनसभा की मुखबिरी हंसराज नामक भारतीय ने  किया था और उसके सहयोग से इस हत्याकांड की साज़िश रची गयी थी।

13 अप्रैल को यहाँ एकत्रित यह भीड़ दो राष्ट्रीय नेताओं –सत्यपाल और डॉ.सैफुद्दीन किचलू ,की गिरफ्तारी का विरोध कर रही थी। अचानक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी जनरल डायर ने अपनी सेना को निहत्थी भीड़ पर,तितर-बितर होने का मौका दिए बगैर, गोली चलाने के आदेश दे दिए और 10 मिनट तक या तब तक गोलियां चलती रहीं जब तक वे ख़त्म नहीं हो गयीं। इन 10 मिनटों, (कांग्रेस की गणना के अनुसार) एक हजार लोग मारे गए और लगभग दो हजार लोग घायल हुए। गोलियों के निशान अभी भी जलियांवाला बाग़ में देखे जा सकते है,जिसे कि अब राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया गया है। यह नरसंहार पूर्व-नियोजित था और जनरल डायर ने गर्व के साथ घोषित किया कि उसने ऐसा सबक सिखाने के लिए किया था और अगर वे लोग सभा जारी रखते तो उन सबको वह मार डालता। उसे अपने किये पर कोई शर्मिंदगी नहीं थी। जब वह इंग्लैंड गया तो कुछ अंग्रेजों ने उसका स्वागत करने के लिए चंदा इकट्ठा किया। जबकि कुछ अन्य डायर के इस जघन्य कृत्य से आश्चर्यचकित थे और उन्होंने जांच की मांग की । एक ब्रिटिश अख़बार ने इसे आधुनिक इतिहास का सबसे ज्यादा खून-खराबे वाला नरसंहार कहा।

21 वर्ष बाद ,13 मार्च,1940 को,एक क्रांतिकारी भारतीय ऊधम सिंह ने माइकल ओ डायर की गोली मारकर ह्त्या कर दी क्योंकि जलियांवाला हत्याकांड की घटना के समय वही पंजाब का लेफ्टिनेंट गवर्नर था। नरसंहार ने भारतीय लोगों में गुस्सा भर दिया जिसे दबाने के लिए सरकार को पुनः बर्बरता का सहारा लेना पड़ा। पंजाब के लोगों पर अत्याचार किये गए,उन्हें खुले पिंजड़ों में रखा गया और उन पर कोड़े बरसाए गए। अख़बारों पर प्रतिबन्ध लगा दिए गए और उनके संपादकों को या तो जेल में डाल दिया गया या फिर उन्हें निर्वासित कर दिया गया। एक आतंक का साम्राज्य ,जैसा कि 1857 के विद्रोह के दमन के दौरान पैदा हुआ था,चारों तरफ फैला हुआ था। रविन्द्रनाथ टैगोर ने अंग्रेजों द्वारा उन्हें प्रदान की गयी नाईटहुड की उपाधि वापस कर दी। ये नरसंहार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

#जलियांवाला_बाग_हत्याकांड_में_कितने_लोग
#मारे_गए?

जलियांवाला बाग हत्याकांड के दौरान हुई मौतों की संख्या पर कोई आधिकारिक डेटा नहीं था। लेकिन अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था। अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए।

दिसंबर,1919 में अमृतसर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। इसमें किसानों सहित बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। यह स्पष्ट है कि इस नरसंहार ने आग में घी का काम किया और लोगों में दमन के विरोध और स्वतंत्रता के प्रति इच्छाशक्ति को और प्रबल कर दिया।


#मध्यकालीन_भारत_का_इतिहास
#सिख_साम्राज्य_का_उदय...

सिखों के दसवें व अंतिम गुरू गोविंदसिंह(1675-1699) ने खालसा पंथ की स्थापना की और गुरू प्रथा को समाप्त कर पांचवे गुरु अर्जुन देव द्वारा स्थापित “गुरू ग्रंथ साहिब” को ही अगला गुरू बताया। गुरू गोविंद सिंह की हत्या गुल खां नामक पठान ने 07 अक्तूबर 1708 को की थी। मृत्यु से पूर्व इनके द्वारा बंदा सिंह बहादुर को एक हुकमनामा के साथ पंजाब भेजा। इस हुकमनामा में लिखा था कि आज से आपका (सिखों) नेता बंदा सिंह बहादुर होगा।

#बंदा_सिंह_बहादुर

▪️बंदा सिंह बहादुर को सिखों का राजनैतिक गुरू भी कहा जाता है।
▪️बंदा सिंह बहादुर का जन्म कश्मीर में 27 अक्तूबर 1670 ई० में पूंछ जिले के राजोरी गाँव में हुआ था।
▪️बंदा सिंह बहादुर का वास्तविक नाम लक्ष्मण देव था।
▪️लक्ष्मण देव को बचपन से ही कुश्ती और शिकार आदि का शौक था।
▪️15 वर्ष की आयु में एक गर्भवती हिरन का उनके हाथों शिकार हो जाने से वह बहुत शोक में पड़ गये और इस घटना से अपना घर-बार छोड़ कर बैरागी हो गये।
▪️वह जानकी दास नामक एक बैरागी के शिष्य बने। अपना नाम बदल कर माधोदास कर लिया।
▪️कुछ समय पश्चात वह नांदेड क्षेत्र को चले गए जहाँ गोदावरी के तट पर उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की।
▪️03 सितंबर 1708 को नांदेड में सिखों के दसवें गुरू गोविंद सिंह जी इस आश्रम में पधारे और उन्हें सिख बनाकर उनका नाम बंदा सिंह बहादुर रख दिया।
▪️गुरूगोविंद सिंह जी की मृत्यु के बाद उनकी इच्छानुरूप बंदा सिंह बहादुर पंजाब गए और सिखों के अगले नेता बने।
▪️बंदा सिंह बहादुर और उनकी फौज ने सबसे पहले सोनीपत और फिर कैथल पर हमला किया।
▪️12 मई 1710 को छोटे साहिबजादों (गुरू गोविंद सिंह के दोनों छोटे बेटे बाबा जोरावर सिंह व फतेह सिंह) को शहीद करने वाले वजीर खां की हत्या कर दी और सरहिंद पर कब्जा कर लिया।
▪️बंदा सिंह बहादुर का उद्देश्य पंजाब में सिख राज्य स्थापित करना था। इन्होंने लोहगढ़ को अपनी राजधानी बनाया।
▪️इन्होंने गुरूनानक और गुरू गोविंद सिंह के नाम के सिक्के भी चलवाये।
▪️मुगल बादशाह फारूख सियर की फौज ने अब्दुल समद खां के नेतृत्व में इन्हें गुरूदासपुर जिले के धारीवाल क्षेत्र के निकट गुरूदास नंगल गाँव में कई महीनों तक घेरे रखा।
▪️खाने-पीने की सामग्री के आभाव के कारण उन्होंने 07 दिसंबर 1715 को आत्मसमर्पण कर दिया।
▪️फरवरी 1716 को 794 सिखों के साथ बांदा सिंह बहादुर को दिल्ली लाया गया।
▪️जहां 5 मार्च से 13 मार्च तक रोज 100 सिखों को फांसी दी गयी।
▪️16 जून 1716 को फरूखसियर के आदेश पर बंदा सिंह तथा उनके मुख्य सैन्य अधिकारी के शरीर के टुकडे-टुकडे कर दिए गए।
▪️मरने से पूर्व बंदा सिंह बहादुर द्वारा किए गए कार्य –
— कृषकों को बड़े जमींदारों की दासता से मुक्ति दिलाई।
— इनके राज में मुसलमानों को पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता थी।
— इनकी स्वंय की सेना में 5000 मुस्लिम सैनिक थे।

#बंदा_सिंह_बहादुर_के_पश्चात_और_राजा_रणजीत
#सिंह_से_पूर्व

▪️बंदा सिंह बहादुर के पश्चात अच्छे नेतृत्व की कमी के कारण सिख कई छोटे-छोटे टुकड़ों में बट गए।
▪️1748 में नवाब कर्तुर सिंह की पहल से सभी सिख टुकडियों का दल खालसा में विलय हुआ।
▪️इस दल खालसा का नेतृत्व जस्सा सिंह आहलुवालिया को सौंपा गया।
▪️बाद में इसे 12 दलों में विभाजित कर हर दल को मिसल(अरबी शब्द, अर्थ “बराबर”) कहा गया।
▪️सभी मिसल में से सबसे प्रमुख था सुकरचकिया। इसके मुखिया महारसिंह थे। महाराजा रणजीत सिंह का जन्म वर्ष 13 नवंबर 1780 में गुजरांवाला (वर्तमान पाकिस्तान) में इन्ही महासिंह के घर में हुआ था।

#महाराजा_रणजीत_सिंह

▪️1798-1799 में रणजीत सिंह लाहौर के शासक बने 12-अप्रैल 1801 को रणजीत सिंह ने महाराजा की उपाधि धारण की।
▪️गुरूनानक देव जी के वंशज ने इनकी ताज पोशी की।
▪️इन्होंने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया और 1802 में अमृतसर की ओर रूख किया।
▪️महाराजा रणजीत सिंह ने अफगानों के खिलाफ कई लड़ाई लड़ी और उन्हें पश्चिम पंजाब की ओर खदेड़ दिया।
▪️महाराजा रणजीत सिंह का राज्य सूबों में बटा हुआ था । जिसमें से प्रमुख सूबे थे-
— पेशावर
— कश्मीर
— मुल्तान
— लाहौर
▪️अंग्रेज सिखों के बड़ते राज्य से भयभीत थे तथा जिस कारण सिखों से संधि कर अपने क्षेत्रों को सुरक्षित करना चाहते थे। अमृतसर की संधि 25 अप्रैल 1809 को रणजीत सिंह और अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कंपनी के बीच हुई थी।
— उस समय गवर्नर जनरल लार्ड मिन्टो था परन्तु संधि चार्ल्स मेटकाफ के नेतृत्व में हुई थी तथा संधि पर हस्ताक्षर भी चार्ल्स मेटकाफ के द्वारा ही किए गए ।
— इस संधि से सतलज के पूर्व का भाग अंग्रेजों के हाथों में आया तथा सतलज रणजीत सिंह के राज्य की पूर्वी सीमा बन गई।
▪️महाराजा रणजीत सिंह के दो प्रमुख मंत्री फ़कीर अजीजुद्दीन(विदेश मंत्री) एवं दीनानाथ(वित्त मंत्री) थे।
▪️शाहशूजा जोकि एक अफगानी अमीर था, दोस्त मुहम्मद से हारकर कश्मीर में पनाह लेकर रह रहा था को कश्मीर के सूबेदार आत्ममुहम्मद ने शेरगढ़ के किले में बंदी बना रखा था।
▪️कोहिनूर हीरा, महाराजा रणजीत सिंह को इसी शाहशूजा को रिहा कराने के ऐवज में शाहशूजा की पत्नी वफा बेगम द्वारा दिया गया था।
▪️27 जून 1839 में महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु हो गयी।
▪️रणजीत सिंह के उत्तराधिकारियों में तीन पुत्र मुख्य थे-
— महाराजा खड़ग सिंह (1839-1840)
— महाराजा शेर सिंह (1841-1843)
— महाराजा दिलीप सिंह (1843-1849)

#महाराजा_दिलीप_सिंह

▪️महाराजा दिलीप सिंह का जन्म 1838 ई0 में हुआ था।
▪️1843 ई0 में बहुत कम उम्र होने के कारण महाराजा दिलीप सिंह की माता जींद कौर को उनका संरक्षक बनाकर राज्य सौंपा गया।
▪️अंग्रेजी सरकार इस स्थिति का फायदा उठाना चाहती थी। इसके साथ ही महारानी जींद कौर ने ताकतवर सिख सेना के बल पर अंग्रेजों को कमजोर आकने की गलती कर बैठी और सिख साम्राज्य का विस्तार करने का हुक्म दे दिया।
▪️जींद कौर के इस फैसले से अंग्रेजों को मौका मिल गया और 1845 में प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध प्रारम्भ हो गया।
▪️दिलीप सिंह के समय पर ही दोनों आंग्ल-सिख युद्ध हुए थे।



#मध्यकालीन_भारत_का_इतिहास :
#सिख_धर्म_के_10_गुरु...

सिख धर्म के 10 गुरु हुए हैं। गुरु नानक देव जी सिख धर्म के प्रवर्तक (जनक) थे इनके बाद 9 गुरु और हुए हैं। सिक्ख धर्म के दसवें व अंतिम गुरु गोविंद सिंह थे।

#सिख_धर्म_के_10_गुरु_के_नाम

▪️गुरु नानक देव जी (1469-1539)
▪️गुरु अंगद देव जी (1539-1552)
▪️गुरु अमर दास (1552-1574)
▪️गुरु राम दास (1574-1581)
▪️गुरु अर्जुन देव (1581-1606)
▪️गुरु हरगोविंद (1606-1644)
▪️गुरु हर राय (1645-1661 )
▪️गुरु हरकिशन (1661-1664)
▪️गुरु तेग बहादुर (1664-1675)
▪️गुरु गोविंद सिंह (1675-1699)

1. #गुरु_नानक_देव_जी (1469-1539)

▪️सिख धर्म के प्रवर्तक गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल 1469 में तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था।
▪️गुरु नानक देव जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी।
▪️नानक जी के पिता का नाम कल्यानचंद (मेहता कालू जी) और माता का नाम तृप्ता था।
▪️नानक जी के जन्म के बाद तलवंडी का नाम ननकाना पड़ा। वर्तमान में यह जगह पाकिस्तान में स्थित है।
▪️नानक जी का विवाह सुलक्खनी नाम की महिला के साथ हुआ।
▪️नानक जी के 2 पुत्र श्रीचन्द औऱ लक्ष्मीचन्द थे।
▪️नानक जी ने कर्तारपुर नामक एक नगर बसाया था, जो वर्तमान पाकिस्तान में स्थित है। इसी स्थान पर सन् 1539 को गुरु नानक जी का देहांत हुआ था।
▪️1496 ई० में कार्तिक पूर्णिमा की रात को इन्हें ज्ञान की प्राप्ती हुई थी।
▪️गुरु नानक देव जी ने संगत और पंगत को स्थापित किया था। संगत का अर्थ होता है धर्मशाला और पंगत का अर्थ होता है लंगर लगाना।

2. #गुरु_अंगद_देव_जी (1539-1552)

▪️गुरु अंगद देव जी सिखों के दूसरे गुरु थे।
▪️गुरु नानक देव ने अपने दोनों पुत्रों को छोड़कर, इन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाया था।
▪️इनका जन्म फिरोजपुर, पंजाब में 31 मार्च, 1504 को हुआ था।
▪️इनके पिता का नाम फेरू जी था, जो पेशे से व्यापारी थे। इनकी माता का नाम रामा जी था।
▪️गुरु अंगद देव को लहिणा जी के नाम से भी जाना जाता है।
▪️इन्होंने ही गुरुमुखी लिपि को जन्म दिया।
▪️इनका विवाह खीवी नामक महिला के साथ हुआ।
▪️इनकी 4 संतान थी। जिनमें 2 पुत्र एवं 2 पुत्री थी।
▪️गुरु अंगद देव जी लगभग 7 साल तक गुरु नानक देव के साथ रहे और फिर सिख पंथ की गद्दी पर बैठे।
▪️गुरु अंगद देव जी सितंबर 1539 से मार्च 1552 तक अपने पद पर रहे।
▪️गुरु अंगद देव जी ने जात-पात के भेद-भाव से हटकर लंगर प्रथा स्थायी रूप से चलाई और पंजाबी भाषा का प्रचार शुरू किया।

3. #गुरु_अमर_दास_जी (1552-1574)

▪️गुरु अंगद देव जी के बाद गुरु अमर दास सिख धर्म के तीसरे गुरु बने।
▪️61 वर्ष की आयु में गुरु अंगद देव को अपना गुरु बनाया और तब से लगातार उनकी सेवा की ।
▪️गुरु अंगद देव ने उनकी सेवा व समर्पण को देखकर ही उन्हे अपनी गद्दी सौंपी।
▪️गुरु अमर दास का निधन 1 सितंबर, 1574 को हुआ था।
▪️गुरु अमर दास ने सती प्रथा का विरोध किया तथा अंतर जातीय विवाह एवं विधवा विवाह को बढ़ावा दिया था।

4. #गुरु_रामदास_जी (1574-1581)

▪️गुरु रामदास जी गुरु अमरदास के दामाद थे।
▪️गुरु रामदास जी का जन्म लाहौर में हुआ था।
▪️बाल्यावस्था में उनकी माता का देहांत हो गया था और लगभग 7 वर्ष की आयु में पिता का भी देहांत हो गया था। उसके बाद वे अपनी नानी के साथ रहे।
▪️गुरु अमरदास जी ने इनकी सहनशीलता, नम्रता व आज्ञाकारिता के भाव को देखकर अपनी छोटी बेटी की शादी इनके साथ कर दी।
▪️गूरू रामदास ने 1577 ई० में “अमृत सरोवर” नामक एक नगर की स्थापना की थी। जो आगे चलकर अमृतसर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
▪️मुग़ल साम्राज्य के मुग़ल सम्राट अकबर इनका बहुत सम्मान करते थे। गुरु रामदास जी के कहने पर ही अकबर ने एक साल का पंजाब का लगान माफ कर दिया था।

5. #गुरु_अर्जुन_देव (1581-1606)

▪️गुरु अर्जुन देव का जन्म 15 अप्रैल 1563 को हुआ था।
▪️गुरु अर्जुन देव ने खुद को सच्चा बादशाह कहा था।
▪️गुरु अर्जुन देव चौथे गुरु रामदास जी के पुत्र थे।
▪️इन्होने अमृत सरोवर का निर्माण कराकर उसमें “हरमंदिर साहिब” (स्वर्ण मंदिर) का निर्माण कराया जिसकी नींव सूफी संत मियां मीर के हाथों से रखवायी गयी।
▪️धार्मिक ग्रन्थ (आदि ग्रन्थ) की रचना करने का श्रेय भी इनको ही जाता है।
▪️जहांगीर ने इन्हें अपने पुत्र खुसरो की बगावत में सहायता करने के कारण 30 मई 1606 को फांसी दे दी थी।

6. #गुरु_हरगोविंद_सिंह (1606-1645)

▪️गुरु हरगोविंद सिंह पांचवे गुरु अर्जन देव के पुत्र थे, इनकी माता का नाम गंगा था।
▪️इन्होंने सिखों को अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित किया।
▪️गुरु हरगोविंद सिंह ने ही सिंख पंथ को योद्धा का रूप प्रदान किया।
▪️इन्होंने छोटी-सी सेना बना ली थी। जिस कारण से इन्हें 12 वर्षो तक मुगल कैद में रहना पड़ा।
▪️रिहा होने के बाद गुरु हरगोविंद सिंह ने शाहजहाँ के खिलाफ बगावत कर दी और 1628 ई० में अमृतसर के निकट युद्ध में शाही मुगल फौज को हरा दिया।
▪️गुरु हरगोविंद सिंह ने ही अकाल तख़्त का निर्माण भी करवाया था।
▪️1644 ई० में कीरतपुर, पंजाब में इनका निधन हो गया।

7. #गुरु_हरराय (1645-1661)

▪️गुरु हरराय साहिब जी सिख धर्म के छठे गुरु हरगोविंद सिंह के पुत्र बाबा गुरदीता जी के छोटे बेटे थे।
▪️गुरु हरराय का विवाह किशन कौर के साथ हुआ, तथा इनके दो पुत्र रामराय जी और हरकिशन साहिब जी थे।
▪️गुरु हरराय ने औरंगजेब के भाई दारा शिकोह की विद्रोह में मदद की थी।
▪️1661 ई० में गुरु हरराय की मृत्यु हो गयी।

8. #गुरु_हरकिशन_साहिब (1661-1664)

▪️गुरु हरकिशन साहिब जन्म 7 जुलाई, 1656 को करतारपुर साहेब में हुआ, तथा ये सातवें गुरु हर राय जी के पुत्र थे।
▪️गुरु हरकिशन साहिब ने 1661 में मात्र 5 वर्ष की आयु में ही गद्दी प्राप्त कर ली थी।
▪️कम उम्र के कारण औरंगजेब ने इनका विरोध किया।
▪️इस विवाद को सुलझाने के लिए ये औरंगजेब से मिलने दिल्ली गए, तो वहां हैजे की महामारी फैली हुई थी। कई लोगों को स्वास्थ्य लाभ कराने के बाद गुरु हरकिशन साहिब जी स्वयं चेचक से पीडित हो गये।
▪️30 मार्च 1664 को इनका निधन हो गया। अपने अंतिम क्षणों में इनके मुँह से “बाबा बकाले” शब्द निकले। ▪️जिसका अर्थ था कि अगला सिख गुरु बकाले गांव से ढूंढा जायेगा।
▪️साथ ही गुरु हरकिशन साहिब ने अंतिम क्षणों में यह भी निर्देश दिया था कि उनकी मृत्यु के बाद कोई भी रोएगा नहीं।

9. #गुरु_तेग_बहादुर_सिंह (1664-1675)

▪️गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म 18 अप्रैल 1621 को पंजाब में हुआ था।
▪️गुरु तेग बहादुर सिंह ने धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ निछावर कर दिया। सही अर्थो में गुरु तेग बहादुर सिंह को “हिन्द की चादर” कहा जाता है।
▪️इस समय काल में औरंगजेब जबरन धर्म परिवर्तन करा रहा था। इससे परेशान होकर कश्मीरी पंडित गुरु तेग बहादुर की शरण में आये तो उन्होंने कहा कि औरंगजेब से जाकर कहो की अगर वो मुझे इस्लाम कबूल करवा देगा तो हम सब भी इस्लाम कबूल कर लेंगे।
▪️गुरु तेग बहादुर सिंह को औरंगजेब के दरबार में पहले लालच और फिर यातना देकर इस्लाम कबूलवाने की कोशिश की गयी।
▪️इस्लाम कबूलवाने के लिए औरंगजेब द्वारा उनके दो प्रिय शिष्यों को उनके सामने मार डाला गया।
▪️अंत में जब औरंगजेब कामयाब नहीं हुआ तो चांदनी चौक पर गुरु तेग बहादुर सिंह का शीश 24 नवम्बर 1675 ई० को कटवा दिया गया।इस शहीदी स्थान को ‘शीश गंज’ के नाम से जाना जाता है, यहाँ पर “शीशगंज साहिब” नामक गुरुद्वारा स्थित है।

10. #गुरु_गोविंद_सिंह (1675-1699)

▪️सिखों के दसवें व अंतिम गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 ई० को पटना में हुआ था।
▪️गुरु गोविंद सिंह सिखों के 9 वें गुरु गुरु तेग बहादुर सिंह के पुत्र थे। यह मात्र 9 वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठे।
▪️उन्होंने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने का निर्णय लिया और तलवार हाथ में उठाई।
▪️उनके बड़े पुत्र बाबा अजीत सिंह और एक अन्य पुत्र बाबा जुझार सिंह ने चमकौर के युद्ध में शहादत प्राप्त की। ▪️22 दिसंबर सन्‌ 1704 को सिरसा नदी के किनारे चमकौर नामक जगह पर सिक्खों और मुग़लों के बीच एक ऐतिहासिक युद्ध लड़ा गया था।
▪️इनके 2 पुत्र बाबा जोरावर सिंह व फतेह सिंह को मुगल गवर्नर वजीर खां के आदेश पर दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था।
▪️1699 ई० में सिखों के दसवें व अंतिम गुरु गोविंद सिंह का निधन हो गया। उससे पहले इन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और गुरु प्रथा को समाप्त कर दिया।
▪️गुरु गोविंद सिंह ने पांचवे गुरु अर्जुन देव द्वारा स्थापित “गुरु ग्रंथ साहिब” को ही अगला गुरु बताया।

#आधुनिक_भारत_का_इतिहास :
#उदारवादी...

उदारवादियों ने 1885-1905 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर अपना प्रभुत्व बनाये रखा| वे थे तो भारतीय लेकिन वास्तव में अपनी पसंद,बुद्धि,विचार और नैतिकता के मामले में ब्रिटिश थे|वे धैर्य,संयम,समझौतों और सभाओं में विश्वास रखते थे| ए.ओ.ह्यूम,डब्लू.सी.बनर्जी,सुरेन्द्रनाथ बनर्जी,दादाभाई नैरोजी,फिरोजशाह मेहता,गोपालकृष्ण गोखले,पंडित मदन मोहन मालवीय,बदरुद्दीन तैय्यब जी,जस्टिस रानाडे,जी.सुब्रमण्यम अय्यर आदि राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रथम चरण के नेता थे| इन्हें उदारवादी कहा गया क्योकि ये ब्रिटिशों से निष्ठा प्राप्त करने के लिए याचिकाओं,भाषणों,और लेखों का सहारा लेते थे और खुले आम ब्रिटिश राज के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करते थे|

#उदारवादियों_की_मांगे

• वे विधान परिषदों के विस्तार द्वारा प्रशासन प्रशासन पर लोकप्रिय नियंत्रण स्थापित करना चाहते थे|
• प्रेस और भाषा की स्वतंत्रता पर लगे प्रतिबंधों की समाप्ति|
• लोगों की स्वतंत्रता को बाधित करने वाले आर्म्स एक्ट का उन्मूलन|
• न्यायपालिका व कार्यपालिका का विभाजन|
• लोकतंत्र व राष्ट्रवाद के समर्थक|
• ब्रिटिशों की शोषणकारी नीतियों की समाप्ति|

#उदारवादियों_की_उपलब्धियां

• उन्होंने अपने समय में सबसे आक्रामक शक्ति की भूमिका निभाई,जिसने भारतीय राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया|
• वे निम्न मध्य वर्ग,मध्य वर्ग व बुद्धिजीवियों के बीच राजनैतिक जागरूकता की लौ जगाने में सफल रहे|
• उन्होंने नागरिक स्वतंत्रता व लोकतंत्र के विचार को प्रसारित किया|
• उन्होंने राष्ट्रवाद की भूमिका तैयार की और राष्ट्रीय आन्दोलन की नींव रखी|

#निष्कर्ष

हालाँकि हम यह कह सकते है कि उदारवादी जनता और ब्रिटिशों के मध्य सेफ्टी वाल्व की भूमिका निभा रहे थे लेकिन कुछ समय बाद उनका भारतीय खून जागा और उन्होंने संस्थागत प्रयासों द्वारा ब्रिटिशों को उखाड़ फेंकने की कोशिश की|

Monday, June 1, 2020

शिक्षण विधियाँ एवं उनके प्रतिपादक

शिक्षण विधियाँ एवं उनके प्रतिपादक

❶.किंडर गार्डन - *फ्रोबेल*

❷.मांटेसरी विधि - *मारिया मांटेसरी*

❸.खेल विधि - *हेनरी कोल्डवेलकुक*

❹.डाल्टन विधिहेलन - *पार्कहर्स्ट*
❺.पर्यटन विधि - *पेस्टोलॉजी*

❻.खोज विधि -(ह्यूरिस्टिक विधि या अन्वेषण विधि) -  *आर्मस्ट्रांग*

❼.प्रश्नोत्तर विधि - *सुकरात*

❽.प्रोजेक्ट विधि- *हैंविलियम हेनरी किलपैट्रिक*

❾.वैज्ञानिक विधि  - *गुडवार स्केट्स*

❶⓿.समस्या समाधान विधि- *सुकरात*

❶❶.सूक्ष्म शिक्षण विधि -  *राबर्ट*

❶❷.मूल्यांकन विधि  - *जे .एम राइस*

❶❸.समस्या समाधान विधि - *सुकरात*

❶❹.इकाई उपागम - *एच. सी मॉरीसन*

❶❺.विनेटिका  विधि - *कार्लटन बाशबर्न*

❶❻.ड्रेकाली शिक्षण विधि - *ड्रेकाली*

❶❼.ब्रेल पद्धतिलुई- *ब्रेल*

❶❽.प्रक्रिया  विधि - *कमेनियस*

❶❾.बेसिक शिक्षा पद्धति - *महात्मा गांधी*

❷⓿.समाजमिति विधि -
*एल.   मोरेनो*

❷❶.आगमन विधि - *अरस्तु*
❷❷ -निगमन विधि - *प्लेटो*

❷❸.हरबर्ट विधि - *हरबर्ट*

❷❹.प्रश्नावली विधि - *वुडबर्थ*

❷❺ .संवाद विधि। - *प्लेटो*

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❷❻.रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन विधि या बाहय  अनुदेशन विधि - *बी.  एफ. स्किनर*

❷❼.शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन विधि या आंतरिक अनुदेशन विधि   - *नॉर्मन ए. क्राउडर*

❷❽.अवरोही अभिक्रमित अनुदेशन -  *थामस एफ.  गिलबर्ट*
❶)मनोविज्ञान के जनक= विलियम  जेम्स
❷)आधुनिक मनोविज्ञान के जनक= विलियम जेम्स
❸)प्रकार्यवाद साम्प्रदाय के जनक= विलियम जेम्स
❹)आत्म सम्प्रत्यय की अवधारणा= विलियम जेम्स
❺)शिक्षा मनोविज्ञान के जनक= थार्नडाइक
❻)प्रयास एवं त्रुटि सिद्धांत= थार्नडाइक
❼)प्रयत्न एवं भूल का सिद्धांत= थार्नडाइक
❽)संयोजनवाद का सिद्धांत= थार्नडाइक
❾)उद्दीपन-अनुक्रिया का सिद्धांत= थार्नडाइक
❶⓿) S-R थ्योरी के जन्मदाता= थार्नडाइक
❶❶)अधिगम का बन्ध सिद्धांत= थार्नडाइक
❶❷) संबंधवाद का सिद्धांत= थार्नडाइक
❶❸) प्रशिक्षण अंतरण का सर्वसम अवयव का सिद्धांत= थार्नडाइक
❶❹)बहु खंड बुद्धि का सिद्धांत= थार्नडाइक
❶❺)बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण के प्रतिपादक= बिने एवं साइमन
❶❻) बुद्धि परीक्षणों के जन्मदाता= बिने
❶❼) एक खंड बुद्धि का सिद्धांत= बिने
❶❽) दो खंड बुद्धि का सिद्धांत= स्पीयरमैन
❶❾) तीन खंड बुद्धि का सिद्धांत= स्पीयरमैन
❷⓿)सामान्य व विशिष्ट तत्वों के सिद्धांत के प्रतिपादक= स्पीयरमैन
❷❶) बुद्धि का द्वय शक्ति का सिद्धांत= स्पीयरमैन
❷❷) त्रि-आयाम बुद्धि का सिद्धांत= गिलफोर्ड
❷❸)बुद्धि संरचना का सिद्धांत= गिलफोर्ड
❷❹) समूह खंड बुद्धि का सिद्धांत= थर्स्टन
❷❺) युग्म तुलनात्मक निर्णय विधि के प्रतिपादक= थर्स्टन
❷❻) क्रमबद्ध अंतराल विधि के प्रतिपादक= थर्स्टन
❷❼) समदृष्टि अन्तर विधि के प्रतिपादक= थर्स्टन व चेव
❷❽)न्यादर्श या प्रतिदर्श(वर्ग घटक) बुद्धि का सिद्धांत= थॉमसन
❷❾) पदानुक्रमिक(क्रमिक महत्व) बुद्धि का सिद्धांत= बर्ट एवं वर्नन
❸⓿) तरल-ठोस बुद्धि का सिद्धांत= आर. बी. केटल
❸❶) प्रतिकारक (विशेषक) सिद्धांत के प्रतिपादक= आर. बी. केटल
❸❷) बुद्धि ‘क’ और बुद्धि ‘ख’ का सिद्धांत= हैब
❸❸) बुद्धि इकाई का सिद्धांत= स्टर्न एवं जॉनसन
❸❹)बुद्धि लब्धि ज्ञात करने के सुत्र के प्रतिपादक= विलियम स्टर्न
❸❺) संरचनावाद साम्प्रदाय के जनक= विलियम वुण्ट
❸❻) प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के जनक= विलियम वुण्ट
❸❼) विकासात्मक मनोविज्ञान के प्रतिपादक= जीन पियाजे
❸❽)संज्ञानात्मकविकास का सिद्धांत= जीन पियाजे
❸❾) मूलप्रवृत्तियोंके सिद्धांत के जन्मदाता= विलियम मैक्डूगल
❹⓿)हार्मिक का सिध्दान्त= विलियम मैक्डूगल
❹❶) मनोविज्ञान को मन मस्तिष्क का विज्ञान= पोंपोलॉजी
❹❷) क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिध्दान्त= स्किनर
❹❸)सक्रिय अनुबंधन का सिध्दान्त= स्किनर
❹❹) अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत= इवान पेट्रोविच पावलव
❹❺) संबंध प्रत्यावर्तन का सिद्धांत= इवान पेट्रोविच पावलव
❹❻) शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत= इवान पेट्रोविच पावलव
❹❼)प्रतिस्थापक का सिद्धांत= इवान पेट्रोविच पावलव
❹❽) प्रबलन(पुनर्बलन) का सिद्धांत= सी. एल. हल
❹❾) व्यवस्थित व्यवहार का सिद्धांत= सी. एल. हल
❺⓿)सबलीकरण का सिद्धांत= सी. एल. हल
❺❶) संपोषक का सिद्धांत= सी. एल. हल
❺❷) चालक /अंतर्नोद(प्रणोद) का सिद्धांत= सी. एल. हल❺❸) अधिगम का सूक्ष्म सिद्धान्त= कोहलर
❺❹) सूझ या अन्तर्दृष्टि का सिद्धांत= कोहलर, वर्दीमर, कोफ्का
❺❺)गेस्टाल्टवादसम्प्रदाय के जनक= कोहलर, वर्दीमर, कोफ्का
❺❻) क्षेत्रीय सिद्धांत= लेविन
❺❼) तलरूप का सिद्धांत= लेविन
❺❽) समूह गतिशीलता सम्प्रत्यय के प्रतिपादक= लेविन
❺❾)सामीप्य संबंधवाद का सिद्धांत= गुथरी
❻⓿) साईन(चिह्न) का सिद्धांत= टॉलमैन
❻❶> सम्भावना सिद्धांत के प्रतिपादक= टॉलमैन
❻❷> अग्रिम संगठक प्रतिमान के प्रतिपादक= डेविड आसुबेल
❻❸> भाषायी सापेक्षता प्राक्कल्पना के प्रति

विटामिन और महत्वपूर्ण प्रश्न

विटामिन और महत्वपूर्ण प्रश्न

1. विटामिन B की कमी से कौनसा रोग होता है ?

उतर - बेरी-बेरी

2. विटामिन C की कमी से कौनसी बीमारी होती है ?

उतर -स्कर्वी

3. दूध में कौनसा विटामिन नहीं होता है ?

उतर -विटामिन C

4. विटामिन D की कमी से कौनसा रोग होता है ?

उतर - रिकेट्स

5. किस विटामिन की कमी से खून का थक्का नहीं जमता ?

उतर -विटामिन K


5. विटामिन E की कमी से कौनसा रोग होता है ?

उतर - बांझपन

6. विटामिन C का रासायनिक नाम क्या है ?

उतर -एस्कोर्बिक अम्ल

7. वसा में घुलनशील विटामिन कौनसे हैं ?

उतर - A और E

8. साधारण नमक का रासायनिक नाम क्या है ?

उतर -NaCl

9. हँसाने वाली गैस का रासायनिक नाम क्या है ?

उतर - नाइट्रस ऑक्साइड (N2O)

10. धावन सोड़ा का रासायनिक नाम क्या है ?

उतर -सोड़ियम कार्बोनेट

11. पीतल किन दो धातुओं का मिश्रण है ?

उतर -तांबा और जस्ता

12. कैल्सीफेराँल किस विटामिन का रासायनिक नाम है ?

उतर - विटामिन D

13. नेत्रदान में नेत्र के किस भाग का दान किया जाता है ?

उतर - कोर्निया

14. किस विटामिन में कोबाल्ट होता है ?

उतर - विटामिन बी-12

15. कोशिका का पावरहाउस किसे कहा जाता है ?

उतर -माइटोकोंड्रिया

16. लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण हमारे शरीर के किस भाग में होता है ?

उतर -अस्थि मज्जा (Bone Marrow)

17. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब मनाया जाता है ?

उतर -28 फरवरी

18. ब्लडप्रेशर मापने के लिए किस यंत्र का प्रयोग किया जाता है ?

उतर - स्फिग्मोमैनोमीटर


विटामिन संबंधी महत्वपूर्ण तथ्य

👇👇👇👇

*🔵विटामिन - 'A'*
√रासायनिक नाम: रेटिनाॅल
√कमी से रोग: रतौंधी
√स्रोत (Sour ce): गाजर, दूध, फल.
*🔵विटामिन - 'B1'*
√रासायनिक नाम: थायमिन
√कमी से रोग: बेरी-बेरी
√स्त्रोत (Source): मुंगफली, आलू, सब्जीयाँ
*🔵विटामिन - 'B2'*
√रासायनिक नाम: राइबोफ्लेबिन
√कमी से रोग: त्वचा फटना, आँख का रोग
√स्रोत (Source): दूध, हरी सब्जियाँ
*🔵विटामिन - 'B3'*
रासायनिक नाम:  निकोटिनेमाइड (नियासिन)
√कमी से रोग: पैरों में जलन, बाल सफेद
√स्रोत (Source): दूध, टमाटर, मूंगफली
*🔵विटामिन - 'B5'*
√रासायनिक नाम: पैण्टोथेनिक अम्ल
√कमी से रोग: मासिक विकार (पेलाग्रा)
√स्रोत (Source): मूंगफली, आलू
*🔵विटामिन - 'B6'*
√रासायनिक नाम: पाइरीडाॅक्सिन
√कमी से रोग: एनीमिया, त्वचा रोग
√स्रोत (Source): दूध, सब्जी
*🔵विटामिन - 'H / B7'*
√रासायनिक नाम: बायोटिन
√कमी से रोग: बालों का गिरना , चर्म रोग
√स्रोत (Source): गेहूँ,
*🔵विटामिन - 'B12'*
√रासायनिक नाम: सायनोकोबालमिन
√कमी से रोग: एनीमिया, पाण्डू रोग
√स्रोत (Source): कजेली, दूध
*🔵विटामिन - 'C'*
√रासायनिक नाम: एस्कार्बिक एसिड
√कमी से रोग: स्कर्वी, मसूड़ों का फुलना
√स्रोत (Source): आँवला, नींबू, संतरा, नारंगी
*🔵विटामिन - 'D'*
√रासायनिक नाम: कैल्सिफेराॅल
√कमी से रोग: रिकेट्स
√स्रोत (Source): सूर्य का प्रकाश, दूध,
*🔵विटामिन - 'E'*
√रासायनिक नाम: टेकोफेराॅल
√कमी से रोग: जनन शक्ति का कम होना
√स्रोत (Source): हरी सब्जी, मक्खन, दूध
*🔵विटामिन - 'K'*
√रासायनिक नाम: फिलोक्वीनाॅन
√कमी से रोग: रक्त का थक्का न बनना
√स्रोत (Source): टमाटर, हरी सब्जियाँ, दूध


सामान्य ज्ञान ONE LINER

सामान्य ज्ञान ONE LINER

1.शरीर में सबसे लंबी हड्डी का नाम क्या है 

उत्तर - फिमर 

2. शरीर में सबसे छोटी हड्डी का नाम क्या है

उत्तर - स्टेपीज जो कान में होती है स्पीच

3. शरीर में सबसे मजबूत हड्डी का नाम क्या है 

उत्तर - मण्डीवल जो जबड़े में होती है 

4. जन्म के समय नवजात शिशु की त्वचा का रंग कैसा होता है 

उत्तर - हल्का गुलाबी 15 दिन के बाद त्वचा स्थाई रंग को प्राप्त कर लेती है 

5. नवजात शिशु कितने घंटे सोता है 

उत्तर - 18 से 20 घंटे किंतु वह हर 2 घंटे में जागकर अपनी मांसपेशियों को घुमाता है

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6. बालक का विकास 6 वर्ष तक लगभग कितने प्रतिशत हो जाता है 

उत्तर - 90% 

7. बालक का विकास 10 वर्ष तक लगभग कितने प्रतिशत हो जाता है 

उत्तर - 95% 

8. बाल्यावस्था में बालक की हड्डियां कितनी होती है 

उत्तर - बाल्यावस्था में बालक की हड्डियों की संख्या 270 से 350 तक हो सकती है 

9. निशुल्क एवं बाल शिक्षा का अधिकार एवं अधिनियम 2009 का विस्तार किस राज्य में नहीं हुआ 

उत्तर - जम्मू कश्मीर 

10. शिक्षा का अधिकार 2009 के तहत निजी विद्यालय को कितने प्रतिशत सीट आरक्षित करना अनिवार्य होगा 

उत्तर - 25% 


11. 25 से कम बुद्धि वाला बालक क्या कहलाता है

उत्तर - जड 

12. कुशाग्र बुद्धि अच्छा प्रतिभावान बालक वह है जो निरंतर किसी भी उचित कार्य क्षेत्र में अपनी अद्भुत कार्य कुशलता अथवा प्रवणता का परिचय देता है यह कथन किसका है 

उत्तर -  हाइविंगहर्स्ट  ने 

13.  पिछड़ा बालक वह है जो अपने अध्ययन के मध्यकाल में अपनी कक्षा का कार्य जो उसकी आयु के अनुसार एक कक्षा नीचे का है करने में असमर्थ रहता है यह किसने कहा है 

उत्तर - सिरिल बर्ट ने 

14. समस्यात्मक बालक उन बालकों के लिए प्रयोग किया जाता है जिनका व्यवहार अथवा व्यक्तित्व किसी बात में गंभीर रूप से असामान्य होता है यह कथन किस मनोवैज्ञानिक का है 

उत्तर - वैलेंटाइन

15. वह बालक जो समाज द्वारा स्वीकृत आचरण का पालन नहीं करता अपराधी कहलाता है यह किसने कहा है 

उत्तर - हीली ने

16. बुद्धि के किस सिद्धांत को बालों का ढेर कहा जाता है 

उत्तर -  बहुतत्व सिद्धांत

17. व्यक्ति के चेहरे को देखकर उसकी बुद्धि का पता लगाया जा सकता है यह कथन किसका है 

उत्तर - लेवेटर 

18.वे शिक्षार्थी जो समृद्ध ज्ञान और शैक्षणिक दक्षता को हार्दिक इच्छा प्रदर्शित करते हैं उनके पास होता है 

उत्तर - निष्पादन उपागम अभिविन्यास

19.  प्रतिभाशाली बालक वह है जो उत्पादन की मात्रा दर तथा गुणवत्ता में विशिष्ट होता है यह कथन दिया गया है

उत्तर -  टर्मन एवं ओडन द्वारा  

20. 12 वर्ष तक के बालक के मस्तिष्क का भार कितना होता है 

उत्तर - लगभग 1260 ग्राम जबकि एक स्वास्थ्य मनुष्य के मस्तिष्क का भार 1400 ग्राम होता है 

21. मनुष्य के शरीर में कितनी हड्डियां होती है 

उत्तर - 206 हड्डियां होती है  जबकि बालक के जन्म के समय बालक में 270 हड्डियां होती है एवं बाल्यावस्था में बालक की हड्डियां 350 होती है

22. विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान के जनक कौन  है 

उत्तर - सिंगमडफ्रायड

23. तूफान की अवस्था किसे कहा जाता है 

उत्तर - किशोरावस्था को 

24. किशोरावस्था को तूफान अवस्था किसने कहा 

उत्तर - स्टेनले हाल 

25. नैतिक विकास का सिद्धांत किसने दिया 

उत्तर - मेक्डूनल

 26.  संवेग  क्या है 

मन की उत्तेजित  दशा को  संवेग कहते है 

27. व्यक्तित्व का स्वः  सिद्धांत किसने दिया 

 उत्तर - कार्लरोजर  ने 

28. वह स्तर जिसमें बच्चा किसी वस्तु एवं घटना के बारे में तार्किक रूप से सोचना शुरु करता है उसे कौन सी अवस्था कहा जाता है 

 उत्तर - मूर्त क्रियात्मक अवस्था 

29. सृजनात्मक मूल रूप से किससे संबंधित है 

उत्तर -  अपसारी चिंतन से

30.  चिंतन अनिवार्य रूप से क्या है 

उत्तर - संज्ञानात्मक गतिविधि

31.  किसी बालक में चिंतन की योग्यता उसके सफल जीवन का मूल आधार है यह कथन किसका है 

क्रो और क्रो का 

32. चिंतन की दृष्टि से किसी बच्चे में सर्वश्रेष्ठ से चिंतन है तो उसे क्या कहेंगे 

उत्तर - तार्किक चिंतन

33.  पियाजे के अनुसार किसी बालक में तार्किकता का अनुभव किस आयु तक होता है 

उत्तर -  7 वर्ष तक


द्रव चालित ब्रेक(Hydrolytic Break) किस सिद्धांत पर कार्य करते हैं?- पास्कल का नियम

द्रवचालित मशीन की सिद्धांत पर कार्य करता है?- पास्कल का नियम

हाइड्रोमीटर की सिद्धांत पर कार्य करता है?- प्लवन के सिद्धांत पर

वायुयान किस सिद्धांत पर कार्य करता है?- बरनौली के सिद्धांत पर

फुहारा किस सिद्धांत पर कार्य करता है?- बरनौली के सिद्धांत पर

बरनौली का प्रमेय किस सिद्धांत पर आधारित है?- ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत

तालाब या नदी में तैरती समय गति के किस नियम की पुष्टि होती हैं?- गति के तृतीय नियम

उत्तोलक के सिद्धांत पर कार्य करता है?- बल आघूर्ण के सिद्धांत पर

वाशिंग मशीन किस सिद्धांत पर कार्य करता है?- अपकेंद्रण के सिद्धांत पर

स्टेथोस्कोप किस सिद्धांत पर कार्य करता है- ध्वनि का परावर्तन

कंप्यूटर और मोबाइल फोनों में किस सिद्धांत का प्रयोग होता है?- IC 

अर्धचालक तथा इलेक्ट्रॉनिक्स के नियमों का प्रयोग

एंडोस्कोप किस सिद्धांत पर कार्य करता है?- पूर्ण आंतरिक परावर्तन के

पेरिस्कोप किस सिद्धांत पर आधारित है?- प्रकाश के परावर्तन का सिद्धांत

परमाणु बम किस सिद्धांत पर आधारित है?- नाभिकीय विखंडन

हाइड्रोजन बम किस सिद्धांत पर आधारित है?- नाभिकीय संलयन

रॉकेट किस सिद्धांत पर आधारित है?- संवेग संरक्षण का सिद्धांत

डिटरजेंट पृष्ठ को किस सिद्धांत पर साफ करते है?- पृष्ठ तनाव

पनडुब्बी किस सिद्धांत पर आधारित है?- प्लवन का नियम या आर्कमिडीज का सिद्धांत

हाइड्रोमीटर किस सिद्धांत पर कार्य करता है?- आर्कमिडीज के सिद्धांत

क्या आर्कमिडीज के सिद्धांत से सोने की शुद्धता का पता लगाया जा सकता है?– हां(आपेक्षिक घनत्व की सहायता से)

ऑटोमोबाइल के हाइड्रोलिक ब्रेक के कार्य करने का सिद्धांत- पास्कल का नियम

द्रवचालित यंत्र जैसे- हाइड्रोलिक प्रेस, 
हाइड्रोलिक लिफ़्ट और हाइड्रोलिक ब्रेक किस नियम पर आधारित है?- पास्कल का नियम

मैनोमीटर, वायुदाबमापी(बैरोमीटर) किस सिद्धांत पर आधारित है?- द्रव दाब का सिद्धांत

इनवर्टर क्या कार्य करता है?- डीसी को एसी में परिवर्तित करता है |

डायनेमो किस सिद्धांत पर आधारित है?- विद्युत चुंबकीय प्रेरण

परमाणु घड़ी किसके संक्रमण पर आधारित है?- सीजियम-133

प्रकाश विद्युत प्रभाव के आविष्कार कर्ता कौन थे?- हर्टज

प्रतिरोध का मात्रक है- ओम

चालक की लंबाई बढ़ने पर प्रतिरोध- बढ़ता है|


Important Questions

कपास को यूनानी क्या कहते थे ?
— सिन्डॉन
2. खेत की जुताई के लिए किसका उपयोग किया जाता था ?
— हल
3. इस समय कौन से घातु मिलने के प्रमाण हैं ?
— तांबा, टिन और कांस्य
4. हड़प्पा सभ्यता में व्यापार कैसे होता था ?
— लोग आंतरिक और बाह्य व्यापार में संलग्न थे । आंतरिक व्यापार बैलगाड़ी से संचालित होता था ।
5 . मेलूहा शब्द किसके लिए इस्तेमाल किया गया ?
— मेसोपोटामिया के साक्ष्यों में इस शब्द का प्रयोग हड़प्पा के लिए किया गया है।
6. सैंधव वासी मिठास के लिए किस चीज का इस्तेमाल करते थे ?
— शहद
7. हड़प्पा के समय व्यापार की कौन सी प्रणाली प्रचलित थी ?
— वस्तु विनिमय प्रणाली
8. हड़प्पा के समय क्या प्रमुख उद्योग थे ?
— कपड़ा उद्योग, आभूषण निर्माण, शिल्पकर्म,
बढ़ईगिरी, मिट्टी के बर्तन बनाना
9. यहां के लोगों ने नगरों और घरों के विन्यास के लिए किस पद्धति को अपनाई ?
— ग्रीड पद्धति
10. हड़प्पा सभ्यता में शहरीकरण की प्रमुख विशेषता क्या थी ?
— निकास प्रणाली
11. हड़प्पा में कहां विशाल स्नानागार के साक्ष्य मिले हैं ?
— मोहनजोदड़ो
12. हड़प्पा में लिपि और धर्म की जानकारी कहां से मिलती है ?
— सैंधवकालीन मुहरों से।
13. इस समय कौन सी लिपि प्रचलित थी ?
— चित्राक्षर लिपि ( चित्रों के माध्यम से संप्रेषण)
14. इस लिपि में कितने चिह्न ज्ञात हैं ?
— 400 चित्र(चिह्न)
15. चित्राक्षर लिपि को और किस नाम से पुकारा जाता है ?
— बेन्डोफ्रेंड्रम लिपि
16. इसे लिपि को किस तरफ से लिखा जाता है
?
— बाईं से दाईं ओर
17. आजादी( सन् 1947) के बाद भारत में सबसे अधिक कहां हड़प्पायुगीन स्थलों की खोज हुई
?
— गुजरात
18. किस सैंधव पुरा स्थल से घोड़े की हड्डियों के प्रमाण मिलते हैं ?
— सुरकोटडा
19. सैंधव स्थलों से किस जगह पर सर्वप्रथम कृषि के साक्ष्य उपलब्ध होते हैं ?
— मेहरगढ़
20. वह कौन-सा हड़प्पाकालीन स्थल है जो त्रि-स्तरीय था ?
— धौलावीरा
21. चावल के उत्पादन के साक्ष्य किस सैंधव पुरास्थल से प्राप्त हुए हैं ?
— रंगपुर एवं लोथल
22. मेसोपोटामियाई अभिलेखों में सिंधु क्षेत्र का प्राचीन नाम क्या मिलता है ?
— मेलुहा
23. किस प्राक्-हड़प्पा स्थल से कूड़ (हलरेखा) का पता चलता है ?
— कालीबंगा
24. पंजाब की किस नदी के नाम पर एक ताम्रपाषाणिक संस्कृति का नामाकरण किया गया था ?
— सोन संस्कृति

1. मनुष्य ने सर्वप्रथम किस धातु का प्रयोग किया।
Ans. तांबा
2. भारत का भूगोल नामक पुस्तक किसने लिखी।
Ans. टॉलमी
3. सुभाष चंद्र बोस का सर्वप्रथम नेताजी किसने कहा था।
Ans. एडोल्फ हिटलर
4. महात्मा गांधी को अधनंगा फकीर किसने कहा था।
Ans. चर्चील
5. बल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि किस आंदोलन के बाद प्रदान
की थी।
Ans. बारदोली सत्याग्रह
6. जय हिंद का नारा किसने दिया था।
Ans. सुभाष चंद्र बोस
7. ‘भारत को तलवार के बल पर विजित किया गया है, और तलवार के
बल ही इसकी रक्षा की जाएगी’ यह कथन है।
Ans. लॉर्ड एल्गिन
8. जनवरी 1879 में ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को किस उपाधी से
सम्मानित करने के लिए दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया।
Ans. कैसर-ए-हिंद
9. चौदहवीं लोकसभा के अध्यक्ष कौन थे।
Ans. सोमनाथ चटर्जी
10. सरिस्का में बाघों के विलुप्त होने की घटना की जांच हेतु केंद्र
सरकार ने किसकी अध्यक्षता में कार्यदल बनाया है।
Ans. सूनीता नारायण
11. पहली लोकसभा के अध्यक्ष कौन थे।
Ans. गणो वासुदेव मावलंकर, एम अनंतशयनम आयंगर
12. प्रथम लोकसभा का गठन कब हुआ था।
Ans. 6 मई 1952
13. विदेशों के लिए भारतीय राजदूतों को नियुक्त कौन करता है।
Ans. राष्ट्रपति
14. राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति संविधान के किस अनुच्छेद के
अंतर्गत दी गई है।
Ans. अनुच्छेद72
15. झंडा समिति के अध्यक्ष कौन थे।
Ans. जे.बी.कृपलानी
16. संविधान निर्माण की प्रक्रिया में कुल कितना समय लगा।
Ans. दो वर्ष, 11 माह, 18 दिन
17. संविधान सभा का गठन कब किया गया।
Ans. जुलाई 1946
18. अभ्रक के उत्पादन में भारत का विश्व में कौनसा स्थान है।
Ans. प्रथम
19. देश में सर्वाधिक सोना किस राज्य से प्राप्त होता है।
Ans. कर्नाटक
20. आधुनिक ओलम्पिक खेल प्रतियोगिता का प्रारंभ कब हुआ।
Ans. 1896 ई.
21. भारतीय ओलम्पिक परिषद की स्थापना कब हुई।
Ans. 1924 ई.
22. ओलम्पिक मशाल जलाने की प्रथा कब से शुरू हुई।
Ans. 1928 ई. (एम्सटर्डम ओलम्पिक)
23. ओलम्पिक खेलों का टीवी पर विस्तृत प्रसारण कब से शुरू हुआ।
Ans. 1960 ई. से
24. राष्ट्रमंडल खेलों की शुरूआत कब से हुई।
Ans. 1930 ई.
25. भारत ने पहली बार कब राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया।
Ans. 1934 ई. (दूसरे राष्ट्रमंडल खेल)
26. एशियाई खेल का प्रारंभ कब व कहां हुआ।
Ans. 4 मार्च 1951 ई. को नई दिल्ली में
27. क्रिकेट खेल का जन्मदाता कौनसे देश को माना जाता है।
Ans. इंग्लैंड
28. फुटबॉल खेल का जन्म कहां हुआ।
Ans. इंग्लैंड
29. वॉलीबॉल का जन्म किस देश में माना जाता है।
Ans. संयुक्त राज्य अमेरीका
30. आधुनिक गोल्फ की सर्वप्रथम शुरूआत कहां हुई।
Ans. स्कॉटलैंड
31. अमेरीका का राष्ट्रीय खेल कौनसा है।
Ans. बेसबॉल
32. सांड युद्ध कौनसे देश का राष्ट्रीय खेल है।
Ans. स्पेन
33. चीन का राष्ट्रीय खेल कौनसा है।
Ans. टेबल टेनिस
34. क्रिकेट कौनसे देश का राष्ट्रीय खेल है।
Ans. इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया
35. भूटान का राष्ट्रीय खेल कौनसा है।
Ans. तीरंदाजी
36. बैडमिंटन कौनसे देश का राष्ट्रीय खेल है।
Ans. मलेशिया
37. पाकिस्तान का राष्ट्रीय खेल कौनसा है।
Ans. हॉकी
38. घुड़सवारी खेल के मैदान का क्या कहा जाता है।
Ans. एरीना
39. साइकिलिंग के मैदान का क्या कहा जाता है।
Ans. वेलोड्रम
40. बोरलॉग पुरस्कार किस क्षेत्र में दिया जाता है।
Ans. कृषि क्षेत्र
41. व्यास सम्मान का संबंध किस क्षेत्र से है।
Ans. साहित्य क्षेत्र
42. नोबेल पुरस्कार किन क्षेत्रों में दिया जाता है।
Ans. चिकित्सा, साहित्य, शांति, रसायन, भौतिकी (1901 से ) और
अर्थशास्त्र (1969)
43. नोबेल पुरस्कार किसकी याद में दिया जाता है।
Ans. वैज्ञानिक अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल
44. फिल्म जगत में दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित अंतर्रराष्ट्रीय
पुरस्कार कौनसा है।
Ans. ऑस्कर
45. विश्व में पत्रकारिता के क्षेत्र में दिया जाने वाला पुरस्कार
कौनसा है।
Ans. पुलित्जर
46. भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय पुरस्कार कौनसा है।
Ans. भारत रत्न
47. एशिया का नोबेल पुरस्कार किसे कहा जाता है।
Ans. रमन मैग्सेसे पुरस्कार
48. भारत में वीरता के लिए सैनिकों को दिया जाने वाला सवोच्य
पुरस्कार कौनसा है।
Ans. परमवीर चक्र
49. गांधी शांति अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार कब शुरू किया गया।
Ans. 1995 में
50. देश में कलिंग पुरस्कार कब शुरू किया गया।
- 1952 में

Q.1. टाँका धातु या सोल्डर में किस धातु का मिश्रण होता है?
ans:टिन व सीसा
Q.2.नेत्रदान में आंख के किस भाग का दान किया जाता है?
ans:कॉर्निया
Q.3.लैंस की क्षमता का मात्रक है?
ans: डायप्टर
Q.4.निकट दृष्टि दोष के निवारण लिए किस लैंस का उपयोग किया जाता है?
ans: अवतल लैंस
Q.5.ग्लूकोमा रोग शरीर के किस अंग से संबंधित है?
ans: आंख से
Q.6. प्रकाश के प्राथमिक रंग कौनसे हैं?
ans: लाल, हरा व नीला /span>
Q.7. ह्रदय के लिए उपयोगी यंत्र पेस मेकर का क्या कार्य है?
ans:दिल की धड़कन नियमित बनाए रखना
Q.8. मानव शरीर में रूधिर बैंक का कार्य कौन करता है?
ans:तिल्ली
Q.9.मानव शरीर में रक्त के शुद्धिकरण को कहते हैं?
ans:डायलेसिस
Q.10. रक्त का लाल रंग किसके कारण होता है?
ans: हीमोग्लोबिन
Q.11.एथेलीट फूट बीमारी किसके कारण होती है?
ans:फफूंद से
Q.12. विश्व की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री का नाम क्या है?
ans:वेलेंटाइना तेरेश्कोवा
Q.13.बीसीजी का टीका नवजात शिशु को कितने दिन के भीतर लगाना चाहिए?
ans:सात दिन के
Q.14.अग्निशमन यंत्र में कौनसी तकनीक काम में ली जाती है?
ans: वाटरजेट
Q.15. मानव शरीर में विटामिन ए किस अंग में संग्रहित रहता है?
ans:यकृत में
Q.16.कार में दृश्यावलोकन के लिए किस प्रकार के दर्पण का प्रयोग होता है?
ans: उत्तल दर्पण का
Q.17.हरा कसीस का रासायनिक नाम क्या है?
ans: फेरस सल्फेट
Q.18. जल का क्वथनांक किस पर निर्भर करता है?
ans:वायुमंडलीय दाब
Q.19. जीवों में आनुवांशिक लक्षणों को संतति में किसके द्वारा ले जाए जाते हैं?
ans:क्रोमोसोम (गुणसूत्रों) द्वारा
Q.20.पोलियो रोग किसके द्वारा होता है?
ans: वाइरस (विषाणु द्वारा)
Q.21.वर्णांधता किस प्रकार का रोग है?
ans:आनुवांशिक रोग
Q.22. एस्टिग्मेटिज्म नामक नेत्र रोग के निवारण में किस प्रकार के लैंस प्रयुक्त किए जाते हैं?
ans:बेलनाकार लैंस
Q.23.दूरदर्शी के अभिदृश्य लैंस का द्वारक और फोकस दूरी कैसी होती है?
ans: द्वारक और फोकस दूरी दोनों ही अधिक
Q.24. परम शून्य ताप पर अर्धचालकों का प्रतिरोध कितना होता है?
ans: अनंत
Q.25.जल की सतह पर फैली केरोसिन की पतली परत के सूर्य के प्रकाश में रंगीन दिखाई देने का कारण कौनसी प्रकाशीय घटना है?
ans: प्रकाश का व्यतिकरण
Q.26.रात्रि में आकाश में तारों का टिमटिमाते हुए दिखाई देना प्रकाश की किस घटना पर आधारित है?
ans:अपवर्तन
Q.27. किस प्रकाशीय घटना के कारण आसमान का रंग दिन में नीला दिखाई देता है?
ans:प्रकाश का प्रकीर्णन
Q.28.चमकने वाले विज्ञापनों तथा हवाई अड्डे पर विमान चालकों को संकेत देने में कौनसा लैम्प प्रयुक्त किया जाता है?
ans: निऑन लैम्प
Q.29. पेट की अम्लीयता कम करने की औषधि में तथा बेकिंग पाउडर के रूप में काम में आने वाला पदार्थ कौनसा है?
ans:सोडियम बाई कार्बोनेट
Q.30.किस भौतिक राशि का मात्रक मेगावाट होता है?
ans:शक्ति का
Q.31.क्रेस्कोग्राफ से किसका मापन किया जाता है?
ans:पौधों की वृद्धि का
Q.32.कार्य और ऊर्जा का मात्रक क्या होता है?
ans:जूल या अर्ग
Q.33.समुद्र में लहरों को शांत करने के लिए तेल छिड़का जाता है ताकि-
ans: पानी का पृष्ठ तनाव कम हो जाए
Q.34.ऑरिजन ऑफ स्पीशिज बाई नेचुरल सलेक्शन’ पुस्तक के लेखक कौन थे?
ans:चार्ल्स डार्विन
Q.35. मलेरिया रोग से शरीर का कौनसा अंग प्रभावित होता है?
answer< यकृत व स्पलीन/span>
36. एक्स किरणों के आविष्कारक कौन थे?
ans: डब्ल्यू के रोंजन
Q.37.लोहे के चुंबकीय अयस्क का क्या नाम है?
ans:मेग्नेटाइट
Q.38.सिनेबार किस धातु का अयस्क है?
ans: पारे (मर्करी)
Q.39. तारों के ताप का पता किसके द्वारा लगाया जाता है?
ans:तारों के प्रकाश के वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) द्वारा
Q.40.दसवीं योजना में औद्योगिक विकास की वार्षिक दर का लक्ष्य रखा गया है।
ans:10 प्रतिशत
Q.41.सर्वाधिक दालों का उत्पादन किस राज्य में होता है
ans:मध्य प्रदेश में
Q.42. संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव का पद कितने समय के लिए होता है
answer< 6 वर्ष/span>
Q.43.सेल्यूलर फोन के पिता कौन हैं
ans: फ्रेड मोरीसन
Q.44. कृषि लागत एवं कीमत आयोग की स्थापना कब की गई थी
ans:1965 में
Q.45.राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना किस समिति की सिफारिश के आधार पर की गई है
ans:शिवरामन समिति
Q.46.र्स्वण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने शुरू की थी।
ans:1 अप्रैल, 1999 को
Q.47.यदि नीचे उतरते समय लिफ्ट का त्वरण गुरूत्वीय त्वरण से अधिक हो जाने पर सवार व्यक्ति पर क्या क्रिया होगी
ans: व्यक्ति लिफ्ट की सतह से उठकर उसकी छत पर जा लगेगा
Q.48.पख्तूनिस्तान का क्षैत्र किस देश मे है
answer< अफगानिस्तान में/span>
49. स्वेज नहर किन दो सागरों को जोड़ती हैं
ans: लाल सागर और भूमध्य सागर
Q.50. बाल्टिक सागर और उत्तारी सागर का जोड़ती है
ans: कील नहर.

1857 ई. के क्रांति से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

1857 ई. के क्रांति से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
                     
प्रश्न➜1857 ई. का विद्रोह कहाँ से प्रारंभ हुआ ?

उत्तर➜बैरकपुर से

प्रश्न➜1857 ई. के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर जनरल कौन था ?

उत्तर➜लॉर्ड कैनिंग

प्रश्न➜किस सैनिक ने 1857 का विद्रोह आरंभ किया था ?

उत्तर➜मंगल पांडे

प्रश्न➜मगंल पांडे को फाँसी कब दी गई थी ?

उत्तर➜8 अप्रैल, 1857

प्रश्न➜1857 के विद्रोह में कानुपर से नेतृत्व किसने किया था ?

उत्तर➜तात्यां टोपे एवं नाना साहब

प्रश्न➜तात्या टोपे का वास्तविक नाम क्या था ?

उत्तर➜रामचंद्र पांडुरंग

प्रश्न➜1857 के विद्रोह  में बिहार से नेतृत्व किसने किया था 

उत्तर➜नेता कुँवर सिंह

प्रश्न➜1857 ई. के विद्रोह में दिल्ली से नेतृत्व किसने किया था ?

उत्तर➜बहादुरशाह जफर ने

प्रश्न➜1857 ई. के विद्रोह में लख़नऊ से नेतृत्व किसने किया था ?

उत्तर➜बेगम हजरत महल

प्रश्न➜1857 ई. के विद्रोह में झाँसी से नेतृत्व किसने किया था ?

उत्तर➜रानी लक्ष्मीबाई

प्रश्न➜1857 ई. के विद्रोह में इलाहबाद एवं बनारस से नेतृत्व किसने किया था ?

उत्तर➜लियाकत अली

प्रश्न➜भारतीय स्वतंत्रता संग्राम,1857 पुस्तक किसने लिखी ?

उत्तर➜वी.डी.सावरकर

प्रश्न➜एटिन फिफ्टी सेवन पुस्तक किसने लिखी है ?

उत्तर➜मौलाना अबुल कलाम आजाद

प्रश्न➜बाहदुर शाह -II को कहाँ पकड़ा गया था ?

उत्तर➜हुमायुँ के मकबरे से


प्रश्न➜1857 ई. का विद्रोह ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के लिए भारतीय जनता की क्रांति है’ ये किसके वचन था ?

उत्तर➜कार्ल मार्क्स

प्रश्न➜भारतीय क्रांतकारियों में लक्ष्मीबाई अकेली मर्द है ये किसने कहा था ?

उत्तर➜ब्रिटिश अधिकारी ह्यूरोज

प्रश्न➜रानी लक्ष्मीबाई का वास्तविक नाम क्या था

उत्तर➜मणिकर्णिका

प्रश्न➜1857 ई. के विद्रोह की असफलता के बाद बहादुरशाह II को किस स्थान पर निर्वासित किया गया था ?

उत्तर➜रंगून

प्रश्न➜इलाहाबाद को किसने आपातकालीन मुख्यालय बनाया था ?

उत्तर➜लॉर्ड केनिंग

प्रश्न➜भारतीय सुधार समिति की स्थापना कब की गई थी ?

उत्तर➜1857 में

प्रश्न➜1857 ई. की क्रांति का चिन्ह क्या निश्चित किया गया ?

उत्तर➜कमल व चपाती

अवश्य पढ़ें,एक ज्ञानवर्धक प्रस्तुति!

अवश्य पढ़ें,एक ज्ञानवर्धक प्रस्तुति!

* मन गोतीत अमल अबिनासी। निर्बिकार निरवधि सुख रासी॥
सो तैं ताहि तोहि नहिं भेदा। बारि बीचि इव गावहिं बेदा॥

भावार्थ:-वह मन और इंद्रियों से परे, निर्मल, विनाशरहित, निर्विकार, सीमारहित और सुख की राशि है। वेद ऐसा गाते हैं कि वही तू है, (तत्वमसि), जल और जल की लहर की भाँति उसमें और तुझमें कोई भेद नहीं है॥

मित्रों, आज हम शास्त्रों के ज्ञान के खजाने से कुछ रत्न रूपी तत्वों के बारे में जानने और समझने की कोशिश करेंगे, भगवान् के निराकार के ध्यान में वैराग्य और उपरामता की बड़ी आवश्यकता है, उपरामता क्या है? वैराग्य की पराकाष्ठा ही उपरामता हैं, इन दोनों के प्राप्त होने पर समाधि अपने आप ही लग जाती है।

वैराग्य स्वत: हो जाये तो ध्यान के लिए चेष्टा नहीं करनी पड़ेगी, ध्यान से ही परमानन्द की प्राप्ति होती, भागवतजी के अनुसार, आनन्द की अपारता को ही परमानन्द कहाँ गया है, जब उपरामता और वैराग्य नहीं है तो बहुत प्रयत्न करने पर भी मन स्थिर नहीं होगा, वैराग्य होता है तो संसार के पदार्थों के चित्र स्वत: ही शांत हो जाते हैं।

जहां सात्त्विकता भरी हो वहाँ वायु भी सहायक हो जाती है, इसमें दो बात मिलती है आरोग्यता और वैराग्य, भोग और आराम की दृष्टि से विचार किया जायें तो थोड़ी तकलीफ हो सकती है, असली चीज वैराग्य ही है, मखमल के गद्दे पर सोने पर हमें जो आनंद मिलता है, मेरा अनुमान है कि चटाई पर लेटने से कुछ आनन्द कम नहीं मिलता।

आराम की दृष्टि से मखमल की गद्दे और चटाई में क्या अंतर है? केवल मन की कल्पना है, संसार में सुख तो है ही नहीं, वैराग्य में सुख है, राग-द्वेष तो त्याग करने की चीज है, वैराग्य के सुख का सबको अनुभव नहीं हो सकता, श्रीमद्भागवत कथा में शुकदेवजी कहते हैं- राग से लाखों गुना सुख वैराग्य में है, इससे भी ज्यादा ध्यान में है, ध्यान से भी ज्यादा सुख परमात्मा की प्राप्ति में है।

बाह्यस्पर्शेष्वसक्तात्मा विंदत्यात्मनि यत्सुखम्।
स ब्रह्ययोगयुक्तात्मा सुखमक्षयमश्नुते।।

गीता में भी भगवान् श्री कृष्णजी ने बताया हैं- बाहर के विषयों में आसक्ति रहित अंत:करण वाला साधक आत्मा में स्थित जो ध्यानजनित सात्त्विक आनंद है, उसको प्राप्त होता है, तदनंतर वह सच्चिदानंदघन परब्रह्म परमात्मा के ध्यान रूप योग में अभिन्न भाव से स्थित पुरुष अक्षय आनंद का अनुभव करता है, आनन्द की अती को ही परमानन्द कहाँ गया है, परमात्मा स्वयं ही परमानन्द हैं।

योऽन्त:सुखोऽन्तरारामस्तथान्तर्ज्योतिरेव य:।
स योगी ब्रह्मनिर्वाणं ब्रह्मभूतोऽधिगच्छति।।

गीता में भगवान् श्री कृष्णजी कहते हैं कि व्यक्ति अंतरात्मा में ही सुखवाला है, आत्मा में ही रमण करने वाला है तथा जो आत्मा में ही ज्ञानवाला है, वह सच्चिदानंदघन परब्रह्म परमात्मा के साथ एकीभाव को प्राप्त सांख्ययोगी शांत ब्रह्म को प्राप्त हो जाता है, यानि भीतर से ही मननवाला हो, उससे होने वाले सुख से सुखी हो, सज्जनों! हमको ध्यान रखना चाहिये कि हम जहाँ भी हो, जैसे भी हो या किसी भी स्थान पर हो, किसी भी अवस्था में हो सब  प्रभु की कृपा ही हैं,

जहाँ ध्यान लगेगा, जहां प्रभु की चर्चा होगी, वहां आलस्य आ ही नहीं सकता, यदि आता है तो समझना चाहिये उसकी रुचि नहीं है, फिर ख्याल रखने की यह बात है कि रूची आयेगी कहाँ से? यह आयेगी श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से, राम कथा श्रवण से, गीता को पढ़ने से, भगवान् का नामजप से विक्षेप का विनाश हो जाता है, जहां विवेक होता है, वहां बुद्धि की आवश्यकता होती है, जहां बुद्धि तीक्ष्ण होती है, वहां आलस्य का सामर्थ्य ही नहीं, कि पास आ सके।

जिनकों भगवान् श्री कृष्णजी की भक्ति प्राप्त करनी है, तो भागवतजी के शरण में ही आना होगा, भगवान् के भक्ति की पराकाष्ठा हो तो जहाँ बैठे वहाँ समाधि लग जायें, भागवतजी में नारायण शब्द का अर्थ है, "सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म" अर्थात मन से परमात्मा का मनन करे, बार-बार आनंद शब्द का उच्चारण किया जायें, जिससे अन्त:करण की प्रसन्नता होने लगेगी, जिससे सम्पूर्ण दु:खों का अभाव हो जाता है और मन प्रसन्न हो जाता है।

उस प्रसन्न चित्तवाले कर्मयोगी की बुद्धि शीघ्र ही सब ओर से हटकर एक परमात्मा में भलीभांति स्थिर हो जाती है, भागवतजी भगवान् श्री कृष्णजी का विग्रह स्वरूप ही है, भागवत पुराण, सनातन धर्म के अट्ठारह पुराणों में से एक है, श्री श्रीमद्भागवत पुराण और जो व्यासपिठ से व्यासजी के द्वारा सुनी जाती है, वह श्री मद़्भागवत कथा, और एक सप्ताह का समय लगता है, इसलिये इसे श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ सप्ताह या भागवतम् भी कहते हैं।

इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमें कृष्णजी को स्वयं भगवान् के रूप में चित्रित किया गया है, इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है, आज महलों में रहकर भी जीवन में रस नहीं आ रहा है, क्या कारण है? भागवतजी का श्रवण करों, प्रभु का चिन्तन करों, झोपड़ी में रहकर भी जीवन में रस आने लगेगा, कल अध्यात्म के महासागर में गोता लगा कर, अमृतमय् रसास्वादन का पान करने की कोशिश करेंगे।

जय श्री कृष्ण!
ओऊम् नमो भगवते वासुदेवाय्

रामायण की प्रेम-परिभाषा!

रामायण की प्रेम-परिभाषा!

खगपति गरुड़ ने प्रश्न किया—हे कागभुसुण्डि! आप मुझे धर्म का वह सरल स्वरूप समझायें जिसका अनुसरण कर मैं भी जीवन-मुक्ति प्राप्त कर सकूँ।

 कागभुसुण्डि ने अपनी कथा प्रारम्भ की, अपना सारा जीवन वृत्तान्त सुनाया। उत्तरकाण्ड के यह प्रसंग आध्यात्म-ज्ञान के बीज हैं। उन्हीं में से एक प्रसंग प्रेममार्गी-भक्ति है। प्रेम को ही जीवन की सम्पूर्ण साधनाओं का आधार मानते हुए उन्होंने कहा—

जाने बिनु न होइ परतीती। बिनु परतीति होइ नहिं प्रीती॥
प्रीति बिना नहिं भगति दिढाई। जिमि खगपति जल कै चिकनाई॥

परमात्मा की महत्ता पर जब तक विचार नहीं किया जाता तब तक “ब्रह्म है” ऐसा विश्वास भी नहीं होता। विश्वास के बिना प्रेम नहीं होता, जब तक प्रेम नहीं, भक्ति ऐसी ही है जैसे जल के ऊपर तेल फिरता तो है पर मिल नहीं पाता।

इस सम्पूर्ण संदर्भ में भक्ति के लिए, ईश्वर प्राप्ति के लिए प्रेम की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। मनुष्य की स्थिति ऐसी है कि उसे जहाँ आनन्द मिलता है वहीं उसकी सम्पूर्ण चेष्टायें केन्द्रित रहती हैं। इसी भाव से केन्द्रीकरण का नाम प्रेम है। इस प्रेम का आधार लौकिक भी हो सकता है और पारलौकिक भी।

एक का नाम आसक्ति है, दूसरे का नाम मुक्ति। मुक्ति प्रेम ही परमात्मा की प्राप्ति का सबसे सरल उपाय है। रामचरित मानस ने स्थान-स्थान पर इसकी पुष्टि की है और लौकिक प्रेम से, दिव्य प्रेम के स्वरूप को अलग बताकर मनुष्य को अज्ञान से बचाने का प्रयत्न किया है। विरक्ति कवि तुलसी ने प्रेम तत्व की सीधी परिभाषा इस तरह की है—

तात कुतरक करहु जनि जाएँ। बैर प्रेम नहिं दुरइ दुराए॥
मुनिगन निकट बिहग मृग जाहीं। बाधक बधिक बिलोकि पराहीं॥
हित अनहित पशु-पच्छिउ जाना। मानुष तनु गनु ग्यान निधाना॥

कोई कितना ही षडयन्त्र करे बैर और प्रेम कभी छिप नहीं सकते। मुनियों के आश्रमों में पक्षी-मृग अभय घूमते हैं पर बधिक को देखते ही भाग खड़े होते हैं। जिस तत्व को पशु-पक्षी समझ सकते हैं मनुष्य जैसा गुणी-ज्ञानी जीव उसे कैसे नहीं जान सकता।

प्रेम मनुष्य की भावनाओं से, उसकी मुखाकृति, प्राण और प्रत्येक हाव-भाव से दिखाई देता है। वह जीवात्माओं को इस तरह जोड़ देता है जैसे जल और दूध मिलकर एक तन हो जाते हैं किन्तु यदि किसी ने केवल प्रेमाडम्बर किया, छल किया, कामना पूर्ति के लिए बहकाना चाहा तो वे ऐसे ही अलग हो जाती है जैसे दूध में खटाई डाल देने पर एकरूपता नष्ट हो जाती है और दोनों न्यारे-न्यारे हो जाते हैं। रामायण में कहा है—

पय जल सरिस बिकायँ, देखहु प्रीति की रीति भलि। बिलग होइ रसु जाइ, कपट खटाई परत पुनि॥

यहाँ प्रेम के दोनों रूपों का दिग्दर्शन है। पहला साँसारिक प्रेम जिसमें स्वार्थ और कामनायें प्रधान रहती हैं। इसे तुलसी दास जी ने छल बताया है और उसकी निन्दा की है। भगवान राम ने अपने पिता को मार्मिक शब्दों में इस गलती का बोध कराया है। श्री दशरथ जी जब राम के वन-गमन के समाचार से अति शोकातुर हो रहे थे तो उन्होंने समझाया—

पितु असीस आयसु मोहि दीजै। हरष समय विसमउ कत कीजै॥
तात किएँ प्रिय प्रेम प्रमादू। जसु जग जाइ होइ अपवादु॥

पिता जी! यह मेरे तप, जीवात्मा के उत्थान का पुण्य अवसर है ऐसे हर्ष के समय में दुःख करने की कौन-सी जरूरत है आप तो मुझे वन-गमन की आज्ञा दें। आपका यह प्रेम जो मेरे शरीर तक सीमित है और जिससे मेरे आत्मोत्थान में बाधा पड़ती है वह प्रेम नहीं प्रमाद है। ऐसा न कीजिए, इससे तो आपका अपयश ही होगा। रघुकुल में आप इसके लिए अपवाद ठहराये जायेंगे।

आज के मोहासक्त व्यक्तियों के लिए राम का यह कथन जीवनदायक है। धन, पद, वैभव और ऐश्वर्य के लिए माता-पिता अपने पुत्रों को आध्यात्मिक जीवन से विमुख रखने का प्रयत्न करते हैं यह दोनों ही राम की दृष्टि में प्रेम के अपयशी हैं इसे ही साँसारिक प्रेम कहा गया है। इसे ही बन्धन का कारण बताया गया है।

फिर क्या प्रेमास्पद होना सिद्ध करने के लिए घर, द्वार, धन, वैभव, पुत्र, पिता, पत्नी आदि का परित्याग कर देना चाहिए। या उनसे प्रेम न करना चाहिए? नहीं, नहीं ऐसा कैसे हो सकता है। प्रेम न रहेगा तो संसार कैसे चलेगा, मनुष्य जीवन में आनन्द ही क्या रह जायगा। तो फिर प्रेम का ग्राह्य स्वरूप कौन-सा है।

तुलसीदास जी ने अयोध्याकाण्ड में बड़ा सुन्दर रूपक प्रस्तुत कर, इस आशंका को दूर किया है। लिखते हैं—

घर घर साजहिं बाहन नाना। हरषु हृदय परभात पयाना॥
भरत जाई घर कीन्ह विचारु। नगर बाजि गज भवन भँडारु॥
संपति सब रघुपति कै आही। जौ बिनु जतन चलौं तज ताही॥
तौ परिनाम न मोरि भलाई। पाप सिरोमनि साई दोहाई॥
करई स्वामि हित सेवक सोई। दूषन कोटि देइ किन कोई॥
अस विचार सुचि सेवक बोले। जे सपनेहुँ निज धरम न डोले॥
कहि सब मरमु धरमु भल भाषा। जो जेहि लायक सो तेहि राखा॥

सब लोगों ने सुना कि प्रातःकाल सारी अयोध्या राम को मिलने जा रही है। सब तैयारियाँ हो चुकीं, सभी प्रसन्न थे। पर भरत उस समय विचार मग्न हो गये। उन्होंने सोचा यह सारा नगर, मकान, घोड़े, हाथी, संपत्ति, खजाना सब उन्हीं भगवान राम का ही तो है, फिर यदि इसे आरक्षित छोड़कर जाता हूँ तो भगवान मुझ पर प्रसन्न कहाँ होंगे? इससे तो उलटा मुझे पाप लगेगा। ऐसा विचार कर उन्होंने धर्मशील सेवकों को बुलाकर उन्हें पहले कर्त्तव्य बोध कराया और इसके बाद जो जिस योग्य था उसे वह काम सौंप दिया।

उपरोक्त कथन में भरत का निष्काम प्रेम स्पष्ट है। उन्हें घर, घोड़े हाथी आदि किसी भी संपत्ति का मोह नहीं है, तो भी उसे अरक्षित रखना वे परमात्मा की अवज्ञा मानते हैं। उन्हें राम से प्रेम था पर उसके साथ ही वे अपना कर्त्तव्य भी नहीं भूले। अर्थात् उस धन सम्पत्ति को न तो यों ही छोड़ा और न उसे अयोग्य व्यक्तियों को सौंपा। परमात्मा की सम्पत्ति उन्हें दी जो धर्मनिष्ठ थे। जिन पर उन्हें विश्वास था कि वे इस ईश्वरीय सम्पत्ति का दुरुपयोग न करेंगे। राम के प्रति यही प्रेम सर्वांगपूर्ण कहा जा सकता है। राम के मोह के साथ, राम के प्रति कर्त्तव्यों का जो सुव्यवस्थित ढंग से पालन कर सकता हो ऐसा भरत के से गुण वाला व्यक्ति ही उनका सच्चा भक्त हो सकता है।

निष्काम प्रेम का एक और सुन्दर उदाहरण अयोध्याकाण्ड में ही प्रस्तुत है। संसार की ऐसी कौन-सी माता होगी जिसे अपने पुत्र पर प्रेम न होगा। कौशल्या का अपने पुत्र राम के प्रति अगाध प्रेम था पर इस प्रेम में उन्होंने स्वार्थ की झलक नहीं आने दी। उन्हें राम और भरत में कोई अन्तर नहीं जान पड़ा। दरअसल सच्चा प्रेम तो यही है। अपने बच्चे की सच्ची स्नेहित वही माता हो सकती है जिसे दूसरे बच्चों से भी समान प्रेम हो। यह संसार परमात्मा का बनाया हुआ है। अपने-पराये सब उसी के पुत्र हैं फिर एक से प्रेम और दूसरे से दुराव कैसे हो सकता है। जो अपनों से प्रेम करता है वह यदि मानव-मात्र से प्रेम करे तो ही उसका प्रेम सच्चा है। ईश्वरीय प्रेम और प्रेममयी भक्ति से जीवन मुक्ति का यही स्वरूप है। यह कथानक राम का माता कौशल्या से वन जाने के आज्ञा माँगने से प्रारम्भ होता है और कौशल्या के सुन्दर उत्तर से समाप्त होता है—

धरम धुरीन धरम गति जानी। कहेउ मातु सन अति मृदुबानी॥
पिता दीन्ह मोहि कानन राजू। जहँ सब भाँति मोर बड़ काजू॥
आयसु देहि मुदित मन माता। जेहि मुद मंगल कानन जाता॥
जनि सनेह बस डरपसि भोरे। आनँदु अंब अनुग्रह तोरे॥
धरम सनेह उभयँ मति घेरी। भई गति साँप छछूँदर केरी॥
राखऊँ सुतहिं करऊँ अनुरोधू। धरम जाई अरु बन्धु बिरोधू॥
बहुरि समुझि तिय धरम सयानी। राम भरत दोउ सुत सम जानी॥
सरल सुभाल राम महतारी। बोली बचन धीर धरि भारी॥
तात जाउँ बलि कीन्हेहूँ नीका। पितु आयसु सब धरमकु टीका॥

इस कथन से यह भी स्पष्ट है कि सच्चा प्रेमी सरल होता है, वह सबके कल्याण की कामना करता है। धर्म करते हुए अपने पराये की भेद वृत्ति जिसमें न हो वही सच्चा प्रेमी है।

इस प्रकार की निष्काम सेवा निस्सन्देह, लौकिक दृष्टि से काफी कष्टदायक होती है पर उससे अपने प्रियतम परमात्मा के प्रति आत्म दान का जो सुख मिलता है वह उस कष्ट की अपेक्षा अधिक सुखकर होता है।

लौकिक प्रेम में ही आत्म-त्याग की इतनी भावना होती है कि उसकी रक्षा के लिये अपने प्राण त्याग तक के लिये तैयार रहते हैं इसमें प्रेमी को आन्तरिक सुख मिलता है फिर परमात्मा के प्रति यदि अनन्य भाव से आत्मदान किया जाय और उस पथ का अनुसरण करते हुये आपदायें आयें तो उनसे सन्तोष क्यों न होगा? तुलसीदास जी कहते हैं—

जलदु जनम भरि सुरति बिसारउ जाचत जल पवि पाहन ठारउ॥
चातकु रटनि घटें घटि जाई। बढ़ें प्रेमु सब भाँति भलाई॥
कनकहिं बान चढ़इ जिमि दाहें। तिमि प्रियतम पद प्रेम निबाहें॥

चातक जन्म-भर स्वाति नक्षत्र की आशा में प्यासा बना रहता है। स्वाति नक्षत्र में दो बूँद जल की आकाँक्षा से वह ऊपर की ओर चोंच फैलाता है पर बादल ऊपर से ओले बरसाते हैं। चातक को कष्ट होता है पर वह अपने नियम से विमुख नहीं होता। सोना जिस प्रकार अग्नि में चढ़कर खरा होता है उसी प्रकार अपने प्रियतम के लिए कर्त्तव्य पालन की उच्चतम कसौटी में खरा उतर कर सच्चा प्रेमी कहलाने का सौभाग्य मिलता है।

अन्त में तुलसीदास जी ने प्रेम के द्वारा सहज ही परमात्मा की प्राप्ति का प्रसंग प्रस्तुत करते हुये लिखा है—

पुर बैकुण्ठ जान कह कोई। कोउ कह पयनिधि बस प्रभु सोई॥
जाके हृदयँ भगति जस प्रीती। प्रभु तहँ प्रगट सदा तेहि रीती॥
तेहि समाज गिरिजा मैं रहेउँ। अवसर पाय वचन एक कहेउँ॥
हरि व्यापक सर्वत्र समाना। प्रेम ते प्रगट होर्हि मैं जाना॥
देस काल दिसि विदिसहु माहीं। कहहु सो कहाँ जहाँ प्रभु नाहीं॥
अग जगमय सब रहित बिरागी। प्रेम ते प्रभु प्रगटई जिमि आगी॥

देवताओं में चर्चा चल रही थी, परमात्मा से कैसे मिला जाय ताकि असुरों के साथ संग्राम में उनका अनुग्रह प्राप्त किया जा सके। कोई कहता था वे बैकुंठ में हैं वहाँ जाना चाहिये, कोई उन्हें क्षीर-सागर में बताता था। जिसके हृदय में जैसी भक्ति थी वह उसी रीति से ईश्वर से मिलने की बात कर रहा था। उस समाज में भगवान शंकर जी भी उपस्थित थे।

उन्होंने कहा—परमात्मा तो सर्व व्यापक है मेरा निश्चित मत है कि वह प्रेम से ही प्रगट होता है। वह देश, काल, दिश-विदिशाओं में सर्वत्र व्याप्त है और प्रेम द्वारा अग्नि के समान प्रगट हो जाता है।

काकभुसुण्डि की इन व्याख्याओं से गरुड़ जी अधिक प्रसन्न हुये। उत्तर काण्ड में बताया है—

सुनि भुसुँडि के वचन सुहाये। हर्षित खगपति पंख फुलाए। पुनि पुनि काग चरन सिरु नावा। जानि राम सम प्रेम बढ़ावा

गरुड़ इस संवाद से अति प्रसन्न हुये। उन्होंने काग को भी परमात्मा का स्वरूप ही मानकर अति प्रेम प्रदर्शित किया। प्रेम का ज्ञान प्राप्त कर उनके सारे संशय दूर हो गये।